Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

सतर्क हो जाएं जब बढ़ने लगे उम्र-(SCIENCE OF AGING)

चेतावनी के संकेतों, अलार्म सिग्नल्स को पहचानें  
उम्र बढ़ने से कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं। कई शारीरिक समस्याएं
 इतनी तेजी से और चुपचाप हमला करती हैं कि मनुष्य को संभलने
 का मौका ही नहीं मिलता। कुछ अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करती
रहती हैं और उनका असर देर से सामने आता है। बीमारी के आने से
पहले ही सतर्कता रखने में ही समझदारी है। हर साल पूरे शरीर की भी
 जांचें और परीक्षण करा लें। खानपान की आदतें बदलें और अनुशासन
 तथा संयम के रहना सीखें। खुद की फिटनेस के प्रति स्वार्थी हो जाएं
Rajendra Agrawal

पैदल सैर करें
जीवन में नियमित व्यायामों को स्थान दें: सुबह-शाम 4 किलोमीटर की पैदल सैर करें या तैरने जाएं और साथ ही तनाव को भी कम करें। इसके लिए योग व ध्यान एक अच्छा साधन है।
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तनाव उत्पन्न करने वाले कारकों को पहचानें व उन्हें दूर करें।
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अपने आर्थिक लक्ष्य उतने ही ऊंचे रखें जिन्हें आसानी से हासिल कर सकें।
अपनी आर्थिक सीमाओं को ध्यान में रखकर कर्ज लें:
कर्ज लें तो उसके उतारने की क्षमता का पहले ध्यान रखें।

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परिवार को समय दें
 कभी-कभी उनके साथ मनोरंजन व परिवर्तन के लिए बाहर जाएं और इस समय अपने कामकाज व कारोबार की चिंताओं को घर छोड़ दें।

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वैसे तो अपनी सेहत के प्रति सभी को सदैव जागरूक रहना चाहिए, परंतु फिर भी उम्र का चालीसवां पड़ाव इस मामले में जागने का सबसे जरूरी व उचित समय है। इस आयु में जहां व्यक्ति अपने करियर व गृहस्थी के मामले में सेटल होने लगता है, वहीं कार्य का दबाव बच्चों के भविष्य की चिंता, जीवन में स्थायित्व लाने का तनाव आदि उसके स्वास्थ्य के लिए स्ट्रेस का काम करते हैं, साथ ही शरीर युवावस्था की सक्रियता व ऊर्जा से वंचित होने लगता है।

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विभिन्न शारीरिक क्रियाएं व मांसपेशियों की मजबूती कम होने लगती है।
अतः इस अवस्था के आने के पहले ही जागना जरूरी है।
याद रखें यदि आपके स्वास्थ्य में सेंध लग गई तो आप न केवल उस परिवार पर बोझ बन जाएंगे जो आप पर निर्भर है बल्कि आप उस आराम और सुकून से भी वंचित हो जाएंगे जिसे हासिल करने के लिए आपने जी-तोड़ मेहनत की है।
इसलिए जरूरी है कि आप उन चेतावनी के संकेतों, अलार्म सिग्नल्स को पहचानें और साथ ही अपनी सेहत को बरकरार रखने के लिए सावधानियां बरतें।

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- जीवनशैली में परिवर्तन

अपनी उम्र व क्षमता के हिसाब से अपने रहन-सहन, खान-पान व दिनचर्या को ढालें, यह सबसे जरूरी है। जीवनशैली का स्ट्रेस या दबाव, तनाव व सीडेन्ट्री लाइफ स्टाइल यानी शारीरिक श्रम रहित जीवनशैली से गहरा संबंध है। इन दोनों कारणों से आप भविष्य में उच्च रक्तचाप (ब्लॅडप्रेशर), हृदय रोग, मधुमेह (डायबिटीज), डिप्रेशन (अवसाद), पोश्चर व जोड़ों की समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं।

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नियमित जांचें

प्रौढ़ावस्था के दौरान शरीर में अनेक परिवर्तन होते हैं। महिलाओं में जहां इस दौरान रजोनिवृत्ति व इससे जुड़े हारमोनल परिवर्तन होते हैं, वहीं पुरुषों में भी कई रासायनिक परिवर्तन होते हैं। डायबिटीज टाइप-2 जैसी अनुवांशिक बीमारी भी इस दौरान प्रकट होती है, बरसों से धमनियों में जमा कोलेस्टेराल व फेफड़ों में जमा सिगरेट के धुएं से निकला कार्बन हृदयाघात, दमा व ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
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कैल्शियम की कमी व शारीरिक व्यायामरहित जीवनशैली आर्थराइटिस को साथ लाती है। पढ़ने के लिए चश्मा लगने की उम्र भी यही है। इसलिए जरूरी है कि प्रौढ़ावस्था की शुरुआत से पहले आप कम से कम एक बार सभी जरूरी जांचें व चिकित्सकीय परीक्षण अवश्य करा लें।
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इन जांचों को एक बेसलाइन के रूप में हमेशा सामने रखें। इससे आपको भविष्य में हो रहे शारीरिक परिवर्तनों की तुलना करने में आसानी होगी। कोई समस्या जन्म ले रही होगी तो वह पकड़ में आ जाएगी और उसे आगे बढ़ने से रोका जा सकेगा। जरूरी जांचों में लिपिड प्रोफाइल, ब्लड यूरिया, सीरम क्रिएटिनीन, लीवर फंक्शन टेस्ट, ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे, एब्डोमिनल सोनोग्राफी, टीएमटी (ट्रेडमिलटेस्ट), यूरिन व कम्पलीट हीमोग्राम साथ ही महिलाओं के लिए बोनमेरो डेन्सिटी (बीएमडी), सरवाइकल पेप स्मीअर व मेमोग्राफी आदि जांचें सामान्यतया कम से कम एक बार करवाकर रखना चाहिए।

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-डायबिटीज की  हिस्ट्री तो नहीं...

यदि परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री है तो 45 वर्ष की उम्र से पहले दो वर्ष में एक बार और फिर बाद में प्रत्येक वर्ष खून में शकर की जांच जरूरी है। इसी प्रकार परिवार में स्तन कैंसर पहले हुआ हो तो महिलाओं को साल में एक बार मेमोग्राफी अवश्य कराना चाहिए। वर्ष में एक बार आंखों की जांच, कानों की जांच भी करा सकें तो अच्छा है। इसके अलावा साल में एक बार अपने डॉक्टर से अपना पूर्ण परीक्षण कराएं और जो जांचें वे जरूरी समझें, उन्हें कराएं।

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- खान-पान...

खान-पान में संयम बढ़ती आयु की एक और खास आवश्यकता है। अपने वजन पर खास ध्यान दें। घी, तेल, चिकनाईयुक्त और मीठे भोज्य पदार्थों से यथासंभव बचें, नमक भी सीमित मात्रा में लें, कच्चा नमक न खाएं तो भी हर्ज नहीं। भोजन में पर्याप्त मात्रा में हरी सब्जियां, सलाद व अन्य रेशेदार पदार्थ लें।

अंकुरित मूंग, चने व फलों का रस नाश्ते में शामिल करें। कई लोग इस उम्र में अपने मन से ही विटामिन्स व एंटी-ऑक्सीडेंट्स की गोलियां लेने लगते हैं। इससे सिर्फ इन महंगी दवाओं को बनाने वाली कंपनियों को ही लाभ होता है व्यक्ति को नहीं। एक संतुलित आहार से इन सभी की पूर्ति प्राकृतिक रूप से हो जाती है। 

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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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