Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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How to make Chyawanprash (घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका),


वर्तमान में च्यवनप्राश सबसे अधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पादन  है, और सबसे अधिक गुणकारी भी,बाज़ार में मिलने वाला च्यवनप्राश स्वादिष्ट तो होता हे पर पूर्ण  लाभकारी नहीं होता क्योकि वास्तविक च्यवनप्राश अधिक स्वादिष्ट नहीं होताअधिक स्वादिष्ट करने के लिए इसमें अधिक शक्कर आदि पदार्थ मिला दिए जाते हें|  शास्त्रोक्त च्यवन प्राश की तुलना में हमने वर्तमान के मान से शक्कर तीन गुना अधिक कर दी है। साथ ही कुछ एसी ओषधियाँ जो आजकल मिलती ही नहीं के स्थान पर प्रतिनिधि ओषधि सम्मलित की है।  
असली च्यवन प्राश क्या है?  जानने के लिए लिंक 
 प्रस्तुत है घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका
 How  to  make  chyavanprash  
Chyawanprash Ingredients -आवश्यक सामग्री
च्यवनप्राश (Chawanprash) में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न  प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है. ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है. च्यवनप्राश (Chywanprash) को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना सकते हैं|  इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है|
Chyawanprash Ingredients . सामग्री .

चमत्कारिक संजीवनी बूटी? - दशांग लेप!

चमत्कारिक संजीवनी बूटी? - दशांग लेप!
A Wondrous & Miraculous, Life saving herbal Medicine? - Dashang Lep,[coat]. 
  मेरे पिछले लगभग 50 वर्षीय चिकित्सकीय जीवन काल में आयुर्वेद के कई योगों ने आत्यधिक प्रभावित किया उनमें से एक है, दशांग लेप| 

मच्छर भगायें और प्रदुषण से भी बचें - (मच्छर भगाने का सबसे सस्ता, टिकाउ, आसान और देसी तरीका स्वयं बनायें।)

 मच्छर भगायें और प्रदुषण से भी बचें 


  1. Mosquito -repellent की किसी भी रिफिल को पूरा खाली कर लें, इसमें नीम के तेल 70% केरोसिन तेल या मिटटी के तेल 10% नारियल का तेल 15% में कपूर 5 % को पीस इसमें घोल लें, इस रिफिल को उसके प्लग मशीन में लगा कर इस्तमाल करें। इससे मच्छर भाग जाते है| कोई परफ्यूम मिला देने पर गंध भी ठीक रहेगी|
  2. नीम -केरोसीन लैम्प:- एक छोटी लैम्प में मिटटी के तेल में 30 बुँदे नीम के तेल की डालें, दो टिक्की कपूर को 20 ग्राम नारियल का तेल में पीस इसमें घोल लो इसे जलाने पर मच्छर भाग जाते है और जब तक वो लैम्प जलती रहती है, मच्छर नहीं आते |
  3.  दिया:- नारियल तेल में नीम के तेल को डाल कर उसका दिया जलाये इससे भी मच्छर नही आयेंगे|
  4. गाय के गोबर में नीम के सूखे पत्ते हवंन सामग्री मिलाकर कंडे, अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाने से मच्छर नष्ट होतें हें|

  5. किसी भी mosquito -repellent रिफिल को पूरा खाली कर लें,
    उसमें नीम का तेल भर दें और उसमें कुछ शुद्ध कपूर के
    टुकड़े डाल दें फिर इस रिफिल को उसके प्लग मशीन
     में लगा कर इस्तमाल करें।

     यह देसी प्रयोग तमाम विदेशी प्रोडक्ट्स पर भारी ही पड़ेगा
नोट :-जिस कमरे के मच्छर भागने है उस कमरे में कंडे लैम्प बत्ती अदि जला रहें हों वेंटिलेशन जरुरी है| 

अच्छा है, की एक घंटे के लिए कमरे को बंद कर दें, फिर जाली वाली खिड़कियां खोल कर लें, और धुप अदि बंद कर सो जायें |



 लाभ :- यह सबसे सस्ता प्राकृतिक ,आर्गेनिक, दुष्प्रभाव रहित आदि !!
खतरनाक दवाओ के दुषप्रिणाम से बचे
मच्छर मारने के लिए coil के रूप में, टिकिया के रूप में या लिकुइड के रूप में जो दबा हम इस्तेमाल करते है उसमे कुछ खतरनाक केमिकल जैसे D ethylene , Melphoquin और phosphene रहते है | ये तीनो केमिकल यूरोप और अमेरिका के ५६ देशो में २० साल से बंध है | बच्चो के सामने ये दबा का इस्तेमाल नही करना चाहिए| वैज्ञानिको का कहना है ये मछर मारने वाली दबाये अंत में मनुष्य को मार देती है | और ये तीन खतरनाक केमिकल का ब्यापार भारत में विदेशी कंपनियों के नियंत्रण में है, वे अन्धादुन्ध केमिकल इम्पोर्ट करके भारत में बेच रहे है साथ में कुछ स्वदेशी कंपनिया भी इन्हें बेच रहे है |
सबसे अच्छा है मच्छरदानी का इस्तेमाल करना  तो यह नीम के तेल का दीपक जलाये उससे एक भी मच्छर कमरे में नही आयेगा |
और एक तरीका है गाय के गोबर में नीम के सूखे पत्ते हवंन सामग्री मिलाकर कंडे, अगरबत्ती या धूपबत्ती जलने से जिससे मच्छर नही आता |
  
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

बिल्ब बेल फल, पत्ते,और जड़ शिवजी को प्रिय क्यों हें।

शास्त्रों में भगवान शिव को आदि चिकित्सक भी माना गया है। शिव ने ही अश्वनी कुमार और इन्द्र आदि देवताओं को आयुर्वेद सिखाया था।  शिवजी को चड़ने वाले इसके पत्र को सभी अच्छी तरह से जानते हें। इसके ओषधीय गुणो के कारण ही शिवजी को यह प्रिय भी है। 
  
महर्षि चरक ने आयुर्वेद में बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल कहा है। 
 बेल के फल के 100 ग्राम गूदे का रासायनिक विश्लेषण इस प्रकार है- नमी 61.5 प्रतिशत, वसा 3 प्रश, प्रोटीन 1.8 प्रश, फाइबर 2.9 प्रश, कार्बोहाइड्रेट 31.8 प्रश, कैल्शियम 85 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 50 मिलीग्राम, आयरन 2.6 मिलीग्राम, विटामिन 'सी' 2 मिलीग्राम। इनके अतिरिक्त बेल में 137 कैलोरी ऊर्जा तथा कुछ मात्रा में विटामिन 'बी' भी पाया जाता है।

घर पर बनाए तुलसी अमृत या अर्क।

घर पर कैसे बनाए तुलसी का अर्क?
भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का बहुत महत्व है और इस पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। ऎसा माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा नहीं होता उस घर में भगवान भी रहना पसंद नहीं करते। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा कलह और दरिद्रता दूर करता है। इसे घर के आंगन में स्थापित कर सारा परिवार सुबह-सवेरे इसकी पूजा-अर्चना करता है। यह मन और तन दोनों को स्वच्छ करती है। इसके गुणों के कारण इसे पूजनीय मानकर उसे देवी का दर्जा दिया जाता है। तुलसी केवल हमारी आस्था का प्रतीक भर नहीं है। इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी तुलसी को महत्वपूर्ण माना गया है। भारत में सदियों से तुलसी का इस्तेमाल होता चला आ रहा है।
तुलसी के अनेक लाभ ओर उपयोग हें, यह कई रोगों मेँ कारगर सिद्ध हुई है। इस कारण इसको तुलसी से व्यवसायिक लाभ लेने ओर आसान उपलब्धि हेतु तुलसी का अर्क निकाल कर मार्केटिंग की जाकर धन कमाया जा रहा है। यह अर्क या बिन्दु के रूप मेँ लाने ले जाने की सुविधा, पोधे के गुण की हमेशा उपलब्धि, की विचार से अति उत्तम प्रयोग है। अन्य ओषधियों की तरह इसकी गोली/ घनसत्व के केपसूल, बनाए जाना  संभव नहीं क्योकि इसमें उपस्थित उड़नशील तैल ही इसका लाभदायक अंश होता है, यदि यह बाष्पीकृत हो गया तो इसका किसी भी रोग पर कोई असर नहीं होगा। 
इस कारण इसका अर्क निम्न निष्कासन विधि से निकाला जाना चाहिए। 

अर्क निष्कासन विधि

हिंग्वाष्टक चूर्ण-मनुष्य के लिए आयुर्वेद का एक अनमोल तोहफा।

हिंग्वाष्टक चूर्ण-मनुष्य के लिए आयुर्वेद का एक अनमोल तोहफा।
माना जाता है की हर रोग का बीज पेट से ही पनपता है, इसी कारण  पेट को ठीक रखा जाए तो कोई रोग कैसे होगा। 
प्रारम्भिक समस्या पेट के कारण ही उत्पन्न होती है। 

लाख दर्द की एक दवा- अमृत धारा

आज से लगभग 30-40 वर्ष पूर्व "अमृत धारा" बड़ी प्रचलन में थी। आजादी के पहिले से लाहोर के एक हाकिम ने इसे बढ़ा प्रचलित किया था लाहोर में इसके नाम पर एक अम्रत धारा गली भी रही हे। वर्तमान पीढ़ी एसे भूल गई है। यह एक कई रोगों की दवा है।
बनाने की विधि यह है-

इंसटेंट नाश्ता भारतीय फास्ट फूड -- सत्तू सर्व श्रेष्ठ क्यों?

अल्पाहार में दादी नानी का परंपरागत इंसटेंट नाश्ता भारतीय फास्ट फूड -- सत्तू सर्व श्रेष्ठ क्यों?
  हमारे देश में अल्पाहार ओर तीर्थ यात्रा आदि की कठिन परिस्थितीयों में आहार के एक विकल्प की तरह  ही,  सत्तू का प्राचीन काल से उपयोग होता रहा है, आज सत्तू की उपयोगिता भले ही महत्वपूर्ण हो, लेकिन वर्तमान में इसके चाहने वाले कम होते जा रहे हैं। पीत्जा, बर्गर के युग में अल्पाहार के तौर पर सत्तू की कल्पना भी तथाकथित प्रगतिशील विद्वानो को बेजा नजर आती है।

काम शक्ति का स्त्रोत -सालम मिश्रीओर उसके चमत्कार।

शक्ति का स्त्रोत सालम मिश्री - या सालम पंजा  
शक्ति का स्त्रोत सालम मिश्री   
       अक्सर कुछ आदिवासी कबीले के स्त्री पुरुषों को सड़क पर मजमा लगाए, थेले टांग कर जड़ी बूटी बेचते हुए अकसर सभी ने देखा होगा। ये सालम मिश्री ले लो जेसी आवाज भी लगते देखे जाते हें। जिज्ञासा वश जब कोई उनसे पूछे तो वे मर्दांनगी की दवा बताते हें। कई लोग ले भी लेते हें विशेषकर ग्रामीण,  उसके उपयोग के बाद लाभ होने पर उनके अन्य साथी भी आकर्षित होते हें। अधिकांश लोग यह नहीं जानते की ये क्या हे?

गिलोय सत्व एवं गिलोय घन सत्व'


ताजी गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़े कर पानी में गला दिया जाता हे, गली हुई टहनियों को हाथ से मसलकर पानी चलनी या कपडे से छान  कर अलग किया जाता हे और स्थिर छोड़ दिया जाता हे अगले दिन तलछट (सेडीमेंट) को निथार कर सुखा लिया जाता हे यही गिलोय  सत्व होता हे जो ओषधि के कडवेपन से भी मुक्त और पूर्ण लाभकारी होता हे बाज़ार में भी इसी नाम से मिलता हे।
सूखी गिलोय से भी सत्व निकला जा सकता हे पर वह मात्रा में कम निकलता हे,और कुछ कम गुणों वाला हो सकता हे।
 गिलोय घन सत्व-शेष बचे हुए पानी को उबाल कर गाडा होने पर धुप में सुखा लिया जाता हे यह गिलोय घन सत्व होता हे यह भी दिव्य औषधि हे।  ये दोनों गिलोय सत्व एवं गिलोय घन सत्व'  बहुत उपयोगी पाउडर है जो  जड़ी बूटी गिलोय  के महान गुण क्षमता रखती हे  सकारात्मक बात यह हे कि इसकी  मामूली मात्रा  भी यह अद्भुत काम करती है। इससे गिलोय चूर्ण के रूप में न केवल अधिक मात्रा बचा जा सकता हे वहीँ कड़वाहट से भी छुटकारा मिल जाता हे।
गिलोय के बारे में--    


चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

हरिद्रा खंड

सर्दियों में ताज़ी हल्दी आती हैइस मोसम में हरिद्रा खंड का सेवन चेहरे और त्वचा में चमक लाता हैएलर्जी, जुकाम सर्दीनजलाशीत-पित्तक्रमीचर्म रोग, इसके सेवन से ठीक होते हेंहल्दी एक ओक्सिडेंट भी है
हल्दी से बनी आयुर्वेदिक औषधि  ' हरिद्रा  खंड' के सेवन से शीतपित्त, खुजली, एलर्जी,और चर्म रोग नष्ट होकर देह में सुन्दरता आ जाती है| बाज़ार में यह ओषधि सूखे चूर्ण के रूप में मिलती है| इसे खाने के लिए मीठे दूध का प्रयोग अच्छा होता है|
शास्त्र विधि में इसको निम्न प्रकार से घर पर बना कर खाया जाये तो अधिक गुणकारी रहता है| बाज़ार में इस विधि से बना कर चूँकि अधिक दिन तक नहीं रखा जा सकता, इसलिए निम्न बनाये गए शास्त्रोक्त रूप में नहीं मिलता है| घर पर बनी इस विधि बना शास्त्रोक्त (शास्त्र लिखित) हरिद्रा  खंड अधिक गुणकारी और स्वादिष्ट होता है|
हमारा भी अनुभव है, की कई सालो से चलती आ रही एलर्जी ,या स्किन में अचानक उठाने वाले चकत्ते ,खुजली इसके दो तीन माह के सेवन से हमेशा के लिए ठीक हो जाती है | इस प्रकार के रोगियों को यह बनवा कर जरुर खाना  चाहिए |  और अपने मित्रो कोभी बताना चाहिए| यह हानि रहित निरापद बच्चे बूढ़े सभी को खा सकने योग्य है| जो नहीं बना सकते वे या शुगर के मरीज, कुछ कम गुणकारी, चूर्ण रूप में जो की बाज़ार में उपलब्ध है का सेवन कर सकते है
हरिद्रा खंड निर्माण विधि:-

अम्ल पित्त या एसिडिटी -अविपत्तिकर चूर्ण

क्या आप जानते हें की एसीड को कम करने वाली और पेट की जलन से तत्काल छुटकारा दिलाने वाली एंटेसीड कब्ज करती हें और कब्ज एसिडिटी को और बड़ा देती हे | इसी कारण रोग नहीं मिट पाता| आयुर्वेद सिधांत के अनुसार -- पित्ते विरेचनम| अर्थात पित्त की शांति के लिए विरचन दें कब्ज दूर होते ही अम्ल पित्त  या  एसिडिटी ठीक हो जायेगी | इसके लिए निशोथ का प्रयोग श्रेष्ट हे| अविपत्तिकर चूर्ण २ से३ ग्राम खाली पेट लेना  अम्लपित्त और कब्ज दोनों को ठीक कर देगा | यदि मिर्च मसाले कुछ दिन बंद कर सकें तो  एसिडिटी या अम्लपित्त रोग से हमेशा के लिए मुक्ति| 
अविपत्तिकर चूर्ण - सोंठ,कालीमिर्च,पीपल,हरड,बहेड़ा,आवला,नागरमोथा,वायविडंग,छोटी इलायची,तेजपत्र ये सभी ग्यारह वस्तुएं  १०-१० ग्राम, निशोथ -४००  ग्राम,लोंग-१०० ग्राम,मिश्री-६०० ग्राम --- इन सभी औषधियों को मिक्स़र में बारीक़ पीस कर मेदा चलनी से छानकर चूर्ण बना लें | सुगर के रोगी इसमें मिश्री न डालें खाने में कुछ ख़राब लगेगी पर लाभ वही मिलेगा|

शक्ति दायक पेय

शक्ति  दायक  पेय 
जो बच्चे बडे सभी के लिये उपयुक्त रहेगा। 
आवश्यक सामग्री 
1-बादाम मिगी 100 ग्रा
2-केशर 1/2 ग्राम
3-इलायची 10 ग्राम
बादाम पानी में गलाकर छिल्खा हटाकर केशर इलायची मिलाकर पीस कर रख लें
1- अश्वगधा 100 ग्राम
2-शखं पुष्पी 1/4 कि,ग्राम
3- अर्जुन छाल 100ग्राम
4- शतावरी 1/4  कि,ग्राम
5- हरड़ 50 ग्राम 
6-आवॅला 50 ग्राम
(नोट इसमें ब्राह्मी 250 ग्राम भी मिला कर स्मरण शक्ति के लिए अधिक उपयोगी बना सकते हें, पर इसकी कड़वाहट बच्चों को पसंद नहीं आती) 
  इन औषधियौं को साफ कर मोटा (जौं कुट) बना कर आठ किलो पानी में रात भर के लिये गलाने रख दें । अगले दिन तपेली में रख कर तब तक उबालें जब तक पानी दो किलो न रह जाये। फिर कपडे से छानकर पुनः उबलने रखे जिससे औषधियुक्त यह पानी लगभग दो सौ ग्राम रह जाये।
इस काडे में एक किलो शक्कर मिलाकर गाडी शकर बूरे जेसी चाशनी बनायें । चाशनी बनने पर इसमें बादाम, इलायची, केशर का पेस्ट मिला देवें। इसी समय स्वाद अनुसार चाकलेट पावडर, आदि कोई वस्तु मिलाई जा सकती है। शकर बूरा लायक चाशनी होने पर नीचे उतार कर लगातार हिलाते हुए ठडां करे जब तक कि बुरा जैसा दानेदार पावडर न बन जाये। कदाचित डेले बनने पर कूट कर चलनी से छान कर कि्रस्टल जैसा दानेदार पावडर बना कर बाटल में रख लें।
इसे प्रति दिन दूध में मिलाकर पेय की तरह पिया जा सकता हे। यह स्वादिष्ठ पेय याददाश्त बाने वाला शक्ती दायक हें रोग प्रतिरोधक शक्ति उत्पन्न करता हे।
दूध पिलाने वाली माताओं के लिए, दूध  बढ़ाने के लिए भी अधिक उपयोगी है । 
डॉ मधु सूदन व्यास
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आंवला कैन्डी (Amla Candy)

  आजकल आंवला बाजार में आने लगा हे | यह पोष्टिक एवम विटमिन सी प्रचुर मात्रा में होता हे | केन्डी बना ले बच्चों सहित सभी को बहुत पसंद होती हे | निशा मधुलिका की यह निम्न विधि अच्छी  हे|
आंवला कैन्डी (Amla Candy) आंवले के मुरब्बे का सूखा प्रतिरूप ही है. बच्चे को आंवले का मुरब्बा खाना पसन्द नहीं आता लेकिन आंवला कैन्डी बड़े मजे से खाते हैं. आंवला में पाये जाने वाले अनेक गुण हैं, इसमें विटामिन C की प्रचुर मात्रा निहित रहती है, आंवला किसी भी तरह से खाया जाय वह हमारे शरीर के लिये अत्यन्त लाभकारी है, आंवले से पाचन और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इसका आयुर्वेद औषधि में काफी मात्रा में प्रयोग किया जाता है. ये आपको तंदुरुस्त रहने में मदद करेगा.
   नवम्बर से जनवरी तक बाजार में खूब मिलता है, इस समय तो आप ताजा ताजा आंवला अपने रोजाना के खाने में चटनी बनाकर, आंवले फ्राई या सूप में किसी भी तरह से प्रयोग में लाते रहिये. आंवले को विभिन्न तरीके से स्टोर करके रखा जाता है जैसे आंवला पाउडर, आंवले का अचार, आंवले का मुरब्बा, आंवला मीठी चटनी, और आंवला कैन्डी इत्यादि, तो आइये आज हम आंवला की कैन्डी (Herbal Amla Candy) बनाकर तैयार करते हैं ये आंवला कैन्डी कभी भी खायी जा सकती है, आंवला कैन्डी (Amla Sweet Candy) मीठी या मसाले दार आप अपने स्वाद के अनुसार बनाकर तैयार कर लीजिये, तो आइये बनाना शुरू करते हैं
 आंवला कैन्डी. -Recipe for Amla कैंडी( निशा मधुलिका)
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Amla Candy
आंवला (Indian Gooseberry) - 1 किग्रा (30 - 35) / चीनी - 700 ग्राम ( 3.75 कप)
विधि - How to prepare Amla Candy
  • आंवले को साफ पानी से धो लीजिये.
  • किसी बर्तन में इतना पानी डालकर उबालने रखिये कि आंवला उसमें अच्छी तरह डुब सके.
  • उबलते पानी में आंवले डालिये और फिर से उबाल आने के बाद 2 मिनिट तक आंवले उबलने दीजिये, गैस फ्लेम बन्द कर दीजिये और इन आमलों को 5 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. आंवलों को ठंडे पानी में मत डालिये, पानी को पहले उबलने दीजिये तब आवंले डाले.
  • उबाले हुये आंवले को चलनी में डालकर पानी हटा दीजिये, ठंडा होने पर इनको चाकू की सहायता से काट कर फांके अलग अलग कर लीजिये और गुठली निकाल कर फैंक दीजिये.
  • ये आंवले की कली किसी बड़े बर्तन में भरिये और 650 ग्राम चीनी ऊपर से भरकर रख दीजिये, बची हुई 50 ग्राम चीनी (आधा कप) का पाउडर बनाकर रख लीजिये.
  • दूसरे दिन आप देखेगे सारी चीनी का शरबत बन गया है, आंवले के ट्कड़े उस शरबत में तैर रहे हैं. आप इस शरबत को चमचे से चला कर, ढककर रख दीजिये.
  • 2-3 दिन बाद यह आंवले के टुकड़े शरबत में तैरने के बजाय बर्तन के तले में नीचे बैठ जायेंगे नहीं रहे हैं. चीनी आंवले के अन्दर पर्याप्त मात्रा में भर चूकी है और वह भारी होकर नीचे तले में चले गये हैं.
  • अब इस शरबत को चलनी से छान कर अलग कर दीजिये और चलनी में आंवले के टुकड़े रह जायेंगे, पूरी तरह से आंवले से शरबत निकल जाय तब इन टुकड़ों को थाली में डाल कर धूप में सुखा लीजिये.
  • इन सूखे हुये आंवले के टुकड़ों में चीनी का पाउडर मिलाइये. लीजिये ये आंवला कैन्डी (Amla Candy) तैयार हो गई है़, यह कैन्डी आप कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और रोजाना 6-7 टुकड़े खाइये, यह स्वाद में तो अच्छी है ही आपकी सेहत के लिये बड़ी फायदे मन्द हैं.
मसालेदार आंवला कैन्डी 
आंवला कैन्डी को मसालेदार (Spicy Amla Candy) बनाने के लिये आप सूखी कैन्डी में पिसी हुई चीनी के साथ एक छोटी चम्मच काला नमक, आधा छोटी चम्मच काली मिर्च पाउडर और आधा छोटी चम्मच अमचूर पाउडर मिलाइये. जिन्हें एकदम मीठा पसंद नहीं हो तो वे चटपटी आमला कैन्डी (Spicy Amla Candy) खा सकते हैं

आंवले का शर्बत (Amla Sharbat)
आंवले से निकला मीठे शरबत को आप गाड़ा करके आने वाले गर्मियों के मोसम में ठंडा आंवले का शरबत बना कर पीजिये. शरबत को गाड़ा करने के लिये इस शरबत को गैस फ्लेम पर पकने रख दीजिये जब ये शरबत गाड़ा दिखाई देने लगे, शरबत को ठंडा कीजिये और छान कर किसी कांच या प्लास्टिक के एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये. इसका शरबत का स्वाद आंवले का विशिष्ट फ्लेवर लिये हुये होता है. जो आंवले का मुरब्बा या चटनी पसंद करते हैं उन्हें यह शरबत पसंद आयेगा



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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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