Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

नाड़ी परीक्षण से रोगी परीक्षण (जांच) केसे?

अकसर कई रोगी हमारे पास आकर अपना हाथ आगे बढाकर कहते हें कि डाक्टर साब मेरी नाड़ी देखेँ, बताएं मुझे क्या बीमारी है? क्या वे चिकित्सक के ज्ञान की परीक्षा ले रहे हें?  इस समय व्यवसाय बुद्धि वाला यदि वह चतुर चिकित्सक है तो नाड़ी पकड़कर आँखें बंद सी कर देखने लगता है।

    जब भी कोई बीमार व्यक्ति डॉक्टर, वैद्य या हकीम के पास जाता है तो प्रथम दृष्टया जो परीक्षा वह करते हैं, उनमें हाथ की नाड़ी या नब्ज देखना एक आम रिवाज सा है।  ऐलोपैथिक चिकित्सा पद्धति वाले डॉक्टर तो इसे पल्स (ह्रदय की धड़कन की गति) जांच करना बताते हैं,  इसके आगे कुछ भी नहीं।  स्वस्थ व्यक्ति की पल्स रेट प्रति मिनट ७२ होती है, बीमार लोगों में रोग के अनुसार कम या ज्यादा पाई जाती है।  यह बीमारी के बारे में अनुमान लगाने के लिए एक लक्षण समझा जाता है। 
  वर्तमान में बाहरी तौर पर रोगी को हो रही परेशानियों का इतिहास पूछकर और आवश्यक हुआ तो थर्मामीटर, स्टैथेस्कोप से जाँच करके या रक्तादि पदार्थों/विकारों की प्रयोगशाला में जाँच की जाती है।  रोग के निदान के और भी अनेक वैज्ञानिक तरीके व उपकरण आज उपलब्द्ध हें। 
       पूर्व समय में उनके पास पर्याप्त साधनों का भी अभाव था, विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य परीक्षण और जांच के तरीके उपलब्ध नहीं थे। रोगियों की जांच उनकी नब्ज या चेहरा देखकर की जाती थी। माना जाता रहा है कि वैद्य जी (आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति वाले चिकित्सक) बीमार की नब्ज देख कर ही रोग की जानकारी ले लेते थे। यह सच है कि आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य के शरीर में तीन तरह के दोष होते हैं, वात, पित्त व कफ, सारी चिकित्सा पद्धति इसी सिद्धांत पर आधारित है। आयुर्वेद के तीन प्राचीन महान ग्रन्थ, जिन्हें वृहदत्रयी कहा जाता है (१) चरक संहिता, (२) सुश्रुत संहिता, (३) वाग्भट्ट; इनमें नाड़ी विज्ञान (नब्ज परीक्षण) के बारे में कोई विशेष चर्चा नहीं है। बाद के समय की शारंगधर आदि अनेक मान्य पुस्तकों इस विषय की विवेचना मिलती है। आधुनिक आयुर्वेदिक चिकित्सकों को यह विषय भी पढ़ाया जाता है। 
    वर्तमान में नाड़ी-वैद्य के विज्ञापन देखने मिल जाते हें, जो दावा कराते हें की नाड़ी देखने भर से रोग का निदान होता है। उनका दावा होता है कि आप कुछ न बताए वे ही सब निदान कर लेंगे। वास्तव में यह बात आयुर्वेद के मान से भी असत्य है। केवल नाड़ी परीक्षण मात्र से निदान संभव नहीं।
वास्तव में तो अधिकांश चिकित्सक केवल रोगी व्यक्ति के सन्तोष के लिए ही उसका हाथ पकड़ते हैं, और नब्ज टटोलने का नाटक भर करते हैं।
यह प्रक्रिया महिलाओं के लिए विशेष रूप से सुविधाजनक लगती है।  इससे उन्हें अवांछित लगने वाले प्रश्नों ओर शरीर के अन्य स्थानो की जांच से  सहज छुटकारा मिलत रहा है।  अनुभवी और तजुर्बेकार लोग आज भी चेहरा देखकर बता सकते हैं, कि क्या तकलीफ है। रंग पीला है तो, आंखें काली हो रही हैं तो शरीर दुबला हो रहा है तो क्या वजह है। दीर्घ कालीन चिकित्सकीय अनुभव द्वारा रोग अनुमान ओर प्रत्यक्ष प्रमाण के माध्यम से निदान करना  लगाना संभव हो जाता है। इन प्रमाणो के अतिरिक्त आप्तोपदेश प्रमाण (पूर्व अनुभवी चिकित्सकों के द्वरा प्रस्तुत प्रमाण) भी सहायता करता है जो सतत अध्ययन, अध्यापन, ओर संभाषा परिषद (बोद्धिक चर्चा सेमिनार आदि) के माध्यम से मिलते रहते हें।  
वास्तव में तो नाड़ी परीक्षण की यह पूरी प्रक्रिया इन प्रमाणो, कल्पना शीलता  ओर रोगी के मनोविज्ञान पर निर्भर करती है। 
  पर जब वर्तमान में आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, ओर तमाम तरह के यंत्र और उपकरण सहज सुलभ हो गए हैं, जिनकी सहायता से सटीक रोग निदान किया जाना संभव हो गया है तो इस प्रकार समय खराब करना उचित नहीं, इस प्रकार से परीक्षण करने वाले लोग अधिकतर इसके द्वरा चिकित्सक के ज्ञान की परीक्षा लिया करते हें। यह बात पूर्व काल में तो उचित मानी जा सकती थी पर वर्तमान में जबकि विश्वविद्यालयों में गहन अध्ययन ओर अनुभव के बाद स्नातकादी उपाधियाँ दी जाती हें तो उन्हे ओर दीर्घ अनुभव को ज्ञात कर रोग निदान करना ओर चिकित्सा ली जाना अधिक लाभदायक होगा।
      आप सब पाठक विशेषकर चिकित्सा के नव स्नातक ऐसे संकेतों के बारे में जाने जो हमारे शरीर का वास्तविक हाल हमें बताते हैं।  जिन्हे जान कर रोग का आक्रमण होने से पहले ही शरीर का बचाव किया जाना संभव हो सकेगा।  समस्या को बीमारी बनने से पहले ही रोक लेना बेहतर होता है। अगर आप रोजमर्रा की जिंदगी में थोड़ी सी सजगता रख पाये तो अपनी सेहत के बारे में,  ध्यान देने पर खुद ही जान जाएंगें कि छोटे-छोटे संदेशों और लक्षणों से स्वयं शरीर आपको आने वाली तकलीफों का पूर्वाभास करा देता है। इस ज्ञान से चिकित्सा के छात्र ओर नव चिकित्सक भी नाड़ी पकड़कर रोग निदान कर सकेंगे।
इसके पूर्व आपको एक स्वस्थ व्यक्ति का अध्ययन भी होना आवश्यक है ताकि स्वस्थ ओर रोगी की तुलना की जा सके।   
  1. आपके पास चिकित्सा के लिए आए रोगी की लिंग, आयु, व्यवसाय, रहन सहन, व्यवहार पर ध्यान दें। महिला- पुरुष, शिशु, बालक, युवा, प्रोड, ओर वृद्ध व्यक्तियों में कुछ रोग सामान्यत: ही होते रहते हें, इन्हे अनुभव से समझा जा सकता है। सामान्य होने वाले रोगों का सिरा पकड़ कर अन्य विशेष रोग की जानकारी पा लेना, ओर नाड़ी पकड़ कर बताते चलना बहुत मुश्किल नहीं होता।   
  2. परीक्षण के समय आंख पर ध्यान दें-  अगर आंखों और उसके आसपास के हिस्से में सूजन और कालापन हो तो यह किडनी की खराबी तथा असंतुलन हो सकता है। यह चेहरा पढ़नेका प्राचीन तरीका है। आपकी आंखें बताती हैं कि रोगी को पर्याप्त नींद की जरूरत है। आँखों का पीलापन या लालिमा की कमी रक्त की कमी लीवर की खराबी की बात भी कहती है।   नमक, कॉफी, बर्फीले पेय और आइसक्रीम से परहेज करना चाहिए। आप गर्म खाना खाएं, सूप पियें। बींस, जड़ वाली सब्जियां और पौष्टिक खाना आपके लिए लाभकारी होगा। यदि आपकी आंखों की सफेदी पीले रंग में बदल गई है तो यह पीलिया का लक्षण हो सकता है। यह लिवर में इन्फेक्शन के कारण, हेपेटाइटिस या लंबे बुखार के कारण भी हो सकता है।  यदि आपकी आंखें मोटी या सूजी हुई लग रही हों तो यह थॉयरायड की वजह से भी हो सकता है पर इसके साथ अन्य लक्षण भी हों जैसे धड़कन का बढ़ना या अचानक वजन में कमी आना।[ Detect disease by Eye Exams. नेत्र परीक्षा से रोग निदान.]
  3. - त्वचा का रंग रूप पर गोर करें- त्वचा और रोमकूप को ध्यान से देखिए। त्वचा के रंग आदि किसी भी तरह के परिवर्तन को देखें। त्वचा की रुक्षता स्निग्धता, रंग जिनमे हाथ, पैर, ढके ओर खुले रहने वाले शरीर के त्वचा का अंतर, व्यक्ति के परिश्रमी, आराम तलब, पोषण की स्थिति का प्रतीक है।  त्वचा के खुले हिस्से पर पड़े धब्बे यह भी बताते हैं, कि इस जगह पर सूरज का प्रभाव अधिक पड़ा है। कहीं-कहीं चर्म रोगादि,  खुजली या टीस उठती हो या घाव न भर रहा हो, विशेषकर चेहरे और हाथों के पिछली तरफ, तो यह गंभीर रोग हो सकता है। क्रम से पूरे शरीर  का एक नजर से निरीक्षण करें। एक नाड़ी वैध्य इसी कारण रोगी को लिटा कर अधिकतम वस्त्र उतरवाकर देखता है।
  4.  रक्त के बहाव को जांचें -अपने हाथ के अंगूठे से पैर के अंगूठे को दो सेकेंड के लिए नीचे की तरफ दबाएं, फिर छोड़ दें। आप देखेंगे कि नाखून सफेद हो गया पर कुछ ही क्षणों में वह वापस अपने वास्तविक रंग में आ गया। यदि यह प्रक्रिया धीमी गति से हो रही है, तो यह लक्षण है रोगी के थके होने का, ज्यादा भागमभाग का या खून की कमी का।  रक्त बहाव सामान्य से कम है तो आपके हाथ-पैर ठंडे या अधिक गर्म हें तो संबन्धित रोग विचार कर सकते हें।
  5.  धड़कन सुनें  एक हाथ की कलाई को पकड़ें और नब्ज पर रखकर दबाव डालें। धीरे से दबाने पर आपकी अंगुलियों के नीचे फड़कने का एहसास होगा। यह एक मिनट में कितनी बार फड़कती है गिनें। एक सामान्य व्यक्ति की नब्ज एक मिनट में 72 बार फड़कती है परंतु जो लोग अधिक चुस्त हैं उनकी कम भी हो सकती है। धूम्रपान, तनाव तथा खराब स्वास्थ्य ज्वर आदि, नब्ज के बढ़ने के कारण हो सकते हैं।  धीमी या मंद नब्ज निम्न रक्त चाप, भूख, रक्त की कमी अशक्तता की प्रतीक है। अनुभव से धीरे धीरे अनियमित नाड़ी आदि से संबन्धित रोग जाने जा सकते हें।
  6.  बालों की ओर देखे - बाल स्वस्थ या रोगी,  सफ़ेद, रंग हीन,  विवर्णया या  पतलापन हो या कम घन पन यह लक्षण है विशेषकर महिलाओं के  भोजन में पौष्टिकता का अभाव या प्रोटीन की कमी का। यह थॉयरायड की समस्या और हार्माेन्स के असंतुलन से भी हो सकता है। ओवरी सिंड्रोम (बच्चे दानी की खराबी) के कारण भी बाल कमजोर होते हैं। यदि रोगी तनाव ग्रस्त तो एसा सिर की त्वचा रूसी छोड़ने लगती है। डैंड्रफ का यह सबसे सामान्य कारण माना गया है। तनाव से और भी समस्याएं हो सकती हैं,  यदि यह रूसी हर माह आती और अपने आप ही खत्म होती रहती है तो हार्मोन की वजह से भी ऐसा हो सकता है। शरीर का आलसी ओर भारी होना कब्ज , एसिडिटी या पेट के रोगों की ओर इशारा करता है।
  7.   नाखूनों की जांच करें- नाखूनों में दरारों का होना और बेतरतीब शेप होना यह दर्शाता है कि पाचन संबंधी परेशानी है। नाखून यदि ऊपर की तरफ मुड़े हैं तो इसका अर्थ है कि आपको हृदय या फेफड़ों से संबंधित रोग होने की संभावना है। यदि नाखून अपना स्वाभाविक घुमाव खो चुके हैं तो इसका मतलब है कि आप गंभीर रूप से एनीमिक हैं। भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी, धूम्रपान और रक्त संचार में असंतुलन होने से नाखून पीले और बदरंग हो जाते हैं। इसलिए अपने भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम, ताजे फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं।  लेख देखें - Your nails can tell what the disease. आपका नाखून बता सकता है क्या रोग है|
  8. शरीर ओर सांस आदि की गंध पर ध्यान दें,  दुर्गध आए तो पेट के रोग वजह से भी हो सकता है या हो सकता है कि दांतों को ठीक प्रकार से साफ न क्या जा रहा हो। शरीर की विभिन्न गंध अलग अलग रोग के होने का संकेत देती हें।
  9. जीभ देखें एक स्वस्थ जीभ गहरी गुलाबी और चिकनी होती है, जिस पर सफेद परत होती है। पर यदि यह परत मोटी सफेद और पीला रंग लिए हुए है तो यह पाचन संबंधी विकार का सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि आपने एंटिबायोटिक दवाओं को ज्यादा मात्रा में खाया है और इससे आपके मुंह के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ गया है। इससे छाले या अल्सर भी हो जाते हें।
  10. हृदय के बारे में जाने , रोगी जब आपके पास आया था तब वह कैसा था चलने सीडी चड़ने से थका तो नहीं था थोड़ी देर बाद उसकी स्थिति क्या हुई वह सामान्य हुआ या नहीं आदि बातों से जान जाएंगे कि उसका  स्वास्थ्य क्या कहता है।  सांस लेने और छोड़ने में परेशानी तो नहीं हो रही। नब्ज भी देखें कि वह जरूरत से ज्यादा तेज तो नहीं चल रही। दस मिनट प्रतीक्षा करें फिर नब्ज देखें। यदि आप ठीक हैं तो यह सामान्य स्तर पर आ जाएगी और यदि इसे सामान्य होने में अधिक समय लगा तो इसका मतलब है कि ह्रदय रोग हो सकता है। यदि  भौहों के बीच रेखाएं हैं, त्वचा तैलीय है, लालिमा रहती है या खुरदरापन है तो लीवर में समस्या है।
  11. मल-मूत्र के बारे में जाने- प्रश्नोत्तर के माध्यम से मल- मूत्र का रंग रूप ओर जलन आदि से अतिसार विवन्ध इन्फेक्शन, पीलिया आदि होने का अनुमान किया जाता है जिससे अन्य लक्षण के अनुसार रोगनिदान निश्चित किया जाता है।
यह लेख एक रोगी ओर एक नव चिकित्सक के लिए सहायक होगा। मन में उठे प्रश्न आप पूछ भी सकते हें।  एक रोगी के लिए इस लेख को लिखने का उद्धेश्य मात्र इतना ही है कि नाड़ी परीक्षण के नाम पर प्रभावित न होकर आप अपने रोग के बारे में जितना अधिकतम चिकित्सक /वैध्य को बता देंगे उतना ही आपके लिए अच्छा होगा इससे न केवल आपका समय बचेगा, वरन चिकित्सक भी सही चिकित्सा सलाह देने में समर्थ हो सकेगा। ओर एक नव चिकित्सक के लिए इस लेख से रोग निदान की बारीकियाँ समझने में आसानी होगी, जो केवल अनुभव से ही मिलतीं हें।       
आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "