Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

पैर में असहनीय दर्द - गृध्रसी या सायटिका (Sciatica)॰

 पैर में असहनीय दर्द - गृध्रसी या सायटिका (Sciatica)
साइटिका  गृध्रसी
45-50 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते यदि किसी महिला या पुरुष को पीठ ओर पैर में दर्द होने लगे, घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक होती हो, कुछ दिनो में ही यह दर्द या पीड़ा  कमर के जोड (नितंबसंधि Hip joint) के पिछले हिस्से से प्रारंभ होकर, धीरे धीरे तीव्र होती हुई, एक लाइन में नीचे पैर के अंगूठे तक होने लगे,  पैरों में झनझनाहट होती हो, कुछ समय में धीरे धीरे बढ़ती हुई इतनी अधिक हो रही हो की पैर की उँगलियों को हिलाना भी कठिन हो गया
हो ओर फिर कुछ अधिक समय में पैरों को उठाने में भी तकलीफ होने लगी हो, गंभीर हो जाने पर खड़े रहना और चलना मुश्किल हो गया हो, पैर के अंगूठे व अंगुलियां सुन्न हो जाती हों, कभी-कभी कुछ पलों के लिए पैर बिल्कुल निर्जीव से लगने लगते हों, तो समझ लीजिये की आपको एक कष्ट साध्य रोग "साइटिका या गृध्रसी" ने घेर लिया है। [ रोग के लक्षण के ये क्रम से एक के बाद एक धीरे धीरे कुछ वर्षो या माहों के अंतराल से हो सकते हें।] 

    अधिकांश मामलों में साइटिका की यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद ही देखी जाती है। मनुष्य के शरीर में जहां-जहां भी हड्डियों का जोड़ होता है, वहां एक चिकनी सतह होती है, जो हड्डियों को जोड़े रखती है,  इस चिकनाहट (एक मेम्ब्रेन) के होने से जोड़ आसानी से घूम सकता है। आयु के साथ कुछ अन्य कारणो से जब यह चिकनी सतह घिसने लगती है, इस चिकनी सतह में स्थित पदार्थ भी गति होने पर आगे पीछे की तरफ खिसकता है। ऐसा बार-बार होने से अंतत: उस हिस्से में सूखापन आ जाता है, यह वैसा ही है जैसा किसी मशीन में डाला हुआ तैल सूखने से घर्षण के कारण मशीन का वह भाग भी घिसने लग जाता है, ईएसए ही जोड़ में होने से वह हिस्सा भी घिस जाता है। इससे शरीर का सारा वजन हड्डियों पर सीधे पढ़ने लगता है, हड्डियाँ घिसने लगती है, ओर साइटिका नर्व को दबाने लगती हें। यही उन जोड़ों के असहनीय दर्द का कारण बनता है।
कभी कभी किसी रोग की चिकित्सा
में जब कोई इंजेक्शन कूल्हे पर दिया
 गया हो, और वह साइटिक नर्व को
क्षति ग्रस्त कर दे, तो भी यह साइटिका
या ग्रध्रसी रोग हो सकता है।

  गृध्रसी या सायटिका में भी समस्या मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी व कमर की नसों (नर्व) से जिसका सीधा संबंध पैर से होता है, के दबने या उस पर हड्डियों की आपसी रगड़ के कारण सायटिका नर्व की लाइन में कमर के पिछले भाग से पैर के अंगूठे तक तीव्र दर्द उठने लगता है,(चित्र देखें), ओर उपरोक्त लक्षण एक के बाद एक या एक साथ प्रकट होते जाते हें।
 यह समस्या के लगातार बढ़ते रहने पर यह उस प्रभावित क्षेत्र की आंतरिक नसों (नर्व) पर भी बुरा असर डालना प्रारंभ कर देती है। कमर से संबंधित नसों में से अगर किसी एक में भी सूजन आ जाए तो पूरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, इसे ही गृध्रसी या सायटिका (Sciatica) कहा जाता है। यह तंत्रिकाशूल (Neuralgia) का एक प्रकार है, जो बड़ी गृघ्रसी तंत्रिका (sciatic nerve) के प्रभावित होने से होता है।
   
इसके कई कारण भी हो सकते हें, जैसे सर्दी लगने(कोल्ड स्ट्रोक),  अधिक चलने से,  मलावरोध (शोच न होना), स्त्रियॉं में गर्भ की अवस्था, या गर्भाशय का अर्बुद (Tumour), तथा मेरुदंड (spine) की विकृतियाँ, आदि से, किसी  तंत्रिका  या तंत्रिका मूलों (नर्व रूट) पर पड़ने वाले  दबाव से उत्पन्न होता है। कभी-कभी यह नसों की सूजन (तंत्रिकाशोथ Neuritis) से भी होता है।

   नसोंपर दबाव का मुख्य कारण प्रौढ़ावस्था में हड्डियों तथा चिकनी सतह का घिस जाना जो उम्र के साथ जुड़ा है, होता है। अधिक मेहनत करने वाले, भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों, नीचे पैरों पर बैठकर काम करने वाले लोगों में, या ऐसे लोग जो टेबल या कम्प्यूटर पर घंटों बैठकर काम करते हैं, उनमें यह समस्या होती है। 
आयुर्वेदिक चिकित्सा से यह रोग ठीक किया जा सकता है-
अचानक किसी कारण से साइटिका दर्द होने पर बिस्तर पर आराम से पीठ के बल लेट जाएँ और घुटनों को मोड़ लें, या उनके नीचे तकिया रख लें। जो कारण संभावित लग रहे हों उन्हे दूर कर दें। 
राहत न मिलने पर अथवा कई दिन से हो रहे कष्ट के लिए कुछ दिनों तक महारास्नादी क्वाथ, महायोगराज गूगल जैसी (दर्द निवारक औषधियों) गोली ले सकते हें।महाविषगर्भ तैलसे स्नेहन करें। 
अगर इससे आराम नहीं मिले तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सक अन्य परिस्थिती की जांच कर चिकत्सा क्रम बताएगा। 
आयुर्वेदिक चिकित्सक की सहायता से पत्र-पिण्ड स्वेद, नियमित स्नेहन, व्यायाम या फिजियोथेरेपी, सही मुद्रा में रहना, से आप इससे राहत पा सकते हैं।

चिकित्सा के अतिरिक्त ऐसी बीमारी में आहार की भी बड़ी भूमिका होती है।  ऐसा आहार लें जो पचने में आसान हो, कब्ज न होने दे।
दर्द के समय गुनगुने पानी से नहायें ।
आप सन बाथ भी ले सकते हैं, पर ठंडे मोसम में ओर तैल द्वारा शरीर पर  स्नेहन (एक विशेष मालिश चिकित्सक के बताए तरीके से) करने के बाद।
अपने आपको ठंड से बचाएं और वातावरण के अनुकूल कपड़े पहनें।
सुबह व्यायाम करें या सैर पर जायें ।
अधिक समय तक एक ही स्थिति में ना बैठें या खड़े हों। अगर आप आफिस में हैं तो बैठते समय अपने पैरों को हिलाते डुलाते रहें।
 

आयुर्वेदिक उपचार पद्धति से लगभग 85-90 प्रतिशत लोगों को सायटिका से निजात मिल जाती है। फिर भी इसमें पूरी तरह ठीक होते-होते 4 से 6 हफ्तों का समय लग सकता है।

एलोपेथिक चिकित्सा द्वारा दवाओं व इंजेक्शन की मदद से दर्द नियंत्रण में लाया जाता है। वे इस रोग में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा हो तो ‘स्टेराइड’ का उपयोग भी करते है, जो भविष्य में बहुत ही हानिकारक सिद्ध होता है। और कभी-कभी कमर के अंदर तक इंजेक्शन भी दिया जाता है।

आजकल नई चिकित्सा पद्धति अर्थात दूरबीन या माइक्रोसर्जरी से किए गए ऑपरेशन के बाद मरीज दूसरे दिन ही घर जा सकता है और दैनिक कार्य कर सकता है। इस चिकित्सा पद्धति में एक छोटा सा ही चीरा लगाना होता है जिससे मरीज को अस्पताल में सिर्फ एक-दो दिन ही रुकना पड़ता है।
------------------------------------------------------------------------------------------------------------
चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "