Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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Dry Eye Syndrome (shushkashipak), Parishushskaksha netra and its management. (For Ayurvedic physicians.)

ड्राई आई (शुष्काक्षिपाक) परिशुष्कश नेत्र और आयुर्वेद चिकित्सा प्रबंधन:- आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए।
(DryEye Syndrome (shushkashipak), Parishushskaksha netra and its management.
आधुनिक चिकित्सकों के पास ड्राय आई की स्थाई चिकित्सा नहीं है, आयुर्वेद की इयह नेत्र बस्ती पद्धती से चिकित्सक अपने क्लिनिक पर आसानी से चिकित्सा करके अनेक रोगियों को लाभ दे सकता है, इस प्रकार की नेत्र बस्ती चश्मे का नंबर भी उतार, या काम कर सकती है-
 नेत्र या हमारी आंख हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्व पूर्ण अंग है, इसके बिना जीवन दूभर हो सकता है| आंख की स्वस्थता, सक्रियता (Activism) के लिए प्रकृति ने लगातार नम या आद्र (Moist) रखने के लिए आंसू (Tear) दिए हें| इन आंसुओं के बनना बंद होने या कम होने से कन्जेकट्टाइबा शुष्क हो जाता है, या आँखों में खुश्की या सूखापन आता है और दृष्टि क्षमता में कमी आने लगती है, और चुभन, और रेत गिरने या कोई बाहरी वस्तु होने जैसा अनुभव, जलन, विशेषकर पंखे या एयर कंडिशनर में रहने पर, टीवी देखने में, पड़ने में, अधिक गर्मी या धूप से, अधिक कष्ट होता है

Detect disease by Eye Exams. नेत्र परीक्षा से रोग निदान.


आँखों में कोई कष्ट हो न हो पर आँख की जाँच करने पर कई रोगों का पता लगा जाता है| जी हाँ यह सही है, इसीलिए प्रत्येक निष्णात चिकित्सक रोगी की आँखों में झांक कर भी देखता है, रोगी परीक्षा में ऑंखें की जाँच बड़ी महत्व पूर्ण होती हैं, किसी भी चिकित्सक को इसका अनुभव होना ही चाहिए, केवल चिकित्सक ही नहीं रोगी स्वयं या परिवार के सदस्य, मित्र आदि भी आँखों में परिवर्तन देख रोग के प्रति सचेत भी हो सकते हें|
नाडीपरिक्षण से रोग निदान, त्वचा (skin), नाख़ून देख कर रोग निदान का वर्णन पूर्व में किया जा चूका है, (देखें लिंक)

Dry eye syndrome, A Dry Eye Disease, according to Ayurveda "Shushkashipak" " “शुष्काक्षिपाक”

  Dry eye syndrom, या सूखी आंख वाला रोग, आयुर्वेद के अनुसार “शुष्काक्षिपाक”
Dr Madhu Sudan Vyas 
  वर्तमान में 86% लोगों को [जिनमें अधिकतर महिलाएं होती हें] को पाया जाने वाला आँखों का रोग "ड्राई आई सिंड्रोम" का पता उस व्यक्ति को तब होता है, जब वह  आँखों में, चुभन, और रेत गिरने या कोई बाहरी वस्तु होने जैसा अनुभव को सामान्य न समझ किसी नेत्र चिकित्सक के पास जाता है| 

   पाया गया है की अधिकतर 63% इस प्रकार की शिकायत आँखों में होने पर या तो किसी दवा की दुकान से स्वयं दवा खरीदकर डालते हें, यह हमने सोशल मीडिया पर पूछे प्रश्न और हमारे पास आये रोगियों उनके सहायको और वृद्धो से सम्पर्क में पाया है| 
कई को तेज बहती हवा में या पंखे और एयर कंडिशनर में रहने पर आँखों में जलन होती रहती है| इसी प्रकार से टीवी देखने में, पड़ने में, अधिक गर्मी या धूप के कारण अधिक कष्ट होता है|
   इन लक्षणों के अतिरिक्त ऑंखें खोलने में भी कष्ट, पलकों पर भारीपन, फोटोफोबिया (रौशनी सहन नहीं होना), हलका या तेज दर्द, लालिमा, एवं खुजली जैसे लक्षणों में से एक या अधिक मिलने लगें, और आंसू कम आते हों या भावनाएं होने पर भी, आंसू न आते हों या या कम आते हों तो वह ड्राय आई सिंड्रोम का शिकार हो गया है| इसे ही आयुर्वेद में “शुष्काक्षिपाक” रोग कहा जाता है|

कम्पूटर/मोबायल पर अधिक देर रहने या अन्य कारणों से होने वाली आँखों की थकन, सूजन कैसे दूर करें?

     कम्पूटर के साथ मोबायल पर भी  इंटरनेट उपलब्ध हो जाने से लगातार सभी को विशेषकर युवा पीडी को आँखों में थकान, आँखों का लाल होना, चश्मा जल्दी लगाना आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है| हालंकि इसके कुछ और भी कारण जैसे नींद पूरी न होना, डिजिटल मशीनों में ज्यादा देर तक एकटक देखते रहना, कम रौशनी में एकटक पढ़ना, एलर्जी, गलत विज़न प्रिस्क्रिप्शन (चश्में का नंबर गलत होना) , तेज़ रौशनी, डाइबिटीज या फिर आँखों की कोई अन्य बीमारी हो सकती है|

आंखों को रखें कैसे ग्लूकोमा से दूर?

आंखों को रखें कैसे ग्लूकोमा से दूर

विश्व ग्लूकोमा वीक 09 मार्च से 15 मार्च

नई दिल्ली: वर्ल्ड ग्लूकोमा पेशेंट एसोसिएशन के अनुसार दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष ग्लूकोमा से पूरी दुनिया में प्रभावित होने वाले लगभग 68 प्रतिशत संख्या भारतियों की है. दुर्भाग्यपूर्ण आंकड़ा यह है कि प्रत्येक वर्ष 1.2 लाख भारतीय हर साल इस बीमारी से अंधे हो रहे है. ग्लूकोमा को दृष्टि का खामोश चोर इस लिए कहा जाता है कि व्यक्ति को इसका पता जब लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. अक्सर ही इसका शिकार होने वालों की दृष्टि को बचाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए लोगों की जानकारी बढ़ाने व उन्हें हमेशा अपने आंखों के प्रति सतर्क रहने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष मार्च के महिने के सप्ताह में मनाया जाता है. वर्ष 2014 में इस काला मोतिया सप्ताह का विषय रखा गया है - बिग (बीट इनविजिवल ग्लूकोमा).

आंख , आंख सही हे तो जहाँ हमारा !


आलू Potato

आलू आंखों के लिए काफी लाभदायक है। आलू के दो छोटे टुकडों को काटकर आंखों पर 10-15 मिनट तक रखें। इससे आंखों को काफी आराम मिलता है और आंखों की थकावट दूर होती है। 

खीरा Cucumber
खीरा खाने में जितना पौष्टिक है उतना है आंखों के लिए भी कारगर है। खीरे के दो छोटे टुकड़ों को आंखों पर 10-15 मिनट के लिए रखें। इससे आंखे स्वस्थ रहेंगी।


हरी सब्जियां व फल Green vegetables and fruits
विटामिन A युक्त सब्जियां व फल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे आपकी आंखों की रोशनी बढ़ती है। टमाटर, पालक, दूध व दूध से बनी चीजें आंखों के लिए बहुत जरुरी है।

गुलाब की पंखुडियां Rose petals
गुलाब की 9-10 पंखुडियों को शहतूत की पत्तियों के साथ एक गिलास पानी में डालकर कुछ घंटों के लिए रख दें। उसके बाद उसी पानी से आंखों को धो लें। इससे आपकी आंखों की थकावट दूर होगी।

ठंडे पानी से आंखों को धोएं Wash eyes with cold water
अपनी आंखों को कभी भी शुष्क नहीं रहने दें। शुष्क आंखों में कई तरह की परेशानियां होती हैं। इसलिए अपनी आंखों को थोड़ी-थोड़ी देर में ठंडे पानी से धोते रहना चाहिए।

गाजर का जूसCarrot juice
गाजर का जूस आंखों की रोशनी के लिए काफी अच्छा होता है। इसलिए रोज एक गिलास गाजर का जूस लें। अच्छी नींद Good sleep

समय पर सोएं आपकी आंखों के लिए जरूरी है कि आपकी नींद पूरी हो। इसलिए एक अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है आपके लिए।


गुलाबजलRose-water
आंखों की थकावट दूर करने के लिए आप आंखों में गुलाबजल भी डाल सकती है, लेकिन गुलाब जल डालने से पहले देंख लें कि वो अच्छी क्वालिटी का हो। 


टी बैग Tea Bags
प्रयोग में लाए गए टी बैग आंखों पर रखने से आंखों की सूजन में आराम मिलता है। साथ ही आंखों की थकावट भी दूर होती है।

त्रिफला Triphala(Harad+Baheda+Amala)
त्रिफला को पानी में भीगो कर उसके आंखों से पानी धोने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है।

तलवे में तेल की मालिश Massage foot with oil
अगर आप आंखों की समस्या से जूझ रहे हैं तो पैरों के तलवे सरसों के तेल की मालिश करें। इससे आंखों की समस्या दूर होगी।



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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

डायबिटीज़ (मधुमेह) से बचाए आंखों की रोशनी

 अधिक समय तक बने रहने वाला डायबिटीज़ (मधुमेह) शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है और यह प्रभावित अंग आपकी आंखें भी हो सकती हैं। जैसा की आप जानते हैं डायबिटीज़ रक्त वाहिकाओं की दीवार को प्रभावित करता है, जिससे रेटिना(जिसपर छवि बनती है) तक आक्सीजन ले जाने वाली नाडि़यां कमज़ोर हो जाती हैं।
डायबिटीज़ के मरीज़ों में अगर शुगर की मात्रा नियंत्रित नहीं रहती, तो वह डायबिटिक रेटिनोपैथी
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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