Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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Won't the corona grow in unlock?(क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा?)

क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा

डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन 30/08/2020

पिछले छे माहों से आतंक फैलाने वाली कोविड या कोरोना महामारी को रोकें हेतु, शासन ने अनलॉक की नई गाइड लाईन जारी की है, इसमें कुछ ही व्यवस्थाओं को छोड़कर अधिकतम को मुक्त कर दिया है|  

इस विषय में मेरा यह मानना है कि, शासन की अनलॉक करने की प्रक्रिया पूरी तरह एक सोचा समझा समझदारी का निर्णय है। इससे आर्थिक, रोजगार, आदि समस्याओं, से छुटकारे की ओर बढ़ेंगे।

How to defeat the corona monster. :- Small small measures. (कैसे कोरोना राक्षस को हराएं,:- छोटे छोटे उपाय )


कैसे कोरोना राक्षस को हराएं, ओर स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं।
सबकी जय हो।
Thanks to concern, for the image about Covid 19
कोरोना अब सेकेंड ओर थर्ड स्टेज में जा रहा है, यही वह समय है जब संक्रमित रोगी जो नाक बहना, खांसी, हल्का या तेज बुखार, सिरदर्द जैसे जुकाम के सामान्य लक्षण से पीड़ित दिखता है, वह रोगी अपने वाइरस औरों में फैला सकता है, इसलिए जरूरी है कि वह स्वयं को सभी से दूर कर ले, इससे संक्रमण उनके परिवार, समाज के अन्यों में नहीं जा पायेगा, स्वयं खवरायें नहीं, नाक साफ रखें विक्स, इंट्रोप्स लिकविड डिशेन, नाक कान में डालते रहें, खांसी के लिए, दूध में हल्दी, कंटकारी अवलेह, खदिरादी वटी, आयोबिन ओर कफलीन टैब डिशेन, कोफ़्लेट ,सेप्टोलीन हिमालय, जैसी जुकाम खांसी की दवा 6 से 7 दिन लें, मुहं हाथ बार बार धोते रहें, नाक कान में चीटी अंगुली से बोरोप्लस, बोरोलीन जैसी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाए, इससे अन्य का संक्रमण आपको प्रभावित नहीं कर पायेगा, ओर यदि आपको न केवल कोरोना बल्कि अन्य इन्फ्लूएंजा, जुकाम, आदि से भी स्वयं ओर अन्य को बचाया जा सकेगा। जुकाम प्रभावित को इससे सांस लेने में सुविधा भी होगी, रोग से राहत मिलेगी।
कोरोना राक्षस को हराएं, स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं, ।
सबकी जय हो।

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निशुल्क चिकित्सा परामर्श
कोरोना वाइरस रोग संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि अनावश्यक कहीं आना जाना बंद कर दिया जाए।
इस दौरान यदि आप किसी रोग से ग्रस्त होते हैं तो आप मुझसे दूरभाष पर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकते है।
में एक इंटीग्रेटेड (आयुर्वेद एवं एलोपैथ) चिकित्सक ओर पूर्व अधीक्षक शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय उज्जैन पद से सेवानिवृत्त हूँ।
फोन 9425379102 / 0734 3590859 .
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight! कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं और कुछ बडने से!

Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight!
कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं  और कुछ बडने से!
निम्न इस लेख में छुपा है, शरीर का बडाने या घटाने का राज?  
इससे आप शरीर की वजन बडाने वाली प्रक्रिया के विषय में जान कर मोटापे से बच सकते हैं या वजन कम भी कर सकते है, ओर हमेशा नियंत्रित भी रख सकते हैं !!
आजकल हम आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पास वजन कम करने ईच्छुक तो बहुत आते हैं, पर बहुत से एसे लोग भी आते हैं जो चाह्ते हैं, कि उनका वजन बड जाय। कई बच्चों के माता-पिता भी बच्चों के कम वजन से चिंतित हो कर हमारे पास आते रहते हैं। यह लेख दोनों के लिये पडना ओर अमल करना चाहिये। 
में  अपनी बात बडे ही कम शब्दों में कह रहा  हूँ, सावधानी से समझ कर पडने से आप अपना वजन कम या अधिक कुछ भी कर सकते हैं।  

Some symptoms that can tell that you are getting "Obese" now. (कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।)

कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।
वजन बड रहा है केसे जाने?
अक्सर हम शरीर कि छोटी मोटी समस्याओं को को नजर अंदाज करते रहते हैं। थोडे से  श्रम या पैदल चलने से सांस फूलती हो या कमजोरी मह्सूस हो, थकान, अचानक पसीना, सोते समय  खरांटे, पीठ ओर जोडों में दर्द, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी का अनुभव, अकेलापन लगने लगा हो तो समझा जा सकता है की आप मोटापे की ओर बड रहे हैं। 
कैसे बचेंं इस मोटापे से?   

Fasting on festivals - A mode of mind and self refinement, with the liberation of body disease! त्योहारों पर उपवास - शरीर की रोगों से मुक्ति के साथ मन और आत्म शोधन की एक विधा!

पर्व ओर त्योहारों पर उपवास – शरीर (रोग मुक्त्ति) , मन ओर आत्म शोधन की एक विधा! 
डॉ. मधु सूदन व्यास उज्जैन मप्र,  
https://healthforalldrvyas.blogspot.com/2019/09/
fasting-on-festivals-mode-of-mind-and.html
कई व्यक्ती नव रात्री सहित अन्य पर्वो पर एक या अधिक दिन के  ब्रत या उपवास रख साधना करते हैं। धर्म ग्रंथो में वर्णित उपवास के कई भावार्थ किये हैं। ईश्वर के पास बेठना, तप-जप करना, बल पूर्वक इंद्रियो को वश में करने का प्रयंत्न, आदि आदि हैं पर सामान्यत: इसे भोजन ग्रहण न करने से माना जाता है। वास्तव में इसे धर्म ग्रंथो में शरीर, मन ओर आत्मा को स्वस्थ्य ओर शुद्ध करने के विचार से ऋषियों ने शामिल किया है। इसलिये उपवास शरीर ओर मन की चिकित्सा से स्वत: जुड जाता है। 
चिकित्सकीय द्रष्टी से यहाँ उपवास का अभिप्राय, शरीर के पाचन संस्थान के विश्राम से है। प्रतिदिन दो से पांच बार या अधिक भी, कुछ न कुछ खाते रहने से यह पाचन संस्थान दिन रात सक्रिय रहता है। पाचन तंन्त्र भी विश्राम करे यह शरीर की प्राकृतिक मांग होती है, इसीलिये लगभग सभी प्राणी अकसर कभी कभी कुछ समय के लिये खाना छोडते देखे जाते हैं। मनुष्य को भी रोग प्रभाव होते समय खाना खाना छोडते देखा जाता है।
रोग की मजबूरी वश खाना छोडने की बजाय यदि विचार पूर्वक छोडा जाये, या उपवास किया जाये तो अधिक लाभकारी सिद्ध हो सकता है।  

Beware: - With The repeated Tonsillitis- you can be a victim for a lifetime, of disability, arthritis, or gout?

सावधान :- बार-बार टांसिलाइटिस होने से,  आप जीवन भर के लिए हो सकते हैं शिकार - अपंगता, आमवात,  या गाउट के ?

  • टोंसिलाइटिस सामन्यत: जल्दी ठीक हो भी जाता है पर-- ?
  • इसे सामान्य रोग समझ कर उपेक्षा कर वेपरवाह रहना जीवन भर का संकट उत्पन्न कर सकता है। 
  • टोंसिल्स बार-बार होते रहने से क्या हो सकता है?
  • कोई नहीं चाहेगा कि युवा वस्था के बाद ही इस प्रकार का रोग उसे हो।
  • कैसे बचेंगें ?
  • टोंसिल्स बढ़ने को रोकने के लिए होने के कारण हटाना होगा? 
  • बड़ी ही आसान है - चिकित्सा ? 

टोंसिलाईटिस क्या है? 

"Psoriasis"- Disease that is incurable by medicine - but you can cure it yourself?["सोराइसिस" दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं- कैसे? ]

"सोराइसिस"  दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं-  कैसे?  
सोराइसिस, psoriasis, अपरस, विचर्चिका, Eczema आदि नामों वाला भयानक कष्ट कारी इस रोग के बारे में बहूत सारे प्रश्न उठते होंगे आपके मन में जैसे -
  • सोराइसिस दवा से क्यों ठीक नहीं होता?
  • रोग का कारण क्या है?
  • कैसे हमारी रोग नियंत्रण प्रणाली ही सोरैसिस के लिये है,  जिम्मेदार?
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति को कैसे ठीक करें?  
  • क्या इससे सोराइसिस के अतिरिक्त ओर रोग भी ठीक हो सकेंगे?
  • में तो अभी स्वस्थ्य हूं क्या मुझे एसा खराब रोग हो सकता है?
  • क्या कोई इसे ठीक करने में मेरी मदद कर सकता है?
  • चिकित्सा में समय कितना लगेगा?
  • क्या पंच कर्म निशुल्क या कम खर्च पर भी उपलब्ध है

Dry Eye Syndrome (shushkashipak), Parishushskaksha netra and its management. (For Ayurvedic physicians.)

ड्राई आई (शुष्काक्षिपाक) परिशुष्कश नेत्र और आयुर्वेद चिकित्सा प्रबंधन:- आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए।
(DryEye Syndrome (shushkashipak), Parishushskaksha netra and its management.
आधुनिक चिकित्सकों के पास ड्राय आई की स्थाई चिकित्सा नहीं है, आयुर्वेद की इयह नेत्र बस्ती पद्धती से चिकित्सक अपने क्लिनिक पर आसानी से चिकित्सा करके अनेक रोगियों को लाभ दे सकता है, इस प्रकार की नेत्र बस्ती चश्मे का नंबर भी उतार, या काम कर सकती है-
 नेत्र या हमारी आंख हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्व पूर्ण अंग है, इसके बिना जीवन दूभर हो सकता है| आंख की स्वस्थता, सक्रियता (Activism) के लिए प्रकृति ने लगातार नम या आद्र (Moist) रखने के लिए आंसू (Tear) दिए हें| इन आंसुओं के बनना बंद होने या कम होने से कन्जेकट्टाइबा शुष्क हो जाता है, या आँखों में खुश्की या सूखापन आता है और दृष्टि क्षमता में कमी आने लगती है, और चुभन, और रेत गिरने या कोई बाहरी वस्तु होने जैसा अनुभव, जलन, विशेषकर पंखे या एयर कंडिशनर में रहने पर, टीवी देखने में, पड़ने में, अधिक गर्मी या धूप से, अधिक कष्ट होता है

"Nasya Karma" (A Panchakarma process) - Therapy for diseases affecting the head..

“नस्य कर्म” (एक पंचकर्म प्रक्रिया)- सिर के सम्पूर्ण अंगों के रोगों को ठीक करने वाली विधा है।
 डॉ. मधु सूदन व्यास
सामान्य रोग सर्दी जुकाम से प्रारम्भ होकर शरीर में किसी भी स्थान पर कोई भी रोग, या आकस्मिक घटना, दुर्घटना क्रोध,शोक, खूशी आदि आवेग, कुछ भी क्योंं न हो उसका प्रभाव गरदन से उपरी भाग पर अवश्य होता है। अधिकांश मामलों में मुहुँ बंद होने, या उससे लेने में असमर्थ होने से नाक से देने का उध्योग किया जाने लगता है, यह प्रक्रिया ही 'नस्य' का एक स्वरूप है। इसी कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में "नस्य कर्म" की पंच कर्म के एक उपक्रम के रूप में, बडी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 
समाज में प्रचलित बफारे (भाप लेना), विक्स आदि कुछ सुंघाना, आदि जो नस्य का रूप हैं, के स्थान पर  आयुर्वेदिक विधि से नस्य द्वारा, रोगों की चिकित्सा करेंगे तो परिणाम अधिक लाभकारी मिल सकेंगें। कम से कम प्रत्येक आयुर्वेदिक चिकित्सक को तो इनका प्रयोग चिकित्सा में करना ही चहिये, ओर देनिक जीवन चर्या में कुछ प्रतिमर्श नस्य कर्म (नस्य जो चिकित्सक की निगरानी में करना जरुरी नहीं, आगे पड़ें -) प्रतिदिन करते रहने की प्रेरणा रोगी ओर समाज को देना ही चाहिये।

  • नस्य क्या है?  
  • नस्य कैसे लेते हैं? 
  • क्या चिकित्सक की सलाह बिना कैसा नस्य ले सकते हैं? 
  • कौन सा नस्य सलाह बिना नहीं लेना चाहिए? 
  • चिकित्सक नस्य कैसे करें? 

आदी आदि प्रश्नो के उत्तर जानने के लिए आगे पड़ें :-  

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।
कुछ वर्ष पूर्व एक राजनेता को सतत जुकाम से पीडित देख, मफलर धारी होने पर मजाक बनाये जाते देखा गया था, आज वे पूर्ण स्वस्थ हैं, कैसे हममेंं से अधिकतर व्यक्ति नहीं जानते, ओर यह भी नहीं जानते कि उन्हेंं था क्या? 

वर्तमान समय की अनियमित और विलासी अर्थात आराम जिंदगी जीने वालों, और प्रदूषित हवा में साँस लेने, खुले बाज़ार में सस्ते तेल घी आदि से बने पूरी, कचोरी आदि खाने से, संक्रमित खाना खाने और पानी पीने वालों को, प्रतिदिन ठीक तरह और दोनों समय ब्रश न करने वालों को, गले और नाक की प्रतिदिन ठीक से सफाई न करने से, इंसानी खोपड़ी के शिर और मस्तक के पास के हवा भरे स्थानों जिन्हे कैविटी (चित्र देखें), जो हमारे सिर में हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने ले जाने में मदद करती है, में कफ या बलगम जमा हो जाता है

Ulcerative colitis - The Ayurvedic treatment. सव्रण बृहदांत्रशोथ - आयुर्वेदिक चिकित्सा- Dr Madhu Sudan Vyas.

Ulcerative colitis - The Ayurvedic treatment.  
सव्रण बृहदांत्रशोथ - आयुर्वेदिक चिकित्सा-  Dr Madhu Sudan Vyas. 
 Ulcerative colitis सव्रण बृहदांत्रशोथ 
रोग निदान और पुष्टि करने के बाद उपचार 
अक्सर इसका रोगी विभिन्न तरह के चूर्ण, एलोपेथिक दवाएं आदि यदि लेता हो तो न खायेक्योंकि हमारा अनुभव है, कि उनसे कोई लाभ नहीं होता, एंटिबायोटिक हानी पहुंचाते हैं | रोग से कष्ट अधिक न हो रहा हो तब, केवल सामान्य पाचन तंत्र ठीक करने वाली आयुर्वेदिक ओषधि, योग्य भोजन, और मानसिक विश्राम सतत देने से भी, रोगी रोग मुक्त हो जाता है

Epilepsy (Mirgi or Apasmar) - Ayurvedic treatment, our experience.

  अपस्मार (मिर्गी, एपिलेप्सी)  - आयुर्वेदिक चिकित्सा हमारा अनुभव:- 
 हम वयस्कों में से शायद ही कोई हो जिसने कभी न कभी, किसी व्यक्ति को अचानक चक्कर खाकर गिरते, ओर फिर मुहँ से झाग निकलते, दांत भिचे हुए न देखा हो। अक्सर एसा व्यक्ति विश्व कि सबसे पुराने रोगों में अपस्मार जिसे वर्तमान में मिर्गी या एपीलेप्सि कहते हैं का शिकार होता है। 
इस रोग (मिर्गी, एपिलेप्सी) के बारे में न केवल भारत मैं बल्कि विश्व के अनेक देशों में कई भ्रांतियां, जेसै बुरी आत्म, प्रेत आक्रमण, देवी देवता की सवारी, जुडी हुई मिलतीं हैं।
आचार्य चरक ने ४- से ५ हजार वर्ष पूर्व, चरक- सहिंता में अपस्मार के नाम से वर्णन किया है। लिखा है कि मन ओर शरीर पर वात दोष युक्त मल रजो एवम तमो गुण नामक मानसिक दोषों को प्रकुपित कर संघ्यावाही स्त्रोतों को अवरुद्ध कर देता है, रोगी अनुभव करता है कि वह अंधेरे में प्रवेश कर रहा है, इस प्रकार बेहोशी सी अवस्था में जमीन पर गिर कर, बुद्धि हीन की तरह, हाथ पैर पटकना, दंत किटकिटाना, मुहँ से झाग निकालना, आदि क्रियायें करने लगता है, कुछ ही देर बाद होश में आकर, सामान्य होकर उठ जाता है।    

Udvatanam (A Body Scrub) - Reduces Obesity. [उद्वर्तनं (विशेष उबटन प्रक्रिया) - करे दूर मोटपा?]

Udvatanam (A Body Scrub) - Reduces Obesity.
उद्वर्तनं (विशेष उबटन प्रक्रिया) - करे दूर मोटपा?   
उद्वर्तनं Udvartanam:- आयुर्वेद पंचकर्म के अंतर्गत यह एक अद्वितीय चिकित्सा है। यह लगभग उबटन के समान ही होती है। इसमें ओषधीय तैल एवम ओषधीय चुर्ण के साथ पूरे शरीर पर मल कर मालिश की जाती है। जहॉ वसा (चर्बी) अधिक हो वहॉ विशेष रूप से एक लय के साथ मला जाता है। 

Irritable Bowel Syndrome (IBS) - Is it Sangrahani diseases according to Ayurveda ?

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस)- क्या आयुर्वेद अनुसार संग्रहणी है
डॉ मधु सूदन व्यास (उज्जैन) 
यदि किसी व्यक्ति को पेट दर्द होते होते ३ माह से अधिक हो गए हों, और अनियमित ( वक्त वेवक्त) मल त्याग हो तो उसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम हो सकता है| आँतों के इस रोग में, पेट में दर्द, बेचैनी व मल त्यागने (शौच करने) में समस्या होती है|  आधुनिक चिकित्सक इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जानते हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करने वाला यह रोग केवल शारीरिक कष्ट ही नहीं देते वरन उसकी सम्पूर्ण जीवन चर्या को प्रभावित करता है

Anal Burning or Pain - Warnings of future Piles or Fistula etc :-

 गुदा में जलन या दर्द :- भविष्य में हो सकने वाले ववासीर,  भगन्दर आदि की चेतावनी!! 
अक्सर किसी को भी, किसी भी मौसम में किसी भी समय मलाशय (Rectum, गुदा,) में जलन, दर्द, होने लगता है| शायद ही कोई हो जिसे इसका अनुभव न हुआ हो | अकसर सभी प्रारम्भ में इस पर ध्यान नहीं देते, क्यों की  उन्हें ज्ञात हो सकता है , की यह एक दिन पूर्व तीखा आदि  खाने पीने (विशेष कर अधिक मात्रा में) से हुआ है, और ठीक भी हो जाएगा, और ऐसा होता भी है |  
    पर क्या समस्या पूरी तरह हमेशा के लिए ठीक हो जाएगी?

Summer (Grishma) - Seasonal schedule:- How to stay healthy this season?

ग्रीष्म-  ऋतु चर्या - कैसे स्वस्थ रहें, इस मोसम में? 
ऋतु आवत ऋतु जात हैकहत सबन यह बात|  अनुकूल चंगा  रहेप्रतिकूल पाये घात||
हमारे देश में सूर्य उत्तरायण होने से दिन लम्बे और गर्म होते हैं| इसे  ग्रीष्म ऋतु जो माह मई से जुलाई के आरम्भ तक रहती है, कहा जाता है| इस समय वातावरण कष्टकारी तीव्र गर्मी, गर्म हवाएं (लू) के साथ चलती है|  इससे व्यक्ति शारीरिक शक्ति में कमी की अनुभूति, और अग्नि मंद हो जाती है| अग्नि और वायु महाभूत प्रबलता होती है| वात दोष संचित (एकत्र) होता है, कफ दोष शांत रहता है| 

Spring;- Seasonal schedule:- How to stay healthy this season?

बसन्त ऋतुचर्या ( कैसे स्वस्थ रहें इस मोसम में?)
ऋतु आवत ऋतु जात है, कहत सबन यह बात।
अनुकूल चंगा  रहे, प्रतिकूल पाये घात।। 
मार्च, से मई – (चैत्र, वैशाख) के आसपास बसंत ऋतु रहती है| 

Spring - Invasion of Allergies!

वसंत ऋतु - एलर्जी का आक्रमण !
डॉ मधु सूदन व्यास MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र 

वसंत ऋतु का आगमन हो चूका है| निश्चय ही हम सभी ठण्ड के कपडे पेक कर रहे होंगे| वसंत ऋतु की ठंडी हवाओं का आनंद भी ले रहे होंगे, और आम जैसे मौसमी फलों, सब्जियों और उनसे बने व्यंजनों का का मजा लेने के लिए भी तैयार होंगे|
परन्तु हमको यह भी पता होना ही चाहिए की वसंत ऋतु आनंद के साथ कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लेकर आता है| इनसे बचने के लिए जाने और समझे की उन्हें कैसे नियंत्रण में रख सकते हें|  मोसम के इस परिवर्तन काल में एलर्जी या प्रत्यूर्जता जो किसी भी पदार्थ पराग कण, कुछ विशेष खाने-पीने, धुआं, धूल, अगरबत्ती की गंध आदि आदि किसी भी कारण से हो सकता है, इस संमय अधिक देखा जाता है|
इसमें प्रभावित अपनी नाक रूकावट, एक या अधिक छींक, गले में खुजली या अपनी बांह या शरीर पर छोटे-छोटे दाने, खुजली, चकत्ते, मिल सकते हें, जो ध्यान न देने पर अधिक कष्टकारी भी सिद्ध हो सकते हें|
भ्रमित न हों की यह सब सर्दी जुकाम से है, यह मनुष्य की उसके शरीर द्वारा उस विशेष वस्तु से बचाव का प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, इसे उस वस्तु के प्रति हाइपरसेंसिटिव होना भी कहा जाता है|

Why are more restrictions in Ayurvedic medicine? (आयुर्वेद चिकित्सक अधिक परहेज क्यों बताते हें?)

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अधिक प्रतिबंध क्यों होता है? या 
आयुर्वेद चिकित्सक अधिक परहेज क्यों बताते हें?
इस प्रकार के कई प्रश्न अक्सर किये जाते हें| इस बात को जानने के लिए पढिये निम्न जानकारी:- 

हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहना चाहता है, वह यह भी चाहता है की उसे कभी भी कोई रोग या कष्ट न हो|
यदि सचमुच में निरोगी रहना चाहता है, तो उसे रोग या कष्टों का कारण भी जानना होगा|
पर अक्सर जब इनका कारण वह तब जान पाता है जब वह किसी न किसी रोग या कष्ट से प्रभावित हो जाता है| कारण दुःख होने के बाद ही इस और विचार करता है, यदि स्वस्थ-अवस्था में ही यह जानकारी हो जाये to रोग होगा ही क्यों? 
यदि अभी स्वस्थ है और आगे भी स्वस्थ रहना चाहते हें?
अथवा आपको निम्न में से कोई भी कष्ट, या रोग है और आप उसे दूर करना चाहते हें तो आपके लिए यह जानकारी वाला लेख पड़ना चाहिए|

The truth of the "Asthma disease" drug on Sharad Purnima?

The truth of the "Asthma disease" drug on Sharad Purnima?
शरद पूर्णिमा पर श्वास रोग की दवा का सच?
श्वास के रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा पर कई संतों द्वारा रात्रि में खीर आदि के साथ ओषधि दी जाती है, और दवा किया जाता है की इसके बाद रोगी स्वस्थ्य हो जायेगा!
परन्तु सच क्या है क्या सचमुच में एक बार ओषधि प्रयोग से श्वास रोग ठीक हो जाता है, इस बात का उत्तर जानने के लिए श्वास रोग विषयक निम्न जानकारी पढ लें फिर स्वयं निर्णय करें| 
आज की बात (30) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (70) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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