Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।
कुछ वर्ष पूर्व एक राजनेता को सतत जुकाम से पीडित देख, मफलर धारी होने पर मजाक बनाये जाते देखा गया था, आज वे पूर्ण स्वस्थ हैं, कैसे हममेंं से अधिकतर व्यक्ति नहीं जानते, ओर यह भी नहीं जानते कि उन्हेंं था क्या?
वर्तमान समय की अनियमित और विलासी अर्थात आराम जिंदगी जीने वालों,
और प्रदूषित हवा में साँस लेने, खुले बाज़ार
में सस्ते तेल घी आदि से बने पूरी, कचोरी आदि खाने से,
संक्रमित खाना खाने और पानी पीने वालों
को, प्रतिदिन ठीक तरह और दोनों समय ब्रश न करने वालों को,
गले और नाक की प्रतिदिन ठीक से सफाई न करने से, इंसानी खोपड़ी के शिर और मस्तक के
पास के हवा भरे स्थानों जिन्हे कैविटी (चित्र देखें),
जो हमारे सिर में हल्कापन व श्वास वाली
हवा लाने ले जाने में मदद करती
है, में कफ या बलगम जमा हो जाता है|
श्वास लेने पर वायु इसी केविटी या थैली से होकर फेफड़ों तक आती जाती है, यह थैली, हवा के साथ आने वाली प्रदूषित धूल, धुवाँ, गैस, आदि सभी तरह की गंदगियों को अपने अंदर उपस्थित
कफ में चिपका कर रोक लेती है, ओर व्यक्ति के साइनस का मार्ग रूकने लगता
है।
दूषित खाने पीने की सामग्री, और
वायु के साथ विषाणु और
जीवाणुओं को वहां बढ़ने का मौका मिलने लगता है| केविटी
में और भी अधिक बलगम, कफ, एकत्र होता
है, इससे वायु मार्ग रूक जाता है|
इस संक्रमण से केविटी या साइनस की
झिल्ली में सूजन आ जाती है, इसे ही साइनोसाइटिस रोग कहते है|
यह रोग अधिकतर प्रतिश्याय अर्थात सर्दी,
जुकाम, के बाद जुकाम के बिगड़ने की स्तिथि होने
पर होता है, अतः आयुर्वेद में इसे कफ प्रधान त्रिदोषज विकृति होने से "दुष्ट प्रतिश्याय"
कहा जाता है |
इस अवस्था में रोगी को, सिर
का दर्द ,ज्वर (बुखार), नाक से कफ
निकलना और बहना, खांसी या गले में कफ जमना, नाक से सफेद हरा या फिर पीला कफ
निकलना, चेहरे पर विशेषकर नाक के पास सूजन का आना, किसी प्रकार की गंध न आना, साइनस की जगह, नाक
के पास, शिर पर आँखों के बीच दबाने
पर दर्द का होना, कभी कभी दांत
में दर्द रहना, आदि कष्ट रोगी अनुभव करता है|
अक्सर सर दर्द के कारण माइग्रेन या तनाव वाला
सिरदर्द समझ लिया जाता है, पर माइग्रेन में नाक और गले से कफ नहीं निकलता, और न ही नाक के पास दबाने पर दर्द होता है |
माइग्रेन सिरदर्द से चेहरे की नसें प्रभावित हो जाती हैं। जो कि माथे,
गालों और जबड़े को जाती हैं। इसकी वजह से साइनस के पास दर्द होता
साइनस में नहीं |
साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है। सूजन
के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है,
जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस कारण शिर, गालों
व ऊपर के दाँत और जबड़े में दर्द होने लगता है, आगे झुकने व लेटने से सिरदर्द बढ़ जाता है।
यदि साइनस का कफ, बलगम को
निकाला दिया जाये तो सिरदर्द में आराम मिलता है |
अकसर हमारे परिवारों में इसकी चिकित्सा दादी,
नानी द्वारा विक्स आदि की भाप ले कर करने की सलाह दी जाती है,
कफ निकलने से लाभ भी होजाता है, परन्तु समस्या
का पूर्ण हल नहीं होता |
साइनस बार बार भर जाते हैं, और
तकलीफ बार बार लोटती है |
अक्सर परेशान होकर रोगी एलोपेथिक एंटीबायोटिक आदि लेता है,
वे भी तात्कालिक लाभ जरूर पहुंचते हैं, पर रोग
भीड़ भी लोटता है|
हार कर साइनस का आपरेशन भी करवाया जाता है,
जिसमें शल्य चिकित्सक साइनस पंकचर कर कफ साफ़ कर देता है, इससे भी कुछ माह बाद केविटी के आपरेशन से किये छिद्र
भर जाने से रोग पुनः वापिस
लोट आता है|
वास्तव में इसका इलाज केवल एक ही है, चिकित्सा से ठीक हो जाने के बाद, अपने खान-पान
को ठीक करें, इसे ही आयुर्वेद में
परहेज कहते हैं |
परन्तु यह भी जानने योग्य है की साइनस की केविटी पूर्ण रूप से स्वस्थ
हो गई हों, जो आपरेशन और ओषधि चिकित्सा से संभव नहीं होता, थोड़ा बहुत संक्रमण
रह जाने से रोग की पुनरावृत्ति होती ही है |
आयुर्वेदिक चिकित्सा में पंचकर्म द्वारा उर्ध्व जत्रुगत (गर्दन से
ऊपर के) रोग के लिए "वमन कर्म" एवं "नस्य कर्म" कराये जाने की अनुशंसा की है| इससे एक बार में ही रोगी की केविटी का पूर्ण मल (कफ) निकल जाता है,
और फिर पूर्व में किये जाने वाले मिथ्या
आहार विहार (खान-पान) से बचे रहने पर रोग नहीं होता| जो खान
-पान विषयक जो गलतियां पूर्व में की थीं, उन्हें छोड़ देने और स्वस्थ्य जीवन चर्या जीने की आदत जो पंचकर्म क्रिया के
समय बना दी जाती है, हमेशा स्वीकार करने पर साइनस ही नहीं
अन्य खतरनाक रोगों से भी बचा जा सकता है|
सामान्य चिकित्सा के अंतर्गत स्वस्थ जीवन चर्या जीने का संकल्प लेकर
जिसमें प्रात भ्रमण (घूमना), व्यायाम, प्रतिदिन मुहं, गले,
नाक की अच्छी तरह से सफाई, स्नान, शिर पर रोज तेल मालिश, शरीर पर तेल मालिश (रोज
नहीं तो सप्ताह में कम से कम एक बार) नाक में तेल का नस्य, हमेशा साफ़
धुले वस्त्र धारण, अंतरवस्त्र (चड्डी
बनियान आदि) रोज बदलना| दूषित
वातावरण धूल आदि से बचना (मास्क प्रयोग करें ), और बाज़ार में
बना विशेषकर रेहड़ी, चाट भंडार, रोड
साइट खाना, हमेशा के लिए भूल जाना ही श्रेयस्कर होगा |
यदि कोई भी इन बातों को मान ले तो न केवल साइनस वरन डाईविटीज,
हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, आदि
आदि भयानक रोगों से भी बच सकेगा, या वे होंगी तो नियंत्रित
रहेंगी या मुक्ति मिलेगी |
यदि आप साइनस रोग से मुक्ति चाहते है और स्वस्थ जीवन चाहते हैं,
तो आज ही किसी आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ के पास जाकर वमन आदि
पंचकर्म करवा कर पूर्ण स्वस्थ हों | कई सितारे और राजनीतिज्ञ
जो हमेशा जुकाम साइनस से पीड़ित नजर आते थे और हमेशा मफलर धारण करने के कारण मजाक बनते थे उन्होंने इसी पंचकर्म से आज पूर्ण
स्वस्थ दिखाई देते हैं |
देखिये विडिओ:- फिल्म
अभिनेता अक्षय कुमार पंचकर्म के बारे में क्या राय रखते हैं|
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