बस्ती चिकित्सा का आयुर्वेद में प्रमुख स्थान है, बस्ती चिकित्सा सम्पूर्ण चिकित्सा कही गई है| ओषधियों की कड़वाहट, कसला पन और ख़राब स्वाद से बचना कोन नहीं चाहेगा| बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए आसान यह बस्ती चिकित्सा, कई दुसाध्य या कष्ट साध्य रोगों का श्रेष्ट उपाय है| बस्ती चिकित्सा से सामान्यत कोई साइड इफेक्ट नहीं होता| गुरुकृपा, अध्ययन, और कर्मभ्यास से कोई भी चिकित्सक निष्णात हो सकता है| पक्षाघात (लकवा) वात रोग, आमवात, आदि अनेक रोगों के लिए यह एक अच्छा और सुरक्षित विकल्प है| आयुर्वेदिक चिकित्सको को यह जरुर अपनाना चाहिए| पिछले लेखों में बस्ती विषयक कई बातें लिखी है, इस लेख में बस्ती विषयक सामान्य विचार और जानकारी प्रस्तुत है| ये सभी को बस्ती चिकित्सा करने में सहायक सिद्ध होंगी|
सामान्य बातें –[A ]
- शास्त्र अध्ययन करते रहें:- कोई भी बस्ती आयु, रोग बल, दोष बल, रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति, के अनुसार विवेक का प्रयोग कर देना चाहिए, कोई भी एक नियम सभी रोगियों पर लागू नहीं किया जा सकता, इसका अनुभव कर्मभ्यास से ही मिलता है| हमेशा सामान्य सिधान्तों पर चलते हुए सदा, गुरु, संहिता तथ्यों, और प्रचलित मान्यताओं आदि को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए|
- वेग त्यागना:- बस्ती देने के पूर्व मल मूत्र विसर्जन का निर्देश देना चाहिए (यदि मल मुत्र न भी आ रहा हो तो भी),ताकि आसानी से निकल सकने वाली सम्भावित वायु, मल, और मूत्र से कोष्ठ रिक्त हो जाये और बस्ती का पूरा लाभ मिल सके|
- अन्य पंचकर्म और बस्ती:- बस्ती देने के पूर्व भी अन्य वमन-विरेचन आदि पञ्च-कर्मों की तरह स्नेहन स्वेदन कराये जा सकते हें, और सबल होने पर बस्ती दी जा सकतीं है, परन्तु बस्ती के बाद वमन विरेचन नहीं किया जाता|
- पूर्व कर्म:- नाडी या वाष्प स्वेदन -बस्ती के पूर्व सर्वांग या कटी प्रदेश और उदर में अभ्यंग करके, 10 – 15 मिनिट स्वेदन, [नस्य या बस्ती जिन्हें देना हो उन्हें अंत स्नेहन नहीं देते- चरक प्रथम भाग प्रष्ट-270]
- बस्ती द्रव्य केसा हो? :- तेल, क्वाथ आदि सुखोष्ण (गुनगुना) रहना चाहिए|
- बस्ती आसन:- रोगी को बाएँ करवट लिटा कर, दाहिना पेर पेट की और मोड़ें, बाया पेर सीधा रख कर, नितम्बो और गुद स्थान पर पर अभ्यंग कर, बस्ती यंत्र मुख को स्निग्ध कर गुदा में प्रवेश कराएँ, फिर बस्ती पुट (बेग) को दवाते हुए ओषधि द्रव को अन्दर पहुंचाएं| ध्यान रखें की वायु अन्दर न जाने पाए|
- बस्ती पश्चात् कर्म :- बस्ती यंत्र हटाकर नितम्बों को थपथपाएं, और रोगी को सीधे लिटा दें| रोगी के वेदना वाले उदार आदि अंगों को हलके से मलें, ध्यान रखें की स्नेह वापिस न निकले|
- पश्चात् कर्म:- रोगी को बार बार करवट बदलवाएं, फिर विश्राम कराये, 2 से 3 घंटे का विश्राम, कोष्ण जल प्रयोग कराये, बाद में यदि मल विसर्जन हो या न हो भूख लगने पर – हल्का भोजन (खिचड़ी) दें|
- आचरण:- बस्ती काल में रोगी को मानसिक शारीरिक श्रम, जागरण, जल्दी सोना वर्जित होता है|
- अन्य:- बस्ती काल में उष्ण जल का प्रयोग कराएँ|
- विशेष बस्ती:- आचार्यों ने निम्न कुछ एसी बस्तियां भी बताई है जिनका प्रयोग अकेले और निर्भय रूप से किया जा सकता है अर्थात उनके पूर्व अनुवासन बस्ती या किसी भी स्नेहन स्वेदनादि की आवश्यकता नहीं| चिकित्सक निर्भय रूप से इनका प्रयोग कर सकते हें|
- बस्ती यन्त्र:- बस्ती किस यंत्र से दी जाना है यह उसकी बस्ती द्रव्य, मात्रा एवं बस्ती के अन्दर पहुचने की गति पर निर्भर करती है| 200 से 300 ml तक वर्तमान में उपलब्ध एनिमा सिरिंज/ एनिमा पॉट से दी जा सकती है, पर बस्ती द्रव अधिक हो क्वाथ कल्क आदि से गाड़ा हो तो सिरिंज से मुश्किल होती है| वर्तमान में इसके लिए बस्ती बेग, उपलब्ध हें इनमें बस्ती भरकर बस्ती यंत्र बांधकर बस्ती दी जाती है| बाज़ार फुटकर में दूध तेल आदि विक्रय के लिए दुकानदार को अच्छी किस्म की प्लास्टिक थेली का प्रयोग करते देखा होगा, यह थेली बस्ती के लिए अच्छी है इसमें बस्ती ओषधि भरकर बस्ती यंत्र बांध कर बस्ती आसानी से दी जाती है| (देखें चित्र-) हम ये ही प्रयोग करते हें| बस्ती नेत्र भी धातु और प्लास्टिक के डिस्पोजेबल (Disposable) मिलते हें, इनका एक बार प्रयोग करना अच्छा होता है|
- सावधानी:- बस्ती पूर्व चिकित्सक और परिचारक (Attendants) को सावधानी रखनी चाहिए, अन्यथा संक्रमण आदि हो सकता है, इसके लिए हाथो में डिस्पोजेबल दस्ताने, मुख पर कपड़ा, और गाऊंन पहनाना चाहिए| इसका रोगी पर भी अच्छा प्रभाव होता है| रोगी का गुदा स्थान छोड़कर एक अच्छे कपडे से ढककर (ओपरेशन की तरह) रखना चाहिए|
- आपात स्थिति की तैयारी:- हालाँकि बस्ती में आपात स्थिति नहीं होती फिर भी हर सम्भावित स्थिति के मान कर तैयार रहना चाहिए| विश्राम के लिए बिस्तर, जैसे रोगी को मूत्र करने यूरिनल, शोच के लिए बेडपान, पानी, सफाई की व्यवस्था आदि तैयार रहे| बस्ती स्थान के पास ही शोचालय भी संलग्न हो| पीने का पानी और Emergency के लिए ग्ल्युकोज, एवं अन्य ओषधियाँ|