Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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Sciatica कटिस्नायुशूल (Panchakarma and Treatment:- According to disease).

(Panchakarma and Treatment:- According to disease)   (पंचकर्म एवं उपचार :- रोग अनुसार) 

गृध्रसी या साईटिका की चिकित्सा करें घर पर|

कोविड 19 के संक्रमण त्रासदी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के महत्त्व को भारत के जन जन तक पहुंचा दिया है| आज देश का लगभग प्रत्येक नागरिक किसी न किसी रूप में आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ ले रहा है| आयुर्वेद चिकित्सा केवल व्यावसायिक नहीं है यह रसोईघर से ही प्रारम्भ हो जाती है, इसी कारण इसके महत्त्व को समझने में देर लगी|

यूँ तो पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा जिसमें, पंचकर्म, शल्य आयुर्वेद, रस चिकित्सा, काष्ठ ओषधि चिकित्सा आदि आदि कई अधिक विषय एसे हैं जिनमें बिना आयुर्वेद स्नातक और विशेषज्ञ आयुर्वेद के सलाह के चिकित्सा संभव नहीं है|

हम यहाँ कुछ एसे आयुर्वेद चिकित्सा विधियाँ प्रस्तुत कर रहें है जिन्हें आप अपने घर पर स्वयं करके बिना हानि के लाभ ले सकते है, यह हो सकता है की कुछ लाभ कम मिले|  यदि इसे आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के साथ करेंगें तो अधिक लाभ होगा| 

निम्न चिकित्सा से एलोपेथिक आदि चिकित्सा (दवा कहते रहने तक आराम फिर कष्ट शुरू) द्वारा कभी ठीक न हो पाने वाला यह रोग तीन माह की चिकित्सा से हमेशा के लिए ठीक किया जा सकेगा

"Psoriasis"- Disease that is incurable by medicine - but you can cure it yourself?["सोराइसिस" दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं- कैसे? ]

"सोराइसिस"  दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं-  कैसे?  
सोराइसिस, psoriasis, अपरस, विचर्चिका, Eczema आदि नामों वाला भयानक कष्ट कारी इस रोग के बारे में बहूत सारे प्रश्न उठते होंगे आपके मन में जैसे -
  • सोराइसिस दवा से क्यों ठीक नहीं होता?
  • रोग का कारण क्या है?
  • कैसे हमारी रोग नियंत्रण प्रणाली ही सोरैसिस के लिये है,  जिम्मेदार?
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति को कैसे ठीक करें?  
  • क्या इससे सोराइसिस के अतिरिक्त ओर रोग भी ठीक हो सकेंगे?
  • में तो अभी स्वस्थ्य हूं क्या मुझे एसा खराब रोग हो सकता है?
  • क्या कोई इसे ठीक करने में मेरी मदद कर सकता है?
  • चिकित्सा में समय कितना लगेगा?
  • क्या पंच कर्म निशुल्क या कम खर्च पर भी उपलब्ध है

"Nasya Karma" (A Panchakarma process) - Therapy for diseases affecting the head..

“नस्य कर्म” (एक पंचकर्म प्रक्रिया)- सिर के सम्पूर्ण अंगों के रोगों को ठीक करने वाली विधा है।
 डॉ. मधु सूदन व्यास
सामान्य रोग सर्दी जुकाम से प्रारम्भ होकर शरीर में किसी भी स्थान पर कोई भी रोग, या आकस्मिक घटना, दुर्घटना क्रोध,शोक, खूशी आदि आवेग, कुछ भी क्योंं न हो उसका प्रभाव गरदन से उपरी भाग पर अवश्य होता है। अधिकांश मामलों में मुहुँ बंद होने, या उससे लेने में असमर्थ होने से नाक से देने का उध्योग किया जाने लगता है, यह प्रक्रिया ही 'नस्य' का एक स्वरूप है। इसी कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में "नस्य कर्म" की पंच कर्म के एक उपक्रम के रूप में, बडी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 
समाज में प्रचलित बफारे (भाप लेना), विक्स आदि कुछ सुंघाना, आदि जो नस्य का रूप हैं, के स्थान पर  आयुर्वेदिक विधि से नस्य द्वारा, रोगों की चिकित्सा करेंगे तो परिणाम अधिक लाभकारी मिल सकेंगें। कम से कम प्रत्येक आयुर्वेदिक चिकित्सक को तो इनका प्रयोग चिकित्सा में करना ही चहिये, ओर देनिक जीवन चर्या में कुछ प्रतिमर्श नस्य कर्म (नस्य जो चिकित्सक की निगरानी में करना जरुरी नहीं, आगे पड़ें -) प्रतिदिन करते रहने की प्रेरणा रोगी ओर समाज को देना ही चाहिये।

  • नस्य क्या है?  
  • नस्य कैसे लेते हैं? 
  • क्या चिकित्सक की सलाह बिना कैसा नस्य ले सकते हैं? 
  • कौन सा नस्य सलाह बिना नहीं लेना चाहिए? 
  • चिकित्सक नस्य कैसे करें? 

आदी आदि प्रश्नो के उत्तर जानने के लिए आगे पड़ें :-  

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।
कुछ वर्ष पूर्व एक राजनेता को सतत जुकाम से पीडित देख, मफलर धारी होने पर मजाक बनाये जाते देखा गया था, आज वे पूर्ण स्वस्थ हैं, कैसे हममेंं से अधिकतर व्यक्ति नहीं जानते, ओर यह भी नहीं जानते कि उन्हेंं था क्या? 

वर्तमान समय की अनियमित और विलासी अर्थात आराम जिंदगी जीने वालों, और प्रदूषित हवा में साँस लेने, खुले बाज़ार में सस्ते तेल घी आदि से बने पूरी, कचोरी आदि खाने से, संक्रमित खाना खाने और पानी पीने वालों को, प्रतिदिन ठीक तरह और दोनों समय ब्रश न करने वालों को, गले और नाक की प्रतिदिन ठीक से सफाई न करने से, इंसानी खोपड़ी के शिर और मस्तक के पास के हवा भरे स्थानों जिन्हे कैविटी (चित्र देखें), जो हमारे सिर में हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने ले जाने में मदद करती है, में कफ या बलगम जमा हो जाता है

Ulcerative colitis - The Ayurvedic treatment. सव्रण बृहदांत्रशोथ - आयुर्वेदिक चिकित्सा- Dr Madhu Sudan Vyas.

Ulcerative colitis - The Ayurvedic treatment.  
सव्रण बृहदांत्रशोथ - आयुर्वेदिक चिकित्सा-  Dr Madhu Sudan Vyas. 
 Ulcerative colitis सव्रण बृहदांत्रशोथ 
रोग निदान और पुष्टि करने के बाद उपचार 
अक्सर इसका रोगी विभिन्न तरह के चूर्ण, एलोपेथिक दवाएं आदि यदि लेता हो तो न खायेक्योंकि हमारा अनुभव है, कि उनसे कोई लाभ नहीं होता, एंटिबायोटिक हानी पहुंचाते हैं | रोग से कष्ट अधिक न हो रहा हो तब, केवल सामान्य पाचन तंत्र ठीक करने वाली आयुर्वेदिक ओषधि, योग्य भोजन, और मानसिक विश्राम सतत देने से भी, रोगी रोग मुक्त हो जाता है

Udvatanam (A Body Scrub) - Reduces Obesity. [उद्वर्तनं (विशेष उबटन प्रक्रिया) - करे दूर मोटपा?]

Udvatanam (A Body Scrub) - Reduces Obesity.
उद्वर्तनं (विशेष उबटन प्रक्रिया) - करे दूर मोटपा?   
उद्वर्तनं Udvartanam:- आयुर्वेद पंचकर्म के अंतर्गत यह एक अद्वितीय चिकित्सा है। यह लगभग उबटन के समान ही होती है। इसमें ओषधीय तैल एवम ओषधीय चुर्ण के साथ पूरे शरीर पर मल कर मालिश की जाती है। जहॉ वसा (चर्बी) अधिक हो वहॉ विशेष रूप से एक लय के साथ मला जाता है। 

Piccha Basti (Panchakarma) Best For Irritable bowel syndrome, Amoebic and Bacillary Dysentery, Entries & Sangrahani.

पिच्छा बस्ती (पंचकर्मा) प्रवाहिका, इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम, और संग्रहणी रोग की श्रेष्ट चिकित्सा!! 
पिच्छा बस्ती  :- गुदा के द्वारा बून्द- बून्द कर धीरे धीरे (ड्रिप की तरह) ओषधि की बस्ती दी जाती है उसे पिच्छा बस्ती कहा जाता है | 
प्रवाहिका (अमीबिक और बेसिलारी डीसेंट्री)गृहणीइर्रीटेबल बोबेल सिंड्रोम, में उपयोगी होती है| इस विधि से बस्ती देने पर वह वृहदआंत्र में पहुंचकर वहां के दोषों (रोगों) को नष्ट करती है |
श्रेष्ट क्यों ? 

Irritable Bowel Syndrome (IBS) - Is it Sangrahani diseases according to Ayurveda ?

इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस)- क्या आयुर्वेद अनुसार संग्रहणी है
डॉ मधु सूदन व्यास (उज्जैन) 
यदि किसी व्यक्ति को पेट दर्द होते होते ३ माह से अधिक हो गए हों, और अनियमित ( वक्त वेवक्त) मल त्याग हो तो उसे इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम हो सकता है| आँतों के इस रोग में, पेट में दर्द, बेचैनी व मल त्यागने (शौच करने) में समस्या होती है|  आधुनिक चिकित्सक इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जानते हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करने वाला यह रोग केवल शारीरिक कष्ट ही नहीं देते वरन उसकी सम्पूर्ण जीवन चर्या को प्रभावित करता है

Basti Types:- According to Method & Count बस्ती प्रकार: - विधि और गणना के अनुसार.

Basti Types:- According to Method & Count
बस्ती प्रकार: - विधि और गणना के अनुसार.
1. कर्म बस्ति (कुल 30 बस्तियां)
2. काल बस्ति (15 या 16), 
3. योग बस्ति (7 या 8 ) 

How to prepare a Basti for Panchakarma (पंचकर्म के लिए बस्ती कैसे तैयार करें?)

How to prepare a Basti for Panchakarma (पंचकर्म के लिए बस्ती कैसे तैयार करें?)
बस्ती में घृत तेल के साथ क्वाथ, कल्क, आदि जलीयद्रव्य होते हें, ये आसानी से नहीं मिलते, यदि ठीक प्रकार से नहीं मिलाये जाते तो बस्ती देते समय अलग अलग हो जाते है, और लाभ नहीं दे पाते| इसी लिए इनको मिलाने (संयोजन विधि) की एक निश्चित विधि भी आचार्यों ने लिखी है| 

Anuvasana Basti concept, (अनुवासन बस्ती अवधारणा),

अनुवासन बस्ती विषयक विचार [C]

अनुवासन के अंतर्गत आने वाली बस्तियों के निम्न नाम से भी जाना जाता है|

स्नेह बस्ती -240 ml स्नेह सहित दी जाने वाली,
अनुवासन बस्ती- 120 ml स्नेह मात्रा वाली, और
मात्रा बस्ती - अनुवासन की आधी (½ )  60 ml स्नेह बस्ती को कहा जाता है| 

सभी अनुवासन बस्तियां स्नेह (sebaceous) द्रव्यों से दी जाती है, ये शरीर का पोषण (Nutrition), धातुवर्धक (enhancer of muscle, bone, blood,etc), होकर वृंहण करते है|  इसीलिए अनुवासन सभी अपतर्पण (Malnutrition) से उत्पन रोगों में दी जातीं है|  पोषक द्रव्यों और संतुलित आहार (भोजन) की कमी से शोच नहीं आता और वात बढ़ने से रुक्षता उत्पन्न होने लगती है, वात की अधिक वृद्धि से वात व्याधियां होने लगतीं है| ऐसे सभी व्यक्ति अनुवासन बस्ती देने के योग्य कहलाते हैं| 

Niruha Basti concept, निरुह बस्ती विषयक विचार [B] {पर्याय- आस्थापन, माधुतेलिक, यापन, सिद्ध, युक्तरथ,}

निरुह बस्ती विषयक विचार [B]  
{पर्याय- आस्थापन, माधुतेलिक, यापन, सिद्ध, युक्तरथ,} 
निरुह बस्ती से उदर के गुल्म (cluster),आनाह, पक्वातिसार (Diarrhoea), शूल (Colic), जीर्ण ज्वर (Chronic fever), प्रतिश्याय (cough & Colds), मल गृह विवंध(Feces in the intestine get lumpy) , प्रोस्टेट वृद्धि (Prostate enlargement, BPH), अश्मरी (Calculus), राजोरोध (Amenorrhoea), शीघ्र ठीक होते हें|  

Ksheera Basti:-Exacerbated Crisis Dehydration on Peptic Disease, and Practical Remedy for Getting Power: -

क्षीर बस्ती :- पित्त रोग में विशेष रूप से पर आकस्मिक संकट डिहाइड्रेशन, और शक्ति पाने का निरापद उपाय:- 
विशेष बस्ति :- 
 क्षीर बस्ती:- यह एक आकस्मक चिकित्सा भी है! 
   जब कोई चिकित्सक रोगी के लिए आसानी से बिना किसी हानि, कष्ट, और विशेष खर्च के चिकित्सा करना चाहते है तो बस्ती चिकित्सा श्रेष्ट होती है| क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की हानि की कोई संभावना नहीं होती| और विशेष बस्तियों में तो बस्ती विषयक आस्थापन, अनुवासन आदि विषयक विचार भी करना भी आवश्यक नहीं होता|  क्षीर बस्ति भी इसी प्रकार निरापद बस्ती है | 

The truth of the "Asthma disease" drug on Sharad Purnima?

The truth of the "Asthma disease" drug on Sharad Purnima?
शरद पूर्णिमा पर श्वास रोग की दवा का सच?
श्वास के रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा पर कई संतों द्वारा रात्रि में खीर आदि के साथ ओषधि दी जाती है, और दवा किया जाता है की इसके बाद रोगी स्वस्थ्य हो जायेगा!
परन्तु सच क्या है क्या सचमुच में एक बार ओषधि प्रयोग से श्वास रोग ठीक हो जाता है, इस बात का उत्तर जानने के लिए श्वास रोग विषयक निम्न जानकारी पढ लें फिर स्वयं निर्णय करें| 

Now we are available in a charitable hospital also.

Now we are available in a charitable Mahakal Ayurvedic Hospital O.P.D without consultation fee, for Ayurvedic treatment & Panchakarma Therapy.
"Get First Firsts"

The Consultation with doctors in Mahakal Ayurvedic Hospital is absolutely free.

Ayurvedic Dietetic regimen or ‘Samsarjana Kram (system)’ - A Process of Reconstruction or Regeneration of body.

“संसर्जन क्रम” आयुर्वेदीय आहार व्यवस्था - शरीर की एक पुनर्निर्माण या पुनर्जनन की प्रक्रिया है! 
पंचाकर्मादी, किसी बड़े रोग की चिकित्सा परहेज के बाद अथवा व्रत-उपवास आदि के बाद, प्रत्येक को चाहिए की "संसर्जन क्रम" अपना कर, जीवन भर स्वस्थ्य आहार, आचरण, और विहार (घूमना, व्यायाम, योग, स्वस्थ्य चिंतन, सदाचरण आदि) बनाये | जिन लाभों के लिए उसने पंचकर्म या अन्य चिकित्सा करवाई थी वह लाभ उसे पूरा मिल सके और पुन: कई रोगों आदि का कष्ट दुबारा न उठाना पड़े| यदि आयुर्वेद के इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो सारी कोशिश व्यर्थ हो जाया करती है| 
पंचकर्म के बाद व्यक्ति का शरीर एक शिशु के समान हो जाता है, अब उसे पुन: जिस रूप में ढालना हो ढाला जा सकता है, खाने, पीने, रहने, सहने,  आदि समस्त| विशेषकर संसर्जन क्रम के पश्चात् यदि पुन: पूर्व की तरह मिथ्या और अनावश्यक आहार-विहार या मिथ्याहारविहार, शुरू कर दिया जाये तो प्रारम्भ में तो पाचन सम्बन्धी समस्याएं होतीं हें, जो कई नए और पुराने रोगों के प्रकोप का कारण बनती हें|  इस प्रकार सुखी निरोगी “स्वस्थ्य जीवन” की कोशिश व्यर्थ हो जाती है|  

Virechana - Panchakarma :- Ayurveda miraculous healing method - for the painful arduous diseases.

विरेचन कर्म - कष्ट साध्य रोगों के लिए आयुर्वेद की चमत्कारिक चिकित्सा  पद्धति !
(आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए विशेष).
Virechana - Panchakarma :- Ayurveda miraculous healing method - for the painful arduous diseases. 
परिभाषा:- गुदा आदि अधो मार्गों से प्रकुपित दोषों को निकलने की प्रक्रिया विरेचन कहलाती है| यह पित्त दोष को निकलने के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सा है । विरेचन से केवल अन्त्रों और मलाशय से मल और पित्त दोष ही नहीं निकलते वल्कि सम्पूर्ण शरीर से सूक्ष्म स्त्रोतस एवं स्त्रोतस मल (कोशिकाओं में जमा मल) भी निकल जाता है 
         
तत्र दोषहरणा ……… अधोभागम विरेचन संजनकम. 
उभयम व शरीरमलविरचनात विरेचन संजना लभतेच. के ¼
विरेचनम् पित्तहराणां श्रेष्ठम .... ||  च. सु.  25/40
किस व्यक्ति या रोगी को  विरेचन दिया जा सकता है किसको नहीं?
विरेचन योग्य (Indications):- 

Thalapothichil (Shiro Lep) For Mental illness. मानसिक रोगों के लिए थालापोथिचिल (शिरो लेप).

शिरो लेप या Thalapothichil केरलीय थालापोथिचिल 
रक्त चाप, अनिद्रा, नींद कम आना, चिंता, अवसाद, मिर्गी, माइग्रेन, सहित बाल पकना, झड़ना, सिर पर रुसी, के लिए एक आसान और परीक्षित चिकित्सा! - आयुर्वेदिक चिकित्सकों के लिए विशेष लेख| 
शिरोलेप या मलयालम में थालापोथिचिल आयुर्वेद की एक विशेष चिकित्सा प्रक्रिया है, यह स्नेहन के अंतर्गत शामिल है, इसमें ओषधि युक्त लेप को सिर पर लगाया जाता है, फिर कमल पत्र को सिर पर बांधकर मध्य में एक छेद करते हें यहाँ से ओषधिय तेल डालते हें| मानसिक रोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है|  मूलतः शिरोलेप से मष्तिष्क की तरावट और शांति मिलती है| 
प्रक्रिया Process:- 

By continuously sitting on a long journey or resting on the bed, your blood may be frozen (clotting) and the cause of serious illness?

लगातार बैठकर लंबी यात्रा करने, या बिस्तर पर लगातार आराम करने से, आपका रक्त जम कर हो सकता है और गंभीर बीमारी "त्रिदोषज शिरा गत घनास्त्रता" का कारण? 
 Tridoshaj shira gat Ghanastrta 
चालीस वर्ष की आयु पार स्त्री पुरुषों, विशेषकर आराम तलब, मोटे, और ऐसे लोग जो किसी बीमारी, आपरेशन, आदि के बाद लम्बे समय तक आराम करते हें, या बैठकर कार, बस आदि में लम्बी यात्रायें लगातार करते रहते हें, उनके परों की रक्त वाहिनियों में सूजन, खड़े होते समय, या चलते समय पेरों में दर्द, सूजन सहित जलन का अहसास होने लगता है, कभी कभी त्वचा का रंग भी बदला हुआ दिखाई देने लगता हैसाँस लेने में कष्ट, जल्दी जल्दी साँस लेना, दिल की धड़कन बढ़ जाना जैसी कठिनाई का सामना करना पढता है
           इसका कारण खून के गाढ़ा होने से थक्कों का बनाना हो सकता है
|

The causes of autoimmune disease and prevention & therapy,

 ऑटोइम्‍यून रोग (निज रोग) उनके कारण, निवारण और चिकित्सा.
 According to Ayurveda “Nij Roga’s” are-  Autoimmune disease.
आयुर्वेद के अनुसार निज रोगही होते हें - स्व-प्रतिरक्षित (ऑटोइम्‍यून) रोग.
वर्तमान में हम सबको भोजन, पानी, हवा, आदि सब कुछ मिलावट से भरपुर, विषाक्त लेने के लिए मजबूर होना होता है, इन खाने-पीने-श्वास आदि के साथ मिली अशुद्धियों को मेटाबोलिक प्रक्रिया से दूर करने के लिए, हमारी प्रतिरोधक क्षमता संघर्ष करती है, यह सतत प्रक्रिया, शरीर के ऊतको को कमजोर बनाती हैं, इससे रोग प्रतिरोध क्षमता कम होती चली जाती है, ऐसे में यह प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के कुछ अंगों, या उन्हें बनाने वाले पदार्थों को ही शरीर का दुश्मन समझ उन पर हमला कर देती है, इस आपसी युद्ध से कमजोर शरीर में कई रोग उत्पन्न होने लगते हें| ये रोग ही ऑटोइम्यून रोग होते हें, इन्ही के समान परिभाषा वाले रोगों को ही आयुर्वेद ने निज रोग कहा है
कई बार जोड़ों में दर्द, थकान, अनिद्रा या ज्वर होने पर वह ठीक नहीं होता और न ही उसका कारण पता चलता विशेषकर 65 वर्ष से अधिक आयु की 60% महिला और 40% पुरुषों में तो यह स्वप्रतिरक्षित रोग हो सकता है
आज की बात (30) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (70) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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