Summer (Grishma) - Seasonal schedule:- How to stay healthy this season?
Spring;- Seasonal schedule:- How to stay healthy this season?
Spring - Invasion of Allergies!

What & Why- do not eat, in the rainy season?
After rain, How to live in the Autumn? What should we eat? What do not eat ? बारिश के बाद, शरद ऋतू में, कैसे रहें? क्या खाएं ? क्या न खाएं?
यह ऋतू हिंदी माह अश्विन या क्वार में आती है | इस समय मोसम का तापमान लगभग 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है| मानसून के पीछे हटने या उसका प्रत्यावर्तन हो जाने से आसमान एकदम साफ़ हो जाता है और तापमान में पुनः वृद्धि होने लगती है। इस समय पानी से भरपूर भूमि तथा तीव्र तापमान के कारण वायु की आर्द्रता बहुत अधिक बढ़ जाती है इससे असहनीय उमस (दम घुटनेवाली वायु, stuffiness) होने लगती है| हमारे देश में यह स्थिति ‘क्वार की गर्मी’ के रूप में जानी जाती है। अतिश्योक्ति में कहा जाता है, की "इस गर्मी से हिरन भी काले पढ़ जाते हें" इस समय की गर्मी से वर्षा की फसल पकती है|
What to eat to stay healthy in the rainy season, and how to live?
हमारे देश भारत में वर्षाऋतू हिंदी माह श्रावण- भाद्रपद (जुलाई, अगस्त) माह में आती है।
वर्षा काल के रोग!
Why is it necessary?- A Friendly Lifestyle & Seasonal diet. क्यों आवश्यक है- मौसम (ऋतू) के अनुकूल आहार-विहार या खाना-रहना?
How to keep yourself healthy in rainy season- What about this, says Acharya Charaka.{वर्षा ऋतू में कैसे रखें स्वयं को स्वस्थ्य – इस बारे में क्या कहते हें आचार्य चरक|}

आरोग्य दर्शक कलैंडर -Mahesh Dadhich
नारियल का पानी गर्मी मेँ श्रेष्ठ ।
असली च्यवन प्राश क्या है?
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बाज़ार में मिलने वाले स्वादिष्ट च्यवनप्राश का एक लाभ जरूर है,
इस बाहने से कुछ मात्रा में ही सही आवॅला जो की जीवनीय शक्ति
के लिए एक अच्छा घटक है, मिल जाएगा।
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वर्तमान में सर्वाधिक बिकने वाला शक्ति दाता टानिक च्यवन प्राश कई व्यक्ति सेवन करते हें परन्तु खाने के बाद अकसर वह लाभ नहीं दिखता जो इसके मिथक च्यवन ऋषि के पुन: युवा बना देने के बारे में प्रचलित है|
कहा जाता है की, हजारों वर्ष पूर्व, च्यवन ऋषि का देव चिकित्सक युगुल अश्वनी कुमारों ने च्यवनप्राश की सहायता से कायाकल्प कर दिया था। उसमें वर्तमान की तरह कोई सोना चाँदी, या कोई अन्य उत्तेजक ओषधि नहीं थी।
आचरण - मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक व्यवहार।
अलग अलग ऋतुओं के अनुसार आहार,विहार ओर आचरण थोड़ा बहुत अलग होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, मनुष्य जीवन तीन खभों (कालम) पर खड़ा हुआ है। जीवन के ये आधार उप-स्तम्भ तीन कहें हें। इनके बिना "स्वस्थ जीवन" जो आयुर्वेद का प्रयोजन है, सभव नहीं है।
किसी भी प्राणी का जीवन हवा के विना कुछ मिनिट, पानी के विना कुछ दिन, ओर आहार या भोजन के अभाव में कुछ माह से अधिक नहीं चल सकता। ये जीवन के आधार या स्तम्भ होते हें जिन पर शरीर जीवित रहता है। ऋषियों मुनियों ने प्रमुख पाँच स्तम्भ या पिलर्स पर केवल जीवन ही नहीं समस्त जढ़ जगत [पहाड़, नदी, आदि सभी] को पञ्च- तत्व [पृथ्वी, जल, तेज, वायु, ओर आकाश] सृष्टि को रखा हुआ माना हें।
इनका सही या सम्यक प्रयोग से ही शरीर स्वस्थ रहता है। इनमें से एक भी आधार या स्तम्भ या पिलर कमजोर, क्षति ग्रस्त, हो जाए या हमारी लापरवाही का शिकार हो जाए, जेसें घर के खंभों की देखभाल नहीं होने से वह घर खंडहर बन जाता है, उसी प्रकार जीवन रूपी इस "महल" को खंडहर होते या जीवन नष्ट होते देर नहीं लगती।
इसमें पहला ओर प्रमुख स्थान आहार का है। आहार शरीर के पोषण के साथ-साथ स्वस्थ भी रखता है। यही वजह है, कि आहार चिकित्सा का साधन भी है।
दिन चर्या- अर्थात निरोगी रहकर सौ वर्ष जीने की विधि।
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गर्मी का मोसम- बेचेनी ओर मुश्किल का हल?
काम शक्ति का स्त्रोत -सालम मिश्रीओर उसके चमत्कार।
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शक्ति का स्त्रोत सालम मिश्री |
दही Curd – लाभ ओर हानियाँ एवं रोग नाशक प्रभाव।
मानसून में पेरों में फंगस (या फफूंद) एवं सोंदर्य की समस्याए |
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फंगल या फफूंद ग्रस्त अंगुलियाँ |
विरूद्ध आहार-विहार

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विरूद्ध आहार-विहार:अर्थ हे, एक साथ नहीं
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इन पदार्थों में परस्पर गुणविरूद्ध ,या विपरीत गुण वाले, *संयोगविरूद्ध,* संस्कार विरूद्ध * देश, काल, मात्रा, स्वभाव आदि से विरूद्ध होते हैं।
गर्म व ठंडे पदार्थों का एक साथ सेवन वीर्य विरूद्ध है।
शीत ऋतु- सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए
स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्दियां बहुत ही अच्छी मानी जाती है। गर्मियों की तुलना में सर्दियों में भूख अधिक लगती है और ऐसे में चटपटे व्यंजनों का आनंद भी लिया जा सकता है। लेकिन अस्थमा, अर्थराइटिस और हृदय रोगियों को इस मौसम में खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।
सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए -
• सर्दियों के कपड़े पहिने -: सर्दियों की शुरूवात में कभी अधिक ठंड लगती है, तो कभी कम। ठंड नहीं लगने पर भी गर्म कपड़े पहने रहें। ठंड का प्रकोप सबसे पहले सर, हाथों व पैरों पर होता है, इसलिए इन स्थानों को ढक कर रखें।
• आदर्श भोजन व पेय-: सर्दियों में अधिक ठंडे पेय व आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे मौसम में लोग पानी कम पीते हैं, जिससे निर्जलीकरण(पानी की कमी) की संभावना बढ़ जाती है। अल्कोहल जैसे पेय पदार्थों से भी निर्जलीकरण होता है इसलिए इनका सेवन कम करें|
• नियमित सफाई:- सर्दियों में प्रतिदिन नहायें। आप नहाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग कर सकते हैं और त्वचा को शुष्की से बचाने के लिए नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते , अजवायन या मेथी को पकाकर स्नान भी इनका प्रयोग कर सकते हैं।तिल्ली पीस कर उबटन बना कर नहाने से पहिले लगा सकते हे |
• व्यायाम का मज़ा:-- सर्दियां मज़ेदार तो होती हैं, लेकिन इस मौसम में आलस्य् भी कुछ कम नहीं होता। अधिकतर लोग आलस्य में घिरकर लोग व्यायाम करना भी छोड़ देते हैं, और देर तक रजाई का आनद लेते रहते हें,यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं।
- जो अधिक वजन चाहते हें वे पोष्टिक लड्डू आदि खाए | जो वजन कम करना चाहते हो वे संतुलित प्रोटीन भरा पर पर्योत आहार ले |और पानी अधिक पिए|
चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?
स्वास्थ है हमारा अधिकार १
हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|
निशुल्क परामर्श
जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।
चिकित्सक सहयोगी बने:- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|
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