Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Why is it necessary?- A Friendly Lifestyle & Seasonal diet. क्यों आवश्यक है- मौसम (ऋतू) के अनुकूल आहार-विहार या खाना-रहना?

Why is it necessary?- A Friendly Lifestyle & Seasonal diet. क्यों आवश्यक है- मौसम (ऋतू) के अनुकूल आहार-विहार या खाना-रहना? 
    पृथ्वी की परिक्रमा से ऋतुओं में परिवर्तन होता रहता है| प्रत्येक मनुष्य सहित प्राणी, और वनस्पतियों में भी, परिवर्तन होता रहता है| इन सबके बदलते रहने का प्रभाव भी एक दुसरे पर पढता है, क्योंकि हम सब एक दूसरे पर निर्भर होते हें|
   इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह जानना आवश्यक है, कि किस मोसम में आहार-विहार कैसा हो, अर्थात किस ऋतू (मोसम) में क्या खाए, कैसे रहें| यदि वह नहीं जनता की किस ऋतू में क्या खाएं, क्या न खाए आदि, तो अच्छा आहार (खाना) लेने के के बाद भी, उसे अच्छा लाभ नहीं मिलता या रोग आदि होने से हानि भी उठाना होती है| 
    जैसा की सब जानते हें, हमारे देश में उत्तरायण में सूर्य हमारे सबसे नजदीक, और दक्षिणायन में दूर होता है| इससे अधिक गर्मी या सर्दी पड़ती है| इसी परिवर्तन से वर्षा और अन्य मौसम आते, जाते रहते हें| 
     सामान्यत: सभी गर्मी सर्दी वर्षा तीन मोसम के बारे में जानकारी रखते हें, परन्तु इन तीन मोसमों के बीच में सूर्य की गर्मी न्यूनाधिक होने से अन्य तीन प्रकार के मोसम जिनका प्रभाव भी अलग होता है, भी आते जाते रहते हें| जैसे वर्षा के बाद एकदम से सर्दी नही आती, पाहिले कुछ गर्मी पड़ती है, जो पर्व ग्रीष्म ऋतू से भिन्न होती है, इसलिए उसका सभी पर प्रभाव भी भिन्न होता है| 
    कृमश: इन ऋतुओं का क्रम –
वसंत Spring,” “शिशिर winter,” “ग्रीष्म Summer,[आदान काल , उत्तरायण]
“वर्षा Rain”, “शरद Autumn”, “हेमंत early winter (Indian season)”,[ विसर्ग काल] दक्षिणायन 
    प्रत्येक प्रमुख तीनो ऋतुओं के मध्य आने वाली इन ऋतुओं में गर्मी-सर्दी आदि प्रभाव भी अपने पहले और बाद के मोसम का मिला-जुला होता है| मोसम के इस परिवर्तन का असर भी मनुष्य सहित प्राणियों और वनस्पतियों पर भी होता रहता है| 
    लाखों वर्षों के इस मोसम बदलाव व्यवस्था ने समस्त जगत में एक अनुकूल व्यवस्था उत्पन्न कर दी है, यदि कोई व्यक्ति इस व्यवस्था की अवहेलना करता है, तो परिणाम स्वरूप कष्ट भी उठाना पढ़ जाता है| इसी कारण हम सबको यह जानना जरुरी है, की किस ऋतू में हां अपना आहार-विहार कैसा रखें| 
    इस व्यस्था को न मानने से युवा और सशक्त शरीर में हो सकता है की मोसम के प्रतिकुल प्रभाव न दिखाई दे, परन्तु एसा हमेशा नहीं रहता| जैसे जैसे आयु बढ़ती है, या उचित आहार विहार की सीमा का उल्लंघन होता है, शरीर पर रोगों, आदि के माध्यम से प्रभाव दिखने लागता है| 
    यदि हम निरोगी स्वस्थ्य जीवन जो सुख का पहिला आधार है, बनाये रखना चाहते हें, तो ऋतू के अनुसार आहार-विहार आदि आचरण (ऋतू-चर्या) भी बनाये रखना जरुरी होगा| 

अगली जानकारी पड़ें -    What to eat to stay healthy in the rainy season, and how to live? वर्षा ऋतू में स्वस्थ्य रहने क्या खाएं कैसे रहें? - :-कम वसा वाला आहार (अर्थात् घी, मक्खन या तेल) , जो सुपाच्य या जो पचने में आसान हो, (हल्का) होना चाहिए। केवल ताजा बना हुआ भोजन ही खाना चाहिए| तीखे (Pungent) जैसे मिर्च, कड़वे (Bitter) जैसे करेला और कसैले (Astringent) जैसे बैगन, रस (स्वाद) वाली खाद्य वस्तुओं को अधिक नहीं--------- See more links -अधिक जानकारी देखें लिंक -
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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