Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

What to eat to stay healthy in the rainy season, and how to live?

What to eat to stay healthy in the rainy season, and how to live? वर्षा ऋतू में स्वस्थ्य रहने क्या खाएं कैसे रहें?

 हमारे देश भारत में वर्षाऋतू हिंदी माह श्रावण- भाद्रपद (जुलाई, अगस्त) माह में आती है।
वर्षा काल के रोग!
इस समय कमजोरी या कार्श्य (powerlessness), निद्रा नाश (Sleep destruction,), कब्ज (Constipation), जोड़ो में दर्द (Joint pain), पेट में गुडगुडाहट, शरीर में रूखापन (rustiness) और जकड़ाहट (stiffness), आदि रोग सामान्यत: होता है|

वर्षा ऋतू में क्या खाना चाहिए| :
  • कम वसा वाला आहार (अर्थात् घी, मक्खन या तेल) , जो सुपाच्य या जो पचने में आसान हो, (हल्का) होना चाहिए। केवल ताजा बना हुआ भोजन ही खाना चाहिए| 
  • तीखे (Pungent) जैसे मिर्च, कड़वे (Bitter) जैसे करेला और कसैले (Astringent) जैसे बैगन, रस (स्वाद) वाली खाद्य वस्तुओं को अधिक नहीं खाना चाहिये। 
  • प्रतिदिन लगभग 10-12 गिलास (2 से 3 लिटर) गुनगुने (lukewarm) पानी का सेवन करना चाहिये।
  • वर्षा काल में पुराना अनाज (गेहूं, चावल, दाल आदि) का प्रयोग अच्छा है| 
  • जीरा (cumin seeds), सौंफ (fennel seeds), अजवायन (Parsley), हींग ( asafoetida), दालचीनी (cinnamon), सेंधा नमक ( rock salt) जैसे आदि मसालों (Spices) का खाने में अधिक और अवश्य करना चाहिये| 
  • औषधि के रूप में आचार्य चरक ने हरड और सेंधा नमक या त्रिफला चूर्ण खाने का निर्देश दिया है| इससे वर्षा काल के दोषों से बचा जा सकता है| 
लाइफ स्टाइल (life routine)
  • प्रतिदिन सुबह की सैर (morning walk), सूर्य नमस्कार, और प्राणायाम लाभकारी है। शारीरिक व्यायाम हल्का (effortless exercise) ही किया जाना चाहिए। 
  • कमजोर व्यक्ति को व्यायाम से बचना चाहिए। 
  • हमेशा सूखे और हल्के कपडे पहनना चाहिए, सूती कपड़े पहनना अधिक लाभकारी हैं। 
  • पंचकर्म स्नेहन स्वेदन लाभकारी है| 
  • वर्षा काल में सर्वांग स्नेहन (सारे शरीर पर तैल मालिश, Massage), भाष्प स्नान (steam bath) और वमन विरेचन अदि पंचकर्म भी करना चाहिये| 
क्या न खाएं और करें?
  • बारिश के मोसम में जिस तरह नए नए बीजों में अंकुरण होता है, और उसी प्रकार असंख्य प्रकार के जीवाणु/विषाणु/ कीट/ आदि भी तेजी से बढ़ते हैं, ये सब खुले रखे खाने के पदार्थों को दूषित करते हें इसलिए इस प्रकार का कोई खाना/ फल/ पत्र-शाक-सब्जी/ मांस/ मछली आदि नहीं खाना चाहिए|
  •  नदी, तालाब, कुए का पानी का प्रयोग न करें| 
  • पानी शुद्ध और साफ करके या किया हुआ ही पिएं। 
  • वर्षा काल में दिन के समय नहीं सोना चाहिए। 
  • धूप और वारिश (exposure to sun and rain) दोनों से बचाव करना चाहिये। सुगन्धित द्रव्य जैसे इत्र का उपयोग सुख देता है।
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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