Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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How to defeat the corona monster. :- Small small measures. (कैसे कोरोना राक्षस को हराएं,:- छोटे छोटे उपाय )


कैसे कोरोना राक्षस को हराएं, ओर स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं।
सबकी जय हो।
Thanks to concern, for the image about Covid 19
कोरोना अब सेकेंड ओर थर्ड स्टेज में जा रहा है, यही वह समय है जब संक्रमित रोगी जो नाक बहना, खांसी, हल्का या तेज बुखार, सिरदर्द जैसे जुकाम के सामान्य लक्षण से पीड़ित दिखता है, वह रोगी अपने वाइरस औरों में फैला सकता है, इसलिए जरूरी है कि वह स्वयं को सभी से दूर कर ले, इससे संक्रमण उनके परिवार, समाज के अन्यों में नहीं जा पायेगा, स्वयं खवरायें नहीं, नाक साफ रखें विक्स, इंट्रोप्स लिकविड डिशेन, नाक कान में डालते रहें, खांसी के लिए, दूध में हल्दी, कंटकारी अवलेह, खदिरादी वटी, आयोबिन ओर कफलीन टैब डिशेन, कोफ़्लेट ,सेप्टोलीन हिमालय, जैसी जुकाम खांसी की दवा 6 से 7 दिन लें, मुहं हाथ बार बार धोते रहें, नाक कान में चीटी अंगुली से बोरोप्लस, बोरोलीन जैसी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाए, इससे अन्य का संक्रमण आपको प्रभावित नहीं कर पायेगा, ओर यदि आपको न केवल कोरोना बल्कि अन्य इन्फ्लूएंजा, जुकाम, आदि से भी स्वयं ओर अन्य को बचाया जा सकेगा। जुकाम प्रभावित को इससे सांस लेने में सुविधा भी होगी, रोग से राहत मिलेगी।
कोरोना राक्षस को हराएं, स्वयं परिवार, समाज, मानवता, ओर देश को स्वस्थ सम्रद्ध बनाएं, ।
सबकी जय हो।

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निशुल्क चिकित्सा परामर्श
कोरोना वाइरस रोग संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि अनावश्यक कहीं आना जाना बंद कर दिया जाए।
इस दौरान यदि आप किसी रोग से ग्रस्त होते हैं तो आप मुझसे दूरभाष पर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकते है।
में एक इंटीग्रेटेड (आयुर्वेद एवं एलोपैथ) चिकित्सक ओर पूर्व अधीक्षक शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय उज्जैन पद से सेवानिवृत्त हूँ।
फोन 9425379102 / 0734 3590859 .
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

Beware: - With The repeated Tonsillitis- you can be a victim for a lifetime, of disability, arthritis, or gout?

सावधान :- बार-बार टांसिलाइटिस होने से,  आप जीवन भर के लिए हो सकते हैं शिकार - अपंगता, आमवात,  या गाउट के ?

  • टोंसिलाइटिस सामन्यत: जल्दी ठीक हो भी जाता है पर-- ?
  • इसे सामान्य रोग समझ कर उपेक्षा कर वेपरवाह रहना जीवन भर का संकट उत्पन्न कर सकता है। 
  • टोंसिल्स बार-बार होते रहने से क्या हो सकता है?
  • कोई नहीं चाहेगा कि युवा वस्था के बाद ही इस प्रकार का रोग उसे हो।
  • कैसे बचेंगें ?
  • टोंसिल्स बढ़ने को रोकने के लिए होने के कारण हटाना होगा? 
  • बड़ी ही आसान है - चिकित्सा ? 

टोंसिलाईटिस क्या है? 

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।

Sinusitis:- permanent treatment through Ayurveda panchakarma. साइनोसाइटिस: - आयुर्वेदिक पंचकर्म के माध्यम से स्थायी उपचार।
कुछ वर्ष पूर्व एक राजनेता को सतत जुकाम से पीडित देख, मफलर धारी होने पर मजाक बनाये जाते देखा गया था, आज वे पूर्ण स्वस्थ हैं, कैसे हममेंं से अधिकतर व्यक्ति नहीं जानते, ओर यह भी नहीं जानते कि उन्हेंं था क्या? 

वर्तमान समय की अनियमित और विलासी अर्थात आराम जिंदगी जीने वालों, और प्रदूषित हवा में साँस लेने, खुले बाज़ार में सस्ते तेल घी आदि से बने पूरी, कचोरी आदि खाने से, संक्रमित खाना खाने और पानी पीने वालों को, प्रतिदिन ठीक तरह और दोनों समय ब्रश न करने वालों को, गले और नाक की प्रतिदिन ठीक से सफाई न करने से, इंसानी खोपड़ी के शिर और मस्तक के पास के हवा भरे स्थानों जिन्हे कैविटी (चित्र देखें), जो हमारे सिर में हल्कापन व श्वास वाली हवा लाने ले जाने में मदद करती है, में कफ या बलगम जमा हो जाता है

Spring - Invasion of Allergies!

वसंत ऋतु - एलर्जी का आक्रमण !
डॉ मधु सूदन व्यास MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र 

वसंत ऋतु का आगमन हो चूका है| निश्चय ही हम सभी ठण्ड के कपडे पेक कर रहे होंगे| वसंत ऋतु की ठंडी हवाओं का आनंद भी ले रहे होंगे, और आम जैसे मौसमी फलों, सब्जियों और उनसे बने व्यंजनों का का मजा लेने के लिए भी तैयार होंगे|
परन्तु हमको यह भी पता होना ही चाहिए की वसंत ऋतु आनंद के साथ कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लेकर आता है| इनसे बचने के लिए जाने और समझे की उन्हें कैसे नियंत्रण में रख सकते हें|  मोसम के इस परिवर्तन काल में एलर्जी या प्रत्यूर्जता जो किसी भी पदार्थ पराग कण, कुछ विशेष खाने-पीने, धुआं, धूल, अगरबत्ती की गंध आदि आदि किसी भी कारण से हो सकता है, इस संमय अधिक देखा जाता है|
इसमें प्रभावित अपनी नाक रूकावट, एक या अधिक छींक, गले में खुजली या अपनी बांह या शरीर पर छोटे-छोटे दाने, खुजली, चकत्ते, मिल सकते हें, जो ध्यान न देने पर अधिक कष्टकारी भी सिद्ध हो सकते हें|
भ्रमित न हों की यह सब सर्दी जुकाम से है, यह मनुष्य की उसके शरीर द्वारा उस विशेष वस्तु से बचाव का प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, इसे उस वस्तु के प्रति हाइपरसेंसिटिव होना भी कहा जाता है|

Common cold, flu (कामन कोल्ड, सर्दी, जुकाम ,फ्लू )

जीवनशैली और आदतें कैसी भी हों कामन कोल्ड बहुत ही आम होने के कारण किसी भी मौसम में हो सकता है। कामन कोल्ड से निज़ात पाने का कोई शार्ट कट नहीं है, चाहै आप कितनी भी दवाइयां या वैक्सीन लें। 
 कामन कोल्ड का संक्रमण थोड़ा भयभीत करने वाला  हो सकता है और इसके लक्षण जैसे खांसी, बुखार , सर्दी, नजला,  आपको दवाएं लेने के लिए प्रेरित करते हैं।
 यह ध्यान देने योग्य बात है कि अगर आप कोई दवा या वैक्सीन नहीं ले रहै हैं तो आपको कामन कोल्ड के संक्रमण से बचना चाहिए। 

Nasal congestion or stuffy nose may be caused by the common cold or sinus infection etc. नाक बंद या भरी रहने का मतलब है पुराना जुकाम या साइनस आदि?

Nasal congestion or stuffy nose may be caused by the common cold or sinus infection etc. नाक बंद या भरी रहने का मतलब है पुराना जुकाम या साइनस आदि? - डॉ मधु सूदन व्यास
अक्सर नाक बंद है, या भरी रहती है, जैसी शिकायत लेकर कई व्यक्ति हमारे पास आते रहते हें|
नाक का बंद होना या रहना सामान्यत: प्रतिश्याय (कामन कोल्ड) के कारण होता है| हमेशा यह कष्ट बने रहना अधिकतर साइनस में संक्रमण से होता है|
नाक में होने वाला अवरोध अधिकांशत: भरी हुई, या बहती हुई नाक, साइनस में सूजन और दर्द, श्लेष्मा भरने से, और नाक के अंदर सूजन होने से होता है|
आम तोर पर यह प्रतिश्याय (सर्दी-जुकाम), फ्लू, के कारण होता है, सामान्यत: एक सप्ताह में ही ठीक हो सकने वाली होती है यह तकलीफ, परन्तु अधिक समय तक लापरवाही करने से और इस मिथक के कारण की जुकाम को स्वयं ठीक होना अच्छा है, सोचकर आवश्यक चिकित्सा न लेने पर श्लेष्मा रूपी मल लगातार भरा रहने से संक्रमण हो जाया करता है, यह संक्रमण पास ही स्थित अस्थि विवर (cavity) जिसे साइनस कहते हें में स्थाई रूप से रहने लगता है|  कुछ भाई लगातार घरेलु उपाय या फेसबुक आदि के चुटकुले आजमाते रहते है| लाभ मिल जाये तो ठीक पर जब यह कष्ट यदि एक सप्ताह के अन्दर ठीक न हो तो इसके लिए चिंता अवश्य करना चाहिए|

विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल को |

विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल को |
हमारे देश भारत में हर साल करीब एक करोड़ लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं. और इनमें से 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। 

विश्व स्वास्थय संगठन (w h o) का कहना है की भारत में 111 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और 28 करोड़ में उच्च जोखिम है| 

जबकि भारत शासन स्वस्थ्य विभाग केवल 8.88 लाख मलेरिया केस होना बताता है| 

पुरानी कष्ट कारक सुखी खांसी -प्रश्न पर उत्तर ।

Sent to Link Number: 54aae  / Sender Name: parvin gehlan
Sender Email Address: victory_rose@rediffmail.com 
sir  -meri umar 30 year h.mujhe bachpan se hi bahut hi kastkark
 dry cough hoti h.jaise ek dog ko khansi hoti h..intni kastkark
 ki khnste khanste gla me bhi ghav ho jata h lekin cough nhi
 nikalta.gahri sans nhi le pata hu...gle chhati me bahut dard
 hota h.khanste 2 behaal ho jata hu..lagta h jaise mar hi jaunga.
..pls madad kre..apki ati kripa hogi.thank you...
उत्तर - आपकी बात से पता चलता है, की आप स्मोकिंग करते रहें हो सकते हें। आपको सूखी खांसी चलती रहती है।
  आप 1-Sputum for AFB,
          2- T & D, जांच करवाए और रिपोर्ट भेजें।
    इस बीच निम्न ओषधियाँ प्रयोग करें।
     च्ंद्रामृत रस             5 ग्राम+
     टंकण क्षार               2॰5 ग्राम+
    अकीक पिष्टि            3 ग्राम+
     मधुमालती बसंत      5 ग्राम +
     सितोपलादि चूर्ण       30 ग्राम
इन सबको मिलाकर 30 खुराक बनाएँ। इसकी एक एक खुराक हर आठ घंटे में थोड़ी शहद और कंटकरयावलेह (कंटकारी अवलेह) 10 ग्राम में मिलाकर खाएं। यह ओषधि लगातार एक माह तक लें।
   क्या न करें- 
स्मोकिंग बंद कर दें, अदरख का प्रयोग न करें, नानवेज और वनस्पति घी तेल बाज़ार की तली बस्तु न खाये।
   
क्या करें- 
हल्का खाना खिचड़ी दलिया, चपाती, हरी सब्जी, पपीता, सेव फल, लें अमरूद (जामफल) का प्रयोग सेक कर कर सकते हें। खाने में गाय का देसी घी, का कम मात्र में प्रयोग करें।
        यदि उपरोक्त जांच रिपोर्ट सामान्य हुई तो आपको इससे लाभ होगा , विशेष अन्य ओषधि जांच रिपोर्ट के बाद दी जा सकेगी।
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बार-बार होने वाले वाइरल ओर फ्लू को परिवार से कैसे दूर करें?

 बार-बार होने वाले वाइरल ओर फ्लू को परिवार से कैसे दूर करें?
     हम जानते हें की घर और बाहर हर ओर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हें।  हमारा शरीर इनसे लड़ कर हमें रोगों से बचाता रहता है, एसा होता है हमारी रोग प्रतीकार क्षमता या  इम्यून सिस्टम के कारण।
    फिर भी यदि बार बार सर्दी जुकाम फ्लू जैसे रोग हो रहे हों तो जान लें कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ रहा है। 
     हमारे देश के वातावरण में हमेशा वायरस एक्टिव रहता है। सर्दी में नजदीकियां (कॉन्टैक्ट) ज्यादा होता है, इससे वायरस तेजी से एक से दूसरे तक पहुंचता है। अगर फैमिली में एक बार सर्दी के दिनों में वायरस का अटैक हो जाए तो 90% (पर्सेंट) परिवार के बाकी मेंबर्स को वायरल अटैक होना तय है। 
फिर यदि उनमे से कोई अगर कोई डायबिटिक है या फिर ब्लड प्रेशर या हार्ट का मरीज है तो उन पर इसका अटैक ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
    साधारण सा वाइरल बड्कर यदि फ्लू  बन जाए  तो आप बेहाल

तुलसी एक वेद कालीन दिव्य ओषधि- क्या कहता है आधुनिक विज्ञान?

तुलसी एक वेद कालीन दिव्य ओषधि- क्या कहता है आधुनिक विज्ञान?
तुलसी,  (ऑसीमम सैक्टम) तुलसी शब्द का अर्थ है  जिसकी किसी से तुलना न की जा सके वह तुलसी है। 
धर्म से  जुढ्ने के कारण ही तुलसी वैदिक काल से वर्तमान काल तक की गिनी चुनी परिचित ओषधियों में से एक है। 
जिसे हिन्दू धर्मग्रंथों मेँ  वैष्णवी, वृन्दा, सुगंधा,गंधहारिणी,अमृता, पत्रपुष्पा,पवित्रा, श्र्वल्लरी, सुभगा, तीब्रा, पावनी,विष्णुबल्लभा, माधवी, सुरवल्ली, देवदुंदुभी, विष्णुपत्नी, मालाश्रेष्टा,पापघ्नी, लक्ष्मी, श्री-कृष्ण वल्लभा, आदि कई नामो से वर्णित किया गया है।   सभी हिन्दू संप्रदायों ने तुलसी के चमत्कार ओर गुणो पर रीझ  कर  नामानुसार अंगीकार किया है। गुणो के कारण तुलसी, भारत मेँ यह हर हिन्दू का सुपरिचित, घर मेँ मिलने वाला का सर्व रोग निवारक तथा जीवन शक्ति संवर्धक, एक अति पवित्र पोधा है।
आजकल व्यावसायिक लोगों ने इसका अर्क निकाल कर प्रस्तुत किया है जो निश्चय ही लाभदायक सिद्ध हुआ है, पर इसका मूल्य अत्यधिक रखा गया है, जो एक प्रकार की लूट है। 
आप भी तुलसी अर्क या बिन्दु अपने घर पर बना सकते हें। लिंक इस पोस्ट के आखिर मेँ है।  

प्रश्न - चिकिन गुनियाँ के बाद जोढ़ों के दर्द की चिकित्सा?

प्रश्न - मेरी पत्नी को चिकिन गुनियाँ के बाद जोढ़ों के दर्द की चिकित्सा बताएं?
 [after Chikenguniya's treatment for Joint pain. My wife suffer with join pain. Please guide me. भवदीय, Hiren shah | hsci2012@gmail.com]

उत्तर- चिकनगुनिया रोग [जो एडीज़ मच्छर द्वारा वाइरस पहुँचने से होता है,] में जोड़ों की सूजन, जोड़ों का दर्द, जोड़ों की हार्डनेस [कठोरता] मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, थकान (कमजोरी), मतली, उल्टी और चिड़चिड़ाहट और ज्वर होता है।

डेंगूः कैसे पहचाने डेंगू खतरनाक बन रहा हे?

डेंगूः कैसे पहचाने डेंगू खतरनाक बन रहा है?

डेंगू के रोगी को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है अगर...
  • दिल की धड़कन 20 बढ़ जाए (नॉर्मल 60-80)। 
  • ऊपर का ब्लड प्रेशर [बीपी] 20 कम हो जाए (नॉर्मल 100-120)। 
  • पल्स प्रेशर 20 से कम रह जाए (नॉर्मल 40)। 
  • प्लेटलेट्स 20 हजार से कम हो जाएं (नॉर्मल 1.5 लाख से 3 लाख)। 
  • शरीर पर एक इंच एरिया में 20 रैशेज हो जाएं। 
इनमें से कोई दो-तीन लक्षण हों तो
  •  रोगी को 20 मिली फ्लुइड पहले घंटे में प्रति किलो वजन के आधार पर दें, यानी अगर कोई 70 किलो का है, तो उसे एक घंटे में करीब डेढ़ लीटर लिक्विड दें। (आईवी के जरिए या पीने के लिए)। 
  • चिकित्सक से संपर्क करें ।  

डेंगू जानलेवा है -केसे बचे?

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गले मेँ खिच-खिच-खराश ओर खांसी- जीवन भर का जंजाल?

गले मेँ खिच-खिच, खराश या कुछ अटकना आपको आगाह करता है, की सावधान शरीर के दुश्मन का आप पर हमला होने वाला है? अभी ध्यान नहीं दिया तो बचपन से शुरू हुई यह खिच खिच जीवन भर जी का जंजाल बन सकती है। 
यह बात आश्चर्य जनक ओर अविश्वसनीय लग सकती है! पर यह सच है।

लाख दर्द की एक दवा- अमृत धारा

आज से लगभग 30-40 वर्ष पूर्व "अमृत धारा" बड़ी प्रचलन में थी। आजादी के पहिले से लाहोर के एक हाकिम ने इसे बढ़ा प्रचलित किया था लाहोर में इसके नाम पर एक अम्रत धारा गली भी रही हे। वर्तमान पीढ़ी एसे भूल गई है। यह एक कई रोगों की दवा है।
बनाने की विधि यह है-

स्वाइन फ्लू में प्रभाव शाली हे आयुर्वेदिक औषधि ।

 स्वाइन फ्लू में प्रभाव शाली हे आयुर्वेदिक औषधि 
स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक होता हे। 
   यदि किसी किसी भी आयु के रोगी में बुखार या बढा हुआ तापमान (100.4°F से अधिक), अत्यधिक थकान, सिरदर्द, ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना' गले में खराश, कफ, सांस लेने में तकलीफ, भूख कम लगना, मांसपेशियों में बेहद दर्द,  पेट खराब होना, जैसे कि उल्टी या दस्त होना , ये सभी लक्षण या ज़्वर के साथ इनमें से तीन से अधिक लक्षण मिल रहे हों तो वय स्वाइन फ्लू का रोगी हो सकता हे। 
  आयुर्वेद में इस प्रकार से लक्षणो से युक्त रोग का नाम सन्निपातज ज़्वर {माधव निदान] के नाम से जाना  गया हे। 
  आधुनिक विज्ञान की सहायता से इसका कारण एक  शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 माना गया हे, इसी कारण इसे स्वाइन फ्लू भी कहते हैं। यह विषाणु सूअर [Pigs] में समान्यतया पाया जाने वाले विषाणुओं में से हे। यह विषाणु के विरुद्ध मनुष्यो में एंटीबोड़ी बन जाने से संक्रमण नहीं कर पाता। पर जब एंटोबोड़ी नहीं हो तब घातक असर डाल सकता हे।  परंतु सूअरों के लिए बड़ा घातक होता हे। सूअरों से सीधे मनुष्यों में संक्रमण के कम ही मामले होते हें, पर यदि होते हें, तो बड़े घातक या मारक सिद्ध होते हें। 

   स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक होता हे, जो एक इंसान से दूसरे इंसान तक उनमें एंटोबोड़ी न होने पर बहुत तेज़ी से फैलता है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो हवा में उड़ती ये बून्द करीब एक मीटर (3 फीट) तक पहुंचती है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो छोटी बून्दे थोडे समय के लिए हवा में फैल जाती हैं, और बाद में किसी सतह पर बैठ जाती है। छोटी बून्दो में से निकले वायरस कठोर साधारण वस्तुएं जैसे कि दरवाजों के हैंडल, रिमोट कंट्रोल, हैण्ड रैल्स, तकिए, कम्प्युटर का की बोर्ड  बसो,रेलों या घर के हेंडिलो, सीटो बिस्तर, कपड़ों, आदि पर आ जाते हैं। जिस पर ये वायरस 24 घंटो तक जीवित रह सकते हैं, किसी कोमल सतह पर बैठती हैं, तो वायरस करीब 20 मिनट तक जीवित रह सकता है। जब भी कोई अन्य इस दोरान इसके संपर्क में आता हे , इन सतहों को छूता है, और संक्रमित हाथों को अपने मुंह या नाक में रखता है, तो वह स्वाइन फ्लु से संक्रमित हो सकता है। छींक या खांसी के द्वारा हवा में फेलते हुई इन संक्रमित बून्दो के बीच सांस लेते हैं, तो भी आप भी प्रभावित हो जाते हें। यदि आपके शरीर में एंटीबोडी हे, तो स्वयं रोग ग्रस्त न हों पर आप इनके वाहक वन कर अन्य संपर्क में आने वालों को अनजाने ही ये विषाणु बाँट देते हें। 
     बच्चे और युवा, बड़े  वयस्कों की अपेक्षाकृत स्वाइन फ्लू से जल्दी संक्रमित होते हैं, अधिकतर मामलों में  लक्षण बेहद मामूली होते हैं, और सप्ताह के भीतर ही सुधार दिखाई देने लगता है। स्वाइन फ्लू के अधिकतर मामलों में बीमारी उपचार से या बिना किसी उपचार के ठीक हो जाती है। 
    बहुत ही कम मामलों में स्वाइन फ्लू गंभीर रूप धारण करती है, और मृत्यु का कारण बनती है, जैसे कि न्युमोनिया। रिपोर्टो के अनुसार प्रयोगशाला से प्रमाणित स्वाइन फ्लु के मामलो मे से करीब 0.4% लोगो की मौत हो चुकी है, जो कि सामान्य मृत्यु दर ही है। इसलिए स्वाइन फ्लू से आतंकित रहने का कोई कारण नहीं हें। 
 परंतु  यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है, (जैसे कि कैंसर, किडनी की गंभीर बीमारी) जो कि आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बनाती हो, या यदि आप गर्भवती हैं, या यदि आपका बीमार बच्चा एक साल से कम उम्र का हो , या यदि आपकी बीमारी अचानक पहले से अधिक गंभीर होने लगी हो, ओर घातक लक्षण साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे हों, या १६ वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हालत में, पांच या सात दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा हो तो,  आपको अपने चिकित्सक से तुरंत मिलना चाहिए। 
   संक्रमण की वजह स्वाइन फ्लू  नहीं हो पर इसकी तरह कुछ लक्षण अन्य उत्पन्न होनेवाले  अन्य गम्भीर रोगों से भी उत्पन्न हो सकते जेसे टान्सलाइटिस (तुण्डिका-शोध) – (टांसिल का संक्रमण), ओटिटिस मीडिआ, ( कान में संक्रमण), सेप्टिक शॉक - (खून का संक्रमण जो कि खून के दबाव को नीचे गिराने का कारण बनता है. और ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।) ,मस्तिष्क ज्वर - ( दिमाग और रीढ की हड्डी को ढंकने वाली झिल्ली का संक्रमण) और एन्सेफलाइटस - (मस्तिष्ककोप) – (मस्तिष्क में जलन या सूजन) है।(हालांकि इसकी संभावना बेहद कम होती है)
एलोपेथिक चिकित्सा में स्वाइन फ्लु का उपचार सामान्य फ्लु के जैसे ही किया जाता है, बुखार, कफ, और ठंड के बचाव के लिये दवाए दी जाती हैं, कुछ लोगों को शायद विषाणुरोधक दवाए (एंटीवायरल) या उपचार की ज़रुरत पड सकती है। 


आयुर्वेदिक चिकित्सा 
संजीवनी वटी, लक्ष्मीविलास रस, गोदन्ती भस्म, गिलोय सत्व, का मिश्रण आयु के अनुसार ,  मान्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से इस रोग में प्रभाव शाली सिद्ध हुआ हे। 

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ज्वर -बुखार




ज्वर -बुखार
हम सब इस ज्वर या बुखार से परिचित हे। सामन्यतय: मनुष्य के शारीर का तापमान 98.5 डिग्री फारेन हाईट होता हे । बुखार शरीर के तापमान में सामान्य से ज्यादा वृद्धि को कहते है । सामन्यतय: भी शरीर का तापमान बदलता रह सकता है, दोड़ने भागने शारीरिक परिश्रम इस तापमान में ब्रद्धि कर सकता हे । कार्यों के अलग अलग स्तर पर और दिन के अलग अलग समय पर भी यह तापमान अलग अलग हो सकता हे।  
बुखार के कारण निम्न हो सकते हें
अनेक  तरह के विषाणु , जीवाणु और परजीवी शरीर के में प्रवेश कर श्वसन संक्रमण , नेमोनिया , दस्त और मूत्र मार्ग का  संक्रमण, आदि संक्रमण कर देते हें। इनसे उत्प्पन्न विषाक्तता जब रक्त में आती हे तो प्रतिक्रिया स्वरुप शरीर की ऊष्मा बढ जाती हे। यही बुखार हे। सामन्यतय: यह विषाक्तता शरीर की प्राकृतिक क्रियाकलाप द्वारा हटा दी जाती हे, ओर ज्वर ठीक हो जाता हे| पर संक्रमण की अधिकता ओर अधिक विषम्यता, या अन्य शारीरिक कारणो से जब स्वत: ठीक नहीं हो पाती तो ज्वर अधिक हो सकता हे| इस प्रकार से यह शरीर में किसी रोग के होने का लक्षण बन जाता हे| कुछ गंभीर चोट जिसमे शल्य चिकित्सा सम्मिलित है, ओर टीके और दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया , या कुछ प्रकार के कैंसर आदि का होना भी इस ज्वर का कारण हो सकता हे| 
जब किसी को ज्वर छड़ता हे तो कुछ आम लक्षण दिखने लगते हें| 
पसीना आना , कांपना, सिरदर्द , मॉस पेशियो  में दर्द , भूख में कमी , बेचैनी होना , चकत्ते पढ़ना , और पूरे शरीर में थकावट महसूस होना। 
उच्च तं सीमा 102 F से अधिक ज्वर मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता हे|  जिससे  चक्कर-भ्रम, अत्याधिक नींद आना, चिडचिडापन और दौरे पढ़ना हो सकता हे| बच्चो मे  दोरे (पांच साल से कम उम्र के बच्चों में आम) की समस्या अधिक पाई जाती हे |
यह दौरे प्राय शुरू में होते हैं जब तापमान अचानक से बढ़ना चालु हो जाता है । नवजात और बच्चों में ज्वर विषयक दौरे प्राय मासपेशिय में अकडन और पूरे शरीर में अकड़ कर देते है जो की १५ मिनट से कम समय के लिए होते है ।
इनके अतिरिक्त कुछ विशिष्ट लक्षण जो की बुखार के साथ उत्पन्न हो सकते हे जेसे उल्टी ओर  दस्त के साथ  (गेस्ट्रोएंटराइटिस के कारण) या बुखार जो की खांसी , सांस का फूलना या  भूरा / पीला रंग का बलगम के साथ हो वह निमोनिया हो  सकता है ।
एसी किसी भी अवस्था में जिन्हें  की १०२ F  से कम है उनको जरुरी हे की बहुत सारा पानी पिए और फलो के रस पिए ताकि निर्जलीकरण से बचा जा सके| द्रव्य आपके शरीर को ठंडा करने में मदद करते है और एव शरीर में ज़रूरी नमक और खनिजों को फिर से पूरा कर देते है जो की उलटी या  दस्त के द्वारा खत्म हो गए होते है
हल्का खाना खाए जो की पचाने में आसानी हो| 
पूर्ण  आराम करें|
 पेरासिटामोल टेब/ संजीवनी वटी/ बुखार संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकता है| पर पूरी तरह ठीक करने के लिए कारण जानना ओर उसकी पूरी चिकित्सा जरूरी होती हे| अक्सर इनसे बुखार उतारने पर हम ध्यान नहीं देते समझते हें की "ठीक" हो गये |अधिकतर यह भ्रम होता हे ये ओषधियाँ तात्कालिक राहत भर देती हें|
अगर आपके बच्चे को ज्वर के साथ  अकडन है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करना हितकारी होगा|

वयस्कों को  थकावट आदि से होने वाला ज्वर जल्दी  ठीक हो जाता हे ,पर  एक दिन में ठीक न होने पर अन्य चिकित्सा जरुरी होती हे| थकावट से उतप्न्न ज्वर में शरीर की मालिश / नहाना / विश्राम एक कारगर उपाय होता हे|
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.


सूखी खांसी (ड्राई कफ)

सूखी खांसी, ड्राई कफ शुष्क कास -
 सामान्य रूप से जेसा की नाम से ज्ञात होता हे ऐसी खांसी चलना जिसमें कफ आदि न निकले। आयुर्वेद में इस प्रकार से चलने वाली खांसी को "वातज कास"'कहा गया हे।
इसमें गले या मुह में सुखा या रूखापन ह्रदय स्थान या  पसलियों में, छाती, में दर्द कभी कभी खांसी चलने से मूर्च्छा स्वरभेद, होता हे खांसी चलते समय जोर से आवाज होती हे कभी कभी बड़े कष्ट के साथ कफ निकलता हे । कफ निकलने पर राहत प्रतीत होती हे, और खांसी का वेग या दोरा कम हो जाता हे।
इस प्रकार की खांसी में सर्दी/जुकाम आदि रोग के संक्रमण के कारण राहत के लिए की चिकित्सा में गले और छाती में बना कफ सूख जाता हे इसे शरीर बाहर फेकना चाहता हे पर नहीं निकाल पाने से खांसी का दोरा चलता रहता हे। यह भी जरुरी नहीं की ओषधिया ली ही गई हों , हम सब अपने देनिक जीवन में भोजन आदि के साथ घी तेल ,हल्दी,मिर्ची नमक, गरम मसाला, अदरक,आदि-आदि कई बस्तुएं खाते पीते रहते हें, इस प्रकार की सामग्रियां भी ओषधिय प्रभाव डालतीं हें, यही सब अच्छा ख़राब जिसे मिथ्याहार विहार का नाम आयुर्वेद में दिया हे, इस और अन्य सभी रोगों का कारण बनकर, इस प्रकार के कई लक्षणों या रोगों को उत्पन्न कर देती हें।
 जेसा की इस विवरण से जाना जा सकता हे इसकी चिकित्सा भी कफ को निकाल कर एवं आहार विहार को संतुलित कर की जा सकती हे। 
एक पाठक ने जानना चाहा हे [kindly post home based cure for dry cough n sore throats.......m suffering big tym]  उन्हें इसका उत्तर इन उपरोक्त विवरण में समझना चाहिए। 
किसी भी रोग की घर की चिकित्सा इन्ही आहार-विहार पर आधारित होती हे। समान्यतय कहा जाता हे की आप यह खाएँ यह न खाएँ, इस प्रकार से रहें या न रहें तो इसमें विचारणीय बात यह हे की इन उपरोक्त बताई गई बातों में लगभग हर रोग और उसके ठीक करने का राज छुपा हुआ हे, उन्हें समझना होगा।
सुखी खांसी को मिटाने सोंठ+ मुन्नक्का +मिश्री + कालानमक +शहद- को गाय के घी या अच्छे मलाई वाले गाय के दूध के साथ देने से कफ निकलेगा और आराम होगा।
उपरोक्त चीजें पीपल+ कालीमिर्च और मिलकर केवल शहद के साथ चटाने से कफ वाली खांसी (जिसमें अधिक बलगम आती हो)ठीक होती हे ।
सूखी खांसी में खट्टी चीजें,अधिक भोजन और हींग हानिकारक होती हे।
सूखी खांसी होने पर अदरक का प्रयोग नहीं करें । 
हल्दी का प्रयोग हमारे घरों में खांसी के लिए अक्सर किया जाता हे पर यह जान लें की हल्दी कफ को सुखाती हे , इसलिए सूखी खांसी में देने पर तकलीफ और बढ जाएगी। 
खांसी के विषय में एक बात समझने की और भी हे की यह आती क्यों हे?
खांसी आने में श्वास सस्थान अर्थात साँस लेने में प्रयुक्त होने वाले शरीर के अवयव आते हें। इनमें गला,फेफड़े प्रमुख हें। जब भी   प्रकार की विजातीय वस्तु इन स्थानों पर आ जाती हे जेसे खाई गई कोई बस्तु,श्वास से अन्दर आई कोई वस्तु,जीवाणु,विषाणु,आदि आदि,तब हमारे शरीर की प्रणाली उसे बाहर फेक देना चाहती हे तब ही खांसी,छींक, अदि आती हे। यह प्रयत्न तब तक चलता हे जब तक वह विजातीय पदार्थ बाहर नहीं कर दिया जाता ,यदि गले में चिकनाहट हे तब उसके साथ थोडा थोडा लगातार फेका जाता रहता हे परचिकनाहट  नहीं हे तो इस प्रयत्न में सूखी खाँसी आती रहती हे। यदि ऐसी चीज जो और अधिक खुश्की करे तो खांसी का दोरा शांत नहीं हो पता। इस हेतु सहायक के रूप में चिकनाहट ओषधि के साथ देने पर लाभ होता हे। यही इसको ठीक करने का सिधांत हे।
आयुर्वेद में घरेलु उपायों के अतिरिक्त  कई ओषधियाँ  उपलब्ध हें इनका समुचित अनुपान( ओषधि के साथ ली जाने वाली सहायक द्रव्य जेसे शहद,पानी,दूध,घी, छाछ, दही, आदि-आदि) के साथ सेवन रोग मिटाता हे। इसी कारण आयुर्वेदिक चिकित्सा में अनुपान को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हे। विना उपयुक्त अनुपान के ली गई ओषधि व्यर्थ या हानि करने वाली भी सिद्ध हो जाती हे। कुछ सामान्य सी ओषधियाँ बना कर प्रयोग की जा सकती हें

 कंटकारी भस्म- बरसात के बाद अपने आप भारत के अधिकांश भागो में उत्पन्न होने वाली यह वनस्पति जिसमें जामुनी रंग के  फुल लगते हे सारे पोधे पर कांटे और कांटे युक्त्त पत्तियां होती हे( देखे चित्र ) इसको जड़ सहित उखाड़कर धोकर मिटटी साफ करलें सुखाकर लोहे के तवे पर ढक कर जला लें यह कंटकारी भस्म होगी सुखी खांसी में शहद और गोघृत के साथ कफ युक्त खांसी में शहद और छोटी पीपल एक साथ, कहते से रोग मुक्त हो जाता हे यह बड़ी निरापद ओषधि हे जो शिशुओं से लेकर वृधो तक चमत्कारी असर दिखाती हे। किसी भी स्थिति में कोई भी हानी नहीं करती। कंटकार्यवलेह (या कंटकारी अवलेह ) के नाम से कई अन्य ओषधियो के साथ बनी का उपयोग विना भय के किया जा सकता हे। इसे पानी मिलाकर सिरप की तरह पिया जा सकता हे। 

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केसे बचे माइग्रेन से?

केसे बचे  माइग्रेन   से?
 माइग्रेन से बचने के कुछ सरल उपाय -
  • प्रतिदिन अधिक पानी पीयें।
  • सलाद और फल अधिक  खायें, खासकर गाज़र, चुकंदर,ककड़ी,आदि खूब खायें।
  • प्रतिदिन कई बार ठण्डे पानी से सर और पैर ज़रूर धोयें। पेरो को दिन में कई बार धोना अधिक लाभकारी हे। शोच/मूत्रत्याग/बहार से आने के बाद/ अधिक देर खड़े और पैर लटकाए  हुए बेठने के बाद ठन्डे पानी से पैर जरुर धोये। भोजन के पूर्व पैर धोने से सर दर्द नहीं होता और तनावों से मुक्ति मिलती हे।
  • सोने से पहले हर रात को नाक में गो-घृत या बादाम का तेल डालें। आयुर्वेदिक "षडबिंदु तेल"/"त्रिफला घृत" अधिक  लाभकारी हे।
  • विबंध या कब्ज नहीं रहना चाहिए यह रोग बने रहने का एक बड़ा कारण हे।इस हेतु त्रिफला चूर्ण/टेब खाना अच्छा हे।
  • खाली पेट मिर्च मसाले वाले नाश्ते या भोजन से बचना चाहिए, यह भी रोग का बड़ा कारण हे। नाश्ते में सुपाच्य बिना मिर्च वाला, सादा खाएं।
  • काम पर जाने के पूर्व कुछ न कुछ खा कर जरुर जाएँ।
  • एसिडिटी अदि की चिकित्सा करें।
  • तनाव से बचने के लिए योग/व्यायाम/प्राणायाम/और देनिक जीवन चर्या में बदलाव लाकर माइग्रेन से छुटकारा पाया जा सकता हें।
  • ध्यान करें, सरदर्द के लक्षणों से बचने का बहुत आसान उपाय है यह क्यों कि ध्यान की मुद्रा में आप पूरी तरह से तनावमुक्त, रहते हैं। सिर्फ 5 मिनट तक ही ध्यान करें, अंदर की ओर सांस लें और बाहर की ओर सांस छोड़ें।
  •  कुछ देर ताज़ा हवा में टहलें, घर या आफिस के सभी कमरे व दरवाज़े ना बंद रखें।
  • अश्वगंधा चूर्ण या केप्सूल प्रति दिन लेने से तनाव मुक्ति मिलती हे।
  • समय पर सोयें और समय पर जागें, सप्ताहांत में भी उसी समय पर उठें जबकि आप रोज़ उठते हों। नींद में कमी करने की आदत को आज से ही बदल डालें। अगर आपको लम्बे समय से नीदं नहीं आ रही है, तो चिकित्सक से संपर्क करें।
  • अपने समय का सही प्रयोग करें, ऐसा करके आप ना केवल अपना काम ठीक प्रकार से कर सकेंगे, बल्कि काम के कारण होने वाले तनाव से भी मुक्ति पा सकेंगे।
  • कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक से कोउन्सलिंग के माध्यम से देनिक जीवन चर्या और आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा इस भयानक रोग से मुक्ति पाई जा सकती हे। 
  • काम करने के समय काम करें और आराम करने के समय आराम करें। याद रखें आपका काम जितना महत्वपूर्ण है उतना ही आवश्यक है आपका तनावमुक्त होना।
बिना चिकित्सक के परामर्श दर्द निवारक दवाये रोग को अधिक बड़ा सकती हें या कोम्प्लिकेशनस भी पैदा कर सकती हें।
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माइग्रेन होने पर - क्या करें? क्या न करें ?

माइग्रेन  होने पर और क्या करें?
1. माइग्रेन होने पर नियमित रुप से,  चिकित्सक  द्वारा बताई गई ओषधियाँ ही लेनी चाहिये।
2. मौसम के बदलाव से खुद को बचाना चा‍हिए और अपना ख्याल रखना चाहिये।
3. आप कम से कम 6-8 घंटे की गहरी नींद जरूर ले।
4. योगा, मेडिटेशन और मार्निंग वॉल्क, खासकर नियमित रुप से व्यायाम करें।
5. भोजन समय पर करें।
6. जब भी घर से बाहर निकले छाता लें और डायरेक्ट सूरज की रौशनी से बचें।
7. बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखें। या सर धोएं, इससे जो रक्त धमनियां फैल गयी हैं, वे फिर से अपनी पूर्व स्थिति पर वापस आ जाये।
8. सिर पर मेहंदी का लेप लगाने से रक्त धमनियां सामान्य हो जाती हें।
9. दालचीनी को पीसकर इसका लेप माथे पर लगायें इससे दर्द से तुरंत आराम मिलेगा।
10. दालचीनी को पाउडर बनाकर दिन में चार बार ठंडे पानी के साथ खाने से भी आराम मिलेगा।
11. माइग्रेन सिर दर्द में अदरक बहुत फायदेमंद है। अदरक के सेवन से मिचली और उल्टी आना बंद हो जायेगी।
12. पिसी दालचीनी, अदरक का पाउडर, पिसी काली मिर्च और तुलसी पत्ती को मिलाकर एक मिश्रित पाउडर बना लें औऱ इसका सेवन शहद के साथ करें। आपको तुरंत फायदा होगा।
13. माइग्रेन सिर दर्द होने पर आराम करने की सख्त जरूरत है। रोशनी और आवाज से दूर रहें। आंख बंद करके सोने की कोशिश करें।
14. हरी पत्तेदार सब्जियों और वैजिटेबल जूस जैसे गाजर, पालक, खीरा खाए। मौसमी फल व सब्जियाँ खायें।
15. रात में हल्का एवं फारबर युक्त भोजन करें, रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला तथा आंवले के चूर्ण का गुनगुने पानी से सेवन करें, पेट साफ रहेगा और आप काफी आराम महसूस करेंगें।
16. सर दर्द शुरू होते ही जीभ की नोक पर एक चुटकी नमक रख लें आधा मिनट बाद पानी पी लें सर दर्द गायब हो जायगा।
माइग्रेन  होने पर -क्या नहीं करे-
1. माइग्रेन हो तो तेज रोशनी एवं तेज शोर से दूर रहे।
2. माइग्रेन होने पर धूप में या फिर ठंडक में घर से बाहर न निकलें।
3. अचार व डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ न खाएं। फास्ट फ़ूड विशेषकर मिर्च वाले पदार्थ भी न खाए।
4. माइग्रेन का दर्द होने पर अपना मुंह ठंडे पानी से धोने के बाद अंधेरे कमरे में आराम करे।
5. अपनी आंखों पर ज्यादा जोर न डालें।
6. प्यासे न रहें ।  पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं। दिन भर में कम से कम 9 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं।
7. कुछ समय के अंतराल पर नियमित रूप से थोड़ा-थोड़ा भोजन करे। एक बार में पेट भर न खाएं।
8. अगर आपको खाद्य पदार्थो से एलर्जी के कारण माइग्रेन हो, तो उन फलों-सब्जियों और अनाज से परहेज़ करें।
9. माइग्रेन पेशेंट कभी भी व्रत ना करें, और ना ही ऐसा भोजन करें जिसमें वसा हो।
10. दबाव या स्ट्रेदस से दूर रहे।
11. माइग्रेन से पीडि़त 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों को एसप्रिन नहीं लेनी चाहिये।
12. तेज़ इत्र या पर्फ्यूम ना लगाए। 
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माइग्रेन - एक विशेष प्रकार का सिरदर्द|

माइग्रेन - एक विशेष प्रकार का सिरदर्द|
माइग्रेन आज बढ़ती एक आम समस्या है। माइग्रेन सरदर्द एक विशेष प्रकार का सिरदर्द है जो सामान्य सिरदर्द[ सिर दर्द होते हें तरह के ]से अलग और अधिक कष्टकारी होता है। तनाव से भरी जिंदगी ही माइग्रेन का कारण है। इसलिए युवा वर्ग इससे अधिक प्रभावित है। सरदर्द जैसी समस्या को लेकरचिकित्सको के पास जाने वाले 95% प्रतिशत लोगों को माइग्रेन हो सकता है। माइग्रेन एक आम बीमारी है जो मष्तिष्क नाड़ी (नर्व)में  सूजन होने से पैदा होती है। अर्धकपारी आधा सर का दर्द या फिर माइग्रेन ये एक प्रकार के सिरदर्द है। माइग्रेन सिर में हल्के दर्द से शुरू होकर तेज दर्द की ओर बढ़ जाता है। कभी-कभी यह लगभग चार घंटे से लेकर 72 घंटे तक बना रहता है। इसमें सिर के पिछले हिस्से में गर्दन के पास से लेकर पूरे सिर में बहुत भंयकर दर्द होता है।
माइग्रेन किसी भी आयु में हो सकता है, यह आजकल की अव्यवस्थित जिंदगी की देन है। जिसमें हम अपने खानपान पर नियमित ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप जाने-अनजाने माइग्रेन जैसे रोगों के शिकार बन जाते हैं।
भयानक सरदर्द से पीड़ित कुछ लोगों को ही ब्रेन ट्यूमर, मेनिनइटीस आदि अन्य होता है।
वर्तमान जीवन शेली और मिथ्याहार-विहार(गलत,अनावश्यक,अधिक,कुछ भी खाते रहना और करते रहना) के कारण होने वाला यह सरदर्द सिर के एक या एक से अधिक हिस्सों में साथ ही गर्दन के पिछले भाग में हल्के से लेकर तेज़ दर्द के साथ होना। कभी कभी आँखों से धुंधला दिखना,उबकाई(उल्टी जेसा लगना) चक्कर सी प्रतीति, माइग्रेन के कारण हो सकता है।
 युवाओं में बढ़ते सरदर्द के बहुत से कारणों में से एक कारण है बढ़ती बेरोज़गारी।  इसकी  की वजह से हर कोई तनाव में है। माइग्रेन का एक कारण बढ़ता डिप्रेशन भी हो सकता है। युवाओं में नौकरी को लेकर तनाव और डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है। 
    माइग्रेन का एक अन्य विशिष्ट लक्षण है "औरा"। "औरा" के प्रभाव से व्यक्ति कि दृष्टि अचानक धुंधली या विकृत हो जाती है या उसे रौशनी कांपती हुई सी नज़र आती है। दृष्टि में इस तरह के परिवर्तन १५ से २० मिनट के अंतराल में आते और लुप्त हो जाते हैं और किसी को सचेत कर देते हैं कि सिरदर्द शुरू होने वाला है। कभी-कभी "औरा" श्रवण, स्वाद और सूंघने की शक्ति को भी प्रभावित करते हैं। मायग्रेन से ग्रस्त केवल कुछ लोगों को ही "औरा" की परेशानी होती है और ये हर सिरदर्द के साथ नहीं आते। ये आवश्यक नहीं है कि हर बार "औरा" के बाद सिरदर्द हो। बहुत कम ऐसा होता है कि मायग्रेन से स्नायुतंत्र के विकार जैसे चक्कर आना, दृष्टि लुप्त होना, बेहोशी, संवेदनशून्यता, कमजोरी या सिहरन हो। 
माइग्रेन कुछ क्रियाओं जैसे भोजन, गंध या संवेदनाओं से भी शुरू हो सकता है। कुछ लोग को तनाव में मायग्रेन की परेशानी अधिक हो जाती है जबकि कुछ लोगों तनावमुक्त होने (जैसे परीक्षा या मीटिंग के एक दिन पश्चात) पर मायग्रेन का अनुभव होता है। महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान मायग्रेन ज्यादा पाया गया है। कई महिलाओं में माइग्रेन युवावस्था में शुरू होता है और मेनोपाज़ के समय खत्म होता है।  

 माइग्रेन की पहिचान के लिए कोई विशेष जांच या क्लिनिकल टेस्ट नहीं होता और ना ही इनसे बचने के लिए कोई विशेष चिकित्सा काम करती है। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क का कमप्युटेड टोमोग्राफी (CT) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) स्केन का रिजल्ट आमतौर पर सामान्य ही होगा।  करवाने का कोई लाभ नहीं । हालांकि आपके डॉक्टर कुछ अतिरिक्त परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं यदि आपके सिरदर्द के लक्षण मायग्रेन के विशिष्ट लक्षणों से भिन्न हों या फिर आपमें अन्य चिंताजनक लक्षण दिखाई दें। या निदान में फिर भी कुछ संदेह हो तो आपके डॉक्टर एक न्यूरोविज्ञानी, जो कि मस्तिष्क और तंत्रिकाओं सम्बन्धी रोगों के विशेषज्ञ होते हैं, से परामर्श की सलाह दे सकते हैं।
 फिर केसे जाने माइग्रेन से होने वाला सरदर्द को
माइग्रेन को समझने से पूर्व हमको सभी सिर दर्दो को भी जानना होगा। (देखें- सिर दर्द होते हें तरह के )
·                     माइग्रेन सर के एक तरफ होने वाला दर्द है, और कभी कभी तो अटैक के समय दर्द की जगह भी बदल जाती है। कुछ लोगों को यह दर्द सर के बीचोबीच में होता है और कुछ लोगों को सर के दोनों तरफ।
·                     माइग्रेन से होने वाला दर्द कभी भी हो सकता है और अलग अलग लोगों में इसका प्रकार अलग अलग होता है।
·                     माइग्रेन से होने वाले सरदर्द में अकसर भूख नहीं लगती, और
·                     उबकाई (nausea) होना या उल्टियां (vomit) हो सकती हैं।
·                     माइग्रेन से पीड़ित लोगों के नाक का भीतरी भाग, अकसर लाल हो जाता हैं|
·                     रोगी को अचानक ही बहुत तेज़ सरदर्द होता है, आंखें भी लाल हो जाती हैं।
·                     माइग्रेन के असर से अक्सर आंखों में भी परेशानी हो जाती है।
·                     माइग्रेन के रोगी अक्सर एसिडिटी, पेट की जलन, कब्ज, आदि से पीड़ित भी पाए जातें हें| कई बार केवल इन्ही रोगों की चिकित्सा होने पर वे, माइग्रेन से भी मुक्त हो जाते हें।
ऐसी स्थिति में दर्द निवारक (Pain kilar) न खाकर, पाहिले इनकी चिकित्सा करें, साथ ही प्राकृतिक उपचार, जैसे योगा और मेडिटेशन आदि की मदद से तनाव हटा कर, फिट रहने का प्रयास करना चाहिए।
कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक से कोउन्सलिंग के माध्यम से देनिक जीवन चर्या और आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा इस भयानक रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।  
यदि इन सामान्य उपायों से भी रोग ठीक न हो तो आयुर्वेदिक ओषधियों के साथ, आयुर्वेदिक पंचकर्म के अंतर्गत शिरोधारा चिकित्सा एक सटीक उपाय है| इससे एक दो दिन में लाभ और ५- से 10 दिन चिकित्सा से पूर्ण लाभ होता है|
पूर्व वर्णित पैट के रोग यदि न हों तो 20 ml दशमूलारिष्ट x 2 बार भोजन के बाद + शिर शुलादी वज्र रस 100 mg 2 गोली x 2 बार लेने से लगातार एक माह लेने से लाभ हो जाता है|
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·                      सिर दर्द होते हें तरह के !: शिर:शूल या   सिर दर्द  होते हें तरह  के!  यूँ तो सर दर्द एक मुहावरा है पर---
·                      केसे बचे माइग्रेन से?: माइग्रेन से बचने के कुछ सरल उपाय - प्रतिदिन अधिक पानी पीयें।

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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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