माइग्रेन - एक
विशेष प्रकार का सिरदर्द|
माइग्रेन आज
बढ़ती एक आम समस्या है। माइग्रेन सरदर्द एक
विशेष प्रकार का सिरदर्द है जो सामान्य सिरदर्द[ सिर दर्द होते हें तरह के ]से अलग और अधिक कष्टकारी होता
है। तनाव से भरी जिंदगी ही माइग्रेन का कारण है। इसलिए युवा वर्ग इससे अधिक प्रभावित है। सरदर्द जैसी समस्या को
लेकरचिकित्सको के पास जाने वाले 95% प्रतिशत लोगों को माइग्रेन हो सकता है। माइग्रेन
एक आम बीमारी है जो मष्तिष्क नाड़ी (नर्व)में सूजन
होने से पैदा होती है। अर्धकपारी आधा सर का दर्द या फिर
माइग्रेन ये एक प्रकार के सिरदर्द
है। माइग्रेन सिर में हल्के दर्द से शुरू होकर तेज दर्द की ओर बढ़ जाता है।
कभी-कभी यह लगभग चार घंटे से लेकर 72 घंटे तक बना रहता है।
इसमें सिर के पिछले हिस्से में गर्दन के पास से लेकर पूरे सिर में बहुत भंयकर दर्द
होता है।
माइग्रेन किसी
भी आयु में हो सकता है, यह आजकल की अव्यवस्थित जिंदगी की देन है। जिसमें हम
अपने खानपान पर नियमित ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप जाने-अनजाने माइग्रेन
जैसे रोगों के शिकार बन जाते हैं।
भयानक सरदर्द से
पीड़ित कुछ लोगों को ही ब्रेन ट्यूमर, मेनिनइटीस आदि अन्य होता है।
वर्तमान जीवन
शेली और मिथ्याहार-विहार(गलत,अनावश्यक,अधिक,कुछ भी खाते रहना और करते रहना) के कारण होने वाला यह सरदर्द सिर के एक या एक
से अधिक हिस्सों में साथ ही गर्दन के पिछले भाग में हल्के से लेकर तेज़ दर्द के
साथ होना। कभी कभी आँखों से धुंधला दिखना,उबकाई(उल्टी जेसा लगना) चक्कर सी प्रतीति,
माइग्रेन के कारण हो सकता है।
युवाओं
में बढ़ते सरदर्द के बहुत से कारणों में से एक कारण है बढ़ती
बेरोज़गारी। इसकी की वजह से हर कोई तनाव
में है। माइग्रेन का एक कारण बढ़ता डिप्रेशन भी हो सकता
है। युवाओं में नौकरी को लेकर तनाव और डिप्रेशन बढ़ता
जा रहा है।
माइग्रेन का एक अन्य विशिष्ट लक्षण है "औरा"। "औरा"
के प्रभाव से व्यक्ति कि दृष्टि अचानक धुंधली या विकृत हो जाती है या उसे रौशनी
कांपती हुई सी नज़र आती है। दृष्टि में इस तरह के परिवर्तन १५ से २० मिनट के
अंतराल में आते और लुप्त हो जाते हैं और किसी को सचेत कर देते हैं कि सिरदर्द शुरू
होने वाला है। कभी-कभी "औरा" श्रवण, स्वाद और
सूंघने की शक्ति को भी प्रभावित करते हैं। मायग्रेन से ग्रस्त केवल कुछ लोगों को
ही "औरा" की परेशानी होती है और ये हर सिरदर्द के साथ नहीं आते। ये
आवश्यक नहीं है कि हर बार "औरा" के बाद सिरदर्द हो। बहुत कम ऐसा होता है
कि मायग्रेन से स्नायुतंत्र के विकार जैसे चक्कर आना, दृष्टि
लुप्त होना, बेहोशी, संवेदनशून्यता,
कमजोरी या सिहरन हो।
माइग्रेन कुछ
क्रियाओं जैसे भोजन, गंध या संवेदनाओं से भी शुरू हो सकता है। कुछ लोग को
तनाव में मायग्रेन की परेशानी अधिक हो जाती है जबकि कुछ लोगों तनावमुक्त होने
(जैसे परीक्षा या मीटिंग के एक दिन पश्चात) पर मायग्रेन का अनुभव होता है। महिलाओं
में मासिक धर्म के दौरान मायग्रेन ज्यादा पाया गया है। कई महिलाओं में माइग्रेन युवावस्था में शुरू होता
है और मेनोपाज़ के समय खत्म होता है।
माइग्रेन
की पहिचान के लिए कोई विशेष
जांच या क्लिनिकल टेस्ट नहीं
होता और ना ही इनसे बचने के लिए कोई विशेष चिकित्सा काम करती है। उदाहरण के लिए, मस्तिष्क का कमप्युटेड टोमोग्राफी (CT) या मैग्नेटिक
रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) स्केन का रिजल्ट आमतौर पर सामान्य ही होगा। करवाने का कोई लाभ नहीं । हालांकि आपके डॉक्टर कुछ अतिरिक्त परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं यदि आपके सिरदर्द के लक्षण मायग्रेन के विशिष्ट लक्षणों से भिन्न हों या फिर
आपमें अन्य चिंताजनक लक्षण दिखाई दें। या निदान में फिर
भी कुछ संदेह हो तो आपके डॉक्टर एक न्यूरोविज्ञानी, जो कि
मस्तिष्क और तंत्रिकाओं सम्बन्धी रोगों के विशेषज्ञ होते हैं, से परामर्श की सलाह दे सकते हैं।
फिर केसे जाने माइग्रेन से होने वाला
सरदर्द को
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माइग्रेन सर के एक तरफ
होने वाला दर्द है, और कभी कभी तो अटैक के समय दर्द की जगह भी बदल जाती
है। कुछ लोगों को यह दर्द सर के बीचोबीच में होता है और कुछ लोगों को सर के दोनों
तरफ।
·
माइग्रेन से होने वाला
दर्द कभी भी हो सकता है और अलग अलग लोगों में इसका प्रकार अलग अलग होता है।
·
माइग्रेन से होने वाले
सरदर्द में अकसर भूख नहीं लगती, और
·
उबकाई (nausea) होना या उल्टियां (vomit) हो सकती हैं।
·
माइग्रेन से पीड़ित
लोगों के नाक का भीतरी भाग, अकसर लाल हो
जाता हैं|
·
रोगी को अचानक ही बहुत तेज़ सरदर्द होता है, आंखें भी लाल हो
जाती हैं।
·
माइग्रेन के असर से अक्सर
आंखों में भी परेशानी हो जाती है।
·
माइग्रेन के रोगी अक्सर
एसिडिटी, पेट की जलन, कब्ज, आदि से
पीड़ित भी पाए जातें हें| कई बार केवल इन्ही रोगों की चिकित्सा होने पर वे, माइग्रेन
से भी मुक्त हो जाते हें।
ऐसी स्थिति में
दर्द निवारक (Pain kilar) न खाकर, पाहिले इनकी चिकित्सा करें, साथ ही प्राकृतिक
उपचार, जैसे योगा और मेडिटेशन आदि की मदद से तनाव हटा
कर, फिट रहने का प्रयास करना चाहिए।
कुशल आयुर्वेदिक
चिकित्सक से कोउन्सलिंग के माध्यम से देनिक जीवन
चर्या और आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा इस भयानक रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।
यदि इन सामान्य
उपायों से भी रोग ठीक न हो तो आयुर्वेदिक ओषधियों के साथ, आयुर्वेदिक पंचकर्म के
अंतर्गत शिरोधारा चिकित्सा एक सटीक उपाय है| इससे एक दो दिन में लाभ और ५- से 10
दिन चिकित्सा से पूर्ण लाभ होता है|
पूर्व वर्णित
पैट के रोग यदि न हों तो 20 ml दशमूलारिष्ट x 2 बार भोजन के बाद + शिर शुलादी वज्र
रस 100 mg 2 गोली x 2 बार लेने से लगातार एक माह लेने से लाभ हो जाता है|
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