Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

स्वाइन फ्लू में प्रभाव शाली हे आयुर्वेदिक औषधि ।

 स्वाइन फ्लू में प्रभाव शाली हे आयुर्वेदिक औषधि 
स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक होता हे। 
   यदि किसी किसी भी आयु के रोगी में बुखार या बढा हुआ तापमान (100.4°F से अधिक), अत्यधिक थकान, सिरदर्द, ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना' गले में खराश, कफ, सांस लेने में तकलीफ, भूख कम लगना, मांसपेशियों में बेहद दर्द,  पेट खराब होना, जैसे कि उल्टी या दस्त होना , ये सभी लक्षण या ज़्वर के साथ इनमें से तीन से अधिक लक्षण मिल रहे हों तो वय स्वाइन फ्लू का रोगी हो सकता हे। 
  आयुर्वेद में इस प्रकार से लक्षणो से युक्त रोग का नाम सन्निपातज ज़्वर {माधव निदान] के नाम से जाना  गया हे। 
  आधुनिक विज्ञान की सहायता से इसका कारण एक  शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 माना गया हे, इसी कारण इसे स्वाइन फ्लू भी कहते हैं। यह विषाणु सूअर [Pigs] में समान्यतया पाया जाने वाले विषाणुओं में से हे। यह विषाणु के विरुद्ध मनुष्यो में एंटीबोड़ी बन जाने से संक्रमण नहीं कर पाता। पर जब एंटोबोड़ी नहीं हो तब घातक असर डाल सकता हे।  परंतु सूअरों के लिए बड़ा घातक होता हे। सूअरों से सीधे मनुष्यों में संक्रमण के कम ही मामले होते हें, पर यदि होते हें, तो बड़े घातक या मारक सिद्ध होते हें। 

   स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक होता हे, जो एक इंसान से दूसरे इंसान तक उनमें एंटोबोड़ी न होने पर बहुत तेज़ी से फैलता है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो हवा में उड़ती ये बून्द करीब एक मीटर (3 फीट) तक पहुंचती है। जब कोई खांसता या छींकता है, तो छोटी बून्दे थोडे समय के लिए हवा में फैल जाती हैं, और बाद में किसी सतह पर बैठ जाती है। छोटी बून्दो में से निकले वायरस कठोर साधारण वस्तुएं जैसे कि दरवाजों के हैंडल, रिमोट कंट्रोल, हैण्ड रैल्स, तकिए, कम्प्युटर का की बोर्ड  बसो,रेलों या घर के हेंडिलो, सीटो बिस्तर, कपड़ों, आदि पर आ जाते हैं। जिस पर ये वायरस 24 घंटो तक जीवित रह सकते हैं, किसी कोमल सतह पर बैठती हैं, तो वायरस करीब 20 मिनट तक जीवित रह सकता है। जब भी कोई अन्य इस दोरान इसके संपर्क में आता हे , इन सतहों को छूता है, और संक्रमित हाथों को अपने मुंह या नाक में रखता है, तो वह स्वाइन फ्लु से संक्रमित हो सकता है। छींक या खांसी के द्वारा हवा में फेलते हुई इन संक्रमित बून्दो के बीच सांस लेते हैं, तो भी आप भी प्रभावित हो जाते हें। यदि आपके शरीर में एंटीबोडी हे, तो स्वयं रोग ग्रस्त न हों पर आप इनके वाहक वन कर अन्य संपर्क में आने वालों को अनजाने ही ये विषाणु बाँट देते हें। 
     बच्चे और युवा, बड़े  वयस्कों की अपेक्षाकृत स्वाइन फ्लू से जल्दी संक्रमित होते हैं, अधिकतर मामलों में  लक्षण बेहद मामूली होते हैं, और सप्ताह के भीतर ही सुधार दिखाई देने लगता है। स्वाइन फ्लू के अधिकतर मामलों में बीमारी उपचार से या बिना किसी उपचार के ठीक हो जाती है। 
    बहुत ही कम मामलों में स्वाइन फ्लू गंभीर रूप धारण करती है, और मृत्यु का कारण बनती है, जैसे कि न्युमोनिया। रिपोर्टो के अनुसार प्रयोगशाला से प्रमाणित स्वाइन फ्लु के मामलो मे से करीब 0.4% लोगो की मौत हो चुकी है, जो कि सामान्य मृत्यु दर ही है। इसलिए स्वाइन फ्लू से आतंकित रहने का कोई कारण नहीं हें। 
 परंतु  यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है, (जैसे कि कैंसर, किडनी की गंभीर बीमारी) जो कि आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बनाती हो, या यदि आप गर्भवती हैं, या यदि आपका बीमार बच्चा एक साल से कम उम्र का हो , या यदि आपकी बीमारी अचानक पहले से अधिक गंभीर होने लगी हो, ओर घातक लक्षण साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे हों, या १६ वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हालत में, पांच या सात दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा हो तो,  आपको अपने चिकित्सक से तुरंत मिलना चाहिए। 
   संक्रमण की वजह स्वाइन फ्लू  नहीं हो पर इसकी तरह कुछ लक्षण अन्य उत्पन्न होनेवाले  अन्य गम्भीर रोगों से भी उत्पन्न हो सकते जेसे टान्सलाइटिस (तुण्डिका-शोध) – (टांसिल का संक्रमण), ओटिटिस मीडिआ, ( कान में संक्रमण), सेप्टिक शॉक - (खून का संक्रमण जो कि खून के दबाव को नीचे गिराने का कारण बनता है. और ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।) ,मस्तिष्क ज्वर - ( दिमाग और रीढ की हड्डी को ढंकने वाली झिल्ली का संक्रमण) और एन्सेफलाइटस - (मस्तिष्ककोप) – (मस्तिष्क में जलन या सूजन) है।(हालांकि इसकी संभावना बेहद कम होती है)
एलोपेथिक चिकित्सा में स्वाइन फ्लु का उपचार सामान्य फ्लु के जैसे ही किया जाता है, बुखार, कफ, और ठंड के बचाव के लिये दवाए दी जाती हैं, कुछ लोगों को शायद विषाणुरोधक दवाए (एंटीवायरल) या उपचार की ज़रुरत पड सकती है। 


आयुर्वेदिक चिकित्सा 
संजीवनी वटी, लक्ष्मीविलास रस, गोदन्ती भस्म, गिलोय सत्व, का मिश्रण आयु के अनुसार ,  मान्य आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से इस रोग में प्रभाव शाली सिद्ध हुआ हे। 

---------------------------------------------------------------------------------------------------------
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Aapke sabhi lekh mai padhti hoon, sabhi gyan vardhk evm, dainik jeevan me bahut upyogi hain.Ham sabhi ko isase hamesha sahayta mimti he .Dhnyawad.

Dr, Deepak Acharya ने कहा…

हार्दिक आभार डॉक्टर साहब, जगत कल्याण का महास्रोत है आपका व्यक्तित्व....
Hardik Aabhar

आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "