Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |
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Irregular life is an invitation to serious diseases!!! (अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!)

आज का स्वास्थ्य संदेश-

अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!

वैद्य मधुसूदन व्यास उज्जैन.

 (निशुल्क चिकित्सा परामर्श हेतु फोन /व्हाट्स अप 9425379102)

 संसार की समस्त गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर नियमित चलती रहतीं हैंपरन्तु हम अधिकांश मनुष्य अक्सर अपने जीवन की गतिविधियां विशेषकर खाने-पीने-सोने-जागने आदि का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम होता है, गंभीर रोगों का आमंत्रण नींद का न आनाबेचेनी, करवट बदलनाअपचनविवंध (शोच में कमी) कब्जववासीरवजन का बढनाऔर इससे आगे चलकर गंभीरलीवर रोगउदर रोगमूत्र रोगकिडनीरोगमेटाबोलिक रोगप्रोस्टेट बड़नेआदि जैसे गंभीर रोग|

सनातन हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसारयदि जीवन भर स्वस्थ रहना है, तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें, और भोजन, नाश्ताचायदोपहर, भोजन,रात्रि भोजन आदि उचित समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात: अच्छा स्वल्पाहार या नाश्ता करना जरुरी होता हैक्योंकि रात्रि भोजन के बाद 10 से 14 घंटे व्यतीत हो चुके होते हैंइस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के 4 से 5 घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिएयदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो 12 बजे के लगभग खाना खाना आवश्यक होता है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या 4 घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फलखाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग 6-7 घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिएरात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिएइस भोजन के 3 से 4 घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती हैइसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता हैप्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्थाया बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्तऔर रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती हैवापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता

हिन्दू धर्म मेंऔर जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया हैहमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए हैऔर पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला,

दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्यऔर

रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामानरुखा सुखा ( कम केलोरी वाला सुपाच्य) रखना चहिये|

 यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|   

वर्तमान में पश्चात् सभ्यता से प्रभावित वैवाहिक अदि कार्यक्रमों रात्रि कालीन भोजन रखा जाता है इस परम्परा को बदल कर दोपहर भोज रखा जाना उचित होगा|    


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 समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight! कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं और कुछ बडने से!

Some people are worried about losing weight and some are worried about gaining weight!
कुछ लोग वजन कम होने से चिंतित हैं  और कुछ बडने से!
निम्न इस लेख में छुपा है, शरीर का बडाने या घटाने का राज?  
इससे आप शरीर की वजन बडाने वाली प्रक्रिया के विषय में जान कर मोटापे से बच सकते हैं या वजन कम भी कर सकते है, ओर हमेशा नियंत्रित भी रख सकते हैं !!
आजकल हम आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पास वजन कम करने ईच्छुक तो बहुत आते हैं, पर बहुत से एसे लोग भी आते हैं जो चाह्ते हैं, कि उनका वजन बड जाय। कई बच्चों के माता-पिता भी बच्चों के कम वजन से चिंतित हो कर हमारे पास आते रहते हैं। यह लेख दोनों के लिये पडना ओर अमल करना चाहिये। 
में  अपनी बात बडे ही कम शब्दों में कह रहा  हूँ, सावधानी से समझ कर पडने से आप अपना वजन कम या अधिक कुछ भी कर सकते हैं।  

Some symptoms that can tell that you are getting "Obese" now. (कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।)

कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।
वजन बड रहा है केसे जाने?
अक्सर हम शरीर कि छोटी मोटी समस्याओं को को नजर अंदाज करते रहते हैं। थोडे से  श्रम या पैदल चलने से सांस फूलती हो या कमजोरी मह्सूस हो, थकान, अचानक पसीना, सोते समय  खरांटे, पीठ ओर जोडों में दर्द, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी का अनुभव, अकेलापन लगने लगा हो तो समझा जा सकता है की आप मोटापे की ओर बड रहे हैं। 
कैसे बचेंं इस मोटापे से?   

"Psoriasis"- Disease that is incurable by medicine - but you can cure it yourself?["सोराइसिस" दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं- कैसे? ]

"सोराइसिस"  दवा से ठीक न हो पाने वाला एक रोग - पर आप खुद इसे ठीक कर सकते हैं-  कैसे?  
सोराइसिस, psoriasis, अपरस, विचर्चिका, Eczema आदि नामों वाला भयानक कष्ट कारी इस रोग के बारे में बहूत सारे प्रश्न उठते होंगे आपके मन में जैसे -
  • सोराइसिस दवा से क्यों ठीक नहीं होता?
  • रोग का कारण क्या है?
  • कैसे हमारी रोग नियंत्रण प्रणाली ही सोरैसिस के लिये है,  जिम्मेदार?
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति को कैसे ठीक करें?  
  • क्या इससे सोराइसिस के अतिरिक्त ओर रोग भी ठीक हो सकेंगे?
  • में तो अभी स्वस्थ्य हूं क्या मुझे एसा खराब रोग हो सकता है?
  • क्या कोई इसे ठीक करने में मेरी मदद कर सकता है?
  • चिकित्सा में समय कितना लगेगा?
  • क्या पंच कर्म निशुल्क या कम खर्च पर भी उपलब्ध है

Spring;- Seasonal schedule:- How to stay healthy this season?

बसन्त ऋतुचर्या ( कैसे स्वस्थ रहें इस मोसम में?)
ऋतु आवत ऋतु जात है, कहत सबन यह बात।
अनुकूल चंगा  रहे, प्रतिकूल पाये घात।। 
मार्च, से मई – (चैत्र, वैशाख) के आसपास बसंत ऋतु रहती है| 

Why are more restrictions in Ayurvedic medicine? (आयुर्वेद चिकित्सक अधिक परहेज क्यों बताते हें?)

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अधिक प्रतिबंध क्यों होता है? या 
आयुर्वेद चिकित्सक अधिक परहेज क्यों बताते हें?
इस प्रकार के कई प्रश्न अक्सर किये जाते हें| इस बात को जानने के लिए पढिये निम्न जानकारी:- 

हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहना चाहता है, वह यह भी चाहता है की उसे कभी भी कोई रोग या कष्ट न हो|
यदि सचमुच में निरोगी रहना चाहता है, तो उसे रोग या कष्टों का कारण भी जानना होगा|
पर अक्सर जब इनका कारण वह तब जान पाता है जब वह किसी न किसी रोग या कष्ट से प्रभावित हो जाता है| कारण दुःख होने के बाद ही इस और विचार करता है, यदि स्वस्थ-अवस्था में ही यह जानकारी हो जाये to रोग होगा ही क्यों? 
यदि अभी स्वस्थ है और आगे भी स्वस्थ रहना चाहते हें?
अथवा आपको निम्न में से कोई भी कष्ट, या रोग है और आप उसे दूर करना चाहते हें तो आपके लिए यह जानकारी वाला लेख पड़ना चाहिए|

The reason for growing weight, drinking water less - now American research also says!


The reason for growing weight, drinking water less - now American research also says!

वजन बढ़ने का कारण, पानी कम पीना - अब अमेरिकी शोध भी कहता है!
प्राचीन आयुर्वेद अनुसार हजारों वर्षों से कहा गया है की भोजन के पूर्व पानी पीना वजन में कमी, भोजन के साथ पीना वजन को स्थिर, और भोजन के बाद पानी पीना से वजन बड़ता है| 

अब अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी ने भी इस संबंध में शोध करने पर पाया कि "खाने  के पहले पानी पी लेने से 3 महीने में करीब सवा 2 किलो वजन कम होने के परिणाम दिखे क्योंकि भोजन से पहले ग्रहण किया गया पानी भोजन में 75 से 90 फीसदी कैलोरी कम ग्रहण करने में मददगार साबित होता है|

Cancer, Diabetes, Kidney like diseases, Caused by acidity in the blood! -You can avoid them. कैंसर, मधुमेह, किडनी जैसे कई रोग, होते हें रक्त में अम्लता के कारण! - और आप उनसे बच सकते हें!

कैंसर, मधुमेह, किडनी जैसे कई रोग, होते हें रक्त में अम्लता के कारण! - और आप उनसे बच सकते हें!
हर व्यक्ति का यह सपना होता है की वह अपना घर बनाये, और जब भी मोका मिलाता है तब वह बाज़ार से सबसे अच्छे सीमेंट, रेट, ईंट, आदि ही खरीदना चाहता है| यही नहीं उनका अनुपात भी “संतुलित” नियमों के अनुसार ही मिलाना चाहता है| कोई नहीं चाहता की सीमेंट आदि की कमी-वेशी करके मकान बनाये|
 परन्तु जिस घर में वह पैदा होने से रह रहा है उसकी और कोई ध्यान नहीं देता| में यहाँ ईंट सीमेंट के मकान की बात न कह, उस शरीर की बात कर रहा हूँ जिसमें वह पैदा होने के बाद से ही रह रहा है| 

Ayurvedic Dietetic regimen or ‘Samsarjana Kram (system)’ - A Process of Reconstruction or Regeneration of body.

“संसर्जन क्रम” आयुर्वेदीय आहार व्यवस्था - शरीर की एक पुनर्निर्माण या पुनर्जनन की प्रक्रिया है! 
पंचाकर्मादी, किसी बड़े रोग की चिकित्सा परहेज के बाद अथवा व्रत-उपवास आदि के बाद, प्रत्येक को चाहिए की "संसर्जन क्रम" अपना कर, जीवन भर स्वस्थ्य आहार, आचरण, और विहार (घूमना, व्यायाम, योग, स्वस्थ्य चिंतन, सदाचरण आदि) बनाये | जिन लाभों के लिए उसने पंचकर्म या अन्य चिकित्सा करवाई थी वह लाभ उसे पूरा मिल सके और पुन: कई रोगों आदि का कष्ट दुबारा न उठाना पड़े| यदि आयुर्वेद के इन नियमों का पालन नहीं किया गया तो सारी कोशिश व्यर्थ हो जाया करती है| 
पंचकर्म के बाद व्यक्ति का शरीर एक शिशु के समान हो जाता है, अब उसे पुन: जिस रूप में ढालना हो ढाला जा सकता है, खाने, पीने, रहने, सहने,  आदि समस्त| विशेषकर संसर्जन क्रम के पश्चात् यदि पुन: पूर्व की तरह मिथ्या और अनावश्यक आहार-विहार या मिथ्याहारविहार, शुरू कर दिया जाये तो प्रारम्भ में तो पाचन सम्बन्धी समस्याएं होतीं हें, जो कई नए और पुराने रोगों के प्रकोप का कारण बनती हें|  इस प्रकार सुखी निरोगी “स्वस्थ्य जीवन” की कोशिश व्यर्थ हो जाती है|  

Eating more fat leads to impotence.- Experiments & Results.

अधिक वसा सेवन से हो जाती है नपुंसकता- एक शोध परिणाम
देखा जाता है की पुरुष सबसे अधिक सचेत अपने पुरुषत्व के प्रति होता है| वह जीवन भर केवल यही चाहता है की वह हमेशा “मर्द” बना रहे| पुरुषत्व या मर्दानगी का कारण शुक्राणु का शरीर में बनते रहना होता है| परतु आश्चर्य की बात है की स्वाद और आनंद के लिए वर्तमान में जो भी चिकनाई युक्त खाना खाता वे शुक्र उत्पादन को कितनी हानि पहुँचा सकते हें यह वह नहीं जानता|  
हमारे देश में प्रतिदिन हलवा, खीर, पूरी मिठाइयाँ और पकवान, और कई मांसाहारी पकवान बनाये और खाए जाते हें, इन पकवानों को पोष्टिक भी माना  जाता है| 

Be careful about the fun foods?

आज से ही सोंचे आपको कैसा भविष्य/बुडापा चाहिए?
हमारी जिव्हा (जीभ) या रसना -
अर्थात स्वाद की अनुभूति (पता) करने वाला मुहं का यंत्र प्रकृति ने ज्ञान के लिए हमें दिया है, यह हमारी बोलने या भाषा द्वारा भावों को आदान प्रदान में भी सहायक होती है|
पर अधिकतर हम इसका दुरूपयोग करते हें, बोलेने से होने वाले लाभ हानी स्वास्थ्य के विचार से छोड़ दें, तो हम पायेंगें वर्तमान में जितने भी कष्ट रोग ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, फिर हार्ट डिसीज, मोटापा या शरीर का प्रत्येक अंग किसी न किसी रोग से ग्रस्त होता है तो आदि होते हें उसके पीछे भी सिर्फ यही जिव्हा ही है|
हकीम लुक़मान का कहना है " आदमी अपनी जीभ से अपनी कब्र खोदता है"।

Food allergy or reaction of the food product.

 खाद्य एलर्जी या खाद्य उत्पाद की प्रतिक्रिया।
Food allergy or reaction of the food product.  
खाद्य पदार्थो की एलर्जी या रिएक्शन।  

मारा शरीर एक श्रेष्ठ कम्पुटर की तरह काम करता है। किसी भी वस्तु के मुख, नाक, कान, त्वचा आदि किसी भी अवयव शरीर में प्रवेश करते हीइम्यून सिस्टम उसकी जांच करता है, शरीर को हानी पहुचा सकने वाली किसी आगंतुक के बारे में तुरंत सूचित करता है, ओर शरीर को बचाने में जुट जाता है। कभी कभी प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर पर ददोरे/ चकत्ते/ खुजली आदि लक्षण उभर आते हें। कभी ये तीब्र भी हो जाते हें जिससे प्राण पर संकट खड़ा हो जाती है।
कभी कभी कतिपय व्यक्तियों को सामान्य तोर पर खाये जा सकने वाले पदार्थो  के प्रति भी एसा देखा जाता है। भोजन में पाए जाने वाले किसी विशेष तत्व द्वारा आमतौर पर प्रोटीन के प्रति शरीर के प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया ही फूड एलर्जी है।  शरीर

How to make Chyawanprash (घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका),


वर्तमान में च्यवनप्राश सबसे अधिक बिकने वाला आयुर्वेदिक उत्पादन  है, और सबसे अधिक गुणकारी भी,बाज़ार में मिलने वाला च्यवनप्राश स्वादिष्ट तो होता हे पर पूर्ण  लाभकारी नहीं होता क्योकि वास्तविक च्यवनप्राश अधिक स्वादिष्ट नहीं होताअधिक स्वादिष्ट करने के लिए इसमें अधिक शक्कर आदि पदार्थ मिला दिए जाते हें|  शास्त्रोक्त च्यवन प्राश की तुलना में हमने वर्तमान के मान से शक्कर तीन गुना अधिक कर दी है। साथ ही कुछ एसी ओषधियाँ जो आजकल मिलती ही नहीं के स्थान पर प्रतिनिधि ओषधि सम्मलित की है।  
असली च्यवन प्राश क्या है?  जानने के लिए लिंक 
 प्रस्तुत है घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका
 How  to  make  chyavanprash  
Chyawanprash Ingredients -आवश्यक सामग्री
च्यवनप्राश (Chawanprash) में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न  प्रकार की सामग्री प्रयोग की जाती है. ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के पास आराम से मिल जातीं है. च्यवनप्राश (Chywanprash) को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना सकते हैं|  इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है|
Chyawanprash Ingredients . सामग्री .

Drinking Water has the power to increase or decrease in weight. क्या पानी में है? वजन घटाने या बड़ाने की शक्ति!

Drinking Water has the power to increase or decrease in weight.
क्या पानी में है ? वजन घटाने या बड़ाने की शक्ति!
   सम्पूर्ण सृष्टि में वर्तमान जानकारी के अनुसार केवल हमारी पृथ्वी पर ही जल, पानी, या वाटर उपलब्ध है। इसके अनुसार पृथ्वी वासियों का जीवन का प्रमुख एक आधार पानी भी है। मनुष्य का शरीर भी पानी के अनुसार ही बन गया है। 35 से 40 लीटर पानी जो की किसी सामान्य मनुष्य के कुल भार का 52 (महिला) से 65 (पुरुष) प्रतिशत तक होता है। एक सामान्य मनुष्य के शरीर के सबसे ठोस भाग अस्थियों (हड्डी) में भी उनके कुल वज़न का 22% तक पानी ही होता है। इसी प्रकार दांत में कम से कम 10% त्वचा में 20%, मस्तिष्क और माँस भाग में 75%, रक्त या खून में 82% तक पानी रहता ही है।

Freedom from obesity? [मोटापे से मुक्ति?]

मोटापे से मुक्ति?
मोटापा एक प्रेत की तरह पिछले कई वर्षों से झकझोर रहा है| मोटापे से डाइवितिज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर, आदि- आदि भयावह रोग तो हो ही रहें हैं इससे नपुंसकता बढ़ने से देश की विशेषकर आर्थिक संपन्न वर्ग में, सन्तति या जन्म दर भी प्रभावित हो रही है| क्योंकि निर्धन वर्ग में मोटापा न के बराबर पाया जाता है|

Irregular Life- What is the point of crying when birds ate whole farm already? [असंयंमित जीवन -अर्थात फिर पछताए का होत हे, जब चिड़िया चुग गई खेत।

[असंयंमित  जीवन -अर्थात  फिर पछताए का होत  है,  जब चिड़िया चुग गई खेत।]    
मनुष्य के शरीर ओर मन में शक्तियों का अकूत भंडार भरा हुआ है। इसको बचाया जा सके, ओर उसका सदुपयोग किया जा सके तो अभीष्ट [इच्छित] दिशा में आशाजनक सफलता पाई जा सकतीं हें। इस जानकारी के अभाव में हम अपनी बहुमूल्य शक्तियों का निरंतर अपव्यय करते रहते हें। इन शक्तियों को खोकर खोखला, रुग्ण [बीमार], अशक्त ओर असफल जीवन जीते हुए मोत तक के दिन को पूरे करते हें।
  हमारा शरीर ओर मन प्रकर्ति जनित क्रियाओं के माध्यम से अपने-अपने आहार ओर शक्तियों का निरंतर उत्पादन कर सामर्थ भंडार को भी निरंतर बडाते रहते हें। 
शरीर ओर मन  शक्तियों का अकूत भंडार।
केसे प्राप्त हो? 
  यदि हम इस उत्पादन को अपव्यय [खर्च] से बचा सकें, ओर रचनात्मक दिशा में प्रयुक्त कर सकें तो वह सब कुछ इच्छित किया जा सकता है, जो हम चाहते ओर सोचते हें।

Why is it necessary?- A Friendly Lifestyle & Seasonal diet. क्यों आवश्यक है- मौसम (ऋतू) के अनुकूल आहार-विहार या खाना-रहना?

Why is it necessary?- A Friendly Lifestyle & Seasonal diet. क्यों आवश्यक है- मौसम (ऋतू) के अनुकूल आहार-विहार या खाना-रहना? 
    पृथ्वी की परिक्रमा से ऋतुओं में परिवर्तन होता रहता है| प्रत्येक मनुष्य सहित प्राणी, और वनस्पतियों में भी, परिवर्तन होता रहता है| इन सबके बदलते रहने का प्रभाव भी एक दुसरे पर पढता है, क्योंकि हम सब एक दूसरे पर निर्भर होते हें|

Benefits of Drinking Water.

मधुर जलपान ३०/०६/१६ 
शक्कर(चीनी) मिले मीठे जल को पीने से कफ बढता है, और वात घटती है| मिश्री युक्त जल दोष नाशक, और शुक्र वर्धक होता है| गुड युक्त जल मूत्र क्रच्छ दूर करने वाला, और पित्त्कारी होता है| परन्तु पुराने गुड से युक्त जल पित्तनाशक और पथ्य है| शहद युक्त जल त्रिदोष नाशक होता है|

विमर्श 
वात और पित्तज रोग अर्थात जिनमे वेदना, जलन जैसे लक्षण होते हें, में शकर मिला मीठा जल लाभदायक दर्द और जलन को शांत करता है| गुड वाले मीठे जल से मूत्र की कमी दूर हो जाती है, मूत्र खुल कर आता है| जहाँ नया गुड जलन दाह उत्पन्न कर सकता है पर पुराने गुड का पानी उसे शांत कर देता है। शहद युक्त पानी सभी दोषो को सम बना कर लाभ देती है।    
मीठे पानी से रक्त में ग्लूकोज जल्दी पहुँचता है इससे एनर्जी या शक्ति का संचार शीघ्र होने से उसकी कमी से होने वाले दर्द, जलन, में आराम मिलने लगता हे। पानी की कमी या निर्जलीकरन  से वात और पित्त की उत्पन्न समस्याएं तत्काल दूर होने से कष्ट मिट जाता है। 

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जल नेती (नाक से पानी पीना) 

How to keep yourself healthy in rainy season- What about this, says Acharya Charaka.{वर्षा ऋतू में कैसे रखें स्वयं को स्वस्थ्य – इस बारे में क्या कहते हें आचार्य चरक|}

वर्षा ऋतू में कैसे रखें स्वयं को स्वस्थ्य – इस बारे में क्या कहते हें आचार्य चरक|


        आचार्य चरक ने उत्तरायण और दक्षिणायन को दो नाम आदान काल और विसर्ग काल के नाम से वर्गीकृत किया है| आदान काल में शिशिर वसंत और ग्रीष्म ऋतू और विसर्ग काल में वर्षा, शरद, और हेमंत ऋतुएँ होती हें| आदान काल में क्रमश हिंदी माह के माघ-फाल्गुन, चेत्र- वैशाख, ज्येष्ट-आषाड़ (फरवरी अंत से जुलाई तक का भाग) और विसर्ग काल में क्रमश श्रावण-भादों,क्वार-कार्तिक, अगहन-पोष, मॉस(लगभग कुछ जुलाई, अगस्त,सितम्बर, अक्तूबर, नवम्बर,दिसंबर, और जनवरी का भाग) होते हें|

Elimination of harmful bacteria may be transmitted by Panchakarma.

पंचकर्म द्वरा हानिकारक बेक्टीरिया नष्ट किये जा सकते हें|
अमेरिका के होवार्ड विश्वविध्यालय में हुए एक अध्ययन में 73% व्यक्तियों के वजन न घटने का कारण एक हानिकारक बेक्टीरिया को माना गया है|
आज की बात (30) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (70) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "