मारा शरीर एक श्रेष्ठ कम्पुटर की तरह काम करता है। किसी भी वस्तु के मुख, नाक, कान, त्वचा आदि किसी भी
अवयव शरीर में प्रवेश करते ही, इम्यून सिस्टम उसकी जांच
करता है, शरीर को हानी पहुचा सकने वाली किसी आगंतुक के बारे
में तुरंत सूचित करता है, ओर शरीर को बचाने में जुट जाता है।
कभी कभी प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर पर ददोरे/ चकत्ते/ खुजली आदि लक्षण उभर आते हें।
कभी ये तीब्र भी हो जाते हें जिससे प्राण पर संकट खड़ा हो जाती है।
कभी कभी
कतिपय व्यक्तियों को सामान्य तोर पर खाये जा सकने वाले पदार्थो के प्रति भी
एसा देखा जाता है। भोजन में पाए जाने वाले किसी विशेष तत्व द्वारा
आमतौर पर प्रोटीन के प्रति शरीर के प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) द्वारा की
जाने वाली प्रतिक्रिया ही फूड एलर्जी है। शरीर
त्रुटिवश उसके प्रति ऐसा व्यवहार
करता है,
जैसे कि वह कीटाणु अथवा कोई अन्य घुसपैठिया
हो,
और वह उससे खुद को बचाने की भरपूर कोशिश करता है। इसी के
परिणाम स्वरूप एलर्जी या रिएक्शन हो जाता है।
देखा
गया है की किसी भी खाद्य पदार्थ से कुछ लोंगों को एलर्जी
हो सकती है फिर भी कुछ जेसे तिल, मूंगफली, अंडे, दूध, सोया, गेहूं, शेलफिश, ट्री
नट्स, आदि खाद्य पदार्थों से ऐसा
होने की सम्भावना अधिक रहती है। बच्चों में एलर्जी उत्पन्न करने वाले ये सबसे
सामान्य खाद्य पदार्थ हैं।
एलर्जी
या रिएक्शन को खाद्य के
उपभोग से 30 मिनट के अन्दर देखा जाता है। अक्सर प्रतिक्रिया 5
से 10 मिनट के अन्दर होती है। कभी कभी
इसका असर खाने के 4 से 6 घंटे की लम्बी
अवधि के बाद भी हो सकता है।
फूड एलर्जी होना फूड असहिष्णुता (इन्टालरेंस) दोनों अलग अलग बातें हें। फूड इन्टालरेंस भोजन के प्रति होने
वाली भौतिक प्रतिक्रिया है। आयुर्वेद में इसको सात्म न होना कहते हें। यह
प्रतिक्रिया एलर्जिक नहीं है। दुग्ध असात्मता [लैक्टोज़ इन्टालरेंस] इसका एक सामान्य उदाहरण है । इससे पीड़ित लोगों को चीनी युक्त दूध पचाने
में दिक्कत होती है, जब वे दूध पीते हैं या डेयरी
उत्पादों का सेवन करते हैं तो उन्हें पेटदर्द या दस्त (डायरिया) हो जाता है।
फूड इन्टालरेंस के लक्षण असुविधाजनक हो सकते हैं लेकिन यह स्थिति खतरनाक नहीं है।
एलर्जी
का एक दूसरा रूप ओरल एलर्जिक सिन्ड्रोम कहलाता है। इससे पीड़ित लोगों में कुछ विशेष फलों और सब्जियों को खाने से होंठ, मुंह और गले (और कभी– कभी होंठों में सूजन) में
खुजली होती है। यह भी कम खतरनाक है। आजकल फूड एलर्जी के काफी मामले सामने आ
रहै हैं, विशेष रूप से बच्चों में। विशेषज्ञों का आकलन है कि 8
प्रतिशत तक बच्चे फूड एलर्जी से पीड़ित होते हैं। वयस्कों में यह
संख्या 1 से 2 प्रतिशत है। हालांकि फूड
एलर्जी का सही कारण अज्ञात है, फिर भी फल ओर सब्जियों
पर कीटनाशक छिड़काव को इसका कारण माना जा सकता हें।
फूड
एलर्जी के लक्षण हल्के से लेकर जानलेवा तक हो सकते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों या भोजन के घटकों से बचना आसान होता
है इससे दैनिक जीवन को एलर्जी बहुत कम प्रभावित करती है। फिर भी भोजन के घटक काफी
व्यापक होते हैं, और उनसे बचाव के लिए अत्यंत सावधानी की
आवश्यकता होगी। बचपन मे कुछ फूड एलर्जी प्रकट नहीं होती हैं, पर आयु बड्ने के साथ होने लगती है।
इसका
पता केसे चले की यह एलर्जी या रिएक्शन किस
कारण से है ?
कई बार
हुई फूड एलर्जी का निदान इतिहास से तैयार किया जाता है। जेसे यदि बच्चे द्वारा
मूंगफली वाली कोई चीज खाने से उसके चेहरे पर पित्त (हीव्स ) या सूजन आ जाती है, ओर बार बार एसा होना पाया जाता है तो यह निर्णय किया जा सकता है की
वे संभवत: मूंगफली के प्रति एलर्जिक हैं। लेकिन क्योंकि लक्षण काफी भिन्न -भिन्न
हो सकते हैं अत: अक्सर निदान करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि लिए गए भोजन और
उसके लक्षण की विस्तृत डायरी बना कर रखने और परिवार में फूड एलर्जी के इतिहास के
बारे में जानकारी मददगार हो सकती है। फिर भी सुनिश्चय के लिए परीक्षण
(टेस्ट) कराना उचित रहता हें।
त्वचा परीक्षण (स्किन टेस्ट) सामान्य रूप से
इस्तेमाल किए जाने वाले दो परीक्षण (टेस्ट) हैं:-
एलर्जी
स्किन-प्रिटेस्ट जांच में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम परीक्षण (टेस्ट) है,
क्योंकि यह सस्ता है, इसे करना आसान है, आमतौर
पर यह विश्वसनीय भी है। इसमें त्वचा के अन्दर संदिग्ध खाद्य पदार्थयुक्त घोल को
सुई की मदद से पहुंचाया जाता है। सकारात्मक परीक्षण (टेस्ट) में संभावित
प्रतिक्रिया के फलस्वरूप एक छोटा सा पित्त (हीव्स) बन जायेगा।
इस
परीक्षण (टेस्ट) का नकारात्मक पक्ष यह है, कि यह असुविधाजनक है! एक्जिमा या अन्य
त्वचा सम्बन्धी दोष वाले बच्चों के लिए परिणामों की व्याख्या करना मुश्किल हो
सकता है और गम्भीर
एलर्जी वाले बच्चों में त्वचा के अन्दर सुई की मदद से पहुंचाई गयी खाद्य पदार्थ की
छोटी सी मात्रा भी काफी नुकसानदायक साबित हो सकती है। त्वचा परीक्षणों (स्किन टेस्ट्स) में एक परेशानी यह है कि उनके
पूरी तरह से विश्वसनीय होने के लिए रोगी परीक्षण (टेस्ट) से लगभग दो सप्ताह पहले
तक किसी भी प्रकार की एन्टीहिस्टामाइन्सन नहीं ले सकता। बुरी तरह सूखे बुखार या
अन्य एलर्जी से पीड़ित बच्चों के लिए दो सप्ताह तक बिना एन्टी-हिस्टामाइन्स के
रहना मुश्किल हो सकता है।
रेडियोएलर्जोसार्बेन्टो
[ रैस्ट] रक्त परीक्षण (रैस्ट ब्ल्ड टेस्ट) रैस्ट
प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान (लेबोरेटरी टेस्ट्स) रक्त में खाद्य पदार्थ की
मात्रा-विशेष आईजीई मापते हैं। (आईजीई) एलर्जेन्स से लड़ने के लिए शरीर द्वारा
बनाए गए एन्टीबॉडीज़ हैं। एक बार आपके शरीर में ये आई जी ई (IGE) एन्टीबॉडीज विकसित हो जाने के बाद ये लगातार आपके रक्त में बहते रहते हैं।
अत: यह रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) किसी भी समय किया जा सकता है। आईजीई की मात्रा
जितनी अधिक होती है उस विशेष खाद्य पदार्थ के प्रति उस व्यक्ति के एलर्जिक होने की
सम्भावना भी उतनी ही अधिक होती है। रैस्ट परीक्षण (टेस्ट्स) कम असुविधाजनक होने की वजह से लाभदायक होते हैं ।
त्वचा परीक्षण (स्किन टेस्ट) के लिए सुइयों के समूह चुभोने की बजाय रक्त परीक्षण (ब्लड
टेस्ट) के लिए एक ही सुई चुभोई जाती है) और एन्टीहिस्टामाइन्स को
रोके बिना इसका इस्ते माल किया जा सकता है। इन परीक्षणों का
नकारात्मक पक्ष (महंगा होने के साथ) यह है कि ये सकारात्मक और नकारात्मक
दोनों ही परिणाम गलत भी हो सकते हें।
उन्मूलन
और चुनौती (एलिमिनेशन एण्ड चैलेन्ज) फूड एलर्जी का निदान करने का एक और तरीका है
जिसे डबल-ब्लाइन्ड, प्लेजसिबो-कंट्रोल्ड (डीबीपीसी) फूड चैलेन्ज कहा
जाता है।
आचार्य सुश्रुत ने इस विधि का प्रयोग बताया हें। आजकल इस परीक्षण (टेस्ट) में
संदिग्ध खाद्य पदार्थ से भरा हुआ और अन्य चीनीयुक्त कैप्सूल व्यक्ति को दिया जाता
है,
और प्रतिक्रिया का अवलोकन किया जाता है। गम्भीर जोखिम और जानलेवा
प्रतिक्रियाओं के डर से यह परीक्षण (टेस्ट) आमतौर पर क्लीनिक या हाँस्पिटल में ही
किया जाता है। इस परीक्षण को करने का एक बेहद सामान्य तरीका है आप उस व्यक्ति के
लिए यह रिकार्ड करें कि वह क्या खाता या खाती है और फिर खिलाने के बाद दो घंटे तक
होने वाली प्रतिक्रियाओं पर निगरानी रखें। पहले एक या दो सप्ताह के लिए भोजन से
संदिग्ध खाद्य पदार्थों को हटा दिया जाता है।
हालांकि
ज़्यादातर बच्चों में भी फूड एलर्जी विकसित हो जाती है, कुछ में तो यह बड़े होने तक बनी रहती है। किशोंरों को ऐसी फूड एलर्जी के
प्रति सचेत रहने की ज़रूरत होती है जो उन्हें बचपन में थीं।
भारतीय
खाद्य पदार्थो में इस प्रकार से होने वाली एलर्जी को
सात्म करने हैतु हल्दी का प्रयोग किया जाता है। हल्दी शरीर में जाकर एलर्जी को दूर करने के साथ प्रतिरोधी तंत्र को भी सात्म बनती है, इससे
धीरे धीरे यह तकलीफ मिट जाती है। आयुर्वेदिक ओषधि हरिद्रा,Turmerik: Curcuma Longa: यही काम करता है
ओर रोगी खाद्य पदार्थों की एलर्जी या रिएक्शन से
मुक्त हो सकता है। आप स्वयं बनाकर हरिद्रा खंड: के सेवन
से शीतपित्त, खुजली, एलर्जी, और चर्म रोग दूर कर सकते हें। इसको बच्चे भी अच्छी तरह खा सकते हें।