How to prepare a Basti for Panchakarma (पंचकर्म के लिए बस्ती कैसे तैयार करें?)
बस्ती में घृत तेल के साथ क्वाथ, कल्क, आदि जलीयद्रव्य होते हें, ये आसानी से नहीं मिलते, यदि ठीक प्रकार से नहीं मिलाये जाते तो बस्ती देते समय अलग अलग हो जाते है, और लाभ नहीं दे पाते| इसी लिए इनको मिलाने (संयोजन विधि) की एक निश्चित विधि भी आचार्यों ने लिखी है|
निरुह, अस्थापन बस्ती को तैयार करने के लिए इसके अनुसार ही बस्ती बनाने से लाभदायक रहती है|
माक्षिकं लवणं स्नेहं कल्कं क्वाथमिति क्रमात्, आवपेत निरूहाणामेष संयोजने विधिः।।
देखें:- {अ.ह.सू. 19/45} -
प्रथम मधु (शहद) एवं सैंधव लवण मिलाकर एक रस करें, फिर इसमें स्नेह मिलाकर मथ लें, तत्पश्चात् कल्क एवं क्वाथ मिलाकर विलोडित (अच्छी तरह से मिश्रित) करें और अन्त में प्रक्षेप द्रव्य डालें|
वर्तमान में उपलब्ध हेंड मिक्स़र के प्रयोग से बस्ती द्रव इसी क्रम से अच्छी तरह से मिलाया जा सकता है, तेल और जलीय द्रव्य का एक इमल्शन बन जाता है, और बस्ती देते समय द्रव्य अलग नहीं होने पाते|
मात्रा - संयोजन हेतु तेल क्वाथ, और अन्य द्रव्यों की मात्रा, दोष एवं आयु अनुसार निर्धारित की जाती है। (इसके लिए अलग लेख दिया जा रहा है)|
अनुवासन हेतु ग्राह्य घृत / तेल - सामान्यत: प्रचलन में निम्न तेल बस्ती हेतु प्रयोग किये जाते हें|
वातज रोग - बला तैल, दशमूल तेल, मूच्र्छित तेल, महामाष तैल, महानारायण तैल आदि।
कफज रोग - त्रिकटु सिद्ध तैल, व्योषाधि, त्र्यूषणाघ घृत, मूच्र्छित तिल तेल, क्षार तेल, सेंधव मिश्रित तेल आदि।
पेत्तिक रोग - शतावरी तैल, अश्वगंधादि तैल, चन्दनादि तैल, चन्दनबला लाक्षादि तैल आदि।
आयुर्वेदिक ग्रन्थों में और भी कई घृत/ तैल उल्लेखित है, एक कुशल और वैद्य रोग, दोष, रोगी, परिस्थिति, और उपलब्धता अनुसार, विवेक से उनका प्रयोग कर सकता है|
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
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