दूध से दही Curd ओर फिर उसे मथने से बनने वाला ओर
हिन्दी भाषी क्षेत्र में मट्ठा छाछ के नाम से जाना जाने वाला यह अमृत समान इस द्रव
पदार्थ को, संस्कृत में तक्र, मराठी में ताक, गुजराती में छास ओर घोलुगु, तेलगु में चल्ला, अङ्ग्रेज़ी में Butter milk Whey , कहलाने वाला यह वास्तव में कलयुग का अमृत ही है।
इसके अमृत रूपी गुण को जानने से पूर्व
आयुर्वेदिक दृष्टि से इसके पाँच प्रकारों को समझना होगा।
- घोल- जो मट्ठा मलाई सहित पर पानी के
बिना मथ कर बनाया गया हो। [वात पित्त नाशक, कफ
वर्धक]
- मथित- जिस दही Curd से मलाई निकालकर बिना
पानी के बनाया गया हो। [कफ पित्त नाशक, वात वर्धक]
- उदश्वित- जिसमें दही ओर पानी बराबर
लिया गया हो। [कफ बढ़ाने वाला, बल वर्धक, ओर श्रम(थकावट) नाशक है।
- तक्र- जिसमें तीन भाग दही Curd ओर एक भाग
पानी डाल कर मथा गया हो। [मल रोधक, कसेला-खट्टा-मीठा स्वाद वाला, पचने में हल्का, पीटता नाशक अग्नि-दीपक (भूख बढ़ाने वाला),
वीर्य वर्धक, तृप्त करने वाला,
वात नाशक, पेट के लगभग सभी रोगों में पथ्य [खाया जा
सकने वाला], कफ नाशक, इस प्रकार
तीनों दोषो को ठीक करने वाला [त्रिदोष नाशक],
होने या सर्व गुण सम्पन्न होने से ही यह "अमृत" है।
- छच्छिका- थोड़ा सा दही Curd ओर अधिकांश पानी
डाल कर मथ कर बनाया हो। यह भी तक्र के समान पर कुछ कम असर वाली होती है।
इसमें एक बात सामान्य (कॉमन) है की दही को इतना
मथा जाना चाहिए जिससे सारा मक्खन अलग हो जाए। यह मक्खन रहित द्रव ही मट्ठा होता
है। आवश्यकता या वैद्ध्य परामर्श से मक्खन रहित या सहित पिया जा सकता है। हालांकि इनमें सभी के कुछ कुछ गुण ही अलग होते
हें। चिकित्सकीय व्यवहार के विचार से विशेष चिकित्सा या अन्य औषधि या खाध्य के
निर्माण के लिए ही इस बात को जानना आवश्यक होता है। अत: सामान्य: जन के लिए तक्र
(तीन भाग दही ओर एक भाग पानी-3, मक्खन रहित) का उपयोग समझना
पर्याप्त है।
इसी प्रकार से पशुओं के दूध भेद से कुछ गुण अलग
हो जाते हें।
गाय के दूध से बना तक्र- त्रिदोष नाशक, उत्तम अमृत के समान आयु बढाने वाला पेय होता है।
भेंस
के दूध से बना तक्र कफ बढ़ाने वाला, सूजन पेदा करने वाला, प्लीहा [स्प्लीन], ववासीर संग्रहणी ओर अतिसार में अधिक लाभकारी होता है।
मानव शरीर पर तक्र का प्रभाव !
हम जानते हें की जीवित
रहने के लिए हवा, पानी, भोजन, ओर प्रकाश की आवश्यकता होती है। हम प्रतिदिन जो भी खाते हें वह पेट में पहुँचकर
रसायनिक परिवर्तन या पाचन क्रिया से पच कर कई फिट लंबी आंतों द्वारा शोषण
[एब्जोर्ब] होकर रक्त नलिकाओं [वेसल्स] द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को पोषण के
लिए पहुंचा दिया जाता है। इस प्रक्रिया में इस पाचन संस्थान [एलीमेंट्री केनाल]
में कई बेक्टीरिया भी सक्रिय रहते हें। इनमें कुछ लाभकारी ओर कुछ हानि कारक ओर कुछ
इस भोजन पर केवल पलने वाले [पेरासाइट] भी होते हें जो हमारे लिए उपयोगी पदार्थ छीन
लेते हें। इससे हम उनकी कमी के शिकार होने लगते हें।
रसायनिक परिवर्तनों मेँ कुछ
क्षार आदि भी बन जाते हें। जो शरीर के विभिन्न भागों में जमने लग जाते हें। ये
पथरी, कोलेष्ट्रोल के थक्के, धमनियों की
कठोरता के कारण, हड्डियों की कमजोरी,
आदि आदि कई रूपों में ब्लड-प्रेशर, पथरियाँ, डाईविटीज ओर ह्रदय आदि रोगों
के कारण बन जाते हें। इनके प्रमुख कारणो में कुछ ऐसे लाभ दायक जीवाणु भी होते हें, जो जंक फूड ओर मिथ्याहार-विहार [असंयंमित जीवन] के कारण अधिक तेजी से बढ़ जाते हें, ओर शरीर को फायदेमंद समझ कर भोजन का स्टाक बढ़ाने लगते हें। यह अतिरिक्त
संग्रह हो जाने ओर उसके उपयोग नहीं हो पाने से ही मोटापा बढ्ने लगता हें। छाछ या
मट्ठा इनको भी नियंत्रित कर उनकी स्टोर प्रवृत्ति ठीक करता है।
अगर
कभी किसी का अधिक जी मिचलाता हो तथा अजीर्ण, ज्वर, दुर्बलता, बार-बार छींक, नजला-जुकाम, उल्टी, अरुचि व पेट में
मंद-मंद दर्द हो तो तुरंत सचेत हो जाएँ। समझ लीजिए कि आपके पेट में कीड़े सक्रिय हो
चुके हैं। छाछ, तक्र या मट्ठा
इन कीड़ों या बेक्टीरिया पर प्रभावी नियंत्रण करता है। छाछ से क्षारीय जमने वाले
तत्व उसमें घुलने लग जाते हें, ओर मूत्र पसीने, द्वारा बाहर फेंक दिये जाते हें। छाछ में मोजूद बेक्टीरिया [यीस्ट-किन्ठ्व] पेट के हमको हानी पहुंचाने वाले किटाणुओं ओर अमीबा चुनमूने, गोल क़ृमी, जेसे परजीवियों ओर उनके अंडों को खा जाते
हें। इस तरह से सारे शरीर को साफ रखने का काम छाछ के द्वरा होता है। छाछ बनाने के
समय उसका सारा फेट कंटेन्ट [माखन] निकल जाता है, इस कारण शरीर में जमा फेट या चर्बी का शरीर
द्वारा उपयोग होने लगता है। छाछ में मौजूद प्रोटीन, और
कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं साथ ही लैक्टोस जो शरीर
में रोग प्रतिरोधक क्षमता को
भी बढाता है, जिससे आप तुरंत ऊर्जावान महसूस
होता है। बटर मिल्क में मोजूद विटामिन
सी, ए, ई, के और बी छाछ
में भी रहते हैं,
छाछ पोषक तत्वों जैसे केल्सियम, लोहा, जस्ता, फास्फोरस और पोटेशियम, मिनरल्स से भरा
होता है, जो
कि शरीर के लिये बहुत ही जरुरी है।
यह लो
कैलोरी वाला आहार भी है। यदि
आप डाइटिंग पर हैं अच्छे
पोषण के लिए तो रोज़ एक गिलास मट्ठा पीना ना भूलें। क्योंकि
इसके सेवन से ओर अधिक खाने की इच्छा समाप्त हो जाती है, या भोजन से "तृप्ति" मिल जाती है, साथ ही
पोषक तत्वों के मिल जाने से कमजोरी नहीं आती।
आयुर्वेद में छाछ पीने
के नियम पर भी विचार किया गया हे। समान्यत: दिन के समय कभी भी छाछ पीना हानिकारक
नहीं होता, किसी रोग विशेष की चिकित्सा में इसका प्रयोग चिकित्सक के
निर्देशानुसार करना चाहिए।
आयुर्वेद मनीषियों के अनुसार -
भोजनान्ते
पिबेत् तक्रं, दिनांते
च पिबेत् पय:। निशांते पिबेत् वारि: दोषो जायते कदाचन:।
अर्थात भोजन के बाद
छाछ, दिनांत
यानी शाम को दूध, निशांत यानी प्रात:
पानी पीने
वाले के शरीर में कभी भी किसी तरह का दोष या रोग नहीं होता। इसलिए भोजन
के बाद मट्ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है।
हेमंत, शिशिर, ओर वर्षा ऋतु में छाछ लाभद्यक होती हे। शरद,
वसंत, में सभी को ओर ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल शरीर वालों छाछ
नहीं पीना चाहिए, इससे कमजोरी ओर दुर्बलता बढ़ जाती हें।
अधिक स्थूल[मोटे] व्यक्ति जो कर्षण[दुर्बलता] चाहते हें वे इसका हमेशा सेवन कर
सकते हें। हमेशा छाछ पीने वाला इकहरे शरीर वाला पर मजबूत होता है।
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छाछ के स्वास्थ्य लाभ-
- कैल्शियम: इसमें कैल्शियम खूब भारी मात्रा में पाया
जाता है। हड्डी की मजबूती के लिये और शरीर की बढत के लिये छाछ जरुर पिये।
- एसिडिटी मिटाए: यदि आपको एसिडिटी, सीना जलना या
पेट से जुडी़ कोई भी समस्या हो तो जीरे का तड़का लगा
कर नमक मिलकर छाछ पीजिये क्योंकि यह आसानी
से हजम भी हो जाता है।
- पाचन में मदद: खाने के बाद
इसे लेने से पाचन अच्छा बना रहता
है। साथ में यह आसानी से पच भी जाती है। इसमें यदि काली मिर्च या सेंधा नमक
मिला दिया जाए तो बहुत अच्छा है।
- . डीहाइड्रेशन का
इलाज: भारी गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिये ऐसे में
आपको छाछ का सेवन करना चाहिये। इससे कब्ज की समस्या भी दूर होती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: इसमें हेल्दी बैक्टीरिया और कार्बोहाइड्रेट्स होते
हैं साथ ही लैक्टोस शरीर में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता
को बढाता है,
- विटामिन: बटर मिल्क में विटामिन सी, ए, ई, के और बी पाये
जाते हैं जो कि शरीर के पोषण की जरुरत को पूरा करता है।
- मिनरल्स: यह स्वस्थ पोषक तत्वों जैसे लोहा, जस्ता, फास्फोरस और
पोटेशियम से भरा होता है, जो कि शरीर के लिये बहुत ही जरुरी मिनरल होते है।
- लो कैलोरी: यदि आप डाइट पर हैं तो रोज़ एक गिलास मट्ठा
पीना ना भूलें। यह लो कैलोरी और फैट में कम होता है।
- मट्ठा (छाछ) धरती का अमृत है। यह शरीर की बीमारियों को
दूर भगाता है। बाजार में बिकने वाले महँगे शीतल पेयों से छाछ लाख गुना अच्छी
है।
- ऋषि चरक के अनुसार तक्र-कल्प करने
से वबासीर ओर संग्रहणी ठीक हो जाती है। इसके लिए कुशल वैध्य से परामर्श लेना
चाहिए।
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत
चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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