निरुह बस्ती से उदर के गुल्म (cluster),आनाह, पक्वातिसार (Diarrhoea), शूल (Colic), जीर्ण ज्वर (Chronic fever), प्रतिश्याय (cough & Colds), मल गृह विवंध(Feces in the intestine get lumpy) , प्रोस्टेट वृद्धि (Prostate enlargement, BPH), अश्मरी (Calculus), राजोरोध (Amenorrhoea), शीघ्र ठीक होते हें|
- निरुह के पूर्व अनुवासन जरुरी:- जिनको भी शोधन हेतु निरुह देना हो, उन्हें पाहिले अनुवासन देना चाहिए, अन्यथा रुक्षता उत्पन्न होकर वात बढती है और वातज रोग उत्पन्न होते हैं| केवल स्नेह बस्ती या केवल निरुह बस्ती से उक्लेश (कफ पित्त की वृद्धि,) और मन्दाग्नि हो जाती है|
- रात्रि में निरुह न दें:- विशेष परिस्थिति छोड़कर सामान्यत: निरुह बस्ती रात्रि को नहीं देते |
- अति स्नेह हो तो:- यदि अधिक स्नेह पान हो गया हो तो निरुह बस्ती नहीं दें|
- पंचकर्म वमनादी के बाद क्या निरुह दे सकते हें:- वमन, विरेचन नस्य के बाद कभी भी निरुह बस्ती नहीं दी जाती, इससे वात बडती है|
- निरुह का सही समय:- बस्ती निरुह बस्ती मध्यान काल में (जब दिन कुछ ढल जाये) अभ्यंग स्वेदन के बाद मल मूत्र विसर्जन कराकर, देना चाहिए| निरुह भोजन के बाद नहीं दें|
- कितने दिन दे सकते हें:- निरूह बस्ती प्रतिदिन क्रम तब तक जारी रखा जा सकता है, जब तक की सम्यक निरुहण लक्षण न मिल जाएँ|
- पश्चात् कर्म:- निरुह बस्ती के बाद कम से कम 2 से 3 घंटे विश्राम कराएँ, तब तक मल प्रवृत्ति रोकने का निर्देश दें|
- पश्चात् कर्म:- बस्ती के बाद, सीधे , दूसरी करवट, फिर सीधा पीठ के बल लिटा कर पूर्ण विश्राम करायें| लगभग 2 से 3 घंटे बाद यदि मल मूत्र की स्तिथि हो तो विसर्जन के बाद, सायं भूख लगने पर लघु आहार दें|
- अन्य विचार सामान्य बातें के अनुसार |{देखें A;- General thoughts regarding Basti. बस्ती (गुद) विषयक कुछ सामान्य बातें }
- How to prepare a Basti forPanchakarma (पंचकर्म के लिए बस्ती कैसे तैयार करें?)
- Niruha Basti concept, निरुह बस्ती विषयक विचार
समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।
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