कुछ लक्षण जो बता सकते है की, अब आप मोटे होते जा रहे हैं।
वजन बड रहा
है केसे जाने?
अक्सर हम
शरीर कि छोटी मोटी समस्याओं को को नजर अंदाज करते रहते हैं। थोडे से श्रम या पैदल चलने से सांस फूलती हो या कमजोरी
मह्सूस हो, थकान, अचानक पसीना, सोते
समय खरांटे, पीठ ओर
जोडों में दर्द, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में कमी का अनुभव, अकेलापन लगने लगा हो तो समझा जा सकता है की आप मोटापे की ओर बड रहे हैं।
कैसे बचेंं इस मोटापे से?
हालांकि
इनमें से कुछ लक्षण किसी रोग की आहट भी हो सकते हैं, पर यदि सब
एक साथ हो रहे हों तो निश्चित ही आपका वजन बड रहा
है, यदि आपने अब
भी नजर अंदाज किया तो आप “मोटापे” का शिकार होकर,
अन्य इससे जुडे रोग-जैसे मधुमेह, ह्रदयरोग, रक्तचाप, जोडों के रोग, आदि
आदि से जल्दी नाता जोड्ने वाले हैं।
वजन बड्ने
से चिंतित कई रोगी निरंतर हमसे मिलकर एक बात ही कहते है कि हमको वजन कम करने कि
दवा चाहिये, ओर में या मेरे जैसे चिकित्सक जो चिकित्सा को अपना व्यवसाय या धन कमाने
का जरिया नहीं मानते, वे एक ही बात कहते हैं- ‘ वजन कम करने के लिये कोई दवा नहीं होती’ ।
यह बात सुन
कर उनकी प्रश्न भारी आंखे हमारी ओर देखती है. फिर जो कारण हम उन्हे बताते हैं, सुनकर अधिकांश एसे चिकित्सको के पास जाते है, जो
गारंटी से वजन कम करने का दावा कर दवा देकर उन्हे तत्काल संतुष्ट करने में सफल हो जाते हैं।
उनका तरीका
भी हमारे बताये मार्ग से अधिक अलग नहीं होता,फर्क सिर्फ इतना
होता है की उसमें, कुछ दवाओं या अन्य विशेष डाइट जो वे देते
रहते है, उससे उनका बेंक बेलेंस बड्ता रहता है, ओर अधिकतर मामलों में आप भी कुछ कुछ संतुष्ट रह्ते हैं, पर यह खुशफहमी कि वजन उनकी चिकित्सा से कम हुआ है,
अधिक समय तक टिकती नहीं, क्योंकि जल्दी ही वजन अपनी पुर्व
स्थिति पर पहुंच जाता है।
क्यों होता
है एसा?
वजन दोबारा
क्यों बड्ता है?
इस
बात को
समझने के लिये वजन बड्ने के कारणों को समझना होगा।
मोटापे के
कई कारण हो सकते है, जिनमें प्रमुख है:-
ऊर्जा
के सेवन (खाने) और उससे बनी ऊर्जा के उपयोग के बीच असंतुलन।
जैसे किसी
वाहन कार बाइक आदि में पेट्रोल अधिक डलवायें, ओर चलायें कम तो वह
जमा रहेगा।
पर शरीर
कोई मशीन तो है नहीं, इसमें कोई टेंक भी नहीं है, सारा शरीर ही स्टोर है, इसलिये उसकी स्टोर की कोई निश्चित क्षमता भी नहीं। शरीर का स्टोर जमा
होने वाले माल की मात्रा के अनुसार बड्ता जाता है। इसलिये शरीर में जितना अधिक ओर
जितना उच्च स्तर (अधिक पोष्टिक) का पेट्रोल (खाना) डाला तो जायेगा पर कम उपयोग होगा, या शरीर से कम काम करवाते रहेंगे, या कहें आराम में
रखेंगे तो वह इंधन चर्बी के रूप में जमा ही तो होगा।
कोई भी
चिकित्सक या वजन कम कराने वाला इस उर्जा ओर उसके उपयोग के बीच संतुलन बनाने के
लिये ही विशेष दवा, या डाइट देता है, जब तक आप यह संतुलन बना कर रखते
है, सब ठीक रहता है, फिर जैसे ही बताई
दवा या डाईट आदि बंद होती है ओर आप अपनी खान-पान की पुरानी व्यवस्था पर आते है, बडा स्टोर फिर से अपने अंदर चर्बी जमा कर मोटापे को वापिस ले आता है।
फिर हम
क्या करें?
अब इसमें
सोचना क्या है, यदि हम वजन कम करने के लिये मन से तैयार हैं, तो
जितना इंधन (खाना) ले रहे हैं उससे अधिक खर्च करेगें तभी तो वजन कम हो पायेगा।
इस बात को
समझने के लिये यह जान लें, कि शरीर के इंधन का माप केलोरी में होता है। यह केलोरी हमको खाने के कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन, ओर फेट से मिलती है।1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट में 4 कैलोरी, 1 ग्राम प्रोटीन
में 4 कैलोरी , ओर 1 ग्राम वसा (Fat) में 9 कैलोरी होता है|
अब
खर्च की बात करते हैं।
लगभग
1.5 किमी तेज चलने के गतिविधि में लगभग 100 कैलोरी खर्च होती है, तो हम कहते हें की हमको इस 1-1/2
किलोमीटर दूरी तय करने में 100 केलोरी उर्जा
चाहिए|
ओर
अब शरीर की जरुरत की बात!
शरीर
को कितनी उर्जा की जरुरत है, यह इस बात पर
निर्भर है कि आप काम क्या करते है?
मसलन
आप किसी मजदूर या क्रषक कि तरह का शारिरिक परिश्रम करते हैं तो अधिक केलोरी उर्जा
चाहिये, जबकि कुर्सी पर एक स्थान पर बेठ्कर काम करने पर कम
उर्जा की जरुरत होगी। खूब दोड्ने भागने वाले बच्चे या बडों कि लिये अधिक सुस्त, एक जगह बेठे रह्ने बालोन के लिये कम उर्जा चाहिये।
अब
आपको कितनी उर्जा चाहिये इसकी गणना आप अपने तत्कालीन वजन के अधार पर लगा सकते है।
यदि आपका वजन कद के अनूसार अधिक है, तो अब
आपको कम केलोरी का खाना लेना होगा, ओर खर्च अधिक करना होगा,जिससे शरीर में जमा चर्बी उर्जा में बदल कर शरीर को दुबला बनाये, ओर यही प्रक्रिया सतत चालु रखना होगी, जिससे दोबारा
चर्बी एकत्र न हो।
शोच
मल मूत्र आदि क्रियायें ठीक से होतीं रहें
इसके लिये चिकित्सक की सलाह से ओषधी, गर्म
पानी का एनिमा, ओर अधिक रेशे वाला खाना, सब्जी, सलाद, गाजर मूली, आदि भी लगातार खाने की आदत जीवन भर के लिये बनाना होगी।
यदि
कभी आप कोई अधिक उर्जा खर्च करने वाला काम करते है,
या अधिक पोष्टिक खाना खाने के बाद अधिक श्रम, व्यायाम, तेराकी, डांस, आदि करके उस केलोरी
को उर्जा में बदलते रहते हैं तो भी वजन संतुलित रहेगा।
याद
रखें कि दुनिया में एसी कोई दवा आदि नहीं है, जिसे खाते
रहने से आप वजन नियंत्रित रख सकते हैं, ओर न कोई एसा वैद्य, डाक्टर, हकीम, आदि है, जो बिना उपरोक्त विधी को छोड्कर वजन नियंत्रण में सहायक हो सकता है, ओर जब इस रास्ते से वजन नियंत्रित
हो सकता है, तो इनके चक्कर में व्यर्थ धन की बर्बादी क्यों करतेहैं?
वजन बडने का कारण कोई अन्य जैसे रोग आदि हो तो जांच करवा कर सही चिकित्सा अवश्य लेना चाहिये।
अगला लेख:- वजन बड्ने के ओर भी हो सकते है कई कारण?
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