Weight
control a problem - So what to do?
वजन पर
नियन्त्रण एक समस्या- तो फिर क्या करें?
एक रोगी ने लिखा - वजन कम करने के लिए विज्ञापन बाली सब कहानियां समय और धन की बर्बादी ही सिद्ध हुई|
मेरा वजन
बहुत अधिक था, में अपना शरीर छरहरा चाहती थी या चाहता था, मेने सोच में वजन कम करने सब कुछ
करुँगी/ करूंगा, मेने सोशल मिडिया पर बहुत सारी सलाह देखीं, मेने तले हुए खाद्य
खाना बंद कर दिए, में घुमना शुरू किया, दोड़ भी लगाईं, जिम भी ज्वाइन कर लिया, डाइटिंग
भी की, पर वजन आश्चर्य जनक रूप से बढ़ता ही गया और जो कुछ वजन भी कम हुआ परन्तु कुछ
दिनों बाद फिर बड गया, मेने और अधिक भोजन कम किया मांस, रोटी, आलू और मिठाई, चीनी से बने खाने भी खाना बंद कर
दिया, और मैं केवल फल और सब्जियों और पानी पर निर्भर हो गई| मेंने कुछ वजन कम करने
वाली गोलियां, आदि भी लीं! पर कुछ काम न आया, पहिले वजन कम जरुर हुआ पर कुछ दिनों
में खोया वजन वापिस आ गया| गोलियां, डाइटिंग, और विज्ञापन बाली कहानियां सब समय की
बर्बादी सिद्ध हुई|
आयुर्वेदिक
चिकित्सा पंचकर्म से तेजी से वजन कम हुआ कमजोरी भी नहीं आई फिर भी कुछ माह बाद फिर
वही हाल- बड़ गया वजन|
मुझे अनुभव
हुआ की घंटे दो घंटे रोज योगा, व्यायाम, दोड़ना, घूमना, बार बार चिकित्सा लेना बड़ा
ही मुश्किल है, और इससे भी परिणाम लम्बे समय तक जारी रखने से ही मिलता है, मुझे
परिणाम जल्दी चाहिए! में क्या करूँ?
यह कहानी
या इस जैसी कई कहानियां कई स्त्री-पुरुषों की मिलती रहतीं है|
आखिर
वजन पर नियंत्रित क्यों नहीं होता?
कम
हुआ वजन जल्दी ही दोबारा क्यों बढ़ जाता है?
और भी ऐसे
कई प्रश्न हें जिनका समाधान क्या है?
इन
प्रश्नों या इन जैसी कई प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए हमको कई बातों पर विचार
करना होगा और उन्हें जानना होगा|
शरीर
के वजन का कारण|
शरीर का वजन,
अनुवांशिक प्रभाव, हारमोन, के साथ साथ पोषण हेतु खाने में ली जा रही केलोरी, और
उसे जला कर उर्जा पाने का प्रयत्न करने वाली शारीरिक गतिविधियों, व्यायाम आदि पर भी
निर्भर होता है|
अनुवांशिक
प्रभाव:-
इसके विषय
में अधिक कुछ किया जाना संभव नहीं, क्योंकि इसका सम्बन्ध माता-पिता और और उनकी
पूर्व पीढ़ी से होता है| माता पिता या पूर्व पीढ़ी के कोई अधिक वजन वाले होंगे तो
सन्तान भी अधिक वजन वाली हो सकती है| माता-पिता और परिवार के देनिक भोजन, और
गतिविधियों का सीधा असर बच्चो पर होता है, देखा देखी वे भी उसी स्थिति का अनुकरण
करते हें, और वैसे ही बनने भी लगते हें|
हार्मोनल
संतुलन में बदलाव:-
जन्मजात हारमोंस
की विकृति भी कभी कभी किसी में होने से अथवा चिकित्सा आदि में हारमोंस का प्रयोग
होने पर हार्मोनल संतुलन ख़राब होने से भी वजन अधिक (कभी कभी कम) भी हो जाता है, इसके लिए मेटाबोलोज्म
सुधार कर हारमोंस का संतुलन बनाया जा सके तो वजन नियंत्रण हो जाता है| इसके लिए आयुर्वेदिक
पंचकर्म चिकित्सा परीक्षित और सफल उपाय है|
तनाव,
दवाओं का असर या विलासी जीवन चर्या:-
हालंकि
मानसिक तनाव, आयु, कुछ दवाओं का असर, जीवन चर्या, आदि से भी मोटापा बढता दिखता है,
परन्तु लगभग सभी इन का एक कारण “केलोरी अधिक लेना” ही होता है, चाहे वह तनाव में
ले, या आयु या किसी दवा के दुष्प्रभाव,
ख़राब जीवन चर्या आदि के कारण हो सभी में सबसे बड़ी समस्या है, अधिक केलोरी का सेवन?
यह
केलोरी क्या है?
हम जो कुछ
भी खाते हें वह पोषक आहार शरीर को इंधन के रूप में आवश्यक उर्जा देता है| इस उर्जा
की गणना केलोरी के रूप में मापी जाती है| जितनी अधिक केलोरी वाला अर्थात ऊर्जा
देने वाला खाना खाया जायेगा उतनी ही अधिक उर्जा मिलेगी|
इसी उर्जा
या एनर्जी (Energy), के बल पर हम रोज भाग-दोड करते हें, जब कर नहीं पाते अर्थात थक जाते
हें, तो उस समय हमारे पास इस ऊर्जा का अभाव हो जाता है| हम तुरंत कोई ड्रिंक, रस,
चाकलेट, ग्ल्युकोज, या विज्ञापन वाली कोई चीज खाते या पीते हें, थोड़ी देर में ही
जैसे प्राण वापिस लोट आते हें| यह सब इसी उर्जा के मिलने से ही होता है|
वर्तमान
में भोजन की इस ऊर्जा को केलोरी के नाम से जाना जाता है, आयुर्वेद में “रस” (भोजन आदि)
इस उर्जा रूपी इस “गुण” (केलोरी) को “वीर्य” (शक्ति),
के नाम से जानते हें, का “विपाक” (उर्जा निर्माण) होकर शरीर पर “प्रभाव” (असर) होता है|
किसी
व्यक्ति को किसी काम करने में कितनी ऊर्जा चाहिए और वह कितने भोजन से मिलेगी, इसकी
जानकारी केलोरी के रूप में जानी जाती है|
केसे
मापेंगे केलोरी:-
जैसे एक सेब (Apple) में उसकी
गुणवत्ता (Quality) के अनुसार लगभग 80
कैलोरी होती हें, और लगभग 1.5 किमी तेज चलने के गतिविधि में लगभग 100 कैलोरी खर्च
होती है, तो हम कहते हें की हमको इस 1-1/2 किलोमीटर दूरी तय करने में 100 केलोरी उर्जा
चाहिए|
आहार को
ऊर्जा में बदलने के लिए प्राप्त इंधन (भोजन) को जलाना (पचाना) होता है, शारीरिक
गतिविधियां यह काम करतीं हैं|
मोटापा
कैसे बढ़ता है?
जितनी अधिक
उर्जा चाहिए, उतना ही अधिक इंधन भी लेना होगा|
और जितनी
अधिक गतिविधि होगी उतनी अधिक उर्जा उत्पन्न होगी,
गतिविधि
नहीं होगी तो इंधन शरीर के स्टोर रूम में जमा होगा|
समझने वाली
बात है की यह यदि खाई जाने वाली केलोरी मात्रा, गतिविधि से अधिक है, तो इंधन उर्जा
में न बदल कर शेष अतिरिक्त इंधन (पोषक पदार्थ) भविष्य के लिए शरीर में जमा होता जाता
है, और लगातार खाई जाने वाली यह अतिरिक्त केलोरी लगातार मिलती रहे, तो पोषक आहार शरीर
में चर्बी के रूप में भी लगातार जमा होकर शरीर की मांसपेशी अदि को स्टोर रूम बना
देता है और इस तरह वजन बढता ही जाता है|
वर्तमान
आराम दायक विलासी जीवन में शारीरिक गतिविधियों की तुलना में खाते अधिक है, इससे
जमाव बढकर मोटापे के रोग को जन्म देता है|
इस
बात का एक सीधा-साधा अर्थ यह भी है की-
वजन बढाने अधिक
केलोरी लें, पर जलाये कम|
वजन स्थिर
रखने को उतनी ही केलोरी लें जितनी जला सकते हें|
वजन कम
करना हो तो केलोरी कम लें, पर जलाएं अधिक|
जब हम कम
केलोरी लेकर अधिक गतिविधि करते हें तब शरीर की जमा चर्बी उर्जा में बदलती है, और आप शरीर का वजन आसानी से नियंत्रित कर सकते हें|
शरीर में जमा
चर्बी से मिली केलोरी जलकर उर्जा देती रहे, इसमें जितना अधिक अनुपात होगा वजन भी
उतना ही कम या अधिक घटेगा|
इसमें एक
बात और जानने की है, कि अति उत्साही बन कर यदि हम डाइटिंग करते हें या भूखे रहते
तो शरीर अचानक इस कमी या बदलाब को स्वीकार नहीं कर पाता और कमजोरी चक्कर आदि समस्या
भी उत्पन्न होने लगती है|
एसा इसलिए
होता है की पहिले अधिक केलोरी खाना खाकर शरीर का खूब पोषण तो करते हें, पर उसे
बिलकुल भी जलाकर व्यय (खर्च) न करने से मोटापा बड़ने लगता है| धीरे धीरे अधिक वजन, शरीर
की आदत बनाने लगती है, और शारीरिक कंप्यूटर इस बड़े वजन को ही अपने लिए अच्छा सुखकारी
मान कर इसी वजन को स्थिर बनाये रखने का प्रयत्न करता रहता है, इससे जब भी किसी ने डाइटिंग,
अति व्यायाम आदि से वजन कम करने की कोशिश की, तो इस कमी की पूर्ति के लिए मस्तिष्क
चक्कर भूख आदि प्रतिक्रिया दिखाने लगता है, आदत न होने से स्टोर सप्लाई नहीं करता और
थकान, कमजोरी दिखाने लगती है|
यह कमजोरी
थकन आदि से मष्तिष्क खाने को मांगता और, शारीरिक
व्यायाम, गतिविधिया कम कर आराम करने का निर्देश देता है| इस बार बार खाने (Craving) से वजन फिर से पूर्व का हो जाता है या रिक्त हुआ स्टोर रूम फिर भर जाता
है याने वजन उतना का उतना!
फिर कैसे
होगी समस्या हल:-
इस अवस्था
में हमको अपने मस्तिष्क के भ्रम को दूर करना होगा, जिससे वह स्टोर रूम को पूर्ववत
करने या वजन न बड़ने दे|
इसके लिए
एकदम से खाना बंद करना या अधिक व्यायाम आदि न कर धीरे धीरे मष्तिष्क को नियंत्रित
करना होगा और इसके लिए खाने के पोषक तत्व धीरे धीरे कम करना होगा, परन्तु जरुरी है
की पेट अपनी पूर्व आदत के मुताबिक भर भी जाये|
अत एसा
खाएं जो कम पोषक (केलोरी) वाला हो पर मात्रा पूर्व से कम न हो, इससे मस्तिष्क पेट
भरा हुआ समझता रहेगा, और आवश्यक पोषक तत्व शरीर के स्टोर में जमा चर्बी आदि से मिलना
प्रारम्भ हो जायेगा, वजन कम होने लगेगा|
यदि खाना
मात्रा में कम खाया जाता है तो मल (Stool) कम आता है और
वह गुदा से निकल न पाने से वहीँ सूख कर रूकावट पैदा करके मन को परेशान कर देता है|
इस कारण यह भी जरुरी होता है की शोच भी नियमित हो, और मोटापा बढाने वाला पोषण भी
कम मिले|
कम केलोरी
खाना जो अधिक मात्रा में खा सकें वह कैसा होता है|
खाने में रेशेदार
खाना (Fiber) अधिक लिया जाये,और उसमें पोषण याने केलोरी कम हो, तो गतिविधियों के चलते
जमा चर्बी उर्जा में बदलेगी और वजन कम होने लगेगा|
खाद्य
पदार्थों की केलोरी मात्रा के बारे में हमको वजन नियंत्रण के लिए समझना होगा|
संतुलित
आहार के तीन प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और फेट या वसा होते हें, इनका प्रयोग
शालाओं में शोध से सिद्ध कैलोरिफिक मान निम्न अनुसार जांचा गया है|
1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट में 4 कैलोरी होता है|
1 ग्राम प्रोटीन में 4
कैलोरी होता है|
1 ग्राम वसा (Fat) में 9 कैलोरी होता है|
इस प्रकार
की गणना करने से हम प्रत्येक खाद्य का केलोरी मान प्राप्त कर सकते हें|
उदाहरण के
लिए एक सौ ग्राम सेव फल में कार्बोहाइड्रेट -13.81g , प्रोटीन- 0.26 gm, वसा-0.17 gm
होती है
कार्बो = 13.81 x
4 = 55.24
प्रोटीन = 0.26 x 4 = 1.04
फेट = 0. 17 x 9 = 1.53
अर्थात 100
gm सेव फल में - 57.81 केलोरी होगी|
(सेव
में उपलब्ध विटामिन मिनरल आदि से केलोरी का विशेष सम्बन्ध नहीं होता|)
एक शाकाहारी व्यक्ति के खाने में केलोरी मात्रा:-
सामान्यत:
उत्तर भारतीय क्षेत्र में एक शाकाहारी यदि व्यक्ति एक बार में लगभग
4 चपाती x 60 केलोरी = 240 केलोरी
+ दाल फ्राई एक प्लेट =
200 केलोरी
+ चावल सादा 100 gm =120 केलो
+ मिक्स सब्जीसादा 1 प्लेट = 200 केलोरी
+
आचार 1 पीस = 30 के
+ 1 पापड़ = 30 केलोरी खाता है,तो
कुल = 820 केलोरी मिलतीं हैं|
{यह
केलोरी मात्रा घी, चीनी, फेट या अन्य खाध्य के अनुसार घट बड सकती है}
एसा खाना
वह दिन में दो बार खाता है तो कुल 1640 केलोरी.
इसके अतिरिक्त वह चाय/ दूध/ फल/
नाश्ता फ़ास्ट फ़ूड बिस्किट आदि आदि खाता है तो वह भी और जुड़ेगी|
किसी ओसत व्यक्ति
को कितनी केलोरी चाहिए?
किसी सामान्य
शारीरिक गतिविधि वाले व्यक्ति के लिए
योग्य प्रतिदिन केलोरी मात्रा = उसका वजन x
24 = आवश्यक केलोरी होती है|
अब महत्व पूर्ण बात यह है की -
यदि उसका
वजन 60 kg है, तो वजन इतना ही बनाये रखने 60 x 24 = 1440 केलोरी रोज लेना चाहिए| यदि
वह अधिक लेता है, तो उसे उतनी शारीरिक गतिविधि व्यायाम आदि बढाना चाहिए अन्यथा वह शरीर में जमा (स्टोर) होने लगेगी| यदि वह वजन कम करना चाहता है, तो वह कुछ केलोरी मात्रा कम ले और गतिविधि
बड़ा दे|
याद रखें-
की आपको आयु के अनुसार सामान्य बने रहने के लिए भी सामान्य केलोरी के साथ सामान्य
शारीरिक गतिविधि जिसमें टहलना, घूमना, सामान्य व्यायाम, नियमित जीवन सामान्य नींद,
भी रखना जरुरी होगा|
आपको कैसा शरीर चाहिए-
इसमें एक
बात और जानने की है की आप शरीर केसा चाहते हें कसा हुआ पहलवान की तरह या सामान्य
प्रचलित छरहरा |
यदि गठीला
शक्ति शाली शरीर चाहिए तो अधिक केलोरी लें, और उसे अधिक से अधिक समय तक व्यायाम,
जिम, योग आदि से उर्जा में बदलते रहें|
यदि छरहरा चाहते है तो केलोरी कम लें और सामान्य
शारीरिक गतिविधि योग व्यायाम आदि करते रहें|
आपने देखा होगा की खिलाड़ी पहलवान आदि बहुत अधिक
केलोरी वाला खान खाते हें और उसे अधिकतम वर्क आउट (रोज 4 से 8 घंटे या अधिक) करते है| यह उनकी क्षमता को बड़ने
के साथ शरीर को गठीला मजबूत बना देता है|
जबकि अधिक खाने और व्यायाम के अभाव में अर्थात उर्जा में उसे न बदलने से व्यक्ति बेडोल, कमजोर पिल-पिला सा हो जाता है|
एसा होता क्यों है-
आवश्यकता से अधिक ली गई कैलोरी की उर्जा शरीर द्वारा उपयोग न होने से वसा (फेट्स) में बदलकर कोशिकाओं में जमा हो जाती है, इससे ही वजन वढता है|
किसी को भी कितनी केलोरी लेना चाहिए इस बात का ज्ञान भोजन मीनू अनुसार विभिन्न साइट्स पर उपलब्ध केलोरी चार्ट्स से जाना जा सकता है|
यदि आप वजन कम करना ही चाहते हें तो आपको प्रतिदिन वर्तमान में ली जा रही कैलोरी से प्रतिदिन 500 कैलोरी कम करना चाहिए, तब तक जब तक आप अपने उद्देश्य में सफल नहीं होता|
उद्देश्य में सफल होने के बाद अंतिम कैलोरी मात्रा को स्थाई बना कर जीवन यापन करें, यदि दोबारा खाने पर नियंत्रण न रखा गया, और वही गतिविधि जारी न रही तो वजन तेजी से बढ़ जायेगा| यदि आप शारीरिक गतिविधि में कमी करते हें तो आपको उतनी कम कैलोरी लेना आवश्यक होगा, पर गतिविधि के अभाव में हानि अवश्य होगी|
आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा से भी आपकी खाने की आदतों को बदला जा सकता है|
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