पुरूषों में बांझपन अर्थात वो पुरूष जो पिता नहीं बन सकते।
पुरुष प्रधान समाज में संतान नहीं होने पर अक्सर इस बात की जिम्मेदारी स्त्रियों पर डाल दी जाती है, जबकि पाया गया है, कि अधिकांश मामलों में पुरुष स्वयं ही इस बात का जिम्मेदार होता है| और अक्सर समाज में उसे नपुंसक न मान लिया जाये इस हैतु स्त्रियों को बाँझ करार देकर पिंड छुड़ा लेना चाहता है| वह अपने पुरुषत्व का प्रतीक सम्भोग क्षमता को या लेंगिक उत्तेजना मात्र को मानकर स्वयं को इसका कारण नहीं मानता |
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आयुर्वेदिक पंचकर्म द्वारा नपुंसकता,
और बंध्यता की समस्या का हल निकला जा सकता है,
इस विषय में आप हमसे सम्पर्क कर सकते हें| :--
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अधिकतर मामलों में पुरूषों में बांझपन या नपुंसकता के लक्षण ढूंढ़ना भी बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर नपुंसकता शरीर में उत्पन्न होने वाले हार्मोंस में गड़बडी या इनकी कमी के कारण होती है। हारमोंस की कमी या अधिकता का ज्ञान लक्षणों द्वारा पता लगाना असंभव है। हार्मोंस में बदलाव कभी भी या किसी भी आयु में हो सकता है। यही नहीं एक संतान होने के बाद भी यह परिवर्तन पाया जा सकता है| कई बार जो पुरूष हुष्ट-पुष्ट है किसी दुर्घटनावश संतान उत्पन्न करने योग्य नहीं भी रह पाते हें| परन्तु सामान्य उत्तेजना आदि पुरुषत्व प्रतिक सम्भोग क्षमता होने के बावजूद भी वह पुरुष बन्द्यता के शिकार हो सकते हें| इसीलिए इसके लक्षणों को जानना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी कुछ सामान्य सी बातों को जानकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुरूष बाँझ है या नहीं।
पुरुष सामान्य रूप से स्वस्थ भी हो सकता है पर वीर्य में शुक्राणु, मात्र में कम/ गति रहित / अस्वस्थ या उपलब्ध नहीं भी हो सकते हें (एसा हारमोंस के कारण/या चोट दुर्घटना से भी हो सकता है|) इसकी जाँच लगभग चार दिन रोके गए वीर्य के निकलने के दो घंटे के अन्दर परिक्षण करवा लेने से ज्ञात हो जाती है, जो प्रत्येक पेथालोजिकल लेबोरेट्री में आसानी से की जा सकती है|
पुरूषों में बांझपन के अन्य कारण-
Ø जो पुरूष संभोग के दौरान सही तरीके से यौन क्रियाएं नहीं कर पाता या फिर बहुत जल्दी डिस्चार्ज हो जाता है तो इसका अर्थ है, कि उसमें नपुंसक होने के लक्षण मौजूद हैं।
Ø यह मानसिक या केवल विचारों पर आधारित नपुंसकता होती है| वास्तव में सामान्यत: नपुंसकता का संबंध सीधेतौर पर ज्ञानेन्द्रियों से होता है, थकावट, अनिद्रा, चिंता, स्वस्थ्य पोषण का आभाव, आदि कई बातों, जैसी किसी भी कारण से पुरूष कई बार जब असफल होता है तो वह नपुंसक समझने लगता है, संकोचवश डॉक्टर से इस बारे में परामर्श नहीं ले पातें। इससे ये रोग बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
Ø हालांकि नंपुसकता अधिक उम्र के व्यक्तियों में अधिक पाई जा सकती है। इससे पुरूष महिलाओं के पास जाने से भी घबराने लगते हैं।
Ø नपुंसकता भी दो तरह की हो सकती है एक जो पूरी तरह से नपुंसक होते हैं, और दूसरे आंशिक नंपुसक।
Ø जो पुरूष सेक्स क्रिया करने में रूचि नहीं रखते या फिर जिनमें उत्तेजना नहीं होती वे पूर्ण नपुंसक होते हैं, जबकि जो पुरूष एक बार तो उत्तेजित होते हैं, लेकिन घबराहट या किसी अन्य कारण से अकसर जल्दी शांत हो जाते हैं उन्हें आंशिक नपुंसक कहा जाता है।
Ø नंपुसक व्यक्ति की महिला साथी कभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती।
Ø कुछ लोग नपुंसक नहीं भी होते लेकिन घबराहट और मन में डर, आशंका या किसी मानसिक बीमारी इत्यादि के कारण वे उत्तेजित नहीं हो पाते इससे ये घबराहट और डर भविष्य में ऐसे पुरूषों को नपुंसक बना देता है। ऐसे लोग घबराहट के कारण अपनी महिला साथी से दूर-दूर रहने लगते हैं।
Ø कई रोग जैसे मधुमेह (Diabetes),मोटापा, आदि भी नपुंसकता का कारण हो सकती है|
Ø आयु की अधिकता भी स्त्री पुरुष दोनों को प्रभावित करती है, अक्सर वार्धिक्य के बाद, शारीरिक सामर्थ्य आदि की कमी से भी क्लेब्यता उत्पन्न हो जाती है|
खान-पान और रहन सहन का नपुंसकता और संतानहीनता से सम्बन्ध|
वर्तमान फ़ास्ट फ़ूड और भागती दोड़ती जिंदगी की जल्दबाजी वाला खान-पान और रहन सहन रक्त में अम्लीयता (Acidity) पैदा करके सर्वदेहिक प्रभाव पैदा करता है|
- · रक्त में यदि अम्लीय प्रतिक्रिया बनेगी तो असर पुरुष स्त्री के प्रजनन संस्थानों (Reproductive organs) पर भी होगा|
- · अम्लीय प्रतिक्रिया वाले खाने अम्ल विपाक करके गर्भाशय को भी अम्लीय बनाते हें, इससे वीर्य के स्पर्म मर जाते हें|
- · स्त्री के अंडे भी सफल नहीं हो सकते|
- ·कुछ अम्लीय खाद्य जैसे नीबू अम्ल रस वाला होता है, पर इसका विपाक मधुर होने से अम्लीय प्रभाव नहीं होता, जबकि इमली अम्लीय रस का है, पर इसका अम्लीय विपाक होने से अम्लीय प्रभाव होगा|
- ·इसी प्रकार अति क्षारीय प्रजनन संस्थान होने से भी संतान हीनता होगी क्योकि अंडे और स्पर्म मर जायेंगे|
- · बच्चे दानी के क्षारीय होने से खुजली सूखापन और वात प्रधान लक्षण होगे|
- ·अम्लीय होने से जलन दर्द अदि पित्त के लक्षण होंगे|
- · केवल प्रजनन संस्थान ही नहीं अति अम्लीय या क्षारीयता सर्व देहिक प्रभाव डालेगी इससे स्त्री पुरुष स्वयं को प्रजनन के लिए केन्द्रित न कर सकेंगें, मानसिक स्तिथि संतान पाने में असफल करेगी| मेटाबोलिज्म सामान्य न होने से स्पर्म और अण्डों का निर्माण प्रभावित होगा| नींद की कमी बेचेनी, पाचन की खराबी, होगी, इससे रस रक्त आदि ठीक नहीं बनेगें| लगातार अधिक समय तक यह स्तिथि रहने पर मानसिक क्लेब्यता (नपुंसकता) हो सकती है|
नपुंसकता के लक्षण
o पुरूषों में नपुंसकता के कारण उत्तेजना नहीं हो पाती।
o पीडि़त पुरूष के लिंग में कठोरता या तो आती नहीं, आती है तो बहुत जल्दी शांत हो जाती है।
o संभोग के दौरान जल्दी डिस्चार्ज हो जाना।
o संभोग के दौरान अचानक लिंग में कठोरता का कम होना।
o संभोग करने के दौरान या करने से पहले घबराहट या भय होना की वे कुछ कर नहीं पाएंगे|
o नपुंसकता के कारण पुरूष का लिंग सामान्य से छोटा हो जाता है इससे पुरूष ठीक तरह से संभोग करने में असमर्थ होता है।
o नपुंसक व्यक्ति के अंडकोष छोटे हो जाते हैं।
o नपुंसकता के कारण व्यक्ति का थकान महसूस करना।
o आत्मभविश्वास की कमी होना। लोगों से बातचीत के दौरान घबराना या नजरें चुराना विशेषकर महिलाओं से बातचीत के समय भीड़ में घबराना या महिलाओं से बात करने या सामना करने में झिझकना।
o नंपुसक व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इससे सही तरह से संभोग ना करने के कारण पीडि़त व्यक्ति बीमार रहने लगता है।
o बांझपन के कारण व्यक्ति के प्रजनन अंग कमजो़र हो जाते हैं।
o बहुत से दम्पतियों मे समय से पहले शुक्राणुओं का बाहर आना एक आम समस्या है, जिसमें कि सेक्सुअल सेटिस्फेक्शन से पहले ही शुक्राणु शरीर के बाहर आ जाते हैं, कभी कभी ये सम्बन्धों के शुरूवाती दिनों में डर या एक्साइटमेंट या मन की अति उत्तेजना के कारण से होता है , यह समस्या अकसर सेक्स के प्रारम्भिक दिनों में, युवा लड़को में होती है या उन पुरूषां में होती है जिन्हें अधिक उम्र के हो जाने के बाद सेक्स का मोका मिलता है|| [ गर्भधारण टिप्स:] यह कभी कभी किसी बीमारी या शारीरिक समस्या(पर्फारमेन्स एनज़ाइटी) की वजह से भी होता है, लेकिन इस समस्या पर थोड़ा सा आत्म विश्वास बढाकर, या मनोवेज्ञानिक / चिकित्सकीय सलाह से /या आप अपने पार्टनर से बात कर इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है|
o याद रखें सेक्स का एहसास पुरूष व स्त्री दोनों के लिए ही एक सा होता है, इन बातों को आराम से सोचें और समस्या का समाधान खुद ही निकल आयेगा |
क्या करें?
प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के तरीके:
खुद पर विश्वास रखें ऐसा सोचें कि यह सब जितना आपके लिए नया है उतना ही आपके पार्टनर के लिए भी है, हो सके तो दोनों मिल कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करें , अगर ज़्यादा परेशानी है तो आप डॉक्टरी सलाह भी ले सकते हैं|
जब आपको लगे कि कामोत्तेजना (Arousal) का लेवल बहुत ज़्यादा है to जल्दी न करें, लम्बी सांसे लें व छोड़ें और कुछ और ही सोचें, यदि आपको लगे कि लेवल बहुत कम है तो न रूकें, प्राथमिक स्खलन (Primitive ejaculation) से बचने के लिए रूक कर प्रक्रीया शुरू करें, इस प्रकार यौन क्रिया (Sexual act) का समय बढ़ता है|
जब आपको लगे कि यह प्रक्रिया पूरी होने वाली है तो, कुछ देर आराम करे, इस प्रकार बार बार सेक्स स्टिमुलेशन की प्रक्रिया को लम्बे समय तक करके, समय बढ़ाया जा सकता है|
प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने के लिए डिसेन्सिटाइजिंग क्रीम जेसे कोई आयुर्वेदिक उनने तिला, क्रीम (जैसे हिम्कोलिन - हिमालय ड्रग्स ) का प्रयोग (सुपारी छोड़ कर पूर्ण लिंग पर हलकी मालिश ) करें, मोटे कन्डोम भी सेन्सिटिविटी को कम करते हैं और सेक्सुअल ऐक्ट का समय बढ़ाते हैं|
पूर्ण शक्ति का प्रयोग (Force play) से भी प्रिमेच्योर इजेकुलेशन की सम्भावना कम हो जाती है |
सेक्स से पहले अपने पार्टनर को मानसिक रूप से तैयार करें, कोशिश करें जितना हो सके समय साथ में बितायें और एक दूसरे को मानसिक तौर पर खुश रखने की कोशिश करें|
याद रखें प्रिमेच्योर इजेकुलेशन से बचने और अच्छे सेक्स में थोड़ा समय लगता है, यहां “मेक्स ए मैन पर्फेक्ट” स्लोगन बहुत ही सटीक बैठता है|
अगर इसके बाद भी आपको लगता है कि आपकी सेक्सुअल लाईफ ठीक नहीं है तो किसी मनोवैज्ञानिक या सेक्स थेरेपिस्ट से सम्पर्क करें|
अनावश्यक रूप से प्रचार की जा रही उत्तेजक दवाओं वियाग्रा अदि का सेवन आपको हमेशा के लिए नपुंसक बना सकता है| विज्ञापन द्वारा प्रचारित डाक्टरों /नकली वैद्यों/ हाकीमो से बचे क्योकि ये उत्तेजक दवाओ द्वारा तात्कालिक एवं चमत्कारिक कार्य कर सकते हें पर जल्दी ही किडनी लीवर सम्बन्धी अन्य रोगों के साथ स्थाई नपुंसकता का कारण भी हो सकते है|
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यह समस्या बिना ओषधियों के भी आसानी से सुलझी जा सकती है|
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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