प्रस्तुत
है घर पर च्यवनप्राश बनाने का तरीका
How
to make chyavanprash
Chyawanprash
Ingredients -आवश्यक सामग्री
च्यवनप्राश (Chawanprash) में मुख्य सामग्री आवंला सहित निम्न प्रकार
की सामग्री प्रयोग की जाती है. ये अधिकतर इस तरह की दवायें बेचने वाले पंसारी के
पास आराम से मिल जातीं है. च्यवनप्राश (Chywanprash) को
बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले तो जो उपलब्ध हैं आप
उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना सकते हैं|
इनमें निम्न पांच तरह की सामग्री प्रयोग होती है|
Chyawanprash Ingredients . सामग्री .
- आवंला - 5 किलो
- घी 250 ग्राम,
- तिल का तेल-250 ग्राम
- चीनी - तीन किलो [A] (या
इससे भी अधिक देखें फूट नोट)
निम्न प्रत्येक औषधि 50-50 ग्राम].
- पाटला छाल, अरणी छाल, गंभारी छाल, विल्व छाल, श्योनक छाल ( अरलु),
- गोखरू, शालपर्णी, प्रष्टपर्णी, छोटी कटेली, बड़ी कटेली- (इनका पंचांग [B]Foot Note)|
- पीपल, काकड़ासिंघी, मुनक्का, गिलोय, हरड, खरेंटी, भूमिआवला, अडूसा, जीवन्ती, कचूर,नागरमोथा, पुष्करमुल, कोआठाडी, मुंगपर्णी, माषपर्णी, विदारीकंद, सांठी, कमलगट्टा, छोटी-ईलायची, अगर, चन्दन,
- अष्टवर्ग [C]
(ॠद्धि, वृधि, मेदा, महामेदा, जीवक, ॠषभक, काकोली,
क्षीरकाकोली)
नोट :-(जड़ी बूटी भंडार या बेचने वाले अत्तार या पंसारी आदि के पास आराम से मिल
जातीं है| जो जो पेड़-पोधो से ताज़ी प्राप्त कर सके वे और भी
श्रेष्ट है पर ताज़ी की मात्रा चार गुनी लेने होगी| च्यवनप्राश (Chywanprash), को बनाते समय मिलाने वाली जड़ी बूटियों में यदि कुछ न भी मिले, तो जो
उपलब्ध हैं आप उन्हीं से च्यवनप्राश (Chyawanprash) बना
सकते हैं|)
Chyawanprash Ingredients प्रेक्षप
सामग्री (अंत में डालने वाली ओषधि)
इन सबका बारीक चूर्ण बनाना है- पिप्पली
- 100 ग्राम, बंशलोचन - 150 ग्राम, दालचीनी
- 50 ग्राम, तेजपत्र - 20 ग्राम, नागकेशर - 20 ग्राम, छोटी इलायची - 20 ग्राम, केशर - 2 ग्राम|
शहद - 250 ग्राम.
बनाने की विधि - How to make Chyawanprash
स्टेप 1- आवले को धो लीजिये. धुले
आंवले को कपड़े की पोटली में बांध लें|
स्टेप- 2- किसी बड़े स्टील के तपेले
(भगोने) में 12 लीटर पानी भरिये. 50 -50 ग्राम ली गई सभी ३९
जड़ी बूटियों को मोटा-मोटा जो कुट, कुट कर डालें|
आंवले को कपडे की पोटली में बांध कर डाल दीजिये.
तपेले को तेज आग पर रखिये, उबाल आने पर आग धीमी कर दीजिये|
आंवले और जड़ी बूटियों को धीमी आग
पर एक से डेड़ घंटे तक उबलने दीजिये, जब आंवले
बिलकुल नरम हो जायें, तब आग बन्द कर दीजिये. इसे रात भर (10 -12 घंटे) ढककर रख दीजिये|
स्टेप 3- अब आंवले की पोटली निकाल
कर जड़ी बूटियों से अलग कीजिये, आप देखेंगे कि आंवले
सांवले हो गये हैं, आंवलों ने जड़ी बूटियों का रस अपने
अन्दर तक सोख लिया है|
सारे आंवले पर से गुठली निकाल कर
अलग कर लीजिये|
स्टेप 4 - जड़ी बूटियां के काडे (
क्वाथ या उबला पानी) को खादी के कपडे या इसी जैसी बारीक छलनी से छान कर अलग
कर दीजिये| इस छाने जड़ी बूटियों के काडे को सुरक्षित कर रख लीजिये, यह भी च्यवनप्राश
बनाने के काम आयेगा|
स्टेप 5- उबाले हुये गुठली रहित आंवलों
को, जड़ी बूटियों से निकला थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर मिक्सर से एकदम बारीक पीस
लीजिये|
खादी के कपडे या बारीक छ्लनी में
डालकर, हथेली या चमचे से दबा दबा कर रगड़ते हुए छान लें, इससे रेशे अलग हो जायेंगे
जो फेंक दिए जाते हें|
इस प्रकार सारा आंवलों का गूदा (पल्प)
बना लें| इसीमें शेष जड़ी बूटी से छाना हुआ काडा (क्वाथ) मिला दें. जड़ी बूटियों
के रस और आवंले के पल्प के मिश्रण को हम च्यवनप्राश बनाने के काम लेंगे|
स्टेप 6- मोटे तले की कढ़ाई कलाई वाली पीतल की
हो तो ठीक स्टील की कड़ाई में चिपक कर जल जाने का खतरा होता है| जिसमें पल्प आसानी से भूना जा सके, आग पर गरम
करने के लिये रखिये| (लोहे का बर्तन च्यवनप्राश को काला कर
देता है|)
स्टेप 7- कढ़ाई में तिल का
तेल डाल कर गरम कीजिये, गरम तेल में घी डाल कर घी पिघलने तक गरम कीजिये|
जब तिल का तेल अच्छी तरह गरम हो जाय,
तब आंवले का छाना हुआ पल्प डालिये और खुरचे / चमचे से चलाते हुये मंद आंच पर पकाइये,
इतना पकाना है, की घी तैल अलग से दिखने लगे, और आवंला पल्प जले नहीं, और न बर्तन
में चिपक पाए|
अब इस पल्प में चीनी डालिये और
लगातार चमचे से चलाते हुये मिश्रण को एकदम गाड़ा, होने तक और घी छोड़ने तक, पका लीजिये, सावधानी रखें की पल्प चिपकने न पाए, अन्यथा जलने से रंग काला
और ख़राब हो जायेगा| पूरा न पकने पर पतला रह सकता है अधिक पकने पर अधिक गाढ़ा होने
से खाना मुश्किल होगा| यद् रखें की ठंडा होने पर कुछ अधिक गाढ़ा होता है| पहली बार
कम बनाये ताकि अनुभव मिल सके|
स्टेप 8 - पूर्ण पाक हो जाने पर प्रेक्षप
द्रव्य में दी गई लिस्ट के द्रव्य (छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर के साथ एकदम बारीक पीस कर मिला दें| अच्छी तरह से मिल जाने पर, इस
मिश्रण को 5-6 घंटे तक कढ़ाई
में ही,भाप निकलते रहे इस प्रकार से ढककर रख दें| (पीतल के बर्तन में न रखे)|
स्टेप 9 अब इसमें शहद और केसर
में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दीजिये. आपका च्यवनप्राश (Homemade Chyawanprash)[D] तैयार है|
इस च्यवनप्राश (chywanaprash) को एअर टाइट कांच या प्लास्टिक कन्टेनर में भर कर रख लीजिये और साल भर
प्रयोग कीजिये|
बाज़ार के विज्ञापन में सोने व् चाँदी की बात की जाती है| ये यह मूल च्यवनप्राश में नही होता है| इनकी भस्मे
मिली जाती हें| यदि मिलाना हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक
से सलाह करके ही मिलाये|
- खाली पेट १० से १५ ग्राम खाकर आधे घंटे बाद दूध पिए| भोजन के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए, तीन से चार घंटे बाद लिया जा सकता है|
Foot Notes [A]
[शास्त्रोक्त च्यवनप्राश में शक्कर इसकी आधी होती है,
पर उसे खा सकना मुश्किल होता है, बाज़ार के व्यावसायिक च्यवन
प्राश में इससे भी दुगनी या अधिक शुगर मिलकर उसका खट्टापन दूर किया जाता है,
और वह अधिक स्वादिष्ट बनता है, आप भी यदि
बच्चो के लिए बना रहे हें तो एसा कर सकते हें, निश्चित ही
असर भी कम ही होगा|}
[B]
अर्थात
जड़ समेत पूरा पोधा)
[C] अष्टवर्ग की ओषधि वेद कालीन है
वर्तमान में नाम विवाद से नहीं मिलने पर उनके स्थान पर (प्रतिनिधि द्रव्य के रूप
में) खरेंटी, पंजासालब, शकाकुल छोटी, शकाकुल बड़ी, लम्बासालब, काली मुसली, सफ़ेद मुसली, और सफेद बहमन लिए जा सकते हें ये उनके सामान गुणकारी और आसानी से उपलब्ध
है|
[D]
बाज़ार
के च्यवनप्राश को अधिक दिन ठीक रखने प्रिजर्वेटिव {2% तक सोडियम मेटा
बेन्जोएट} मिलाये जाते हें| पर ये
हानी कारक हो सकते हें, यदि च्यवनप्राश अच्छी तरह से
पक़ गया हो, तो कभी ख़राब नहीं हो सकता| पर अधिक पकने पर चिठा हो सकता है| फ्रिज में भी सुरक्षित रखा जा
सकता है| पर उपयोग के पूर्व सामान्य ताप पर लाना होगा|
[E]
एसिडिटी
के रोगी न खाए |
एसिडिटी बड जाएगी| पहले जुलाब लेकर पेट साफ
करना अधिक लाभ देगा|