आज का स्वास्थ्य संदेश-
अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!
वैद्य मधुसूदन व्यास उज्जैन.
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संसार की समस्त गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर नियमित चलती रहतीं हैं| परन्तु हम अधिकांश मनुष्य अक्सर अपने जीवन की गतिविधियां विशेषकर खाने-पीने-सोने-जागने आदि का समय नियमित नहीं रखते|
इस अनियमितता का परिणाम होता है, गंभीर रोगों का आमंत्रण { नींद का न आना, बेचेनी, करवट बदलना, अपचन, विवंध (शोच में कमी) कब्ज, ववासीर, वजन का बढना, और इससे आगे चलकर गंभीर, लीवर रोग, उदर रोग, मूत्र रोग, किडनी, रोग, मेटाबोलिक रोग, प्रोस्टेट बड़ने, आदि जैसे गंभीर रोग|
सनातन हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, यदि जीवन भर स्वस्थ रहना है, तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें, और भोजन, नाश्ता, चाय, दोपहर, भोजन,रात्रि भोजन आदि उचित समय पर होना चाहिए|
प्रतिदिन प्रात: अच्छा स्वल्पाहार या नाश्ता करना जरुरी होता है, क्योंकि रात्रि भोजन के बाद 10 से 14 घंटे व्यतीत हो चुके होते हैं| इस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|
नाश्ते के 4 से 5 घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिए| यदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो 12 बजे के लगभग खाना खाना आवश्यक होता है|
दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या 4 घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फल, खाना उचित है|
दोपहर के भोजन के लगभग 6-7 घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिए| रात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिए| इस भोजन के 3 से 4 घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती है, इसका परिणाम कई गंभीर रोगों के द्वारा खोलता है| प्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्था, या बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्त, और रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती है, वापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता|
हिन्दू धर्म में, और जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया है| हमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए है, और पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|
आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|
प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला,
दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्य, और
रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामान, रुखा सुखा ( कम केलोरी वाला सुपाच्य) रखना चहिये|
यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|
मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|
वर्तमान में पश्चात् सभ्यता से प्रभावित वैवाहिक अदि कार्यक्रमों रात्रि कालीन भोजन रखा जाता है इस परम्परा को बदल कर दोपहर भोज रखा जाना उचित होगा|
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