Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Irregular life is an invitation to serious diseases!!! (अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!)

आज का स्वास्थ्य संदेश-

अनियमित जीवन गंभीर रोगों को आमंत्रण!!!

वैद्य मधुसूदन व्यास उज्जैन.

 (निशुल्क चिकित्सा परामर्श हेतु फोन /व्हाट्स अप 9425379102)

 संसार की समस्त गतिविधियाँ तो एक निश्चित समय पर नियमित चलती रहतीं हैंपरन्तु हम अधिकांश मनुष्य अक्सर अपने जीवन की गतिविधियां विशेषकर खाने-पीने-सोने-जागने आदि का समय नियमित नहीं रखते|

इस अनियमितता का परिणाम होता है, गंभीर रोगों का आमंत्रण नींद का न आनाबेचेनी, करवट बदलनाअपचनविवंध (शोच में कमी) कब्जववासीरवजन का बढनाऔर इससे आगे चलकर गंभीरलीवर रोगउदर रोगमूत्र रोगकिडनीरोगमेटाबोलिक रोगप्रोस्टेट बड़नेआदि जैसे गंभीर रोग|

सनातन हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसारयदि जीवन भर स्वस्थ रहना है, तो सायंकाल बाद और रात्रि गरिष्ठ भोजन को त्याग दें, और भोजन, नाश्ताचायदोपहर, भोजन,रात्रि भोजन आदि उचित समय पर होना चाहिए|

प्रतिदिन प्रात: अच्छा स्वल्पाहार या नाश्ता करना जरुरी होता हैक्योंकि रात्रि भोजन के बाद 10 से 14 घंटे व्यतीत हो चुके होते हैंइस समय शरीर को अच्छी केलोरी की जरुरत होती है|

नाश्ते के 4 से 5 घंटे बाद दोपहर का खाना खाना चाहिएयदि नाश्ता 7 बजे लिया है तो 12 बजे के लगभग खाना खाना आवश्यक होता है|

दोपहर के इस भोजन या लंच के बाद या 4 घंटे बाद बूस्टर डोज के रूप में फलखाना उचित है|

दोपहर के भोजन के लगभग 6-7 घंटे बाद डिनर या रात्रि भोज खाना चाहिएरात्रि के इस खाने में अच्छे स्वास्थ्य बनांये रखने सुपाच्य और दोपहर की तुलना में हलका कम केलोरी वाला खाना खाना चाहिएइस भोजन के 3 से 4 घंटे में सो जाया करते हैं इसलिए पूरी पकवान और वर्तमान में डिनर पार्टियों में परोसा जाने वाला गरिष्ठ खाना पचाने में शरीर को मुश्किल आती हैइसका परिणाम कई  गंभीर रोगों के द्वारा खोलता हैप्रारम्भ में युवा वस्था में तो इन समस्याओं का पता नहीं चलता पर जब कई वर्ष भोजन की अनियमितता चलती रहती है तब प्रोड़ावस्थाया बुडापे के रोगों के रूप में बेवक्तऔर रात्रि के गरिष्ठ भोजन के दुष्परिणाम आते हैं और तब तक देर हो चुकी होती हैवापिस स्वस्थ जीवन नहीं पाया जा सकता

हिन्दू धर्म मेंऔर जैन धर्म में इसी कारण सूर्यास्त के बाद भोजन निषिद्ध किया हैहमारे अधिकांश जैन भाई इस का पालन करते है पर हिन्दू भाई इस को भूल गए हैऔर पश्चात डिनर में गरिष्ठ भोजन को आदर्श मान रोगों को आमंत्रित करते रहते हैं|

आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार भी भोजन का क्रम उपरोक्त होना चाहिए|

प्रात: का भोजन रईसों की तरह अधिक केलोरी वाला,

दोपहर का भोजन मध्यम वर्गीय सामान्यऔर

रात्रि भोजन गरीबों के भोजन के सामानरुखा सुखा ( कम केलोरी वाला सुपाच्य) रखना चहिये|

 यह भोजन मन्त्र स्वास्थ के लिए सर्वथा उपयुक्त है|

मधुमेह आदि के रोगियों के लिए तो इससे अच्छा कोई विकल्प नहीं|   

वर्तमान में पश्चात् सभ्यता से प्रभावित वैवाहिक अदि कार्यक्रमों रात्रि कालीन भोजन रखा जाता है इस परम्परा को बदल कर दोपहर भोज रखा जाना उचित होगा|    


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जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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