Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

बार-बार होने वाले वाइरल ओर फ्लू को परिवार से कैसे दूर करें?

 बार-बार होने वाले वाइरल ओर फ्लू को परिवार से कैसे दूर करें?
     हम जानते हें की घर और बाहर हर ओर हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस होते हें।  हमारा शरीर इनसे लड़ कर हमें रोगों से बचाता रहता है, एसा होता है हमारी रोग प्रतीकार क्षमता या  इम्यून सिस्टम के कारण।
    फिर भी यदि बार बार सर्दी जुकाम फ्लू जैसे रोग हो रहे हों तो जान लें कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ रहा है। 
     हमारे देश के वातावरण में हमेशा वायरस एक्टिव रहता है। सर्दी में नजदीकियां (कॉन्टैक्ट) ज्यादा होता है, इससे वायरस तेजी से एक से दूसरे तक पहुंचता है। अगर फैमिली में एक बार सर्दी के दिनों में वायरस का अटैक हो जाए तो 90% (पर्सेंट) परिवार के बाकी मेंबर्स को वायरल अटैक होना तय है। 
फिर यदि उनमे से कोई अगर कोई डायबिटिक है या फिर ब्लड प्रेशर या हार्ट का मरीज है तो उन पर इसका अटैक ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
    साधारण सा वाइरल बड्कर यदि फ्लू  बन जाए  तो आप बेहाल
हो जाते हें। एसा वायरल की चिकित्सा में लापरवाही करने पर होता है। वायरल में रोगी चलता फिरता रहता ओर संक्रमण फैलाता रहता है। वाइरल के वाइरस 8 से 10 गुना बड्ने पर फ्लू जिसमें अच्छा-खासा बुखार आ जाता है। रोगी बिस्तर पकड़ सकता हे। 
फ्लू में नाक बहना, गले में इन्फेक्शन होना, तेज छींकें, खांसी और शरीर में दर्द सब एक साथ होता है
फ्लू तीन से पांच दिन में ही एक इंसान को बेहाल कर देता है।
   
    इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए डाईजेस्टिव सिस्टम या पाचन संस्थान को ठीक करना जरूरी होगा।  500 से अधिक किस्म के बैक्टीरिया हमारे पाचन तंत्र के अंदर होते हैं। लाभकारी और अच्छे बैक्टीरिया भी छोटी आंत में रहते हैं। हवा पानी ओर खाने के साथ शरीर में गए सूक्ष्म हानिकारक जीवों से ये लाभकारी बैक्टीरिया लड़ते हैं। लाभकारी जीवाणुओं की कमी से इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर होता है। 
    लगातार सामान्य खाने से हट कर चाट-पकोड़ा, पिज्जा जैसे फास्ट फूड ओर साधारण से रोगों होने पर भी प्रयुक्त एंटी-बायोटिक की डोज से,  अनजाने में शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को भी इससे नुकसान होता है, ओर यह प्रकृतिक रोग प्रतीकार क्षमता में कमी आ जाती है।
    
  इन अच्छे लाभदायक जीवाणुओं की व्रद्धि करने के लिए प्रोबाओटिक ओषधि डाक्टर देते हें, पर संतुलित आहार में अक्सर लोग दही, छाछ, विविधत पूर्ण  सब्जियाँ, नहीं खाते विशेषकर बच्चे, इससे हानिकारक जीवाणु तो बडते हें, पर अच्छे जीवाणु पनपते नहीं। यही इम्यून सिस्टम की कमजोरी का कारण होते है।

वायरस की वजह से बुखार, सर्दी, खांसी, वायरल डायरिया, गले में इन्फेक्शन, छाती में इन्फेक्शन, न्यूमोनिया का खतरा बढ़ता है। कॉमन कोल्ड या जुकाम, नाक बंद होना, छींके आना आम परेशानी है। इसके फैलने का कारण वातावरण में मौजूद वायरस, नजदीकी संपर्कों से, एक-दूसरे में सांस के जरिये, छींकने से या खांसने पर ड्रॉप्लेट्स द्वारा फैलता है। बच्चों में वायरल इन्फेक्शन के कारण डायरिया होने का खतरा होता है।
   यह भी जान लें कि सामान्य परिस्थितियों में वाइरल रोग शरीर में एंटीबौड़ी बनने पर स्वत: ठीक हो सकता है, यदि शारीरिक प्रतीकार क्षमता ठीक हो। इसके लिए मलाई रहित पसचुराइज्ड दूध में 3 से 5 ग्राम तक हल्दी उबालकर पीना लाभदायक होता है। 

    ज्वर से बदन में टूटन होने पर 500 एमजी संजीवनी वटी जा सकती है। निरंतर तीन चार दिन लेने से फ्लू होने से बचा जा सकता है। पर जरूरी है कि शौच(लेंट्रिन) साफ होती हो। अन्यथा अरंडी तैल30-40 ग्राम या कोई जुलाब लेना ही चाहिए

यह भी बेहद जरूरी है कि साधारण इन्फेक्शन होने पर अनावश्यक रूप से एंटीबाओटिक लेने की बजाय आयुर्वेदिक ओषधि ली जाए, ताकि लाभकारी जीवाणु मरें नहीं ओर बढ़ते रहें।

 संजीवनी वटी, लक्ष्मी विलास रस, गोदन्ती भस्म, गिलोय सत आदि का वैध्य द्वारा निर्धारित ओषधि सेवन आपके इम्यून सिस्टम को तो ठीक करेगा ही रोग भी बार बार नही होगा। साथ ही कब्ज न होने पाये यह ध्यान रखें। इसके लिए अरंडी तैल का जुलाब अच्छा है। यदि न ले सकें तो कोई जुलाब, मुनन्का, लेते रहना ही लाभदायक सौदा होगा।
दशमूलारिष्ट, सतत रूप से पीना रोग प्रतिकार क्षमता को पड़ता है|
दशमूलारिष्ट महिलाओं के विकारों में लाभकारी है|
अरविन्दासव बच्चो के लिए हितकारी है|
अमृतारिष्ट कुछ समय लगातार पीने से बार-बार बुखार नहीं आता|
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1 टिप्पणी:

Dr, Deepak Acharya ने कहा…

Good Information/ Thanks Dr. Sb

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स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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