Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Spring - Invasion of Allergies!

वसंत ऋतु - एलर्जी का आक्रमण !
डॉ मधु सूदन व्यास MIG 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र 

वसंत ऋतु का आगमन हो चूका है| निश्चय ही हम सभी ठण्ड के कपडे पेक कर रहे होंगे| वसंत ऋतु की ठंडी हवाओं का आनंद भी ले रहे होंगे, और आम जैसे मौसमी फलों, सब्जियों और उनसे बने व्यंजनों का का मजा लेने के लिए भी तैयार होंगे|
परन्तु हमको यह भी पता होना ही चाहिए की वसंत ऋतु आनंद के साथ कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लेकर आता है| इनसे बचने के लिए जाने और समझे की उन्हें कैसे नियंत्रण में रख सकते हें|  मोसम के इस परिवर्तन काल में एलर्जी या प्रत्यूर्जता जो किसी भी पदार्थ पराग कण, कुछ विशेष खाने-पीने, धुआं, धूल, अगरबत्ती की गंध आदि आदि किसी भी कारण से हो सकता है, इस संमय अधिक देखा जाता है|
इसमें प्रभावित अपनी नाक रूकावट, एक या अधिक छींक, गले में खुजली या अपनी बांह या शरीर पर छोटे-छोटे दाने, खुजली, चकत्ते, मिल सकते हें, जो ध्यान न देने पर अधिक कष्टकारी भी सिद्ध हो सकते हें|
भ्रमित न हों की यह सब सर्दी जुकाम से है, यह मनुष्य की उसके शरीर द्वारा उस विशेष वस्तु से बचाव का प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, इसे उस वस्तु के प्रति हाइपरसेंसिटिव होना भी कहा जाता है|
हालांकि इस मोसम में भी सामान्य जुखाम हो सकता है| यह मानना भी भ्रम है की जुकाम सर्दियों में ही होता है,| इस समय अर्थात वसंत ऋतु में राइनोवायरस जो मनुष्यों में सबसे आम संक्रामक वाइरस है का संक्रमण के लिए यह सबसे उयुक्त समय होता है| इस समय यह न केवल आपको यह प्रभावित करसकती है बल्कि आपके द्वारा अन्यों को भी आसानी से फैल सकती है|
वसंत के इस मौसम में वातावरण के तापमान के घटने बड़ने से रूखी नाक, छाती में जमाव और खांसी आपको आसानी से परेशान कर सकती है, आप पसीने से तर भी हो सकते हैं या ठण्ड से कांप भी सकते हें| ऐसा शरीर की स्वचालित प्रक्रिया शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए होती है| लेकिन यह श्वसन संबंधी समस्याओं को उत्पन्न भी कर सकती है|
वसंत ऋतु में बड़ते तापमान के कारण यदि आपने अधिक गर्मी से एसी या कूलर की ठंडी हवा में स्वयं को ठंडा कर चुके हें तो वापिस एक दम से बाहर नहीं आयें, पहिले अनुकूलित (Customize) हो जाएँ, नहीं तो आपके सर में दर्द होने लगेगा, यह भी तापमान अचानक परिवर्तन से होता है|
-:इस एलर्जी से बचने का उपाय:-
इस मोसम के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए हमारे आचार्यों ने हल्दी का जो हमारे भोजन का एक अनिवार्य अंग बन गई है, पहिले से ही कर रखा है| विशेष रूप से ओषधि के रूप में इसका प्रयोग भी कारण लाभदायक होता है|
पूर्ण रूप से हानि रहित आयुर्वेदिक ओषधि “हरिद्राखंड”  10-15 ग्राम प्रतिदिन एक दो सप्ताह खाने से पूर्ण लाभ होता है|
एलर्जी के लिए एक चमत्कारिक योग जिसे हमने सुधा हरिद्रा नाम दिया है:-
हमने अपने 40 वर्ष के चिकित्सा अनुभव में इस एलर्जी या सर्दी जुकाम वाइरस संक्रमण में निम्न एक योग “सुधा हरिद्रा” बड़ा सफल पाया है, इसकी 500 mg की एक मात्रा शरीर पर होने वाले चकत्ते, ददोरे, खुजली आदि में आशुकारी प्रभाव डालती है| पूर्ण रोग मुक्ति एक दो सप्ताह निरंतर खाने से ठीक की जा सकती है|
हल्दी की गांठ को चूने के पानी में 24 घंटे के लिए गला दें फिर छाया में सूखा देवें, सूखने के बाद पुन: एक बार फिर नए चूने के पानी में गल देवें, 24 घंटे बाद पुन: सुख कर पीस कर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को आवश्यकता अनुसार 500 mg से 1 ग्राम तक खाने से सभी प्रकार की एलर्जी, खुजली, में लाभ होता है| हम इसके कडवे स्वाद से बचने केप्सूल में भरकर प्रयोग करते हें| 
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समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।

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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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