- मित्र अमित्र विचार- शुभचिंतक ओर विपरीत चरित्र की पहिचान।
- पापकर्म का त्याग-1- हिंसा, 2- चोरी, 3- अन्यथाकाम (अनुचित रास्ते से सुख पाना), 4- पिशुनता (चुगल खौरी)। 5- परषवाक्य (कठोर या अप्रिय वचन), 6- अनृत (झूठ बात), 7- साभिन्नलाप (दोगलापन या कभी कुछ कहना, कभी कुछ कहना), 8- व्यापादं (ह्त्या की योजना), 9- अभिध्या (दूसरे की संपत्ति हड़पने की कोशिश), 10- दृग्विपर्यय [नास्तिकता, या आप्त (पूर्व से सिद्ध विचार) वाक्यों के विरूद्ध बोलना], इन दस मानसिक पापो का मन से परित्याग करें यही धर्म है।
- अनुकूल व्यवहार - बेरोजगार, रोगी, पीडित, से शारीरिक या आर्थिक शक्ति के अनुरूप उचित व्यवहार करे।
- समदृष्टिता का निर्देश- सभी प्राणियों को अपने समान समझना।
- सम्मान करना- देवता, गाय, ब्राह्मण, नृप, वृद्ध तथा अतिथि का उचित सम्मान । यह प्राचीन परिस्थिति के अनुसार था, वर्तमान परिस्थिति के अनुसार देवता का अर्थ जो दूसरों के लिए दे अर्थात जनोपयोगी काम करने वाले, गाय तो लाभकारी होने से, ब्राह्मण अर्थात विद्वान, नृप याने शासक माता-पिता , सिनियर सिटीजन, ओर आगंतुक जो कोई ही हो सकता है का सम्मान करना चाहिए।
- याचको का सम्मान -- कुछ भी मागने वालों को यथा स्थिति ओर परिस्थिति के अनुसार सहायता।
- उपकार - सभी का भला चाहें।
- समभाव - सुख दुख में समान भाव से रहें। अर्थात हमेशा शांत रहें।
- मधुर भाषण -समय पर बोलें, हितकर बोलें, कम (युक्ति संगत) बोलें, अविसंवादी (जिसका कोई विरोध न हो) ओर पेशल(मीठा वचन), बोलें।
- सर्वधर्माचरण- सभी धर्मों के माध्यम मार्ग पर चलें अर्थात न तो किसी धर्म के घोर समर्थक बने न ही विरोधी। यही वाग्भट्टोक्तआयुर्वेदिक सदाचार है।
आचरण - मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक व्यवहार।
चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?
स्वास्थ है हमारा अधिकार १
हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|
निशुल्क परामर्श
जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।
चिकित्सक सहयोगी बने:- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|
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