Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

विरूद्ध आहार-विहार


विरूद्ध आहार-विहार का अर्थ हे, एक साथ नहीं खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ आहार एवं एक साथ नहीं किये जा सकने  वाले कम जेसे धुप में ठंडे पानी से नहाना आदि क्रियाये विहार कहलाती हें |
जो पदार्थ शरीर की धातुओं[ ( रस(तरल-पानी), रक्त, मांस,मेद (चर्बी)अस्थि( हड्डी),मज्जा,और शुक्र)] के विरूद्ध गुणधर्म वाले या एक दुसरे से विपरीत गुण वाले, इस बात को इस प्रकार भी समझ जा सकता हे की गरम और ठन्डे खाद्य एक साथ खाना | त्रिदोषों (वात-पित्त-कफ) को प्रकुपित करने वाले (खरावियाँ या रोग  बढाने वाले),  तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले हैं, उनके सेवन को विरूद्ध आहार कहते हैं। जेसे एक साथ खट्टा और तला हुआ खाने से खांसी आदि होती हे|  

 विरूद्ध आहार-विहार:अर्थ हे, एक साथ नहीं 


इन पदार्थों में परस्पर गुणविरूद्ध ,या विपरीत गुण वाले, *संयोगविरूद्ध,* संस्कार विरूद्ध * देश, काल, मात्रा, स्वभाव आदि से विरूद्ध होते हैं।
जैसे – 
 दूध के साथ -मूँग,उड़द, चना आदि दालें, सभी प्रकार के खट्टे व मीठे फल, गाजर, शकरकंद, आलू, मूली जैसे कंदमूल, तेल, गुड़, शहद, दही, नारियल, लहसुन, कमलनाल, सभी नमकयुक्त व अम्लीय पदार्थ संयोगविरूद्ध हैं।
दही के साथ -उड़द, गुड़, काली मिर्च, केला व शहद।
शहद के साथ- गुड़, घी के साथ तेल विरूद्ध है।
  शहद, घी, तेल व पानी इन चार द्रव्यों में से दो अथवा तीन द्रव्यों का समभाग मिश्रण मात्राविरूद्ध है। 
गर्म व ठंडे पदार्थों का एक साथ सेवन वीर्य विरूद्ध है।

दही व शहद को गर्म करना संस्कार विरूद्ध है।

दूध को विकृत कर बनाया गया छेना, पनीर आदि व खमीरीकृत पदार्थ स्वभाव से ही विरूद्ध (दूध के गुण के )हैं।

हेमंत व शिशिर  इन शीत ऋतुओं (सर्दियोंमें) में कम भोजन करना या भूखे रहना। 
 शीत, लघु, रूक्ष, वातवर्धक पदार्थों का सेवन तथा --
वसंत-ग्रीष्म शरद इन उष्ण ऋतुओं में - दही का सेवन काल विरूद्ध है।
मरूभूमि में रूक्ष, उष्ण, तीक्ष्ण पदार्थों व समुद्रतटीय पदार्थों में स्निग्ध-शीत पदार्थों का सेवन, क्षारयुक्त भूमि के जल का सेवन देशविरूद्ध है।

अधिक परिश्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए अल्प, रूक्ष, वातवर्धक पदार्थों का सेवन व बैठे-बैठे काम करने वाले व्यक्तियों के लिए स्निग्ध, मधुर, कफवर्धक पदार्थों का सेवन अवस्थाविरूद्ध है।

अधकच्चा, अधिक पका हुआ, जला हुआ, बार-बार गर्म किया गया, उच्च तापमान पर पकाया गया (जैसे – फास्टफूड), अति शीत तापमान में रखा गया (जैसे – फ्रिज में रखे पदार्थ) भोजन पाकविरूद्ध हैं।

मल, मूत्र का त्याग किये बिना, भूख के बिना अथवा बहुत अधिक भूख लगने पर भोजन करना क्रम विरूद्ध है। जो आहार मनोनुकूल न हो, वह हृदय विरूद्ध है क्योंकि अग्नि प्रदीप्त होने पर भी आहार मनोनुकूल न हो तो सम्यक पाचन नहीं होता। 
इस प्रकार के विरोधी आहार के सेवन से बल, बुद्धि, वीर्य, आयु का नाश, नपुंसकता, अंधत्व, पागलपन, अर्श, भगंदर, कुष्ठरोग, पेट के विकार, शोथ, अम्लपित्त, सफेद दाग, ज्ञानेन्द्रियों में विकृति व अष्टौमहागद अर्थात् आठ प्रकार की असाध्य व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं। विरूद्ध अन्न का सेवन मृत्यु का भी कारण हो सकता है।
अतः पथ्य-अपथ्य का विवेक कर नित्य पथ्यकर पदार्थों का ही सेवन करें। अज्ञानवश विरूद्ध आहार के सेवन से उपरोक्त व्याधियों में से कोई भी उत्पन्न हो गयी हो तो वमन-विरेचनादि पंचकर्म से शरीर की शुद्धि एवं अन्य शास्त्रोक्त उपचार करने चाहिए। ऑपरेशन व अंग्रेजी दवाएँ उपाचार करने चाहिए। ऑपरेशन व अंग्रेजी दवाएँ रोगों को जड़ मूल से नहीं निकालते। अपना संयम और निःस्वार्थ एवं जानकार वैद्य की देखरेख में पंचकर्म विशेष लाभ देता है। इससे रोग तो मिटते ही हैं, 10-15 साल आयुष्य भी बढ़ सकता है।
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समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

1 टिप्पणी:

All Able ने कहा…

आपको साधुवाद व धन्यवाद की आप इतना अच्छा कार्य कर रहे हैं जिससे सामान्य जन को इतना लाभ हो रहा है निश्चित ही आप बधाई के पात्र हैं।
मेरी भी कुछ जिज्ञासा हैं कृपया इनका उत्तर देवें।

1. क्या अलसी और सोयाबीन को एकसाथ इस्तमाल ​किया जा सकता है। इनके प्रयोग का क्या तरीका है और क्या सावधानियां रखनी चाहिये? कृपया विस्तार से बताएं। धन्यवाद

2- बच्चों के लिए हैल्थ डींक बनाना चाहता हूं जो रोज सुबह दुध में दो चम्मच मिलाकर ​पिला दूं। इसमें मैं अलसी, सोयाबीन, बादाम, काजू, जौ, बाजरा, चना, पिस्ता, अखरोट, छुहारा, मुंगफली
तो इसमें इनका अनुपात क्या होगा, या इनका तरीका क्या होगा दरअसल मैं बाजार में मिलने वाले काम्पलान या बोर्नविटा की जगह बच्चों को यह देना चाहता हूं। अगर इसी मिश्रण में मिठास के लिये आधा चम्मच शहद घोल दूं तो क्या यह नुकसान करेगा...कृपया शंकाओं का समाधान करें।

यह मिश्रण देने के बाद बाद में अंडा और केला का नाश्ता दिये जाने में कोई परेशानी तो नहीं है।


मेरे 2 बच्चे हैं लड़का 9 वर्ष और लड़की 8 वर्ष।
और मैं और मेरी पत्नि खुद भी वह मिश्रण रोजाना ले सकते हैं या नहीं?

हम चारों को डायबिटीज, हाई बीपी की परेशानी नहीं है।
आपके जवाब का इंतजार रहेगा। धन्यवाद




Thanks and Regards
Mohammed Akhtar

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निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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