Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Won't the corona grow in unlock?(क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा?)

क्या कोरोना अनलॉक में अधिक नहीं बढेगा

डॉ मधु सूदन व्यास उज्जैन 30/08/2020

पिछले छे माहों से आतंक फैलाने वाली कोविड या कोरोना महामारी को रोकें हेतु, शासन ने अनलॉक की नई गाइड लाईन जारी की है, इसमें कुछ ही व्यवस्थाओं को छोड़कर अधिकतम को मुक्त कर दिया है|  

इस विषय में मेरा यह मानना है कि, शासन की अनलॉक करने की प्रक्रिया पूरी तरह एक सोचा समझा समझदारी का निर्णय है। इससे आर्थिक, रोजगार, आदि समस्याओं, से छुटकारे की ओर बढ़ेंगे।

कुछ लोग कहते हैं जब कोरोना संकट पिछली बार की छुट से ही अधिक बढ़ रहा है तो यह अधिक स्वतंत्रता देना, निर्णय अनुचित है।

प्रारम्भिक काल में विश्व के जिन भागों में कोरोना फेला, उनमें होने वाली मोतों, और चिकित्सा की अनिश्चितता ने डब्लू एच ओ, और जागरूक देशों को इसकी मारक शक्ति देख यह समझा दिया की तत्कालीन परिस्थिति में सभी लोगों को एक दुसरे से संपर्क रोक दिया जाये|   इसीकारण लोकडाऊन लगाना आवश्यक हो गया था|

प्रारम्भिक समय में विश्व का कोई भी, इस विप्पत्ति का सामना करने तैयार नहीं था। किसी को भी यह ज्ञात नहीं था कि इस नए वाइरस से सुरक्षा कैसे की जाए, कैसे लोगों को बचाया जाये|

हमारे देश में भी तब देश में रोग से लड़ने हमारे यहां संसाधन नहीं थे, न दवा, न वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, सुरक्षा वस्त्र भी न के बराबर थे।

चिकित्सक, चिकित्सा कर्मचारी, सहयोगी, सफाई कर्मचारी, ओर स्थानीय प्रशासन भी रोग विषयक प्रत्येक बात से अनजान थे| ऐसे में तत्कालीन उपाय व्यक्तियों को निकट संपर्क से बचाए रखना एक मात्र विकल्प था| इसीकारण लोकडाऊन घोषित कर देना जरुरी हो गे था| यदि एसा न होता तो कोरोना रोग से मौतें इतनी अधिक होतीं की देश की आर्थिक कमर कई वर्षों के लिए टूट जाती, वर्षो तक बेरोजगारी, अनाज और उपज की कमी भुखमरी, जैसे हालात बन जाते। एसा वर्षों पूर्व कई रोग जैसे प्लेग आदि में हम और कई देश देख भी चुके हें|

लोंकडाउन ने कोरोना पर ब्रेक लगाया और कुछ ही जनहानि के बाद धीरे धीरे सभी आम व्यक्तियों, प्रशासकों, चिकिसकों, पैरामेडिकल स्टाफ, आदि आदि को प्रशक्षित कर दिया, और कोरोना से लड़ने की राह दिखाई 

प्रारम्भ में जरूरत ने, मास्क से लेकर वेंटिलेटर तक, ओर ओषधियों से वैक्सीन आदि तक आदि की खोज के लिए पर्याप्त समय दे दिया।

शरीर विज्ञान अनुसार एक सिद्धांत हैं, जब भी कोई भी वाइरस आक्रमण करता है, तब हमारा शरीर उसके विरुद्ध स्वयं लड़ने की क्षमता विकसित करने लगता है, जुकाम, सर्दी आदि में सभी ने अनुभव भी किया होगा,  नीति निर्धारकों को इसी अनुभव का लाभ लेने, देश, समाज, ओर चिकित्सा संस्थानों के प्रशक्षित होने, ओर संसाधन एकत्र करने समय प्राप्त करने संपर्क चेन को तोड़कर रोग को तेजी से फेलने से रोक दिया| और कम से कम हानी के उद्देश्य पूर्ति के लिए इतना कठोर कदम उठाना पड़ा|

अब जब यह उद्देश्य पूरा हो गया है, साधन, साध्य, व्यवस्था, जुटाई जा चुकी हैं, तो अब अनलॉक करना उचित कदम है।

यह न समझा जाये की कोरोना अब नहीं होगा, यह सोचकर असावधानी न बरती जाना चाहिए| निश्चय ही लोंक डाउन हटने से संक्रमण तो फैलेगा यह सत्य है, पर अब हानि कम से कम होंगीं, चिकित्सक, ओर चिकित्सा स्टाफ बिना भय के विश्वास के साथ चिकित्सा में जुट जाएंगे, ओर आज देखा भी यही जा रहा है। 

इस अनलॉक का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि संक्रमण से वचाव के लिए एंटीबॉडी पूरे समाज में उत्पन होने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। जब अधिकांश में एंटीबाड़ी विकसित हो जाएगी तो कोरोना की चेन टूट जाएगी, और देश में कोरोना गायब हो जायेगा| वेक्सिन टीके में भी यही होता है, टीके के माध्यम से वाइरस की सूक्ष्म डोज दी जाती है, शरीर उसका प्रतिकार करता है, और एंटी बोडी उत्पन्न हो जाती है| हालाँकि टीके में निष्क्रिय वाइरस होता है जो किसी को रोगी नहीं बना पाता इसीकारण वह सभी आयु वर्ग को सुरक्षित होता है|  

इस बात को सिरो सर्वे ने सिद्ध भी कर दिया है। 

अभी 6 से 7% लोगो में ओर कहीं अधिक भी बिना कोई लक्षण कोरोना हुआ ठीक भी हो गया और शरीर में एंटीबॉडी बन गई, अब वे स्वयं रोग से कष्ट न भोगेंगे अपितु, रोग प्रसारित भी हीं कर पाएँगे|  

जब देश की अधिकांश या 40- 50 % आबादी में भी यह एंटीबॉडी बन जाएगी, तो बिना वैक्सीन या दवा के कोरोना देश में नहीं फ़ैल सकेगा|

अत: अब जरूरी यह है, कि रोगी, कमजोर वृद्ध, ओर छोटे बच्चों को इस संक्रमण से बचा कर रखा जाए, क्योंकि कोरोना वाइरस कमजोर, रोग ग्रस्त, और छोटे बच्चों को घातक हो सकता है|

अनलॉक में इसीलिए बच्चो बुजुर्गों एवं रोग ग्रस्तों को पूर्व की तरह लोकडाउन में रहने के लिए बाध्य करते हुए आगे बढ़ने का निर्देश जारी किया है| 

======================================================== 
समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में आयुर्वेदिक चिकित्सा के ज्ञान, सामर्थ्य, हेतु किया जा रहा है। चिकित्सा हेतु नजदीकी प्राधिक्रत आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेँ। चिकित्सक प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क करै।

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "