Prevention of Child Malnutrition by Herbal medicinal Milk-Dessert (Supustiksirapaka) & Massage (Abhyang)
कार्यक्रम संचालक
बाल
कुपोषण
बच्चो में आहार की कमी से
होने वाली गंभीर एक समस्या
Ø विकास
एवं जीवनीय क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव|
Ø शरीर
के पोषण,
विकास एवं स्वास्थ्य संरक्षण में कमी आहार का समुचित उपयोग न होना|
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कुपोषण एक दुश्चक्र है
जिसमे फसने के बाद, या तो बच्चे की
मोत या सम्पूर्ण जीवन शारिरिक, बोद्धिक, शेक्षिक, आर्थिक, द्रष्टि से
कमजोर बना रहेगा|
यदि यह बालिका है तो
कुपोषण का चक्र अगली कई पीढ़ी तक चलता रहता है|
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बाल कुपोषण
निवारण में आयुर्वेद की भूमिका
के बहुतेरे
प्रयासो के बावजूद भी बाल कुपोषण की संख्या में
संतोष जनक कमी न
आने के कारण आयुष विभाग के
निर्देशन में “सुपुष्टि योग की खीर” एवं “महामाष तेल” के अभ्यंग
द्वारा उपचार के
२१ दिवसीय शिविर जन सहयोग के माध्यम से उज्जैन
जिले के आयुष विंग, आयुष ओषधालयो में लगाये गये
जिसके परिणाम
बाल कुपोषण निवारण की दिशा
में जो मिले है,
उन्है प्रस्तुत किया जा रहा है।
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प्रयुक्त मात्रा एवं प्रक्रिया
सुपुष्टि योग- कुपोषित
बच्चों की आयु, पाचन -बल के अनुसार 3 से 6
ग्राम प्रतिदिन
अभ्यंग पश्चात 50 मि.ली.
खीर पिलाई गई !
क्षीर प्राशन के पूर्व
सर्वांग - अभ्यंग
महामाष तेल से सर्वांग
अभ्यंग
अभ्यंग-महामाष तेल
कुपोषित बच्चो को प्रतिदिन
15 मिनिट
शरीर का स्नेहन (मालीश)
तैल मात्रा 20-25 ग्राम
प्रति बच्चा
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महिला एवं बाल
विकास की रिर्पोट के अनुसार उज्जैन जिले में स्वास्थ विभाग के पोषण पुनर्वास
केन्द्रो में उपचारीत बच्चो के मुकाबले आयुर्वेद उपचार से अधिक लाभदायक सिद्ध
हुआ।
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आयुर्वेद उपचार क्यो पसंद
किया गया!
Ø बच्चो
को भर्ती की आवश्यकता नही!
Ø एक
आधा धन्टे में शिविर में उपचार!
Ø सक्रियता,
चेष्टा और चंचलता में वृद्धि!
Ø बार
बार होने वाले संक्रमण से बचाव!
Ø दो
तीन दिन में ही पाचन (भूख) में वृद्धि!
Ø इन्जेक्शन
के स्थान पर दुलार भरा स्पर्श अभ्यंग!
Ø कडवी
दवाई की जगह मीठी खीर खाने का आनंद!
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सुपुष्टिक्षीरपाक एवं अभ्यंग से बाल कुपोषण निवारण- PPT
Prevention of Child Malnutrition by Herbal medicinal Milk-Dessert (Supustiksirapaka) & Massage (Abhyang)