Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

What is the reason for the stench of mouth.(मुहं में बदबू),

What is the reason for the stench of mouth.(मुहं में बदबू),
कभी कभी एसा लगता है की लोग आपसे कन्नी काट रहे हें| आप उनके पास जाना चाहते हें, वे आपसे दूर भागते हें|  इसका पता जब चलता है तो बढ़ा ही अपमानित महसूस होता है| एसा हो सकता है और आपको पता ही न हो की आपके मुहं से बदबू आती है|
जी हाँ एसा हो सकता है, आपकी गंध आपके अन्दर बसी हुई होती है तो उसके अच्छे-बुरे होने का आपको पता तब तक नहीं चलता जब तक की कोई आपका हितेषी अपना या मुहं फट आपको बताता नहीं की आपके मुहं से बदबू आ रही है|
जब आपको पता चलता है तो आप इससे मुक्ति पाने में लग जाते हें| परन्तु जब तक आपको मालूम नहीं की इस दुर्गन्ध का करण क्या है आप मुक्ति नहीं पा सकते|
आपको जानना होगा की मुहं की बदबू का कारण क्या है?

मुहं में बदबू तब पैदा होती है जब वहां कोई चीज सडती है, सड़न का कारण एक बैक्टीरिया होता है, जो वहां एकत्र खाने के अंशों को खाने बड़ने लगता है, इस बेक्टीरिया द्वारा छोड़ी जाने वाली गेस ही बदबू या दुर्गन्ध का कारण होती है| यह आपके मुहं से निकलती है अतः आप इसके अभ्यस्त हो जाते हें, और आपको यह अप्रिय नहीं लगती|
यदि आप चाहते हें की दूसरा आपसे दूर रहने की कोशिश न करें तो आपको इस दुर्गन्ध को दूर करना होगा, इसके लिए जरुरी है की आप खाने के टुकड़े मुहं या दांतों में जमा न होने दें|
इसका सबसे पहिला रास्ता है कुछ भी खाने के बाद तुरंत अच्छी तरह से कुल्ले. ब्रश आदि करके मुहं साफ करें|
कभी कभी आपको लगता है की मुहं को रोज ठीक से साफ़ करने के बाद भी दुर्गन्ध नहीं जा रही, --
जी हाँ एसा भी हो सकता है मुहं और दांतों से बेक्टीरिया पैट में पहुँच जाते हें, कभी कभी कुछ खाद्य पदार्थ विशेषकर नोन वेज, और बाज़ार के फ़ास्ट फ़ूड पैट में पहुंचकर आसनी से पच नहीं पाते और पाचन संस्थान में एकत्र रह कर सडन पैदा करते रहते हें, इनसे निकली गेस ऊपर मुहं नाक से, और नीचे गुदा मार्ग से निकलकर दुर्गन्ध विखेरती है और आपको सबसे दूर कर शर्मिंदगी का कारण बनती है|
यह समस्या केवल बदबू तक खत्म नहीं होती दांतों को सड़ाकर केविटी/ पायरिया आदि पैदा करती है जिससे धीरे धीरे आपके दांत समय से पाहिले साथ छोड़ जाते हें| पैट के बेक्टीरिया लिवर को खराब कर खून की कमी, रग प्रतिकार क्षमता में कमी, हड्डी की कमजोरी, मधुमेह (Diabetes), अदि-आदि-आदि अनेक लाइलाज रोगों का कारण बन जाया करती है|
क्या आप चाहेंगे की उपरोक्त बीमारियाँ आपको लग जाये?
यदि नहीं तो सर्व प्रथम अपने मुहं में दुर्गन्ध का कारण ही उत्पन्न न होने दें| यदि बदबू आने लगी है तो तुरंत सम्भाल जाएँ इस बदबू को जीवन के अंत का अलार्म और चेतावनी मानते हुए इससे मुक्ति पा लें|
भयभीत न हों, अभी यह आपके बस में है की आप इससे बच सकते हें|
1.           आपको प्रति दिन प्रात और रात्रि सोते समय दांतों पर ब्रश और जीभ की सफाई करना चाहिए|
2.           हर बार कुछ भी खाने के बाद मुहं दांत अच्छी तरह कुल्ले करके साफ करने की आदत बनाये|
3.           पानी प्रति दिन अधिक पिए इससे हजमा ठीक रहेगा|  पानी सफाई का कम करता है, यह बेक्टीरिया को पनपने से रोकेगा|
4.           तम्बाकू, धुम्रपान, गुटका,शराब, ड्रग्स आदि न लें बदबू का एक बड़ा कारण ये भी है|
5.           तिल तैल /या नारियल तैल का ‘कवल धारण’ (तैल को 10 – 15 मिनिट तक मुहं में भर कर रखना और गुडगुडा कर निकाल देना) इसकी अच्छी चिकित्सा है|
6.           सरसों का तैल और नमक से ब्रश करने से मुहं की दुर्गन्ध दूर होती है|
7.           स्वर्जिका क्षार या मीठे सोडे (बेकिंग सोडा) को टूथ पेस्ट या मंजन में मिलकर ब्रश करने से मुहं की दुर्गन्ध दूर हो जाती है|प्रति सप्ताह एक बार एसा करने से कभी दुर्गन्ध नहीं आयेगी|
8.           तुलसी के पत्ते,लोंग, सोंफ, धनिया दाल, पोदीना पत्ते, अदरक, आदि खाने के बाद चबाने से दुर्गन्ध नहीं रहती|
9.             यदि बदहजमी रहती हो तो भोजन के पूर्व एक चम्मच हिंग्वाष्टक चूर्ण एक सप्ताह लेने से बदबू नष्ट होती है|

10.        इन उपायों से भी बदबू नष्ट न हो तो किसी कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर रोग निदान/और चिकित्सा लें|
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What is the reason for the stench of mouth(आपके प्रश्नों के उत्तर में)
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जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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