Third Eye
treatment by Shirodhara - cure most of all neurological
disease.
shirodhara
relieves Anxiety, Stress, Depression, Fatigue, Fear, Insomnia
and headaches like Migraine, Blood pressure & Jet Lag,. It regulates mood. Shirodhara therapy to heal many
diseases.
तीसरे
नेत्र जाग्रत करने वाली होती है शिरोधारा-
अधिकांश न्यूरोलॉजिकल रोगों की चिकित्सा।
शिरोधारा चिंता, तनाव, अवसाद, थकान, डर, अनिद्रा, और माइग्रेन जैसे सिर दर्द, और रक्तचाप
से राहत मिलती है। जेट अंतराल (विमान यात्रा से हुई थकान)। यह मूड को ठीक करती है।
शिरोधारा द्वारा चिकित्सा करने से अधिकांश रोग मिट जाते है|
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शिरोधारा- अधिकांश न्यूरोलॉजिकल रोगों की चिकित्सा। |
तीसरी आंख को
खोलकर केसे करें अधिकांश रोगों पर नियंत्रण
कहाँ है
तीसरी आँख?
मनुष्य को
दो नेत्र होते हें, यह बात तो सभी कहते हें, पर भारतीय दर्शन मानता है की एक तीसरी
आंख भी होती है, और यह स्थान भगवान शिव की तीसरे नेत्र के रूप में मस्तष्क के अग्र
भाग में प्रदर्शित किया जाता है|
यही बात
विज्ञानं भी अलग तरीके से कहता है| इस स्थान के ठीक नीचे पीयूषिका ग्रन्थि [पिट्यूटरी
pituitary
gland] होती है, आधुनिक विज्ञानं में इसे समस्त ग्रन्थियों का ‘हेड
मास्टर” भी कहा जाता है, क्योंकि इससे निकलने वाला हार्मोन द्रव्य अपने कार्य के
साथ-साथ, शरीर की प्रत्येक अन्य ग्रंथि - पीनल, थाइरोइड, पैरा-थाइरोइड, अग्नाशय (पेनक्रियाज),
अधिवृक्क (एड्रेनल), पुरुष के वृषण(Testise),या स्त्रियों के अंडाशय (ओवेरी) से निकलने वाले हार्मोन्स को भी प्रभावित करता
है|
इस पिट्यूटरी
ग्रन्थि का कार्य शरीर और अन्य अंगों की वृद्धि, रक्तचाप नियन्त्रण, स्त्रियों की गर्भावस्था
और प्रसव के दोरान गर्भाशय के संकुचन आदि, आवश्यक क्रियाएं, स्तन दूध का उत्पादन, पुरुषों और महिलाओं के यौन अंगों के कार्य,
प्रमुख तौर पर होता है इसके साथ ही इस ग्रन्थि से निकलने वाला हार्मोन स्राव, अन्य
ग्रन्थियों के कार्य में सक्रिय सहायक भी होता है| यदि इसकी सहायता उन्हें न मिले
तो वे अपना कार्य कभी पूरा नहीं कर सकतीं|
यह समझने
वाली बात है, की यदि किसी महिला या पुरुष में इससे सम्बंधित कोई कष्ट, कमी आदि देखी
जा रही है तो, यह पिट्यूटरी ग्रंथि की निष्क्रियता या अति-सक्रियता (Inactivity
or hyperactivity) से ही हो रहा है|
इसी प्रकार
अन्य ग्रन्थियों के कार्य भी यदि प्रभावित है, तो उनसे सम्बंधित रोग भी होगा है| इसलिए
सर्वप्रथम यदि इस ग्रन्थि के कार्य का सामान्य (नार्मल) रखा जाये या बना दिया जाये,
तो अधिकांश ग्रन्थियों की अतिसक्रियता, या निष्क्रियता से होने वाले रोग नियंत्रित
हो जायेंगे|
इसके बारे
में आगे जानने से पहिले एक बार सक्षेप में, इन ग्रन्थियों के काम जान लें, तो उनकी
कमी या अधिक स्राव के कारण समझना अधिक आसन होगा|
अवटूका
ग्रंथि (थाइराइड ग्रंथि) का कार्य भोजन का ऊर्जा के रूप में परिवर्तन (metabolism), शरीर में जल एवं परासरण दाब का नियंत्रण {Control Of Body Fluid
Osmolarity (Water Balance)}, गुर्दों में मूत्र के अवशोषण को
नियंत्रित हेतु मूत्र वर्द्धन रोधी
हार्मोन (ADH) को स्रावित करना और शरीर का तापमान का
नियंत्रण, प्रमुख होता है| कहना न होगा की पियुषिका में कमी बेसी से ये प्रक्रिया
भी प्रभावित हुए बना न रहेंगी|
इससे
मोटापा, किडनी रोग, अनिद्रा, आदि होंगे|
इसी प्रकार
सक्षेप में कहा जाये तो पेनक्रियाज के कारण सुगर न पचने से मधुमेह diabetes), अंडाशय में कमी से बंध्यता (संतान न होना) आदि, वृषण में परिवर्तन से
नपुंसकता आदि पुरुष कार्य प्रभावित होंगे|
इस प्रकार हम
पाएंगे की अधिकांश रोगों का कारण भी अवटुका या पिट्यूटरी ग्रन्थि हो सकती है|
पिट्यूटरी ग्रन्थि से निकलेने वाले हार्मोन की
कमी से, स्त्री पुरुषों में कामेच्छा, स्तंभन दोष,
अनियमित मासिक धर्म की अनुपस्थित या कमी, बाल (hair) कम होना, कमजोरी, मांसपेशियों में शक्ति का अभाव, मनोदशा
में गिरावट, चेहरे पर चमक की कमी, भूख न लगाना, मतली, उल्टी,
रक्त शर्कराकी कमी (लो सुगर), रक्तचाप कम
होना, चक्कर आना, शरीर में दर्द, और इन सबसे नींद कमी, माइग्रेन,
तनाव, चिंता (anxiety), और पागलपन जैसे कारण उत्पन्न होते हें|
इस पिट्यूटरी
ग्रंथि के हार्मोन द्वारा शरीर के विभिन्न भागों हार्मोन्स आदि को नियंत्रित करने
के कारण इसे तीसरी आंख जो वह सब कुछ करती या देखती है, जो हम अपनी दो भोतिक आँखों
से न देख कष्ट उठाते हें| ऋषि मुनि, योगी इस
तीसरे नेत्र के सहारे शरीर के कार्यों को व्यवस्थित कर रोग मुक्त रहते हें|
हम
वर्त्तमान हालत में रहने को मजबूर आम लोगों के लिए जिनके पास समय का अभाव है, तप
से इसको नियंत्रित किया जाना असम्भव है|
इस तीसरी
आंख को पुन: ठीक करने लिए भी अलंकारिक रूप से हिन्दू धर्म में शिव को जल धारा,
दुग्ध धार, घृत धारा, भात पूजा आदि द्वारा बताने की कोशिश भी हमारे मनीषियों ने की
थी, पर हम इसके भाव को समझ न पाए|
आयुर्वेद
चिकित्सा में की जाने वाली चिकित्सा शिरोधारा, शिरो बस्ती, आदि से इसी नेत्र को
सुधारकर शरीर को रोगों मुक्त करने की प्रक्रिया है|
शिरोधारा
(Shirodhara) आयुर्वेद की प्राचीनतम, प्राकृतिक, अद्भुत और अद्वितीय चिकित्सा पद्धति है|
शिरोधारा
का तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इससे सीधे असर होकर
तत्काल असर होने से अत्यधिक लाभ मिलता है| इसके प्रभाव से अच्छी नींद आने पर रोगी
की चिंता, तनाव मुक्ति से सिरदर्द, बेचेनी, तत्काल दूर होती है| रक्त नलिकाओं (ब्लड वेसल्स) द्वारा ओषधि सोख
लिए जाने से पिट्यूटरी ग्रंथि के हार्मोन नियंत्रित होजाने से कुछ ही समय में अन्य
मेटाबोलोज्म, ठीक होकर अन्य समस्याएं स्वत: ठीक हो जातीं हैं| चेहरे पर एक तेज
उत्पन्न हो जाता है|
स्वस्थ अवस्था
में ही जबकि रोग की जड़ न जमी हो तब सही ओषधि युक्त शिरोधारा का सतत प्रयोग से पिट्यूटरी
ग्रंथि का सम्यक पोषण, शोधन, आदि करते रहने से कोई रोग होगा है नहीं, परन्तु यदि
देर कर दी है और कोई रोग हो गया है, और प्रारम्भिक अवस्था में है, तो वह ठीक हो
सकता है, यदि रोग जम गया है, तो उस रोग को शिरोधारा के पूर्व या साथ अन्य आवश्यक
पंचकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती आदि, शोधन
द्वारा ठीक किया जाना संभव है|
इसके लिए पश्चिमी
वैकल्पिक चिकित्सा में इस प्रकार की कोई भी चिकित्सा, जो सीधे तंत्रिका तंत्र पर
प्रभावकारी हो नहीं है| इसी कारण आज पश्चमी देशों में शिरोधारा चिकित्सा, करोड़ों
लोगों द्वारा व्यक्ति-गत अपनी स्वचालित पोर्टेबल मशीन से या किसी मसाज सेंटर, स्पा,
पार्लरों आदि में जाकर की जा रही है| इसके
लिए अर्ध या पूर्ण स्वचालित मशीने विश्वभर में उपलब्ध हें|
भागम-भाग
भारी जिंदगी में हम योगियों की तरह एकाग्रचित्त होकर इस तीसरे नेत्र पिट्यूटरी ग्रंथि
को नियंत्रित नहीं कर सकते, इसलिए इससे उत्पन्न चिंता, तनाव, थकान और उच्च रक्तचाप, भय और सिर दर्द को दूर करने, मूड को नियंत्रित करने
के लिए, शिरोधारा सर्वोत्तम, सहज, सरल, एवं सुरक्षित उपाय है| निष्णात चिकित्सक के
आधीन हो तो अधिक लाभकारी है|
लगातार विमान
आदि की यात्रा से हुई थकान (Jet Lag) से राहत का इससे अच्छा
कोई उपाय नहीं|
हमारे देश
में शिरोधारा सहित पंचकर्म चिकित्सा कुशल आयुर्वेद चिकित्सकों के निर्देशन में
होने से प्रतिवर्ष लाखों विदेशी इस चिकित्सा के लिए भारत आ रहें है|
शिरोधारा
चिकित्सा से ठीक हो सकने वाले रोग|
Ø माइग्रेन
जैसे सिर दर्द, चिंता,
तनाव, अवसाद, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, पागलपन,
Ø जेट
अंतराल (विमान यात्रा से हुई थकान)।
Ø यह
मूड को ठीक करती है।
Ø शिरोधारा
द्वारा सीधे पिट्यूटरी ग्रन्थि का पोषण, शोधन, आदि होने से इससे निकले हार्मोन्स अन्य
हार्मोन्स का पोषण भी करते हें, इससे अधिकांश रोगों की चिकित्सा आसान हो जाती है|
Ø स्वस्थावस्था
में शिरोधारा करते रहने से पिट्यूटरी हार्मोन हमेशा स्वस्थ रहकर शरीर को स्वस्थ्य
रखता है|
शिरोधारा वात्सल्य
आयुर्वेद चिकित्सा एवं पंचकर्म केंद्र पर अत्यंत कम शुल्क पर उपलब्ध है|
देखें लेख में – शिरोधारा कैसे की जाती है? कब, किससे और कहाँ करना
चाहिए? आदि आदि कई प्रश्नों के उत्तर | आपके मन में भी कोई
प्रश्न हो तो लिखें ?
वैद्य (डॉ) मधु सूदन व्यास – Ujjain MP India
(+91) 0734-2519707
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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