Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

शीत ऋतु- सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए

सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए
वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु भी आ चुकी हे और कुछ ही दिनों में शरद ऋतु का प्रारंभ होने को हे, याने सर्दियों ने दस्त‍क  दे दी है, इसके साथ ही सबमे आलस्य भी पनप रहा होगा। सर्दियों का ख्याल आते ही, वो समय याद आता है जब आप सर्दियों में धूप सेंकते हैं या दोस्तों के साथ गर्म पकवान का आनंद लेते हैं।

स्वास्‍थ्‍य की दृष्टि से सर्दियां बहुत ही अच्छी मानी जाती है। गर्मियों की तुलना में सर्दियों में भूख अधिक लगती है और ऐसे में चटपटे व्यंजनों का आनंद भी लिया जा सकता है। लेकिन अस्थमा, अर्थराइटिस और हृदय रोगियों को इस मौसम में खास ख्याल रखने की आवश्यकता होती है।
शीत ऋतु में पाचन शक्ति बड़ जाती हे ,इसलिए जो कुछ भी खाया पिया जाता हे हजम हो जाता हे | पर लापरवाही हानी भी कर सकती हे |
सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए -
• सर्दियों के कपड़े पहिने -: सर्दियों की शुरूवात में कभी अधिक ठंड लगती है, तो कभी कम। ठंड नहीं लगने पर भी गर्म कपड़े पहने रहें। ठंड का प्रकोप सबसे पहले सर, हाथों व पैरों पर होता है, इसलिए इन स्थानों को ढक कर रखें।
• आदर्श भोजन व पेय-:  सर्दियों में अधिक ठंडे पेय व आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे मौसम में लोग पानी कम पीते हैं, जिससे निर्जलीकरण(पानी की कमी) की संभावना बढ़ जाती है। अल्कोहल जैसे पेय पदार्थों से भी निर्जलीकरण होता है इसलिए इनका सेवन कम करें|
• नियमित सफाई:-  सर्दियों में प्रतिदिन नहायें। आप नहाने के लिए गर्म पानी का प्रयोग कर सकते हैं और त्वचा को शुष्की से बचाने के लिए नहाने के पानी में तुलसी के पत्ते , अजवायन या मेथी को पकाकर स्नान भी इनका प्रयोग कर सकते हैं।तिल्ली पीस कर उबटन बना कर नहाने से पहिले लगा सकते हे |
• व्यायाम का मज़ा:--  सर्दियां मज़ेदार तो होती हैं, लेकिन इस मौसम में आलस्य् भी कुछ कम नहीं होता। अधिकतर लोग आलस्य में घिरकर लोग व्यायाम करना भी छोड़ देते हैं, और देर तक रजाई का आनद लेते रहते हें,यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं।
सर्दियों में स्वस्थ‍ और फिट रहना है तो आलस्य छोड़ें और व्यायाम अपनायें।
  • जो अधिक वजन चाहते हें वे पोष्टिक लड्डू आदि खाए | जो वजन कम करना चाहते हो वे संतुलित प्रोटीन भरा पर पर्योत आहार ले |और पानी अधिक पिए|

(समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |).

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स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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