लगातार
बैठकर लंबी यात्रा करने,
या बिस्तर पर लगातार आराम करने से, आपका रक्त
जम कर हो सकता है और गंभीर बीमारी "त्रिदोषज शिरा गत घनास्त्रता" का कारण?
Tridoshaj shira gat Ghanastrta
चालीस
वर्ष की आयु पार स्त्री पुरुषों, विशेषकर आराम तलब,
मोटे, और ऐसे लोग जो किसी बीमारी, आपरेशन, आदि के बाद लम्बे समय तक आराम करते हें,
या बैठकर कार, बस आदि में लम्बी यात्रायें
लगातार करते रहते हें, उनके परों की रक्त वाहिनियों में सूजन,
खड़े होते समय, या चलते समय पेरों में दर्द,
सूजन सहित जलन का अहसास होने लगता है, कभी कभी
त्वचा का रंग भी बदला हुआ दिखाई देने लगता है| साँस
लेने में कष्ट, जल्दी जल्दी साँस लेना, दिल की धड़कन बढ़ जाना जैसी कठिनाई का सामना करना पढता है|
इसका कारण खून के गाढ़ा होने से थक्कों का बनाना हो सकता है|
आराम
तलबी, लम्बा सफ़र आदि से खून की बहाव (चाल) कम होने लगती है,
आयु बढने के साथ मेटाबोलिक प्रक्रिया ( परिपाचन क्षमता) में कमी या
रोग के कारण ली जाने वाली दवाएं खून को गाढ़ा करने लगतीं है, यह
गाढ़ा खून थक्कों में जमने लगता है और पेरों में दर्द, सूजन,
जलन, आदि होने लगते हें|
जब यह थक्के टूट कर फेफड़ों तक पहुँच जाते हें तब फेफड़ों की आक्सिजन लेने
की मात्र कम होने से श्वास लेने आदि की तकलीफ होने लगती है, यही
थक्के कभी कभी ह्रदय की रक्त नालियों में जाकर रुक कर हार्ट अटेक एन्जाजिना आदि का
कारण भी बन सकते हें|
आधुनिक चिकित्सक इस स्तिथि को डीवीटी यानी डीप वेन थ्रोंबोसिसDeep Vein Thrombosis कहते हें|
आयुर्वेद में यह त्रिदोष से उत्पन्न अवरोध जन्य स्तिथि "त्रिदोषज शिरा गत घनास्त्रता"[2] कहाती है| सामान्यत: कुछ केसेज में विशेषकर व्यक्ति के सक्रिय होने पर यह कष्ट स्वत: ठीक
हो जाता है, जमे हुए थक्के भी स्वयं ही खून में घुल जाया
करते है|
परन्तु कई व्यक्तियों को लम्बे समय तक दर्द और
कष्ट बना रह सकता है, और असाध्य ह्रदय रोग, मधुमेह, वृक्क रोग, या किसी अंग में "कोथ" (सडन या गेंग्रिन) हो सकती है|
सावधान यह हो सकती है अकाल मृत्यु का कारण?
सावधान रहें यदि यह रक्त जमने वाला थ्रम्बोसिस रोग यदि अधिक समय तक बना रहता है, तो पेरों से खून ह्रदय, फेफड़ों तक पहुचना कम होने लगता है, अधिक समय तक दर्द, सूजन रहने और परों में अल्सर घाव होंने लग सकते हें, मधुमेंह के रोगी की स्थिति अधिक ख़राब हो सकती है, परों में संक्रमण हो "कोथ" (सडन या गेंग्रिन) होकर मृत्यु या उस अंग को काटने की नोबत आ सकती है|
तो क्या करें?
Then what should we do?
Ø आराम तलब जीवन न बिता शरीरिक रूप से भी सक्रिय जीवन जियें|
Ø किसी भी कारण या बीमारी या आप्रेशन आदि के बाद
जल्दी बिस्तर छोड़ें, और भ्रमण, शारीरिक व्यायाम आदि से रक्त संचालन और मांस-पेशियों को सक्रिय बनायें|
Ø सफ़र के समय पैरों को हिलाते रहें, परों का व्यायाम
करें, आगे पीछे फेलायें, और खून का
प्रवाह बढ़ाते रहें, या बीच बीच में चलते-फिरते रहने का
आदत बनाये|
Ø घूमने, पैदल चलने की, लिफ्ट की
बजाय सीडी का प्रयोग करते रहने की आदत बनाये|
Ø व्यायाम, योगा, को जीवन में
सम्मलित करें|
Ø तंग कपडे न पहने|
Ø शराब, सिगरेट, तम्बाकू,
खून को गाढ़ा करते हें, गाढ़ा खून थक्के बनाने
लगता है इसलिए इन्हें छोड़ देना ही हितकारी है|
Ø रक्त (खून) में अम्लता (acidosis) या पीएच (Ph)
बढ़ने पर थक्के जमने की गति बड जाती है इसलिए रक्ताम्लता बड़ने न पाए|
(देखें लेख;- )Ø खाने में
लहसन, आदि का प्रयोग करें|
Ø टाईट मोज़े घुटनों के मोज़े आदि पहनने से तात्कालिक राहत मिल सकती है,
इसलिए प्रयोग कर सकते हें, पर याद रखें अधिक
समय करना हानिकारक हो सकता है|
Ø खाने में कच्ची सब्जी सहित सलाद, शाकाहार,
लेने और मिथ्या-हार (फ़ास्ट फ़ूड, समोसा कचोरी,
पिज्जा, आदि) मिथ्या-विहार (आराम तलब जीवन)
त्याग देंने से रक्त की अम्लता कम होगी और रक्त के थक्के बनना बंद हो जायेगा,
मेटाबोलिज्म सुधरने लगेगा, और दर्द सूजन आदि
समस्या स्वयमेव कुछ दिनों में दूर हो जाएगी|
चिकित्सा
Ø आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से स्नेहन-स्वेदन और पंचकर्म प्रक्रियाओं द्वारा निष्क्रिय मांस-पेशी को सक्रिय करें| इसके अंतर्गत शरीर के अन्दुरुनी और बाह्य (Inside and out of body) मांस-पेशी, अस्थि, आदि सहित मल-मूत्र, आमाशय, से मलाशय तक की आंत्रगति को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है|
Ø जलोका द्वारा रक्त मोक्षण (आयुर्वेद) चिकित्सा द्वारा भी थक्के हटाये जा सकते हें|
Ø फिजियोथेरेपी (Physiotherapy) चिकित्सा भी ली जा सकती है|
- Thrombosis.-local coagulation or clotting of the
blood
(रक्त के थक्के बनना) in a part of the circulatory system.
Tridoshaj vein Thrombosis.
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