The truth
of the "Asthma disease" drug on Sharad Purnima?
शरद
पूर्णिमा पर श्वास रोग की दवा का सच?
श्वास
के रोगियों के लिए शरद पूर्णिमा पर कई संतों द्वारा रात्रि में खीर आदि के साथ
ओषधि दी जाती है, और दवा किया जाता है की इसके बाद रोगी स्वस्थ्य हो जायेगा!
परन्तु
सच क्या है क्या सचमुच में एक बार ओषधि प्रयोग से श्वास रोग ठीक हो जाता है, इस
बात का उत्तर जानने के लिए श्वास रोग विषयक निम्न जानकारी पढ लें फिर स्वयं निर्णय
करें|
हम
जीवित रहने के लिए निरंतर श्वास (साँस) लेते रहते हें| इस प्रक्रिया में वायु में
उपस्थित आक्सीजन फेफड़ों में पहुंचकर रक्त कणों द्वारा सोख ली जाती है, और कार्बन
डाई आक्साइड छोड़ दी जाती है, जो प्रश्वास के साथ बाहर निकल जाती है|
कई
कारणों से जब इस प्रक्रिया में रूकावट आती है, या आक्सीजन कम मिलती है तो शरीर में
कार्बन डाई आक्साइड का स्तर बड़ने लगता है, और कई प्रकार के कष्ट अनुभव होने लगते
हैं|
सामान्यत:
यह रूकावट फेफड़ों के सिकुड़ जाने, उनमें एलर्जी, संक्रमण, चोट, आदि किसी भी कारण से
सूजन, अथवा अधिक मात्र में कफ (बलगम)
एकत्र हो जाने से होती है|
आयुर्वेद
अनुसार श्वास रोग पांच प्रकार का होता
है :-- क्षुद्रश्वास (Cheyne-Stokes respiration), तमक (Asthma)
, उर्ध्वश्वास (Orthopnea), महाश्वास (Amphoric)
एवं छिन्न श्वास (Chene-Stokes respiration) |
इन
पांच प्रकार के श्वास रोगों में से अस्थमा या सामान्यत श्वास रोग माना जाने वाला “तमक
श्वास” होता है| आयुर्वेद अनुसार यह रोग कष्ट साध्य (कठिनाई से ठीक होने वाला) या
याप्य (चिकित्सा देते रहने पर ठीक रहने वाला) रोग होता है|
तमक
श्वास या अस्थमा रोग में अलग अलग रोगी पर अलग अलग लक्षण मिल सकते हें| फिर भी
सामान्यत: निम्न लक्षण मिलते हें, जिनसे इसे पहिचाना जा सकता है|
साँसों
की कमी (Shortness
of breath), छाती तनाव या दर्द (Chest Tightness
or pain); सांस में कमी के कारण सोने में परेशानी (Trouble
sleeping), प्रश्वास (साँस निकालने) के समय खांसी, सीटी (whistling) या घरघराहट जैसी आवाज़ (wheezing
sound) तमक श्वास या अस्थमा का एक सामान्य लक्षण है|
खांसी
या घरघराहट वाली आवाज का प्रमुख कारण जुकाम या फ्लू जैसे वाइरस संक्रमण से होता
है| आयुर्वेद में ऐसे श्वास रोग को प्रतमक श्वास कहा गया है|
कभी
कभी श्वास की स्तिथि और भी अधिक ख़राब हो सकती है| बोलने में कष्ट, ह्रदय स्थान पर
दर्द, मूर्च्छा, आदि ही सकती है|
अक्सर
उलटी के साथ बलगम या कफ निकल जाने से आराम मिलता है| यह तमक श्वास बादल होने पर,
ठंडी हवा से,या कफ वर्धक आहार खाने से बढ़ता है|
सामन्यत:
अस्थमा या तमक श्वास नया होने पर साध्य (ठीक किया जा सकने वाला), पर पुराना होने
पर याप्य (चिकित्सा से ठीक रहने वाला) होता है| इसी कारण अक्सर कहा जाता है की “दमा”
(अस्थमा) दम के साथ ही (प्राण त्यागने) जायेगा|
शरद
पूर्णिमा पर ओषधि खाने से लाभ?
वर्षा
ऋतु के बाद दुर्बल व्यक्तियों की जठराग्नि (पाचन प्रणाली) कमजोर हो जाती है, ईएसआई
स्तिथि में शरद ऋतु काल में वाट आदि दोषों को शांत करने के लये शमन चिकित्सा की
जाती है| शमन चिकित्सा के साथ अग्नि को बढाने वाले खाद्य ओषधि दी जाना अच्छा होता
है| श्वास रोगी के फेफड़ों में जमा बलगम शरद ऋतु में पढने वाली गर्मी से स्वत:
निकलने लगता है, इससे श्वास रोगी को आराम प्रतीत होता है, यदि इसी समय और कफ शोधक
ओषधि दी जाएँ तो अधिक कफ निकलने से अधिक राहत होगी|
शरद
पूर्णिमा पर कफ वर्धक खीर के साथ कफ निकलने वाली ओषधि जैसे , पीपल पत्तों, का या
छाल का चूर्ण या उनके क्षार, पिप्पली, कंटकारी, आदि आदि ओषधि दी जातीं हें तो रोगी
को आराम मिलता है|
अलग
अलग स्थानों पर क्षेत्र वातावरण और उपलब्धता के अनुसार अलग अलग ओषधि रोगी की दी जाती
हें| इसके साथ ही आगे चिकित्सा परामर्श भी दिया जाता है| अक्सर नए रोगी कफ निकलने
से राहत महसूस करते हें|
श्वास
की आयुर्वेदिक चिकित्सा :-
श्वास
रोगी का रोग दूर करें के लये फेफड़ों में एकत्र कफ को निकल देना प्रमुख लक्ष्य होता
है| कफ निकलने के लिए आयुर्वेदीय पंचकर्म चिकित्सा द्वारा शोधन किया जाना आवश्यक
होता है|
शरद
ऋतु में कफ और पित्त का निर्हरण आसानी किया जाना सभव होता है अत: रोगी को वमन और
विरेचन कर्म करने से नया रोगी शीघ्र रोग मुक्त हो जाता है, पुराने रोगी को बाद में
कुछ दिन तक उचित ओषधि चिकित्सा और देते
रहने से उसे रोग मुक्त किया जाना संभव होता है|
श्वास
रोग को ठीक करने के लिए, यदि कुशल चिकित्सक मिल जाये तो वमन, और विरेचन, करवाना
चाहिए| यदि कुशल चिकित्सक उपलब्ध नहीं है तो भी पंचकर्म के पूर्व कर्म स्नेहन
स्वेदन करवाने से और शास्त्रोक्त नस्य से भी लाभ होता है|
हम
पिछले कई वर्षों से वमन विरेचानादी पंचकर्म चिकित्सा द्वारा कई रोगियों को लाभ
प्रदान कर चुके हें| हमारे धर्मार्थ चिकित्सालय में कोई भी रोगी वर्ष भर निशुल्क,
अथवा सामान्य शुल्क (विशेष आवास आदि सुविधा व्यवस्था के साथ), रोग चिकित्सा के लिए
संपर्क कर सकता है|
संपर्क:-
डॉ मधु सूदन व्यास [पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी उज्जैन/ अधीक्षक धन्वन्तरी
आयुर्वेद महविद्यालय चिकित्सालय उज्जैन; मप्र]
फोन
नं -08319556457 {संपर्क समय दोपहर 12 से 3} चिकित्सा परामर्श फोन पर
नहीं दिया जाता| E mail -
healthforalldrvyas@gmail.com
- contact us:-
- For
Ayurvedic treatment & Panchakarma Therapy. आयुर्वेदिक
चिकित्सा एवं पंचकर्म प्रक्रिया हेतु .
- Free
advice & help about Panchakarma etc for registered clinical
practitioners. पंजीकृत चिकित्सकों को पंचकर्म आदि विषयक
सलाह/ सहायता.निःशुल्क-
:- श्वास
रोग के पांच प्रकार -
श्वासाश्च
पञ्च विज्ञेया: क्षुद्र: स्यात्तमकस्तथा |
उर्ध्वश्वासो
महाश्वास्छिन्नश्वासश्च पञ्चम:|
-
समस्त चिकित्सकीय सलाह, रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान (शिक्षण) उद्देश्य से है| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।