- पीत
नख पीले
नाखून Yellow
nails – सामान्यतय आयु के कारण नाख़ून हल्के पीले हो
सकते हें, यह लीवर की कमजोरी का प्रतीक है| युवाओं में
धूम्रपान, नेल पोलिश में उपस्थित एक्रिलिक उन्हें पीला
बना सकती है| पीले रंग के दागों के साथ यदि नाख़ून
सामान्य अधिक मोटा लगने लगा हो, टूटने जैसा हो तो यह
फंगल संक्रमण की और इशारा करता है| थायराइड,
मधुमेह, सोरायसिस, या फेफड़ों में रोग होने पर भी पीले नाखून होने लगते हें|
- पांडू
नख (Pale
Nails)- या धुंधले,
फीके (faint) पड़ गए नाख़ून कभी कभी गंभीर
रोग की सुचना देते हें| अक्सर रक्ताल्पता (खून की कमी), कन्जेस्टिव हृद रोग, (Congestive heart failure),
यकृत (Liver) रोग, कुपोषण (Malnutrition), होने
पर नाख़ून धुंधले पड जाते हें|
- नील
नख (Bluish
Nails नीले नाखून Cyanosed)- नाखुनो का नीला सा
होना फेफड़ों के रोग, ह्रदय रोग का संकेत देता है|
जब किसी कारण से पर्याप्त आक्सीजन रक्त में नहीं पहुँच पाती, तो इसकी कमी नाखूनों दिखने लगती है|
- शुष्क
और भंगुर नख सूखे Dry & Brittle
Nails , सूखे से, टूटे-फटे (Cracked),से
आसानी से विखरने वाले नम पानी भरा वातावरण और हाथो का कई रसायन से सम्पर्क
होने पर, नाख़ून भंगुर और शुष्क हो जाते हें| एसा अक्सर
कपडे बर्तन धोने वालों और नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग करने वालों का होता है|
फंगल संक्रमण या थायराइड रोग विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म
होने पर भी नाख़ून शुष्क और भंगुर होते हें| विटामिन ए
विटा बी और विटा सी, की कमी से भी नाख़ून की यह स्तिथि
हो जाती है|
- वक्र
नख Curve
nail or Clubbing – इसका
अर्थ है नाखुनो के टेडा-मेडा हो जाना| इसमें नाख़ून के
अगले सिरे पर सूजन सी भी होती है| यह यह फेफड़ों और
ह्रदय रोग, में होता है, इसका
सम्बन्ध एड्सरोग, किडनी रोग, और
आंतों में सूजन (कोलाईटिस) की और भी इशारा करता है|
- श्वेत
नख White
Nails – नाखूनों पर सफ़ेद रंग के धब्बे मिलना या पूरा सफ़ेद
होना है| आयु की अधिकता, लीवर का
रोग, हेपेटाइटिस, या पीलिया (Jaundice) में रक्त धातु पर ही क्रम पोषण बाधित (Interrupted) हो जाने, और अस्थि तक पोषण न पहुँच पाने से
होता है| नाखूनों पर छोटे सफेद निशान किसी आघात (Trauma चोट) से भी बन जाते हें| कुछ ही केसों
में फंगल संक्रमण भी सफ़ेद निशान का कारण मिलता है| अगर सफ़ेद नाखून के साथ उपर की और गुलाबी चिन्ह भी हों किडनी फैल होना,मधुमेह, की सुचना भी देते हाँ|
- नाखून
पर रेखाएं Lines
on nails - नाखूनों पर चोड़ाई में फेली सफ़ेद उभरी आड़ी लकीरें (Horizontal
ridges) चोट के कारण तो हो ही सकती हें पर ये न्युमोनिया,
सोराइसिस, अनियंत्रित मधुमेह, जैसे रोग के कारण, या जस्ते की कमी से विकास
रुक जाने से भी बन जातीं है| इसी प्रकार
उभरी खड़ी रेखाओं (Vertical lines) की नाखूनों पर
उपस्थिति यूँ तो सामान्य रूप से आयु की अधिकता का प्रतीक हैं पर इसका सम्बन्ध
पोषण की कमी का द्योतक भी है, जो वृद्धों में मेटाबोलिक
प्रक्रिया कम होने से होता है यह वीटा बी-12 की कमी से भी होता है|
- उठे
किनारे वाले नाखून Spoon Nails –
जब नाखून किसी चम्मच की तरह उठे किनारे वाले दिखने लगते हें तो
यह जान लेना चाहिए की, रक्त में आवश्यक लोह तत्व जो हीमोग्लोबिन नामक प्रोटीन
बनाकर रक्त कण का निर्माण करता है वह कम हो गया है, ऐसा
अक्सर लगातार खून बहने या स्त्रियों में माहवारी में अधिक रक्त जाने से
होता है| लोह शरीर के द्वारा अधिक सोख लिए जाने से
(हेमोक्रेमेटोसिस), या ह्रदय रोग, थाइरोइड कम होने (हाइपोथायरायडिज्म), से भी
नाख़ून के किनारे उपर की और मुड़ने लगते हें|
- नख
शोथ Fingernail
inflammation - इसमें नाखून के आसपास की त्वचा लाल और सूजी हुई (Swollen) हो जाती है| यह किसी संक्रमण से होता है|
- गड्डेवाले
या लहरदार नाखून नाखून Rippled pitted nails –
नाखूनों के ऊपर खड्डे या लहरदार लाइने नजर आती हों, तो चर्म रोग- सोराइसिस, या सूजन वाली
अर्थराइटिस, हो सकता है, नाख़ून
में खड्डे शिर के बाल झड़ने वाला रोग गंज या खालित्य (एलोपेसिया अराटा),
की और भी इशारा करता है, जो एक
स्वसुरक्षा प्रतिक्रिया से उत्पन्न (autoimmune[1]) रोग है|
- काले नाखून Black nails - काली धारियों, निशानों या गहरे भूरे काले चिन्ह वाले नाखून के साथ यदि दर्द भी है तो यह एक त्वक केंसर की चेतावनी भी हो सकती है| तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए|
Your nails can tell what the disease. आपका नाखून बता सकता है क्या रोग है|
चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?
स्वास्थ है हमारा अधिकार १
हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|
निशुल्क परामर्श
जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।
चिकित्सक सहयोगी बने:- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|
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