Rescue from incurable disease

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लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Particular or Secondary skin Disease (lesions) (चर्म रोग-2 विशेष या सोराईसिस).

 विशेष चर्म रोग (Particular skin lesions) या Secondary skin lesions:-(Skin Lesions-2) 
जब सामान्य से होने वाले चर्म रोगों की और [पूर्व लेख देखें लिंक- Skin lesions or damage an overview. {चर्म रोग एक अवलोकन}, ध्यान नहीं दिया जाता, ऐसे प्रारम्भिक त्वक विकार ही अघात (चोट)संक्रमण, अपथ्य  आहार सेवन (Unhealthy intake), मिथ्याविहार (अस्वस्थ जीवन शैली Unhealthy lifestyle), आदि कई कारणों से बढ़कर विशेष त्वक विकार उत्पन्न करते हेंइसके अंतर्गत स्केल्स Scale, क्रस्ट Crust, फटन Fissure, घाव Ulceration, त्वक विदारण Excoriation, और हस्ती चर्म Lichenification. आदि आते हेंविशेष चर्म रोगोंं को सोराईसिस भी कह सकते हैं, जो चार प्रकार के होते है।   
  1.  Scale –स्ट्रेटम कॉर्नएम प्रतिदिन नष्ट होने वाली त्वचा की पर्त होती है (यह हम पूर्व लेख में पढ़ चुके हें) जब यह एकत्र हो जाती हें तो इसे ही स्केल कहते हेंयह त्वचा का मल हैयह न नहाने और साफ़ सफाई न करने से एकत्र होता हैऔर खुजली करता है|  
  1. क्रस्ट Crust – पपड़ी पड़ना- यह भी स्केल की तरह दिखाई देती हैपर यह त्वचा की सतह पर सूख जाने वाला पस या शुष्क रक्त (Dried blood) होता हैयह पक्व कफ और रक्त की सम्मलित अवस्था है|
  2.  Ulcer अल्सर :- इसमें बाह्य त्वचा (एपिडर्मिस) पूरी तरह नष्ट हो जाती हैश्लेष्म कला (म्यूक्स मेम्ब्रेन) पर उतकों (tissue) के नष्ट होजाने पर दर्दनाक पीड़ा वाला अल्सर बन जाता हैजब यह भरता है तब चिन्ह छोड़ जाता हैये व्रण के ही समान निज या आगन्तुक कारणों से होते हैंकभी कभी सद्योव्रण भी दुष्ट व्रण में परिवर्तित हो जाता है
  3.  Excoriation त्वक विदारण  :- त्वचा का छिद्रत सा होनाइसमें त्वचा को खरोंचने या रगड़ने जैसी लगती हैयह त्वचा में रुक्षत्व (dryness) गुण उत्पन्न होने से होता है
  4. Lichenification हस्ती चर्म:- आत्याधिक खुजली करने या रगड़ने से त्वचा की बाहरी परत मोटी हो जाती है, जिसमें अधिक जलन होती हैजैसा अक्सर एक्जीमा में होता हैआयुर्वेद में इसे हस्तिचर्म भी कहा जाता हैकफ और वात दोष के संसर्ग से यह रोग होता हैयह कफ का वातानुबंध से खर और रुक्ष गुण विकल्प है
  5.  Fissure फटना :- त्वचा में होने वाली दरारफटन या विदर हैजसे कोई बहुत पुराना कागज या कपडे में दरारे दिख रही होंयह और अधिक रुक्ष जनित वात प्रकोपक स्थिति है
  6.  Erosion एरोसिओन:- त्वचा का कटाव या अपक्षरण हैइसमें बाह्य त्वचा पूरी तरह नष्ट नहीं होतीइससे जब घाव भरता है तब चिन्ह (scar) नहीं रहतायह सद्योव्रण का ही एक रूप हैकुछ लोग ऐसे गलन भी कहते हें
  7.  Sinus नाडी व्रण :- त्वचा में गुहा (cavity)या नालिका के समान बनती है जिसमें पूय (Pus), लसिका,या रस (fluid) आदि तरल निकलता हैनाक के अन्दर की अस्थि वालि गुहा को भी साइनस कहा जाता हैपरन्तु त्वक विकारों में शरीर पर कहीं भी विशेषकर गुदा के पास यह रोग पाया जाता है
  8.  Scar स्कार :- किसी चोटव्रण आदि घाव के भर जाने के बाद संयोजी ऊतको (Connective Tissue का जाल
  9.  Keloid scar त्वक काठिन्य:- अधिक मोटाबड़ास्कारकफ वात के संसर्ग से उत्पन्नकभी कभी सारे जीवन बने रहते हें| इनसे कोई कभी कष्ट नहीं होता, केवल शरीर सुन्दरता कम करते हें| 
  10.  Atrophy त्वक शोष :- त्वचा का शोषअपक्षयया कम होनाइसमें त्वचा पतलीऔर सिकुड़न युक्त (Wrinkled) हो जाती है| एसा अधिकतर वृद्धावस्था में होता है| 
  11.  Stria stretch marks खिंचाव के निशान:- त्वचा के खीचने से बनते हैये भी कनेक्टिवे टिश्यु से बने शोष (सूजन) युक्त गुलाबी या सफ़ेद रेखा युक्त त्वक रोग होते हेंये सामान्यत: त्वचा में वात के रुक्षत्व (dryness)   प्रभाव से कफ क्षय से होते हेंसामान्यत ये गर्भ मोटापा आदि कारणों से होते हें|
=======  Continuous. क्रमश: ============
 - लेख प्रतिक्षित. 
आयुर्वेद में उपरोक्त में से अधिकाश रोग क्षुद्र रोग प्रकरण में शामिल किये गए हैं
आचार्य सुश्रुत ने इनकी संख्या 44 वाग्भट 36 बताई है
त्वचा रोगों के प्रमुख आधुनिक कारण.
आयुर्वेद अनुसार त्वचा रोगों के कारण.
दोषों के अनुसार त्वक रोगों के लक्षण और चिन्ह.
त्वचा रोग के नैदानिक निरूपण.
(रोग केसे पहिचाने?)
चर्म रोगों की आयुर्वेदिक चिकित्सा 
Ayurvedic treatment for skin diseases - Next Article awaiting.
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पूर्व लेख- सामान्य चर्म रोग  देखें लिंक- Skin lesions or damage an overview. {चर्म रोग एक अवलोकन},

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