- Scale –स्ट्रेटम कॉर्नएम प्रतिदिन नष्ट होने वाली त्वचा की पर्त होती है (यह हम पूर्व लेख में पढ़ चुके हें) जब यह एकत्र हो जाती हें तो इसे ही स्केल कहते हें| यह त्वचा का मल है| यह न नहाने और साफ़ सफाई न करने से एकत्र होता है, और खुजली करता है|
- क्रस्ट Crust – पपड़ी पड़ना- यह भी स्केल की तरह दिखाई देती है, पर यह त्वचा की सतह पर सूख जाने वाला पस या शुष्क रक्त (Dried blood) होता है| यह पक्व कफ और रक्त की सम्मलित अवस्था है|
- Ulcer अल्सर :- इसमें बाह्य त्वचा (एपिडर्मिस) पूरी तरह नष्ट हो जाती है, श्लेष्म कला (म्यूक्स मेम्ब्रेन) पर उतकों (tissue) के नष्ट होजाने पर दर्दनाक पीड़ा वाला अल्सर बन जाता है| जब यह भरता है तब चिन्ह छोड़ जाता है| ये व्रण के ही समान निज या आगन्तुक कारणों से होते हैं| कभी कभी सद्योव्रण भी दुष्ट व्रण में परिवर्तित हो जाता है|
- Excoriation त्वक विदारण :- त्वचा का छिद्रत सा होना| इसमें त्वचा को खरोंचने या रगड़ने जैसी लगती है| यह त्वचा में रुक्षत्व (dryness) गुण उत्पन्न होने से होता है|
- Lichenification हस्ती चर्म:- आत्याधिक खुजली करने या रगड़ने से त्वचा की बाहरी परत मोटी हो जाती है, जिसमें अधिक जलन होती है, जैसा अक्सर एक्जीमा में होता है| आयुर्वेद में इसे हस्तिचर्म भी कहा जाता है| कफ और वात दोष के संसर्ग से यह रोग होता है| यह कफ का वातानुबंध से खर और रुक्ष गुण विकल्प है|
- Fissure फटना :- त्वचा में होने वाली दरार, फटन या विदर है| जसे कोई बहुत पुराना कागज या कपडे में दरारे दिख रही हों| यह और अधिक रुक्ष जनित वात प्रकोपक स्थिति है|
- Erosion एरोसिओन:- त्वचा का कटाव या अपक्षरण है| इसमें बाह्य त्वचा पूरी तरह नष्ट नहीं होती, इससे जब घाव भरता है तब चिन्ह (scar) नहीं रहता| यह सद्योव्रण का ही एक रूप है| कुछ लोग ऐसे गलन भी कहते हें|
- Sinus नाडी व्रण :- त्वचा में गुहा (cavity)या नालिका के समान बनती है जिसमें पूय (Pus), लसिका,या रस (fluid) आदि तरल निकलता है| नाक के अन्दर की अस्थि वालि गुहा को भी साइनस कहा जाता है| परन्तु त्वक विकारों में शरीर पर कहीं भी विशेषकर गुदा के पास यह रोग पाया जाता है|
- Scar स्कार :- किसी चोट, व्रण आदि घाव के भर जाने के बाद संयोजी ऊतको (Connective Tissue का जाल|
- Keloid scar त्वक काठिन्य:- अधिक मोटा, बड़ा, स्कार- कफ वात के संसर्ग से उत्पन्न| कभी कभी सारे जीवन बने रहते हें| इनसे कोई कभी कष्ट नहीं होता, केवल शरीर सुन्दरता कम करते हें|
- Atrophy त्वक शोष :- त्वचा का शोष, अपक्षय, या कम होना| इसमें त्वचा पतली, और सिकुड़न युक्त (Wrinkled) हो जाती है| एसा अधिकतर वृद्धावस्था में होता है|
- Stria stretch marks खिंचाव के निशान:- त्वचा के खीचने से बनते है, ये भी कनेक्टिवे टिश्यु से बने शोष (सूजन) युक्त गुलाबी या सफ़ेद रेखा युक्त त्वक रोग होते हें| ये सामान्यत: त्वचा में वात के रुक्षत्व (dryness) प्रभाव से कफ क्षय से होते हें| सामान्यत ये गर्भ मोटापा आदि कारणों से होते हें|
- लेख प्रतिक्षित.
आयुर्वेद में उपरोक्त में से अधिकाश रोग क्षुद्र रोग प्रकरण में शामिल किये गए हैं|