Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

बिल्ब बेल फल, पत्ते,और जड़ शिवजी को प्रिय क्यों हें।

शास्त्रों में भगवान शिव को आदि चिकित्सक भी माना गया है। शिव ने ही अश्वनी कुमार और इन्द्र आदि देवताओं को आयुर्वेद सिखाया था।  शिवजी को चड़ने वाले इसके पत्र को सभी अच्छी तरह से जानते हें। इसके ओषधीय गुणो के कारण ही शिवजी को यह प्रिय भी है। 
  
महर्षि चरक ने आयुर्वेद में बेल को स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद फल कहा है। 
 बेल के फल के 100 ग्राम गूदे का रासायनिक विश्लेषण इस प्रकार है- नमी 61.5 प्रतिशत, वसा 3 प्रश, प्रोटीन 1.8 प्रश, फाइबर 2.9 प्रश, कार्बोहाइड्रेट 31.8 प्रश, कैल्शियम 85 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 50 मिलीग्राम, आयरन 2.6 मिलीग्राम, विटामिन 'सी' 2 मिलीग्राम। इनके अतिरिक्त बेल में 137 कैलोरी ऊर्जा तथा कुछ मात्रा में विटामिन 'बी' भी पाया जाता है।
  पका हुआ बेल पका फल अधिकांशत: शर्बत के काम में ही लिया जाता है। मधुर, रुचिकर, पाचक तथा शीतल फल है। पका बेलफल बेहद पौष्टिक और कई बीमारियों की अचूक औषधि है। इसका गूदा खुशबूदार और पौष्टिक होता है। 

कच्चा बेलफल ओषधीय कार्यो में कच्चा फल अधिक उपयोगी है। पका फल केवल शर्बत के काम में ही लिया जाता है। यह रुखा, पाचक, गर्म, वात-कफ, शूलनाशक व आंतों के रोगों में उपयोगी होता है। बेल का फल ऊपर से बेहद कठोर होता है। इसे नारियल की तरह फोड़ना पड़ता है। अंदर पीले रंग का गूदा होता है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में बीज होते हैं। गूदा लसादार तथा चिकना होता है, लेकिन खाने में हल्की मिठास लिए होता है। ताजे फल का सेवन किया जा सकता है और इसके गूदे को बीज हटाकर, सुखाकर, उसका चूर्ण बनाकर भी सेवन किया जाता है। 
    बेल की लकड़ी चन्दन के समान पवित्र मानी जाती है। मेटाबोलोज़्म को ठीक कर देने वाले दशमूल क्वाथ, और शरीर से क्षीण हुए ऋषि च्यवन को नव जीवन प्रदान कर देने वाले च्यवन प्राश अवलेह का या एक बहुत ही महत्व पूर्ण और आवश्यक घटक है।  
   पेट के विकारों में बेल का फल चमत्कारी ओषधि है। माना गया है की अधिकांश रोगों की जड़ पेटके रोग ही होते हें। बेल के फल के नियमित सेवन से कब्ज जड़ से समाप्त हो जाती है। कब्ज के रोगियों को इसके शर्बत का नियमित सेवन करना चाहिए। बेल का पका हुआ फल उदर की स्वच्छता के अलावा आँतों को साफ कर उन्हें ताकत देता है। इसके खाने से मल की मात्रा उचित हौती है, इससे मन को अच्छा लगता है। यदि दस्त अधिक बार या बार-बार जा रहे हों तो बिल्ब खाने से वे नियमित भी हो जाते हें। इस प्रकार यह अतिसार को ठीक भी कर देता है।  
     मधुमेह रोगियों के लिए भी बेलफल बहुत लाभदायक है। बेल की पत्तियों को पीसकर उसके रस का दिन में दो बार सेवन करने से डायबिटीज की बीमारी में काफी राहत मिलती है।
    रक्त अल्पता में पके हुए सूखे बेल की गिरी का चूर्ण बनाकर गर्म दूध में मिश्री के साथ एक चम्मच पावडर प्रतिदिन देने से शरीर में नए रक्त का निर्माण होकर स्वास्थ्य लाभ होता है।
     गर्मियों में प्रायः अतिसार की वजह से पतले दस्त होने लगते हैं, ऐसी स्थिति में कच्चे बेल को आग में भून कर उसका गूदा, रोगी को खिलाने से फौरन लाभ मिलता है। 
    गर्मियों में लू लगने पर बेल के ताजे पत्तों को पीसकर मेहंदी की तरह पैर के तलुओं में भली प्रकार मलें। इसके अलावा सिर, हाथ, छाती पर भी इसकी मालिश करें। मिश्री डालकर बेल का शर्बत भी पिलाएं तुरंत राहत मिलती है।

ग्रीष्म ऋतु में बेलफल का भी कोई जवाब नहीं इसके पके फल का शरबत मीठा सुगंधित और शीतल होने से गर्मी में न सिर्फ तसली देता है बल्कि म्रदु विरचक या हलका दस्तावर या पेट साफ करने वाला होने से एक चमत्कारिक शर्बत है। 
इसका शर्बत बनाने के लिए दो हिस्सों में काटकर बीज निकाले हुए  गूदे का प्रयोग किया जाता है। 

शर्बत एसे बनाएँ- 
1- एक बेल फल का गूदा चम्मच से अलग करके एक नॉन स्टिक पैन में डालें, 4 कप पानी डालें और गरम कर लें। 

2- फिर इसमें 1/3 कप चीनी डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब डालें 15-20 ग्राम नींबु का रस और तबतक पकाएँ जबतक चीनी पूरी तरह घुल जाए।

3- आँच पर से हटाकर छान लें और ठंडा होने पर रेफ्रिजरेटर में रख दें। फिर ग्लासों में उड़ेल कर परोसें।

आप चाहें तो फल के गूदे को पानी में कुछ घन्टों तक भिगोकर फिर छलनी में से छानकर इस्तेमाल कर शुगर मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं। पर इसको अधिक समय तक रखा नहीं जा सकता। 
=========================================================================
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें| आपको कोई जानकारी पसंद आती है, ऑर आप उसे अपने मित्रो को शेयर करना/ बताना चाहते है, तो आप फेस-बुक/ ट्विटर/ई मेल/ जिनके आइकान नीचे बने हें को क्लिक कर शेयर कर दें। इसका प्रकाशन जन हित में किया जा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "