सर्दियों में ताज़ी हल्दी आती है, इस मोसम में हरिद्रा खंड का सेवन चेहरे और त्वचा में चमक लाता है, एलर्जी, जुकाम सर्दी, नजला, शीत-पित्त, क्रमी, चर्म रोग, इसके सेवन से ठीक होते हें| हल्दी एक ओक्सिडेंट भी है|
हल्दी से बनी आयुर्वेदिक औषधि ' हरिद्रा खंड' के सेवन से शीतपित्त, खुजली, एलर्जी,और चर्म रोग
नष्ट होकर देह में सुन्दरता आ जाती है| बाज़ार में यह ओषधि
सूखे चूर्ण के रूप में मिलती है| इसे खाने के लिए मीठे दूध का प्रयोग अच्छा होता है|
शास्त्र विधि
में इसको निम्न प्रकार से घर पर बना कर खाया जाये तो अधिक गुणकारी रहता है| बाज़ार में इस विधि से बना कर चूँकि अधिक दिन
तक नहीं रखा जा सकता, इसलिए निम्न बनाये गए शास्त्रोक्त रूप
में नहीं मिलता है| घर पर बनी इस विधि बना शास्त्रोक्त
(शास्त्र लिखित) हरिद्रा खंड अधिक गुणकारी और स्वादिष्ट होता है|
हमारा भी अनुभव है,
की कई सालो से चलती आ रही एलर्जी ,या
स्किन में अचानक उठाने वाले चकत्ते ,खुजली इसके दो तीन माह
के सेवन से हमेशा के लिए ठीक हो जाती है | इस प्रकार के
रोगियों को यह बनवा कर जरुर खाना चाहिए | और अपने
मित्रो कोभी बताना चाहिए| यह हानि रहित निरापद बच्चे बूढ़े
सभी को खा सकने योग्य है| जो नहीं बना सकते वे या शुगर के
मरीज, कुछ कम गुणकारी, चूर्ण रूप में
जो की बाज़ार में उपलब्ध है का सेवन कर सकते है|
हरिद्रा खंड
निर्माण विधि:-
सामग्री – प्रमुख
द्रव्य
ü
हरिद्रा (हल्दी) पिसी हुई -३२० ग्राम, (यदि
हल्दी ताजी मिल सके तो १किलो २५० ग्राम लेकर छीलकर मिक्सर पीस कर काम में लें|)
ü
गाय का घी- २४०
ग्राम,
ü
दूध- ५ किलो,
ü
शक्कर-२
किलो |
अन्य द्रव्य प्रत्येक ४०-४० ग्राम (यह सभी
आयुर्वेदिक औषधि विक्रेताओ से मिल जाएँगी)|
ü सोंठ,
ü कालीमिर्च,
ü पीपल,
ü तेजपत्र,
ü छोटी इलायची,
ü दालचीनी,
ü वायविडंग,
ü
निशोथ,
ü हरड बक्कल,
ü बहैड़ा छिलका,
ü आंवले ,
ü नागकेशर,
ü नागरमोथा,
üलोह भस्म,
इस अनुपात से लगभग ४ kg हरिद्रा
खंड बनेगा| जो आप जितनी मात्रा में बनाना चाहते हर वस्तु
उसके अनुरूप अनुपात रूप से कम ज्यादा की जा सकती है|
निर्माण (बनाने) की विधि:-
ü हल्दी को दूध में
मिलाकार खोया या मावा बनाये,
ü इस खोये को घी
डालकर धीमी आंच पर भूने,
ü भुनने के बाद
इसमें शक्कर मिलाये|
ü शक्कर मिल जाने पर
शेष औषधियों का कपड छान बारीक़ चूर्ण मिला देवे|
ü अच्छी तरह से पाक
हो जाने पर चक्की या लड्डू बना लें|
सेवन की मात्रा- २०-२५ ग्राम दो बार दूध के साथ लगभग एक माह तक करें|
विमर्श :- अच्छी तरह पाक जाने पर लगभग १५ दिन ख़राब नहीं होता| फ्रिज में अधिक समय रखा जा सकता है| (बाज़ार में मिलने
वाला हरिद्राखंड चूर्ण के रूप में मिलता है, इसमें घी और दूध
नहीं होता शकर कम या नहीं होती, अत: खाने की मात्रा भी कम ३
से ५ ग्राम दो बार रहैगी, खाने के समय मलाई युक्त दूध के साथ
सेवन करें|)
चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी शिक्षण उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|
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