Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

गिलोय- शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट- स्वाइन फ्लू के चिकित्सा के लिए दिव्य ओषधि

यह एक जड़ी बूटी है जो स्वामी रामदेव के पतंजलि योग
के द्वारा स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए सिफारिश की गई हे।
 यह भी बर्ड फ्लू और chikengunia के मामले में सिफारिश की है.
गिलोय सारे भारत में पाई जाने वाली यह दिव्य ओषधि जिसे संस्कृत में गडूची और अम्रतवल्ली, अमृता,मराठी में गुडवेल, गुजराती में गिलो,लेटिन में टिनिस्पोरा कोर्डीफ़ोलिया, के नामो से जाने जाने वाली वर्षो तक जीवित रहने वाली यह बेल या लता अन्य वृक्षों के सहारे चडती  हे। नीम के वृक्ष के सहारे चड़ने वाली गिलोय ओषधि उपयोग के लिए सर्व श्रेष्ट होती हे, इसीकारण इसे नीम-गिलोय भी कहा जाता हे। इसका फल लाल झुमकों में लगता हे। अगुठे जेसा मोटा तना प्रारम्भ में हरा, पकने पर धूसर रंग का हो जाता हे यही तना ओषधि के काम आता हे।
कसेली,कडवी,उष्ण वीर्य,रसायन,यह गिलोय मलरोधक,बल बर्धक,भूख वर्धक,आयु वर्धक,ज्वर,पीलिया,खांसी,से लेकर लगभग 20 से अधिक सामान्य रोगों को ठीक करती हे। और किसी भी प्रकार की हांनी नहीं पहुचाती। आयुर्वेद की द्रष्टि से शामक प्रभाव वाली यह ओषधि दिव्य इसलिए हे क्योकि यह सभी बड़े हुए या घटे हुए दोषों को सम करके कुपित दोषों पर शामक प्रभाव डालकर उन्हें सम या सामान्य करके रोगों से मुक्त करती हे। इसीकारण यह अमृता कहलाती हे।
ज्वर - को ठीक करने का इसमें अद्भुत गुण हे। यद्यपि यह मलेरिया पर अधिक प्रभावी नहीं हे परन्तु शारीर की समस्त मेटाबोलिक क्रियाओं को व्यवस्थित करने के साथ सिनकोना चूर्ण या कुनाईनं (कोई भी एंटी मलेरियल) ओषधि के साथ देने पर उसके घातक प्रभावों को रोक कर शिग्र लाभ देती हे। समस्त मलेरियल ओषधि चाहे वे किसी भी पेथि की हों के साथ गिलोय या इसका सत्व देने पर मलेरिया में अधिक लाभ होता हे।
टाइफ़ोइड या मोती झरा में आश्चर्यजनक प्रभाव होता हे। जब कोई भी ओषधि से मंद ज्वर नहीं जाता तो गिलोय चूर्ण या सत्व को तुलसीपत्र,वनफशा,रुद्राक्ष चूर्ण,कालीमिर्च के साथ शहद के साथ देने पर चमत्कारिक रूप से रोगी स्वस्थ हो जाता हे।
यकृत (लीवर) के रोग,बड़ी हुई तिल्ली(स्प्लीन) जलोदर,कामला,पीलिया,पर इसका बड़ा प्रभाव देखा गया हे।
खाज खुजली जेसे चर्म रोग में शुद्ध गूगल के साथ बड़ी लाभकारी सिद्ध हुई हे इस हेतु "अमृता गुगलू " के नाम से गोली के रूप में बाज़ार में मिलती हे।
यह गाउट, प्रारम्भिक  सिफलिस, गठिया, कब्ज, तपेदिक, कुष्ठ के उपचार में भी लाभदायक है. यह एक शक्तिशाली रक्त शोधक है. यह एक टॉनिक और कामोद्दीपक के रूप में कार्य करता है. 
यह एक जड़ी बूटी है जो स्वामी रामदेव के पतंजलि योग के द्वारा स्वाइन फ्लू के चिकित्सा  के लिए सिफारिश की गई हे। यह भी बर्ड फ्लू और chikengunia के मामले में सिफारिश की है.

गिलोय की  जड़ें शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है। यह कैंसर की रोकथाम और उपचार में प्रयोग की जाती है। गिलोय उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए, शर्करा का स्तर बनाए रखने में मदद करता है और जिगर के रूप में अच्छी तरह से बचाता है. यह  बुढ़ापे से बचने के लिए मजबूत कारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह गंभीर बीमारियों, गठिया, खाध्य एलर्जी और एनीमियाया खून की कमी के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता हे।
 यह तनाव को हटाने के लिए मदद करता है. यह भी बवासीर और पेचिश में राहत प्रदान करने के लिएभी जाना जाता हे।  कमजोरी, अपच, अज्ञात मूल के pyrexias (बुखार) और कई मूत्र मार्ग में संक्रमण जैसी स्थितियों में प्रयोग किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आयुर्वेदिक डॉक्टरों का कुछ भी ऐसे सूजाक रूप में कुछ यौन संचारित रोगों के लिए भी उपयोगी कहा हे।


 अमृता शोथ या सूजन और ज्वरनाशक गुण के कारण इसका सदियों प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक  कर संक्रमण के विरुद्ध  शरीर को तैयार करने के लिए सर्वश्रेष्ट है।इसीकारण यह  आयुर्वेदिक रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता हे। एक वैज्ञानिक शोध में यह अद्भुत आयुर्वेदिक जड़ी बूटी सुरक्षात्मक WBC (श्वेत रक्त कोशिकाओं) की क्षमता बढ़ाने में मदद करता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में जाना जाता है खुद की सुरक्षा तंत्र बनाता है.
इस कड़वी गिलोय में मौजूद गुणों नियतकालिक रोगरोधी और antispasmodic गुण हे। जो  स्वाइन फ्लू को रोकने में मददगार है।

इसका ओषधि प्रयोग चूर्ण / गिलोय  सत्व / गिलोय घन सत्व' के रूप में होता हे। बाज़ार में भी इसी नाम से मिलता हे। ये दोनों गिलोय सत्व एवं गिलोय घन सत्व'  बहुत उपयोगी पाउडर है जो  जड़ी बूटी गिलोय  के महान गुण क्षमता रखती हे  सकारात्मक बात यह हे कि इसकी  मामूली मात्रा  भी यह अद्भुत काम करती है। इससे गिलोय चूर्ण के रूप में न केवल अधिक मात्रा बचा जा सकता हे वहीँ कड़वाहट से भी छुटकारा मिल जाता हे।
======
 गिलोय सत्व एवं गिलोय घन सत्व बनाने की विधि



=============================================================================================
चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी शिक्षण उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

अमृता गूगल के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी दी है , धन्यवाद

आज की बात (29) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (71) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "