इतना तीव्र होता है, कि व्याक्ति को चलने–फिरने और यहां तक कि घुटनों को मोड़ने में भी बहुत परेशानी होती है। घुटनों में दर्द होने के साथ–साथ दर्द के स्थान पर सूजन भी आ जाती है।
कभी–कभी दर्द के कारण बुखार भी हो जाता है और यहां तक कि जोड़ों का आकार भी टेढ़ा हो जाता है। कुछ लोग तो अस्पतालों के चक्कर काटकाट कर इतने थक जाते हैं कि वो इस बीमारी के साथ जीने को स्वीकार कर लेते हैं।
ठंड के मौसम में गठिया के मरीज़ों को अधिक परेशानी होती है इसलिए उन्हें ठंड से बचने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। इस बीमारी में चिकित्सक आहार पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं क्योंकि आप जो भी खाते हैं वो सीधा आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अर्थराइटिस से बचाव के लिए आपके आहार में ग्लूयकोसामीन और कांड्रायटिन सल्फेवट होना चाहिए। ग्लूसकोसामीन और कांड्रायटिन सल्फेआट हड्डियों और कार्टिलेज के लिए अच्छें होते हैं।
अर्थराइटिस में हमदर्द आहार:
• अपने आहार में 25 प्रतिशत फल व सब्जि़यों को शामिल करें और ध्यान रखें कि आपको कब्ज़ ना हो।
• फलों में सन्तरे, मौसमी, केले, सेब, नाश्पाती, नारियल, तरबूज़ और खरबूज़ आपके लिए अच्छे हो सकते हैं।
• सब्जि़यों में मूली, गाज़र, मेथी, खीरा, ककड़ी आपके आदि लें।
• चोकरयुक्त आटे का प्रयोग करें क्योंकि इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है ।
- पंचकर्म से स्वास्थ लाभ: पंचकर्मा थेरेपी
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