Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

Panchakarma – A miracle of Ayurvedic therapy for rejuvenation.

Panchakarma – A miracle of Ayurvedic therapy for rejuvenation.
पंचकर्म – कायाकल्प की एक चमत्कारिक आयुर्वेद चिकित्सा पद्ध्ति .
{देनिक भास्कर (हेल्थ भास्कर) में दिनांक 08 मई 16 को प्रकाशित}--
डॉ. मधु सूदन व्यास एम् आई जी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र, mob 9425379102    
{देनिक भास्कर (हेल्थ भास्कर) 
 दिनांक 08 मई 16 को प्रकाशित}

परम्परागत चिकित्सा पद्धत्तियों में भारतीय चिकित्सा पद्ध्ति आयुर्वेद ने आज विश्व का ध्यान आकर्षित किया है| आयुर्वेद के बारे में लगभग हर भारतीय जानता है, पर अधिकतर लोग इतना ही जानते हें की जड़ी बूटी से आदि से किया जाने वाला इलाज आयुर्वेद हें| परन्तु यह जानकारी अति अल्प है| पिछले 1000 वर्षो से विदेशी शासको के साथ आई चिकित्सा पद्धतियों में यह पद्ध्ति कहीं खो गई थी, परन्तु अब पिछले 20 -30 वर्ष से पुन: अस्तित्व प्रदर्शित कर रही है|
वास्तव में केवल जड़ी बूटी या आयुर्वेदिक औषधि को मुख से खिलाकर रोगी को लाभ देना मात्र आयुर्वेदिक चिकित्सा नहीं है, यह तो केवल चिकित्सा का अधिकतम 10 % ही है| शेष 90% चिकित्सा जो चरक, सुश्रुत  आदि आचार्यों सेकड़ो वर्षो तक करते रहे हैं, वह शरीर का शोधन
कर की जाने वाली चिकित्सा है, इसे वर्तमान में पंचकर्म चिकित्सा नाम से जाना जा रहा है|
कोई भी दवा अपना असर तब और अधिक करेगी जब शरीर उसे स्वीकार करेगा| यदि शरीर अस्वीकार करता है तो उसे रोगी को देना व्यर्थ सिद्ध होता है| शरीरको औषधि स्वीकारने योग्य बनाने के लिए उसका शुद्ध होना आवश्यक है| यदि पेट में पूर्व से गंदगी भरी है, अर्थात कब्ज है, बदहजमी है, या दस्त पेचिश आदि से पेट में कुछ रुक ही नहीं रहा तो कितनी भी ताकत या शक्ति की दवा उस रोगी को खिलाये कोई असर न कर व्यर्थ निकल जाएँगी| पेट जैसी यही बात सारे शरीर के अन्य भागों, लीवर, किडनी, मूत्राशय, ह्रदय, फेफड़े, आदि या आन्तरिक रस इन्सुलिन, थाइरोइड, अदि  बनाने वाली ग्रंथियों की खराबी, आदि आदि अनेंक शरीर की प्रणालियों की खराबी से रोगी को कष्ट होता है और दवा भी असर नहीं करती|
जीवित रहने के लिए हम जरुरी खाने के साथ साथ मजे और आनन्द के लिए कई तरह के व्यंजन, खाते पीते है, सभी तरह के वातावरण में रहते हें, दूषित खाना, हवा, पानी, मिलावट, प्रदूषण, आदि से शरीर के अंग दूषित हो जाते हें, और कोई दवा भी असर नहीं करती, ऐसे में अन्दर की  समस्त खराबियों को निकालने का काम पंचकर्म या संशोधन द्वारा किया जाता है| स्नेहन, स्वेदन, वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य, रक्त मोक्षण, यह सब पंचकर्म और उसके पूर्व किये जाने वाले पूर्व कर्म इसके अंतर्गत आते हें|
पंचकर्मादी सहित समग्र आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में कई कठिनता से ठीक होने वाले रोग, जिनका कोई अन्य पेथी के पास इलाज नहीं है, के उपचार के लिए परीक्षित और प्रभावी औषधि के साथ प्रभावी क्रियाओं या व्यवस्थाओं का समृद्ध भंडार है। इसमें रोग निवारण के साथ महत्वपूर्ण बात यह भी है, की इससे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के साथ ही सकारात्मक स्वास्थ्य और, रोगों की रोकथाम करके लाभ लिया जा सकता है|
यह रोग निवारण और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही विशिष्ट रोगों के उपचार, और स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी है| आयुर्वेदिक उपचार, मुख्य लक्षणों को दबा कर, साइड इफेक्ट के रूप में कुछ नए रोग उत्पन्न नहीं करता| यही कारण है की इस पद्धति से मूल कारण या रोग दूर होकर स्थायी राहत मिलती है|
वजन और मधुमेह {डाईविटीज टाईप 2} पर नियंत्रण के लिए शरीर शोधन से अच्छा और प्रभावी उपाय कोई नहीं| स्लिप डिस्क आदि रीड की हड्डी की समस्या, घुटनों की समस्या जिनमें बदलवाने की बात कही जाती है, साइटिका, आमवात अर्थिराइटीस, आदि, जैसे रोग की चिकित्सा एक बार निष्णात पंचकर्म विशेषज्ञ से करवा लेना बुद्धिमानी होगी| एसिडिटी, पेचिश, संग्रहणी आदि पेट के रोग, चश्मे का नंबर बढना और ड्राई आई जैसे लाइलाज नेत्र रोग, माइग्रेन, साइनस,अनिद्रा, तनाव, स्मरण शक्ति, शरीर को मजबूत और मांसल, बनाना, सोराइसिस, चर्मरोग जिनका अन्य पेथी में इलाज नहीं, शरीर शोधन या पंचकर्म से आसानी से ठीक किया जाना सम्भव है|
वर्तमान में पंचकर्म की इस पद्ध्ति के निष्णात चिकित्सक कुछ कम जरुर हैं, पर भविष्य में एसे चिकित्सको की संख्या बड़ने की उम्मीद नजर आ रही है| शासकीय स्तर के अतिरिक्त देश के कई भागो में एसे चिकित्सा केंद्र देखे जाने लगे हें जहाँ पंचकर्म अच्छे चिकित्सको द्वारा किया जा रहा है| उज्जैन में प्रारम्भ हुआ आयुष पंचकर्म चिकित्सा एवं शोध केंद्र, 125 कंठाल चौराहा कोतवाली रोड उज्जैन मप्र, एसा ही एक उदाहारण है|
भारत और विदेश में वैज्ञानिकों और चिकित्सकों में आयुर्वेदिक उपचार के इस शास्त्रीय रूप को गहरी रूचि लेकर परखा जा रहा है, उन्हें लगता है जैसे यह कोई चमत्कार है| इसी ने आज सारे विश्व का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है|
आयुर्वेद के इस चमत्कारिक पद्धत्ति पर चलकर देश विदेश में, होटलों में अनेक स्पाकेंद्र खुल गए हैं। होटल, स्वास्थ्य रिसॉर्ट्स, ब्यूटीशियन, क्लीनिक और स्पा केन्द्रों, मालिश केंद्र में एक अलग तरीके का अवैज्ञानिक और व्यावसायिक पंचकर्म लोकप्रिय हो रहा है, इसलिए यह हम आयुर्वेद विज्ञान आधारित पंचकर्म के मानकों को विकसित करना और इसके बारे में जन जागरण करना अधिक आवश्यक हो गया है|
हमारे देश के रेलवे विभाग द्वारा चलती ट्रेनों में भी यह सुविधा देने का निर्णय अभी अभी लिया है, यदि यह भी स्पा केन्द्रों की तरह न होकर पूर्ण पंचकर्म चिकित्सा से परिचय का श्रीगणेश हो तो, यह आयुर्वेद के लिए ही नहीं मानव जाति के लिए भी सुखद बात है। 
केवल स्नेहन अर्थात तेल घी आदि से सारे शरीर या किसी भाग की जैसे सिर कमर, पीठ आदि की मालिश कर भाप से स्नान आदि जैसा सेक कर, या सर पर तेल दूध आदि की धारा (शिरोधारा) डाल कर थकावट मिटा कर कुछ समय के लिए स्वस्थ प्रतीत करवा देना मात्र, जो वर्तमान अधिकांश स्पा सेंटर्स में में किया जा रहा है, पंचकर्म नही है| यह तो पंचकर्म  का ‘पूर्व कर्म’ मात्र है|
विचारणीय है की जब केवल पूर्व कर्म से इतना लाभ दिखता है, की  विश्व इसके प्रति आक्रष्ट है तो जब पूरा पंचकर्म कर शरीर का शोधन किया जायेगा तो से नया शरीर मिलने जैसी अनुभूति कैसी होगी| इसी लिए पंचकर्म चिकित्सा को समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करने वाली पद्ध्ति कहा जाता है| इसी कारण इसे पुरातन साहित्य में “कायाकल्प” [REJUVENATION], कहा गया है|
दुनिया में कोई भी अन्य चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा के या इसी तरह के किसी भी सिद्धांत या चिकित्सा जैसा नही है|
अब हम सब पर पंचकर्म के इस प्रभाव को प्रदर्शित करने की चुनोती है। हमारे देश की अधिकतर आयुर्वेद की संस्थायें [75% से अधिक] वास्तविक पंचकर्म के नाम पर केवल स्नेहन और स्वेदन कर रहीं है| इसलिए पंचकर्म चिकित्सा के पूर्ण अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो पा रहे हैं|
संक्षेप में पंचकर्म निम्न पराक्र होता है|
 पूर्वकर्म  जिस प्रकार किसी गंदे कपडे पर रंग नहीं चढ़ता, उसे पहिले साफ़ करना होता है, उसी प्रकार पूर्व कर्म के द्वारा शरीर को शुद्ध बनाया जाता है।
(a) पाचन Pachan ( पाचन क्रिया ठीक करना) हाजमा ठीक नहीं होगा तो सब व्यर्थ है|
(b) स्नेहन Snehan (Oleation theraphy), औषधिय तेलों या घृत आदि स्नेह (चिकानाई) की विशेष लय में मालिश (साधारण की जाने वाली मालिश नहीं), और स्नेह पान (खिलाना-पिलाना) को स्नेहन कहते है।
(c) स्वेदन Swedan (औषधीय सेंक), औषधियो की भाप,आदि से स्वेदन अर्थात पसीना की लाकर शरीरके मल (गन्दगी) को निकलते रहने की प्रक्रिया इसके अंतर्गत की जाती है|
प्रधान कर्म
(1) वमन कर्म (चिकित्सीय वमन द्वारा चिकित्सा)- विशेष प्रक्रिया द्वारा विशेष द्रव्यों की सहायता से निपुण चिकित्सक की देखरेख में वमन (उलटी) कराई जाती है| इसमें व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता| यह प्रक्रिया इतनी वैज्ञानिक है की वमन(उल्टी) पूर्व निर्धारित संख्या और मात्रा में होती है, रोगों को किसी प्रकार जल की कमी (डीहाईडरेशन) नहीं होता| यह इतनी चमत्कारिक रूप से करवाई जाते है जिससे रोगी तुरंत बाद स्वयं को स्वस्थ और उर्जा-वान निरोगी अनुभव करता है|
(2) विरेचन Virechana कर्मा (चिकित्सीय विरेचन), सामान्य भाषा में इसे दस्त लगाना कुछ लोग समझते हें, परन्तु यह चिकित्सक द्वारा नियंत्रित सटीक होता है की पूर्व निर्धारित बार संख्या, मात्रा और चाहे गए रूप में होता है| इसमें भी रोगी उसी प्रकार से स्वस्थ अनुभव करता है।
(3) वस्ति -निरुह वस्ति Nirooh Vasti (औषधिय काढ़े/ आदि से एक प्रकार का एनीमा) यह विशेष प्रकार से विशेष रोग के लिए विशिष्ट औषधि द्वारा शरीर की गन्दगी को बाहर करने की प्रक्रिया है।
(4) अनुवासन वस्ति Anuwasan visti (चिकित्सीय घी तेल, दूध, औषधि क्वाथ आदि का एनीमा), उपरोक्तानुसार पर कुछ भिन्न इससे शरीर को शक्ति उसी तरह मिलती है, जैसे बोटल चडाने या रक्त देने से मिलती है|
(5) नस्य कर्म (Nasya) (नासिका द्वारा औषधि देना) नासिका के द्वारा साइनस आदि में सीधे औषधि तैल, घी, या अन्य औषधि, पहुंचाने की प्रक्रिया|
पश्चात् कर्म
प्रधान कर्म के पश्चात् अर्थात प्रमुख पंचकर्म कार्य के पश्चात किया जाने वाला पोस्ट ओपरेटिव जैसा कार्य है|
(1) संसर्जन कर्म (पश्चात् चिकित्सा आहार आदि द्वारा) उपर्युक्त प्रक्रिया में शरीर शुद्ध हो जाता है, सामान्य विकारों से छुटकारा मिल जाता है, उस समय यह संसर्जन कर्म अर्थात शरीर की समस्त प्रक्रियाओं को प्राक्रतिक बनाये रखने का कार्य किया जाता है|
(2) रसायन और वाजीकरण (Rejuvenation या कायाकल्प चिकित्सा), -जैसे च्यवन ऋषि को श्री शुद्धि के बाद च्यवन प्राश रसायन देकर नव यौवन दिया गया था, वैसे ही व्यक्ति विशेष की आवश्यकता के अनुसार कायाकल्प [REJUVENATION] का कार्य किया जाता है|
(3) शमन चिकित्सा (Palliative प्रशामक चिकित्सा), शमन के द्वारा व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने के लिए तैयार कर दिया जाता है|
समय
पंचकर्म की कोई विशेष प्रक्रिया, रोग या व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार, कम से कम 1 दिन या अधिक भी होती हैहर रोगी या व्यक्ति में पूरी प्रक्रिया करना आवश्यक भी नहीं होता| विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा, रोग का निवारण और रोग निवारक शक्ति, आवश्यकता के अनुसार, कम या अधिक समय में  पुनर्जीवित की जा सकती है| सम्पूर्ण पंचकर्म का कार्य पूर्ण कायाकल्प के लिए अधिकतम कुल मिलाकर 130 दिन का समय लग सकता है।

जब व्यक्ति सभी दूर से निराश होकर पंचकर्म से लाभ प्राप्त करता है, तो वह इसे एक चमत्कार के रूप में देखता है, इसी कारण एकाएक विश्व में इसकी मांग बड गई है| 
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चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

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- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

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