जेसा की नाम से पता चलता हे एसिड या अम्ल की अधिकता के कारण पेट सीने में जलन या दाह होना ही इसका प्रमुख लक्षण हे| जब यह अधिक होने लगता हे तो पेट में छाला या अल्सर बन जाता हे| आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं में इसको रोग का लक्षण माना जाता हे|अपथ्य आहार इसका मूल कारण हे |
मिर्च मसाला अधिक खाना ,भूखे रहना या उपवास करना ,खाली पेट -शराब /अधिक चाय /तीखे खाद्यान्न का सेवन करना इसका प्रमुख कारण हे | सामान्य भाषा में कहा जाये तो,चाहे जब जो चाहे खाते रहना पर सामान्य भोजन नहीं करना या न कर पाना, एसिडिटी या अम्लपित्त: कर देता हे |
प्रारंभ में यह साधारण सी लगने वाली यह बीमारी धीरे धीरे गंभीर रूप धारण कर लेती हे ,और अधिकांश रोगों या कुछ बड़ी तकलीफों ,जेसे पाईल्स,जीर्ण कब्ज अल्सर पेट की अन्य बड़े कष्टों को निमंत्रित करती हे|
जब रोग अधिक बढ जाता हे , तब उलटी वमन जी मचलाते रहना ,कब्ज हो जाना ,भोजन के प्रति अरुचि , धीरे धीरे शारीरिक कमजोरी आ जाती हे |
इस से बचने का यही तरीका हे की भोजन सही समय,संतुलित,होना चाहिए खाली पेट न रहे पर अन्य मिर्च मसाले वाले स्नेक्स से बचा जाये खाली पेट पर चाय,शराब आदी का सेवन न किया जाये |
चिकित्सा - यदि रोग जलन तक सीमित हे तो एक एक चम्मच अविपत्तिकर चूर्ण (डाईविटिक रोगी न लें) लेना लाभ दायक होगा | अधिक रोग होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे अच्छी हे |चिकित्सक से संपर्क कर ठीक की जा सकती हे |अन्य औषधियां कब्ज करती हे इससे तात्कालिक लाभ तो हो जाता हे ठीक नहीं होता |
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