करीब 90 फीसदी लोगों को कभी-न-कभी दांतों से संबंधित परेशानी होती है। लेकिन ढंग से साफ-सफाई के साथ-साथ हर छह महीने में रेग्युलर चेकअप कराते रहें तो दांतों की ज्यादातर बीमारियों को काफी हद तक रोका जा सकता है। दांतों में ठंडा-गरम लगना, कीड़ा लगना (कैविटी), पायरिया (मसूड़ों से खून आना), सांस में बदबू और दांतों का बदरंग होना जैसी बीमारियां आम हैं
दांत का दर्द बीमारी नहीं, बीमारी का लक्षण है। दर्द की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं, मसलन कैविटी, मसूड़ों में सूजन, ठंडा-गरम लगना आदि। ज्यादातर मामलों में दर्द की वजह कैविटी होती है। दरअसल, मीठी और स्टार्च वाली चीजों से बैक्टीरिया पैदा होता है, जिससे दांतों खराब होने लगते हैं और उनमें सूराख हो जाता है। इसे ही कीड़ा लगना या कैविटी कहते हैं। लार और दांतों का गठन भी कई बार कैविटी की वजह बन जाता है। दांतों की अच्छी तरह सफाई न करने पर उन पर परत जम जाती है। इसमें जमा बैक्टीरिया टॉक्सिंस बनाते हैं, जो दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
कैसे बचें : कीड़ा लगने से बचने का सबसे सही तरीका है कि मीठी और स्टार्च आदि की चीजें कम खाएं और बार-बार न खाएं। खाने के बाद ब्रश करें। ऐसा मुमकिन न हो तो अच्छी तरह कुल्ला करें।
कैसे पहचानें: अगर दांतों पर काले-भूरे धब्बे नजर आने लगें, खाना फंसने लगे और ठंडा-गरम लगने लगे तो कैविटी हो सकती है। इस हालत में फौरन डॉक्टर के पास जाएं। शुरुआत में ही फिलिंग कराने पर कैविटी बढ़ने से रुक जाती है।
राहत के लिए: अगर दांत में दर्द हो रहा हो तो बहुत ठंडा-गरम न खाएं। इसके अलावा, एक कप गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक डालकर कुल्ला करें। इससे कैविटी में फंसा खाना निकल जाएगा। जहां दर्द है, वहां लौंग के तेल में भिगोकर रुई का फाहा रख सकते हैं। यह तेल केमिस्ट से मिल जाता है। ध्यान रहे कि तेल दर्द की जगह पर ही लगे, आसपास नहीं। तेल नहीं है, तो लौंग भी उस दांत के नीचे दबा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर पैरासिटामोल, कॉम्बिफ्लेम या आइबो-प्रोफिन बेस्ड इनालजेसिक ले सकते हैं। हालांकि कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह कर लें। कई लोग एस्प्रिन लेते हैं, जोकि ब्लीडिंग की वजह बन सकती है। जिन्हें अस्थमा है, वे कॉम्बिफ्लेम की बजाय वोवरॉन लें। जितना जल्दी हो सके, डॉक्टर के पास जाकर फिलिंग कराएं।
दूसरी वजहों के लिए: अगर दर्द मसूड़ों में सूजन की वजह से है तो भी गुनगुने पानी में नमक या डिस्प्रिन डालकर कुल्ला करने से राहत मिल सकती है। मसूड़ों के दर्द में गलती से भी लौंग का तेल न लगाएं। इससे मसूड़ों में जलन हो सकती है और छाले बन सकते हैं। फौरी राहत के लिए ऊपर लिखे गए पेनकिलर्स में से ले सकते हैं लेकिन जल्द-से-जल्द डॉक्टर के पास जाकर प्रॉपर इलाज कराना बेहतर है।
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.
2 टिप्पणियां:
Dr Madu Sudan jee aap se request hai ki aap Arthritis (Gathiya) ke baare sampurna jaankari apne blog ke jariye dene ka kast karen.
ok
आज ही दे रहा हूँ |
thanks
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