थायरोक्सिन की निष्क्रियता(या कमी) के कारण
हाइपोथायरायडिज्म हो सकता हैं, आयोडीन की कमी या इड विफलता के कारण थकान, सुस्ती और हार्मोनल असंतुलन होता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये, तो यह मायक्झोएडेमा का कारण बन सकती हैं, जिसमें त्वचा और ऊतकों में सूजन होती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली अश्वगंधा, जड़ी बूटी इस रोग के दोनों रुपों, हायपर और हायपो के लिए जवाब साबित हो सकती हैं। यह भारत, अफ्रीका और भूमध्य सागर के सुखे क्षेत्रों में मिलती हे , इसका लैटिन नाम विथानिआ सोमनिफेरा हैं।मध्य प्रदेश में नीमच/मनासा/गरोठ ,अदि जगहों पर प्रमुख फसल के रूप में बोई जाती हे |
नीचे चार कारण दिये गये हैं, जिस के कारण इसका इस्तेमाल थाइरोइड के लिए किया जा सकता हैं।
यह आपके शरीर के साथ काम करती हैं, उसके खिलाफ नहीं।
यह एक एडाप्टोजेन हैं, एक हर्बल उत्पाद, जो शरीर की तनाव, आघात, चिंता और थकान के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता हैं। एडाप्टोजेन एक पुनः निर्माण करने वाली जड़ी बूटी हैं, आयुर्वेदिक संदर्भ में 'रसायना' और बलवर्धक हैं। यह पुष्टिकारक औषधी (टॉनिक) जड़ी बूटी भी हैं और नियमित रूप से ली जा सकती हैं। और वह अंतःस्त्रावी प्रणाली (हार्मोन) को ठीक भी करती हैं, जिससे व्यक्ति को हार्मोनल संतुलन की पुनःप्राप्ती होने में मदद मिलती हैं, और बेहतर महसूस होता हैं।
अश्वगंधा का उपयोग कर रहे व्यक्तियों से चर्चा द्वारा प्राप्त आकडे और वास्तविक अनुभव यह दर्शाते हैं, कि एडाप्टोजेन सभी प्रकार के लोगों पर, इतना ही नही विशेष बीमारी के अति रोग ग्रस्त लोगों पर भी कारगर हैं। उदाहरण के लिए एक व्यक्ति इसे एक मंद थाइरोइड को सही करने के लिए ले सकता है, जबकि दुसरा अन्य इसका उपयोग अपने अति सक्रिय थाइरोईड के इलाज के लिए ले सकता हैं।इसका अर्थ हे की हरमोंन बड़ने या घटने दोनों परिस्थतियो में लाभकारी होता हे |
वैज्ञानिकों को इनके निरिक्षणों ने चौका दिया हैं, क्योंकि इसका शरीर पर एक समग्र प्रभाव हैं।
यह जड़ी बूटी एक टॉनिक के रूप में हजारों वर्षों से इस्तेमाल की जा रही हैं, इसलिए इसको एक व्यक्ती दीर्घ अवधि के लिए, किसी दुष्प्रभाव की संभावना के बिना उपयोग कर सकता हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसको तनाव,अनिद्रा और शक्ति अदि के लिए वर्षो से उपयोग कर रहे हें |
प्रति दिन 200 से 1200 मिलीग्राम की छोटीसी खुराक(घन सत्व की)या २ से ५ ग्राम तक की मात्र आपको लेनी चाहिए। यदि गंध अनचाही हैं, तो यह एक चाय/दूध के साथ मिलाकर जिसे उत्तेजक गर्म पेय बनाने के लिए तुलसी मिलायी जा सकती हैं या सोठ(सुखा अदरख) (ताजे फलो के रस के साथ आईसक्रिम, दही या दुध मिलाकर बनाया एक गाढा मुलायम पेय) में लिया जा सकता हैं। हिमालय अदि कई औषधि निर्माता केप्सूल भी बना रहे हें |मात्रा १से दो केप.रोज दो बार |
उपचार प्रभावी हो रहा हैं, यह निर्धारित करने के लिए अपने थायराइड हार्मोन की जाँच करना और 2 से 3 महीने की अवधि के बाद एक सकारात्मक बदलाव के लिए उनकी फिर से जाँच कराना एक सर्वोत्तम तरीका हैं।
यह एक हानि रहित/साइड इफेक्ट रहित , निरापद औषधि हे |
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