रक्त बड़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाये और प्राक्रतिक तरीके
शरीर या बॉडी में आयरन की कमी से(रक्त या खून की कमी) एनीमिया हो सकता है। रेड ब्लड कार्प्सल्स की रक्त में कमी ही एनीमिया हे | इसका कारण थैलेसीमिया (With Vidio) भी हो सकता हे आयुर्वेद में एनीमिया को पाण्डु रोग कहा जाता हे | यह कई कारणों से हो सकता हे | इससे बचने के लिए बैलेंस्ड डाइट लेने की सलाह देते हैं। हालांकि सिचुएशन ज्यादा खराब होने पर मेडिकल ट्रीटमेंट्स लेने का ही ऑप्शन बचता है:
आपकी डाइट जितनी अच्छी होगी, उतनी ही अच्छी आपकी हेल्थ भी होगी। इसी के साथ बीमारियों से दूरी भी बनी रहेगी। लेकिन इसके लिए आपको पूरी तरह कॉन्शस रहना होगा और अपनी हेल्थ पर चेक रखना होगा, क्योंकि कई लोगों को यह ही नहीं पता होगा कि उन्हें कोई प्रॉब्लम भी है। ऐसा ही कुछ एनीमिया के साथ है। पेशंट्स समझ ही नहीं पाते कि उन्हें एनीमिया है और प्रॉब्लम धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
रक्त की कमी से फूलती है सांस
बॉडी को सही अमाउंट में आयरन ना मिलना भी इसका एक बड़ा कारण है। इंटरवेंशनल कि शुरुआती फेज में अक्सर एनीमिया का पता ही नहीं चलता, लेकिन बाद में यह काफी सीरियस प्रॉब्लम में बदल जाता है। इसके बढ़ने से रुटीन एक्टिविटीज में भी दिक्कत होने लगती है, जैसे जल्दी थकान होना या थोड़ी-सी एक्सरसाइज करने के बाद ही सांस फूलना वगैरह।
डाइट में आयरन पर्याप्त मात्रा में नहीं होने से ब्लड लॉस, पेट दर्द या आंत में छाले जैसी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। लेडीज को पीरियड से जुड़ी समस्या हो सकती है।
'अक्सर प्रेग्नेंट महिलाओं में एनीमिया के लक्षण ज्यादा पाए जाते हैं। बेबी को फीड करवाने वाली महिलाओं को भी प्रॉपर डाइट लेनी चाहिए।'
आयरन रिच डाइट
हमारी बॉडी को ऑक्सिजन की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है। यही नहीं , अन्य ऑर्गन्स की तुलना में ब्रेन को इसकी ज्यादा जरूरत पड़ती है। शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलने पर अधिक नींद आना , जल्दी थकान होना , सांस फूलना , सिर में दर्द होना या कभी चेस्ट में पेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सबसे पहले मरीज की डाइट चेंज करना जरुरी होता हे | डाइट में हरी सब्जियां , फल व नॉन - वेजिटेरियन चीजें शामिल की जाती हैं। '
इसके अलावा , डाइट में ड्राई फ्रूट्स शामिल करना बेहतर होगा। फलों में संतरा , आम , सेब , अनानास,चुकंदर, वगैरह लिया जा सकता है। इनमें आयरन अच्छी मात्रा में होता है। अगर डाइट पर ध्यान देने के बाद भी एनीमिया की शिकायत बनी रहती है , तो इसका मतलब है कि ऑक्सिजन रेड ब्लड सेल्स को बॉडी तक नहीं पहुंचा पा रही है। इस स्थिति में आपको जल्दी थकान होगी।आधुनिक चिकित्सा के अंतर्गत ऐसे में पेशंट को आयरन , विटामिन , फोलिक एसिड और दूसरी चीजें दी जाती हैं। इसे टैब्लेट या इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है।
जरूरत पड़ने पर ब्लड भी ट्रांसफर किया जा सकता है। कई केसेज में बोन मैरो तक ट्रांसप्लांट भी किया जाता है।
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें |.
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