फास्ट फूड की इस लत से पीछा छुड़ाने का रास्ता क्या हे ?
एक नये शोध के अनुसार फास्ट फूड की लत भी तम्बाकू या हिरोइन की लत की ही तरह होती है । यह समस्या सिर्फ युवाओं में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी बढ़ती जा रही है ।
सभी उम्र के बच्चों पर ऐसी लत का ध्यान देना आवश्यक है ।
‘सुपरसाइज़ मी’ एक ऐसे कहानी है, जिसमें एक व्यक्ति को मैक डी के आहार की लत लग जाती है और वो सिर्फ पि़ज्जा़ और बर्गर खाकर खुश रहता है। शुगर और खाद्य पदार्थ भी दिमाग पर कुछ वैसे ही प्रभाव डालते हैं जैसे कि ड्रग्स और धीरे – धीरे इसका प्रभाव हमारी भूख पर पड़ने लगता है।
सबसे भयानक बात यह है कि ऐसी लत का पता व्यक्ति को बहुत समय बाद लगता है और तबतक व्यक्ति का वज़न कई गुना बढ़ चुका होता है । ध्यान देने योग्य सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति को हमेशा अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए । आप जो भी आहार लेते हैं उसे कम मात्रा में लें । ध्यान रखें कि यह बात महत्व नहीं रखती कि आप क्या खा रहे हैं, बल्कि यह बात महत्व रखती है कि आप कितना खा रहे हैं । इसके अलावा लत का एक कारण यह हो सकता है कि आप वसा की कितना मात्रा ले रहे हैं या किस मात्रा में जंक फूड का सेवन कर रहे हैं ।
लत को मानने का सबसे कठोर चरण है इसे स्वीकार करना । एक बार जब आप अपनी लत को स्वीकार कर लेंगे तो अपनी इच्छा शक्ति की मदद से इससे बचने के रास्ते आप स्वयं ही तलाश लेंगे ।
दृढ़ इच्छा शक्ति सर्वोच्च है और कुछ स्थितियों में परामर्श से भी मदद मिलती है। ध्यान रखें कि आपको बहुत तेज़ भूख ना लगने पाये।
साइकोथेरेपिस्ट्स के अनुसार क्रेविंग ऐसी स्थिति जिसका असर सिर्फ 15 मिनट तक रहता है ।
भूख लगने पर पानी पीयें क्योंकि कभी-कभी हमारा शरीर प्यास के संकेत को भूख की स्थिति मान बैठता है। कुछ चिकित्सक क्रेविंग से बचने के नुस्खे बताते हैं। शुरूवात कुछ इस प्रकार करें, पहले दिन कोई भी जंक फूड ना खायें और फिर दूसरे दिन पुरस्कार के रूप में थोड़ा सा जंक फूड खायें। दोबारा दो दिन तक कोई भी जंक फूड ना खायें और फिर तीसरे दिन पुरस्कार के रूप में थोड़ा सा जंक फूड खायें । लगातार ऐसा तब तक करते रहें जबतक कि आप अपने आपको क्रेविंग या भूख लगने की स्थिति का सामना करने के काबिल ना बना लें ।
फास्ट फूड को ना कहना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । यह कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि आप कहां पैदा हुए हैं, आपके घर पर कैसे आहार का सेवन होता है । वो बच्चे जिनके खान–पान की आदतों पर नज़र रखी जाती है, उनमें ऐसी समस्या कम होती है । कुछ की जीवनशैली कुछ ऐसी है:
सुबह वो देर से उठता है और स्कूल जाने से पहले ब्रेकफास्ट में फास्ट फूड लेता है, कार में बैठ कर कुछ बिस्किट खाता है । स्कूल पहुंचकर कैन्टीन से दो समोसे और कोल्ड ड्रिंक पीता है । अधिकतर समय वो लंच में पिज्जा़, बर्गर और फ्राईज़ मंगाता है क्योंकि उसके अनुसार घर का खाना बोरिंग होता है । अकसर वो पेट भरा होने के कारण रात का खाना नहीं खा पाता और उसके कम्यूटर के इर्द-गिर्द या बैग में स्नैक्स भरे होते है । वो देर रात तक जागता है और भूख लगने पर स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक का सेवन करता है। उसके माता और पिता दोनों ही कार्यरत हैं और रात का खाना जो कि विशेष रूप से उसके लिए बनाया जाता है, वो खाने को मना करता है । इस बच्चे को विशेष रूप से फास्ट फूड की लत लगी हुई है ।
बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अभिभावक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि यह आगे जाकर बच्चों की आदत बन जाती है । 21वीं सदी के बच्चों में यह सबसे बड़ी समस्या है, बच्चों और किशोरों में मोटापा जो कि जीवनशैली में बहुत ही आम है । हमें ऐसी समस्याओं के बारे में जानकारी रखनी चाहिए ।
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