केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक है। हर मौसम में मिलने वाला यह फल स्वादिष्ट और बीजरहित है।
क्या आप जानते हैं?
छिलके के कारण केला नैसर्गिक रूप में हमेशा शुद्ध और संक्रमण मुक्त रहता है।
केले की ३०० से भी अधिक किस्में होती हैं और इसकी खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है।
केला ९५६वीं शताब्दी में भूमध्यसागरीय देशों मे पाया गया था और अब समस्त विश्व में आसानी से उपलब्ध है।
केले का फूल और तना भी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह पकाया जाता है।
केले की लंबाई चार इंच से लेकर १५ इंच तक हो सकती है।
केले की जाति के आधार पर इसके स्वाद में अंतर हो सकता है।
केले के साथ इलायची खाने से केला आसानी से पचता है।
केले पर हलके भूरे रंग के दाग इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च के पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में परिवर्तित हो चुका है। ऐसा केला आसानी से हजम होता है। केला सुबह के समय खाना अच्छा होता है। केले का छिलका उतारने के तुरन्त बाद खा लेना चाहिए और खाने के तुरन्त बाद पानी का परिहार करना चाहिए।
केला शक्तिवर्धक तत्वों, प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थों का अनोखा मिश्रण है। इसमें पानी की मात्रा कम होती है। यह उष्मांक (केलोरी) वर्धक भी है। केला और दूध का मिश्रण शरीर और स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है।
केला अन्न को पचाने में सहायक होने के साथ-साथ उत्साह भी देता है। केले में होनेवाली नैसर्गिक शक्कर पौष्टिक तत्वों से होने वाली रासायनिक प्रक्रिया और सेहत बनाने में मदद करती है।
यह अम्लता (ऐसिडिटी) को कम करता है और पेट में हल्की परत बना कर अल्सर का दर्द कम करता है। यह अतिसार और कब्ज़, दोनों में लाभकारी है। यह आंत की सारी प्रक्रिया को सामान्य कर सकता है। केले के गूदे में नमक डाल कर खाना अतिसार के लिए अच्छा होता है।
अच्छे पके केले का गूदा शरीर के जले हुए हिस्से पर लगाकर कपड़ा बाँध दिया जाय तो तुरंत आराम मिलता है। छाले, फफोले या थोड़ी बहुत जलन होने पर केले का नया निकला छोटा पत्ता ठण्डक पहुँचाता है।
केला यदि अच्छा पका हुआ नहीं है तो पचने में कठिन पड़ सकता है। केला फ्रिज में कभी नहीं रखा जाता क्योंकि वह इतने कम तापमान नहीं पक सकता। गुर्दे की बीमारी में केला लाभदायक नहीं हैं क्योंकि केले में पोटॅशियम की मात्रा अधिक होती है।
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