Rescue from incurable disease

Rescue from incurable disease
लाइलाज बीमारी से मुक्ति उपाय है - आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा |

वमन या उल्टियों का कारण और निवारण


आयुर्वेदिक चिकित्सा
 जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों के नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं। 
अधिकांश परिस्थितियों में उलटी  होना  एक  सामान्य  शारीरिक  प्रतिक्रिया  हे  जो  अनिच्छित  वास्तु  के  पेट  में  जाने  से  होती  हे | यह  अनिच्छित  वास्तु  किसी  भी  प्रकार  की  खाद्य  या अचानक  मुंह  के  द्वारा  प्रवेश  कर  जाने  वाले  कर्मी  कीट  माखी  आदि  से  लेकर  अधिक  खाना  अरुचिकर   खाना  या कुछ  न  कुछ या  सबकुछ  बकरियों  की  तरह  खाते ही  रहना | शारीर एक सीमा तक तो ग्रहण कर सकता हे पर जब सीमा की अधिकता होने लगे तो बहार फेकने लगता हे |यही वमन हे| अक्सर इस  प्रकार की उलटी उस वस्तू को बाहर कर देने के बाद ठीक हो जाती हे | यदि  ठीक नहीं  हो रही हो तो कुच्छ अन्य रोग भी हो सकता हे | जेसे अल्सर,आदि इनमे चिकित्सक की सहायता  जरुरत होती हे |  
उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार
यदि अनुचित खाद्य  के निकलने  के बाद भी  उल्टियों हो तो बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी रुचिकर और  हाजमे वाले  सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।
एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है। 
एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।
आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।
सत अजवाइन , पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको निर्जलीकरण से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।.
तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं ।
खान खाने के फ़ौरन बाद न सोयें।
जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा। 
व्हीटजर्म भी उल्टियाँ के लिए बहुत ही अच्छा उपाय है। हर घंटे में 2 या 3 चम्मच व्हीटजर्म दूध में मिलाकर सेवन करने से उल्टियों के उपचार में सहायता मिलती है।
चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1/2 कप चावल 1 या 1-1/2 कप पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इस उल्टियाँ रुक जायेंगी।यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए। 
एक चम्मच प्याज़ का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

आयुर्वेदिक औषधियां
वमन या उलटी रोकने के लिए मयूर पिच्छ भस्म १०० एम् जी.ग्लूकोस या शक्कर के देना निरापद और तत्काल लाभ देने वाला होता हे | मोर के पंखो की चन्द्रिकाओ को लोहे के तवे पर पूरी तरह जला लेने से ही यह भस्म बन जाती हे| बाज़ार में भी मिलती हे |   
उल्टियों को रोकने की अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं, एलादी चूर्ण, वन्तिहर रस, वृषभध्वज रस, रसेन्द्र रस, वान्तिहद रस, वगैरह.पर यह चिकित्सक के परामर्श के विना  नहीं लें |



समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान ,एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|

कोई टिप्पणी नहीं:

आज की बात (28) आनुवंशिक(autosomal) रोग (10) आपके प्रश्नो पर हमारे उत्तर (61) कान के रोग (1) खान-पान (69) ज्वर सर्दी जुकाम खांसी (22) डायबीटीज (17) दन्त रोग (8) पाइल्स- बवासीर या अर्श (4) बच्चौ के रोग (5) मोटापा (24) विविध रोग (52) विशेष लेख (107) समाचार (4) सेक्स समस्या (11) सौंदर्य (19) स्त्रियॉं के रोग (6) स्वयं बनाये (14) हृदय रोग (4) Anal diseases गुदरोग (2) Asthma/अस्‍थमा या श्वाश रोग (4) Basti - the Panchakarma (8) Be careful [सावधान]. (19) Cancer (4) Common Problems (6) COVID 19 (1) Diabetes मधुमेह (4) Exclusive Articles (विशेष लेख) (22) Experiment and results (6) Eye (7) Fitness (9) Gastric/उदर के रोग (27) Herbal medicinal plants/जडीबुटी (32) Infectious diseaseसंक्रामक रोग (13) Infertility बांझपन/नपुंसकता (11) Know About (11) Mental illness (2) MIT (1) Obesity (4) Panch Karm आयुर्वेद पंचकर्म (61) Publication (3) Q & A (10) Season Conception/ऋतु -चर्या (20) Sex problems (1) skin/त्वचा (26) Small Tips/छोटी छोटी बाते (69) Urinary-Diseas/मूत्र रोग (12) Vat-Rog-अर्थराइटिस आदि (24) video's (2) Vitamins विटामिन्स (1)

चिकित्सा सेवा अथवा व्यवसाय?

स्वास्थ है हमारा अधिकार १

हमारा लक्ष्य सामान्य जन से लेकर प्रत्येक विशिष्ट जन को समग्र स्वस्थ्य का लाभ पहुँचाना है| पंचकर्म सहित आयुर्वेद चिकित्सा, स्वास्थय हेतु लाभकारी लेख, इच्छित को स्वास्थ्य प्रशिक्षण, और स्वास्थ्य विषयक जन जागरण करना है| आयुर्वेदिक चिकित्सा – यह आयुर्वेद विज्ञानं के रूप में विश्व की पुरातन चिकित्सा पद्ध्ति है, जो ‘समग्र शरीर’ (अर्थात शरीर, मन और आत्मा) को स्वस्थ्य करती है|

निशुल्क परामर्श

जीवन के चार चरणौ में (आश्रम) में वान-प्रस्थ,ओर सन्यास अंतिम चरण माना गया है, तीसरे चरण की आयु में पहुंचकर वर्तमान परिस्थिती में वान-प्रस्थ का अर्थ वन-गमन न मान कर अपने अभी तक के सम्पुर्ण अनुभवोंं का लाभ अन्य चिकित्सकौं,ओर समाज के अन्य वर्ग को प्रदान करना मान कर, अपने निवास एमआइजी 4/1 प्रगति नगर उज्जैन मप्र पर धर्मार्थ चिकित्सा सेवा प्रारंंभ कर दी गई है। कोई भी रोगी प्रतिदिन सोमवार से शनी वार तक प्रात: 9 से 12 एवंं दोपहर 2 से 6 बजे तक न्युनतम 10/- रु प्रतिदिन टोकन शुल्क (निर्धनों को निशुल्क आवश्यक निशुल्क ओषधि हेतु राशी) का सह्योग कर चिकित्सा परामर्श प्राप्त कर सकेगा। हमारे द्वारा लिखित ऑषधियांं सभी मान्यता प्राप्त मेडिकल स्टोर से क्रय की जा सकेंगी। पंचकर्म आदि आवश्यक प्रक्रिया जो अधिकतम 10% रोगियोंं को आवश्यक होगी वह न्युनतम शुल्क पर उपलब्ध की जा सकेगी। क्रपया चिकित्सा परामर्श के लिये फोन पर आग्रह न करेंं। ।

चिकित्सक सहयोगी बने:
- हमारे यहाँ देश भर से रोगी चिकित्सा परामर्श हेतु आते हैं,या परामर्श करते हें, सभी का उज्जैन आना अक्सर धन, समय आदि कारणों से संभव नहीं हो पाता, एसी स्थिति में आप हमारे सहयोगी बन सकते हें| यदि आप पंजीकृत आयुर्वेद स्नातक (न्यूनतम) हें! आप पंचकर्म चिकित्सा में रूचि रखते हैं, ओर प्रारम्भ करना चाह्ते हैं या सीखना चाह्ते हैं, तो सम्पर्क करेंं। आप पंचकर्म केंद्र अथवा पंचकर्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रक्रियाओं जैसे अर्श- क्षार सूत्र, रक्त मोक्षण, अग्निकर्म, वमन, विरेचन, बस्ती, या शिरोधारा जैसे विशिष्ट स्नेहनादी माध्यम से चिकित्सा कार्य करते हें, तो आप संपर्क कर सकते हें| सम्पर्क समय- 02 PM to 5 PM, Monday to Saturday- 9425379102/ mail- healthforalldrvyas@gmail.com केवल एलोपेथिक चिकित्सा कार्य करने वाले चिकित्सक सम्पर्क न करें|

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

स्वास्थ /रोग विषयक प्रश्न यहाँ दर्ज कर सकते हें|

Accor

टाइटल

‘head’
.
matter
"
"head-
matter .
"
"हडिंग|
matter "