सावधान- ब्लड प्रेशर रोग चुपके से घुसता एक हुआ चोर है, जो लकवे या पैरालायसीस का कारण बन सकता है। |
रक्तचाप या ब्लड प्रेशर क्या हें?
रक्तचाप शरीर स्तिथ धमनियों की दीवारों पर रक्त की दबाव की क्रिया हे । हर बार जब दिल धड़कता है,तब ह्रदय फेलता सिकुड़ता हे, इस तरह रक्त धमनियों में ह्रदय से बाहर आता और जाता हे,या पंप होता हे। धमनिया रक्त को एक ओर ह्रदय से शारीर की ओर, बड़ा देती हें क्योकि रक्त ह्रदय के वाल्व बंद हो जाने से वापिस नहीं आ सकता या हम कह सकते हें की ह्रदय वाल्व वापिस आने से रोकता हे क्योकि यह एक और खुलता हे। इस दबाब द्वारा रक्त बहार जाने को धमनियों पर पड़ने वाला दबाव उच्चतम (हाई)रक्तचाप होता हे इसे systolic दबाव कहा जाता है।यह रक्त शरीर के बिभिन्न भागो में छोटी छोटी नलिका से गुजर कर शारीर को अक्सिजन एवं इनर्जी देता हे वंहा की कार्बन दी ओक्साईट लेकर शिराओं के माध्यम से वापिस ह्रदय में पहुचता हे ह्रदय का वोल्व बंद होकर शिराओं में रक्त को वापिस नहीं जाने देता। ह्रदय के इस फेलाव के कारण धमनियों में दबाव कम हो जाने से रक्तचाप गिर जाता है. यह diastolic दबाव है।यह प्रक्रिया एक इंजिन की तरह निरंतर चलती रहती हे।
जो की धडकन के रूप में हमको पता चलती रहती हे। ब्लड प्रेसर मानिटर आपका रक्तचाप पढ़ने इन दो संख्याओं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव का उपयोग करता है यह आमतौर पर वे ऊपर/नीचे लिख कर दर्ज किये जाते हें।
यथा - 120/80 यह सामान्य हें। 140/90 से अधिक है तो उच्च रक्तचाप माना जाता हे। यह एक स्वस्थ युवा व्यक्ति का सामान्य स्तिथि में लिया गया रक्त चाप हे।
सिस्टोलिक बी.पी. 120 और 139 के बीच, ओर डायस्टोलिक 80 - 90 के बीच सामान्य होता हे।
अधिक कम ओर थोडा उच्च रक्तचाप होने पर आम तौर पर कोई लक्षण नहीं होते है। लेकिन यह स्ट्रोक, हृदय विफलता,(हार्ट फेल ) दिल का दौरा और गुर्दे की विफल ( फेल ) के रूप में या गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
आप स्वस्थ जीवन शैली और दवाई लेने के माध्यम से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हें।
समस्त चिकित्सकीय सलाह रोग निदान एवं चिकित्सा की जानकारी ज्ञान(शिक्षण) उद्देश्य से हे| प्राधिकृत चिकित्सक से संपर्क के बाद ही प्रयोग में लें|